अगर एयर कंडिशनर खराब ना होता, तो टॉम बॉलिंग की मछलियों के प्रजनन की कोशिश कामयाब ही ना हो पाती. आठ महीने से वह जिस कोशिश में लगे थे, उसे एक खराब एयर कंडिशनर ने कामयाब करा दिया.
एक्वेरियम में रखी गईं मछलियांतस्वीर: Georg Hochmuth/APA/picture alliance
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इंडोनेशिया के पलाऊ में रहने वाले टॉम बॉलिंग एक शौक के लिए पाली जाने वालीं सुंदर मछलियों के ब्रीडर हैं. वह अपनी गुलाबी और पीली मछली की ब्रीडिंग की कोशिश में कामयाब हो गए हैं. बॉलिंग ने इन मछलियों को ठंडे पानी में रखा था क्योंकि वह उनके कुदरती पानी के तापमान को उपलब्ध कराना चाह रहे थे.
ये मछलियां चूंकि गहरे समुद्र में रहती हैं, इसलिए बॉलिंग चाहते थे, उनके एक्वेरियम में पानी उतना ही ठंडा हो, जितना समुद्र की गहराई में रहता है. इसलिए उन्होंने एसी भी लगाया था. एक दिन एसी खराब हो गया तो नतीजे हैरतअंगेज निकले. पानी का तापमान रातभर में कुछ डिग्री बढ़ गया. बॉलिंग बताते हैं, "मछलियां तो जैसे पगला गई थीं. वे इधर-उधर, सब जगह अंडे देने लगीं.”
एक्वेरियम में इन मछलियों का प्रजनन कराने की कोशिशें दुनियाभर में होती हैं. विशेषज्ञ तरह-तरह की कोशिशें करते हैं ताकि मछलियों को वही परिस्थितियां दे सकें, जो उन्हें कुदरती तौर पर समुद्र की गहराई में मिलती हैं. वे लाइट लगाने से लेकर खाने के महीन टुकड़े डालने तक तमाम तरह की कोशिशें करते हैं लेकिन पानी के सही तापमान को हासिल करना एक चुनौती ही रहती है.
क्यों हो रही है एक्वेरियम ब्रीडिंग की कोशिश
इन मछलियों को एक्वेरियम में तैयार करने की कोशिश इसलिए की जा रही है, ताकि इन्हें समुद्र से ना पकड़ा जाए. इन सुंदर मछलियों को समुद्र की गहराई से पकड़ने के लिए शिकारी जहरीले रसायनों का इस्तेमाल करते हैं, जो कोरल के लिए नुकसानदायक होते हैं.
बाढ़ में बढ़ गए थाईलैंड के इस ठेले के ग्राहक
शहर में बाढ़ आई और पानी घुटनों तक भर गया तो एक ठेले वाले ने सोचा कि अब कौन आएगा. पर हुआ उलटा. पानी के साथ मछलियां आईं और फिर इतने ग्राहक आए कि काम बढ़ गया.
तस्वीर: Juarawee Kittisilpa/REUTERS
जब सब डूबा था
थाईलैंड के मध्यवर्ती नाखोन पाथोम प्रांत में बारिश के बाद बांधों से छोड़े गए पानी ने था चिन नदी के किनारे बसे कई गांव-कस्बों को डुबो दिया.
तस्वीर: Juarawee Kittisilpa/REUTERS
ठेला चालू था
जब सारे काम-धंधे पानी की वजह से बंद हो गए, तब इस नूडल स्टॉल में लोगों ने काम बंद नहीं किया.
तस्वीर: Juarawee Kittisilpa/REUTERS
बनाना-खाना, सब पानी में
नतीजा यह निकला कि लोगों ने उन्हीं हालात का आनंद लेना शुरू कर दिया. घुटने तक भरे पानी में खाना बनाने वाले बना रहे हैं और खाने वाले खा रहे हैं.
तस्वीर: Chalinee Thirasupa/REUTERS
30 साल से जारी
पा जित चिकन नूडल स्टॉल 30 साल से काम कर रहा है. यह हाईवे पर एक पुल के नीचे है.
तस्वीर: Chalinee Thirasupa/REUTERS
लोग आते रहे
पूर्नकमोल प्रांगप्रेंप्री ने बताया कि शुरू में तो वह दुकान बंद रखना चाहते थे लेकिन मछली पड़ी थी और लोग आ रहे थे तो वह काम करती रहीं.
तस्वीर: Chalinee Thirasupa/REUTERS
फुट स्पा भी
इस पानी में मछलियां हैं जिन्हें ग्राहक दाना डालते रहते हैं. प्रांगप्रेंप्री कहती हैं कि साथ-साथ ‘फुट स्पा’ भी होता रहता है.
