आम तौर पर तो यही मानते हैं कि सूंघने की क्षमता में इंसान का कुत्ते या चूहों से कोई मुकाबला नहीं. लेकिन अब अमेरिकी रिसर्चरों कहना है कि यह सदियों पुरानी मिथ्या धारणा है और कुत्ते की नाक इंसान जितनी ही तेज होती है.
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अमेरिका की रटगर्स यूनिवर्सिटी के तंत्रिका विज्ञानी जॉन मैक्गान की रिपोर्ट 'साइंस' जर्नल में प्रकाशित हुई है. इसमें बताया गया है कि उन्होंने ऐसे सभी शोधों और ऐतिहासिक लेखों का विश्लेषण किया जिनसे इस भ्रांति को बल मिला था. भ्रांति यह कि सूंघने की क्षमता इंसानों के मुकाबले कुत्तों में ज्यादा होती है.
मैक्गान कहते हैं, "इतने लंबे समय से लोग यह दावे सुनते आए हैं लेकिन किसी ने भी रोक कर पूछा नहीं और इस पर सवाल खड़े नहीं किये. उन लोगों ने भी नहीं जिनका काम ही गंध पर काम करना है." मैक्गान कहते हैं कि "सच तो यह है कि इंसान में सूंघने की क्षमता उतनी ही अच्छी है जितनी बाकी दूसरे स्तनधारियों जैसे रोडेंट (चूहों की प्रजाति) या कुत्तों की."
अब तक माना जाता है कि इंसान की नाक करीब 10,000 अलग अलग तरह की गंध को पहचानने की क्षमता रखती है. लेकिन मैक्गान मानते हैं कि यह संख्या असल में दस खरब के आसपास होगी. साइंस जर्नल में लिखा गया है कि इंसानों की कमजोर घ्राण क्षमता के बारे में सबसे पहला सिद्धांत 19वीं सदी के एक मस्तिष्क विज्ञानी, सर्जन और मानवविज्ञानी पॉल ब्रोका ने दिया था.
क्यों इतने भरोसेमंद होते हैं शेपर्ड कुत्ते
जर्मन शेपर्ड कुत्ते लंबे समय से भरोसे की पहचान रहे हैं. यूरोप के चरवाहों के ये कुत्ते आखिर दुनिया भर में इतने मशहूर कैसे हुए, इसी पर एक नजर.
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जर्मन शेपर्ड बेहद नई नस्ल है. माना जाता है कि जर्मन शेपर्ड कुत्ते की पहली ब्रीडिंग 1899 में जर्मनी में हुई. जर्मनी में ब्रीडिंग होने के कारण ही इसे जर्मन शेपर्ड भी कहा जाता है.
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जर्मन शेपर्ड नस्ल जर्मनी में अलग अलग इलाकों में पाये जाने वाले शेपर्ड कुत्तों के मिश्रण से निकली. माक्स फॉन श्टेफानित्ज को इस नस्ल का खोजी माना जाता है. श्टेफानित्स एक ऐसा कुत्ता चाहते थे जो बुद्धिमान, आज्ञाकारी, मेहनती, साहसी, फुर्तीला और ताकतवर हो.
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श्टेफानित्स ने सालों तक कई कुत्तों का अध्ययन किया. लेकिन उन्हें कोई ऐसी अकेली नस्ल नहीं मिली जिसमें सभी गुण हों. इसी दौरान एक शो के दौरान उन्हें मिक्स ब्रीड का एक कुत्ता दिखाई दिया. उस कुत्ते से प्रभावित होकर श्टेफानित्स ने नई नस्ल का दावा किया.
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पहले विश्व युद्ध के दौरान जब ब्रिटेन को जर्मनी के शेपर्ड कुत्तों का पता चला तो उन्होंने इसे एल्सेशियन कहा. फिर जर्मन शेपर्ड नाम रखा. धीरे धीरे यही नाम मशहूर हो गया.
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दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान हिटलर की सेना में 30 हजार से ज्यादा शेपर्ड कुत्ते थे. वे यातना शिविरों की रखवाली करते थे. युद्ध में कब्जाई गई जमीन की रखवाली के लिए भी इन कुत्तों का सहारा लिया गया.
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जर्मन शेपर्ड, इंसान और दूसरे जानवरों के साथ दोस्ताना तरीके से रहने के लिए मशहूर होते हैं. बच्चों के साथ वे बहुत ही दोस्ताना होते हैं. जर्मन शेपर्ड कुत्ते को फालतू इधर उधर घूमने का शौक भी नहीं होता.
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जर्मन शेपर्ड मालिकों के साथ बाहर घूमना बेहद पंसद करते हैं. उन्हें चुनौती भरे खेल खेलने में बड़ा मजा आता है. जर्मन शेपर्ड को छोटे से घर में नहीं पालना चाहिए. इस कुत्ते को काफी जगह की जरूरत पड़ती है.
जर्मन शेपर्ड बेहद बुद्धिमान कुत्ता है. इस नस्ल के कुत्ते आसानी से नई चीजें सीख जाते हैं. वे खोज के साथ साथ रखवाली और पीछा करने के काम भी आते हैं.
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जिम्मेदारी का भाव जर्मन शेपर्ड कुत्तों को खास बनाता है. अपने इलाके में आने वाली हर चीज की वह पूरी शिद्दत से रखवाली करते हैं. इनमें मालिक के साथ किसी भी माहौल में ढलने की गजब की क्षमता होती है. रिपोर्ट: एम. सालेही/ओंकार सिंह जनौटी
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सन 1879 के अपने लेख में ब्रोका ने लिखा कि इंसान के दिमाग में गंध के लिए जिम्मेदार क्षेत्र 'ओलफैक्ट्री एरिया' बाकी हिस्सों की अपेक्षा छोटा होता है, इसीलिए उसमें सूंघने की क्षमता कम होती है. इसी आधार पर उन्होंने सिद्धांत दिया कि इंसान अपनी मर्जी से जीने वाला जीव है और उसे जिंदा रहने के लिए जरूरी भोजन खोजने के लिए बाकी स्तनधारियों की तरह अपनी नाक पर निर्भर नहीं रहना पड़ता.
ब्रोका के इसी सिद्धांत से प्रभावित होकर ऑस्ट्रिया के तंत्रिका विज्ञानी और मशहूर साइकोएनेलिस्ट जिगमंड फ्रॉएड ने लिखा कि इंसानों में सूंघने की शक्ति कमजोर होने के कारण ही उन्हें मानसिक बीमारियां ज्यादा होती हैं. मैक्गान कहते हैं, "यह एक लंबी सांस्कृतिक मान्यता रही है कि एक तर्कसंगत व्यक्ति तभी होगा जब वो गंध से ज्यादा प्रभावित ना हो. गंध को जानवरों की प्रवृत्ति से जुड़ा माना जाता था."
इंसान की ओलफैक्ट्री बल्ब मस्तिष्क के कुल हिस्से का केवल 0.01 फीसदी होता है जबकि चूहों में करीब दो फीसदी. लेकिन अगर असल आकार की तुलना करें तो वह चूहे के मस्तिष्क की तुलना में कहीं ज्यादा बड़ा है. जरूरी तथ्य यह है कि चाहे इंसान हो या दूसरा कोई भी स्तनधारी, दोनों के ओलफैक्ट्री बल्ब में न्यूरॉनों की संख्या बराबर होती है. अंतर यह है कि इंसान, चूहे या कुत्ते - अलग अलग गंधों के लिए कम या ज्यादा संवेदनशील हो सकते हैं.
आरपी/एके (एएफपी)
ये हैं दुनिया के कुत्ता प्रेमी नेता
कहते हैं कि कुत्ता सबसे वफादार जानवर होता है. इसलिए वह इंसान के सबसे पसंदीदा पालतू जानवरों में से एक है. एक नजर दुनिया के कुछ अहम नेताओं के कुत्तों पर.
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बोरिस जॉनसन और डिलिन
ब्रिटिश प्रधानमंत्री जॉनसन के साथ डाउनिंग स्ट्रीट के आवास में रहने वाले डिलिन को उन्होंने एक एनीमल शेल्टर से गोद लिया था. जैक रसेल मॉन्ग्रेल नस्ल के कुत्ते का नाम डिलिन रखा गया, वेल्श भाषा में जिसका अर्थ है "पीछा करना."
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पुतिन का नया कुत्ता वर्नी
रूसी राष्ट्रपति पुतिन के पास कई कुत्ते हैं. वर्नी नाम का ये कुत्ता उन्हें 2017 में अपने जन्मदिन के उपहार के रूप में मिला. सेंट्रल एशियन शेपर्ड नस्ल का वर्नी उन्हें तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति गुरबंगुली बेर्डीमुचामेडाउ ने तोहफे में दिया था. इसके नाम का मतलब है वफादारी.