तस्वीर: Chalinee Thirasupa/REUTERS
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अमेरिका, यूरोप, चीन और दुनिया के अन्य हिस्सों में पाई जानें वालीं ये सुंदर चमकीली मछलियां ज्यादातर फिलीपींस, इंडोनेशिया और अन्य भूमध्यरेखीय देशों के कोरल रीफ से पकड़ी जाती हैं. पकड़ने वाले साइनाइड जैसे रसायनों से उन्हें बेहोश करते हैं और जाल में फांस लेते हैं. फिर उन्हें दलालों को बेच दिया जाता है, जो उन्हें पूरी दुनिया में सप्लाई करते हैं. इस तरह ये मछलियां लोगों के घरों में स्थित छोटे बड़े एक्वेरियम में पहुंच जाती हैं. विशेषज्ञ कहते हैं कि बड़ी तादाद में मछलियां रास्ते में ही मर जाती हैं.
प्रजनन के क्षेत्र में एक बड़ी समस्या यह है कि नमकीन पानी के एक्वेरियम में रखी जाने वालीं करीब 4 फीसदी मछलियां ही ऐसे माहौल में प्रजनन करती हैं. इसकी वजह है उनकी रहस्यमयी प्रजनन प्रक्रिया और वे परिस्थितियां जिनमें ये मछलियां अंडे देती हैं. वैज्ञानिक और ब्रीडर दोनों ही इन परिस्थितियों की सटीकता को हासिल करने में संघर्ष कर रहे हैं.
यह संघर्ष दशकों से जारी है और कोरल रीफ एक्वेरियम फिशरीज कैंपेन के प्रमुख पॉल एंडरसन कहते हैं कि सफलता आसानी से नहीं मिलती. वह कहते हैं, "नई मछलियों को प्रजनन के बाद बाजार में लाने के लिए सालों तक निवेश, शोध और विकास करना पड़ता है. कई बार तो छोटे-छोटे कदमों के लिए भी.”
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बहुत मुश्किल है पहला चरण
ये परिस्थितियां हासिल करना बहुत ही मुश्किल हो सकता है. मसलन, काली-पीली धारीदार मछली को प्रजनन के लिए बहुत बड़ी जगह की जरूरत होती है जबकि हरी मैंडरीन मछली सूर्यास्त से ठीक पहले प्रजनन करती है, तो उस वक्त जैसे रोशनी एक्वेरियम में तैयार करनी पड़ती है. और जैसा कि बॉलिंग को एक दुर्घटना से पता चला, पीली-गुलाबी एंथियास को एक खास तापमान की जरूरत होती है.
एंडरसन कहते हैं, "आपको बहुत ज्यादा ध्यान देना होता है, वे सारे हालात पैदा करने के लिए, जो मछली को खुश करेंगे. कुछ प्रजातियां इन परिस्थितियों को लेकर बहुत ज्यादा नाजुक और संवेदनशील होती हैं.”
'मौत की दीवार' ने ली 14 मीटर लंबी व्हेल की जान
30 टन भारी और 14 मीटर लंबी एक व्हेल मछली स्पेन के तट पर मरी मिली. उसे एक हफ्ता पहले ही बचाया गया था.
तस्वीर: Oscar Corrons/REUTERS
'मौत की दीवार' ने ली जान
स्पेन के वालेंसिया क्षेत्र में यह व्हेल एक तट पर मरी मिली. इस व्हेल को एक हफ्ता पहले ही एक जाल से मुक्त कराया गया था.
तस्वीर: Eva Manez Lopez/REUTERS
जूझती मिली थी
20 मई को यह व्हेल मयोर्का के पास समुद्र में कर्मचारियों को एक अवैध जाल में फंसी मिली थी. कर्मचारियों ने इसे तट से तीन किलोमीटर दूर जाल से जूझते पाया था.
तस्वीर: Eva Manez Lopez/REUTERS
मुक्ति मिली पर...
गोताखोरों ने काफी मशक्कत के बाद इस व्हेल के जाल को काटा था. जाल से छूटते ही यह हंपबैक व्हेल समुद्र की गहराइयों में चली गई थी.
तस्वीर: Eva Manez Lopez/REUTERS
घायल और कमजोर
लेकिन 26 मई को इस व्हेल को 300 किलोमीटर दूर वालेंसिया के तट पर मरा पाया गया. विशेषज्ञों ने जांच के बाद कहा कि यह मछली बहुत कमजोर हो गई थी और उसका शरीर कई जगह से कट गया था.
तस्वीर: Eva Manez Lopez/REUTERS
कौन है जिम्मेदार
शाल्को एनजीओ के प्रवक्ता हेक्टर गागो ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा कि इस जाल के बनाने वालों को खोजकर जिम्मेदार लोगों का पता लगाया जाना चाहिए.
तस्वीर: Oscar Corrons/REUTERS
प्रतिबंधित है जाल
जिस जाल में यह व्हेल पाई गई थी, उसे ‘मौत की दीवार’ कहा जाता है. संयुक्त राष्ट्र 30 साल पहले ही इस जाल पर प्रतिबंध लगा चुका है.