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श्रोएडर परिवार का चहेता हॉली
पूर्व जर्मन चांसलर गेरहार्ड श्रोएडर और उनकी पत्नी डोरिस ने 2003 में बॉर्डर टेरियर नस्ल के हॉली को अपनाया था. इसे "प्रथम कुत्ता" का कहा जाने लगा. हॉली की मौत 2017 में कैंसर के कारण हो गई. इसकी मौत की सूचना डोरिस श्रोएडर ने फेसबुक पोस्ट के जरिए साझा की.
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माक्रों और नेमो
फ्रांस के राष्ट्रपति एमानुएल माक्रों का पास लैब्राडोर ग्रिफॉन हाइब्रिड नस्ल का कुत्ता नेमो है, जिसका वीडियो हाल ही में खूब वायरल हुआ था. इसे माक्रों एनीमल शेल्टर से लेकर आए थे. उसे नेमो नाम उन्होंने अपनी पसंदीदा किताब में पनडुब्बी नॉटिलस के कैप्टन नेमो के किरदार के ऊपर दिया है. किताब का नाम है- 20,000 माइल्स अंडर द सी.
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महारानी और उनके कुत्ते
ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के कुत्ते भी काफी प्रसिद्ध हैं. अपने 18वें जन्मदिन पर उन्हें मिला सूजन नामका वेल्श पेमब्रोक कॉर्गी कुत्ता महारानी का चहेता माना जाता है. 1998 की इस तस्वीर में महारानी अपने दूसरे कुत्तों कॉकर श्पानिएल , डॉर्गीज, मॉनग्रेल्स ऑफ डाख्सहुंड और कॉर्गी के साथ नजर आ रही हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
बो के साथ मस्ती
अपने खास अंदाज के लिए महशूर ओबामा की यह तस्वीर 12 मई 2009 की है, जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति व्हाइट हाउस के साउथ लॉन में अपने कुत्ते बो के साथ मस्ती करते नजर आए.
तस्वीर: White House/Pete Souza
परिवार का दुलारा
यह कुत्ता ओबामा को अमेरिकी सीनेटर एडवर्ड केनेडी ने तोहफे में दिया था. उनके पास पुर्तगीज वाटर नस्ल के कई कुत्ते थे. यह कुत्ता पूरे ओबामा परिवार का दुलारा है.
तस्वीर: Getty Images/W. McNamee
कुत्तों के शौकीन
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी कुत्तों के बहुत शौकीन माने जाते हैं. यह तस्वीर 24 मार्च 2013 की है जिसमें पुतिन बर्फ पर अपने कुत्तों बफी और युमे के साथ खेलते देखे जा सकते हैं.
तस्वीर: Alexsey Druginyn/AFP/Getty Images
मुलाकात का हिस्सा
पुतिन सोची में 21 जनवरी 2007 को जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल के साथ मुलाकात कर रहे थे, तभी उनका कुत्ता कोनी उस कमरे में दाखिल हो गया. लग रहा है द्विपक्षीय वार्ता त्रिपक्षीय हो गई.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/S. Chirikov
शावेज का तोहफा
कुत्ता प्रेमी नेताओं में अर्जेंटीना की पूर्व राष्ट्रपति क्रिस्टीना किर्शनर भी शामिल हैं. यह तस्वीर 18 नवंबर 2013 की है जिसमें वह अपने कुत्ते सिमोन के साथ हैं. यह कुत्ता उन्हें वेनेजुएला के राष्ट्रपति हूगो शावेज से तोहफे में मिला था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
बुश का बार्ने
जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल 2007 में जब टैक्सस के दौरे पर गईं तो तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने उन्हें अपने कुत्ते बार्ने से भी मिलवाया. मैर्केल के इस दौरे में ईरान और अफगानिस्तान पर वार्ता के अलावा ऐसे हल्के फुल्के पल भी दिखे.
तस्वीर: Getty Images/S. Kugler
कैसा लग रहा है
अप्रैल 2009 में तत्कालीन रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेद्वेदेव ने अपने ब्लॉग पर पहला वीडियो संबोधन पोस्ट किया. अपने कुत्ते के साथ मिलकर वह इसे ही देख रहे हैं कि आखिर कैसा लग रहा है.