तस्वीर: Eva Manez Lopez/REUTERS
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एक बार जब मछलियां अंडे दे देती हैं, उसके बाद की प्रक्रिया भी खासी चुनौतीपूर्ण होती है जब लारवा तैयार होता है. तब पानी का बहाव एकदम सटीक होना चाहिए क्योंकि वे इतने नाजुक होते हैं कि तेज बहाव उन्हें खत्म कर सकता है. इसलिए विशेष फिल्टर लगाए जाते हैं और कई बार तो एक्वेरियम की दीवारें भी बदली जाती हैं.
अमेरिका के रोड आइलैंड की रॉजर विलियम्स यूनिवर्सिटी में मरीन बायोलॉजी पढ़ाने वाले प्रोफेसर एंड्रयू राइन कहते हैं शुरुआती दौर बहुत महत्वपूर्ण होता है, तब लारवा की आंखें और मुंह तक नहीं होता. वह बताते हैं, "जब उनके आंखें और मुंह बनते हैं तो सही माहौल होना बहुत जरूरी होता है. तब उन्हें पहली बार खाना मिलता है ताकि वे मजबूत हो सकें और बढ़ना जारी रख सकें. यह सब किसी जादू जैसा है.”
राइन कहते हैं कि जरूरी नहीं कि एक्वेरियम में तैयार मछली बाजार में पहुंच ही जाएगी और बिक ही जाएगी. वह कहते हैं कि एक्वेरियम में मछली तैयार करना ज्यादा मंहगा पड़ता है और ग्राहक को इस बात के लिए मनाने में अभी समय लगेगा कि इस तरह से तैयार मछली के लिए ज्यादा दाम दें.
वीके/एए (एपी)
आकर्षक मछलियों पर लुप्तप्राय होने का खतरा कम
एक नए अध्ययन में एक अनोखी बात सामने आई है. अध्ययन में सामने आया है कि कम आकर्षक मछलियों पर लुप्तप्राय होने का खतरा ज्यादा है और उन्हें संरक्षण के ज्यादा प्रयासों की आवश्यकता है.
तस्वीर: imageBROKER/picture alliance
सिर्फ एक सुंदर चेहरा नहीं
फ्रांस के मोंपलिए विश्वविद्यालय में हुए एक अध्ययन ने पहली बार रीफ मछलियों की 2,416 प्रजातियों का सौंदर्य मूल्य निकाला है. अध्ययन के मुताबिक जिन मछलियों को कम आकर्षक पाया गया उन्हें ज्यादा संरक्षण की जरूरत है और संभव है कि असल में उनके संरक्षण की कोशिशें कम होंगी. हालांकि यह मैंडरिन मच्छली उनमें से नहीं है. इसका असल में काफी ऊंचा सौंदर्य मूल्य है.
तस्वीर: Rick D. Stuart Smith
कैसी होती हैं ये मछलियां
अध्ययन के मुख्य लेखक और इकोलॉजिस्ट निकोलस मोके ने कहा, "अधिकांश मछलियां जो लोगों को आकर्षक नहीं लगती वो ड्रैब मछलियां होती हैं जिनके शरीर का आकार लंबा होता है और रंगों के कोई विशेष पैटर्न नहीं होते." मोके ने कहा कि ऐसी कम आकर्षक लगने वाली मछलियों में सफेद स्टीनब्रास (तस्वीर में), ब्लूफिश और बोकाचियो रॉकफिश शामिल हैं.
सबसे ज्यादा सौंदर्य संबंधी मूल्य मछली की गुणवत्ता, उसके रंगों की विविधता और भराई और अच्छी तरह से बनाए हुए और दोहराए हुए पैटर्न से मिलता है. मोके ने बताया कि गोल आकार वाले शरीरों को लंबे शरीरों से ज्यादा मूल्य मिलता है. बोकाचियो रॉकफिश (तस्वीर में) मछली का लंबा आकार होता है और वो कम आकर्षक भी मानी जाती है.
तस्वीर: NOAA Fisheries/AP Photo/picture alliance
सबसे आकर्षक मछली
मोके ने डीडब्ल्यू को बताया, "मिसाल के तौर पर एंजेलफिश और बटरफ्लाईफिश जैसी मछलियों में ज्यादा रंग विविधता और विपरीत रंगों के अच्छी तरह से नजर आने वाले पैच उन्हें आकर्षक बनाते हैं."
तस्वीर: imageBROKER/picture alliance
संरक्षण में पक्षपात
मोके ने बताया कि कौन सी मछली सुंदर लगती है और कौन सी नहीं इससे हमेशा संरक्षण में पक्षपात नहीं होता है. लेकिन उन्होंने कहा, "चूंकि हमें यह पता लग गया है कि कम सुंदर मछलियों को ज्यादा संरक्षण की जरूरत है, हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि हमारा स्वाभाविक सौंदर्य झुकाव संरक्षण में पक्षपात ना पैदा कर दे."