मोदी पहुंचे जापान, नजर अमेरिका के साथ बड़े ऐलान पर
२३ मई २०२२
भारत के प्रधानमंत्री क्वाड देशों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए जापान की राजधानी टोक्यो पहुंच गए हैं. टोक्यो में सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति एक बड़े समझौते का ऐलान करने वाले हैं.
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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार अल सुबह ट्वीट कर बताया कि वह टोक्यो पहुंच गए हैं. उन्होंने लिखा, "'टोक्यो पहुंच गया हूं. विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लेना है जिनमें क्वाड सम्मेलन, साथी क्वाड नेताओं से मुलाकात, जापान के उद्योगपतियों से संवाद और भारतीय समुदाय से मुलाकात शामिल है.” इस बैठक में ऑस्ट्रेलिया के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीजी भी शामिल हो रहे हैं, जिन्होंने सोमवार को पद की शपथ ली.
क्वॉड्रिलेटरल डायलॉग, जिसे क्वॉड कहा जाता है, अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान का संगठन है जिसने हाल के दिनों में अपनी गतिविधियां खासी तेज कर दी हैं. दो महीने पहले ही चारों देशों के नेताओं ने एक वर्चुअल बैठक की थी. उससे पहले, फरवरी में चारों विदेश मंत्रियों की मेलबर्न में बैठक हुई थी.
टोक्यो के लिए निकलने से पहले जारी एक बयान में भारत के प्रधानमंत्री ने कहा कि यह बैठक क्वाड गतिविधियों की समीक्षा का मौका होगा. उन्होंने कहा, "हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में घटीं घटनाओं और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगे.” मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ होने वाली द्विपक्षीय मुलाकात के बारे में कहा कि हम समकालीन वैश्विक मुद्दों के अलावा दोनों देशों के बीच बहुपक्षीय संबंधों के विकास पर भी चर्चा करेंगे.
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एशिया व्यापार समझौते पर नजर
सोमवार को टोक्यो में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन एक नए एशिया व्यापार समझौते का ऐलान करेंगे, जिसका मकसद रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद अंतरराष्ट्रीय व्यापार में आई उथल-पुथल जैसी स्थितियों से निपटना होगा. अमेरिका ने कहा है कि नया इंडो-पैसिफिक इकनॉमिक फ्रेमवर्क (IPEF) अमेरिका और एशियाई देशों को ज्यादा सहयोग करने में मदद करेगा और ये अर्थव्यवस्थाएं सप्लाई चेन, डिजिटल ट्रेड, अक्षय ऊर्जा, कामगारों की सुरक्षा और भ्रष्टाचार मुक्त व्यापार जैसे मुद्दों पर काम कर सकेंगी.
बढ़ रही है दुनिया में परमाणु हथियारों की संख्या
दुनिया में 1990 के बाद से परमाणु हथियारों में लगातार हो रही कमी अब रुक रही है. परमाणु अस्त्रों वाले देश अपने हथियारों के भंडार का आधुनिकीकरण कर रहे हैं जिससे हथियारों की संख्या में बढ़ोतरी के संकेत मिल रहे हैं.
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शीत युद्ध के बाद
शोधकर्ताओं ने कहा है कि शीत युद्ध के अंत के बाद से 1990 के बाद के दशकों में परमाणु हथियारों की संख्या में लगातार कमी आ रही थी, लेकिन अब यह स्थिति बदल रही है. यह कहना है स्वीडन के संस्थान सिपरी में एसोसिएट सीनियर फेलो हांस क्रिस्टेनसेन का.
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हथियारों का खतरा काम
क्रिस्टेनसेन के अनुसार यह स्थिति शीत युद्ध के समय कहीं ज्यादा गंभीर थी. 1986 में दुनिया में 70,000 से भी ज्यादा परमाणु हथियारों के होने का अनुमान था.
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आज कितने हैं हथियार
इस समय परमाणु हथियारों वाले नौ देश हैं - अमेरिका, रूस, यूके, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया. सिपरी के मुताबिक 2021 में इनके पास कुल मिलाकर 13,080 हथियार हैं. संस्थान के मुताबिक पिछले साल इन देशों के पास कुल 13,400 हथियार थे.
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असल में गिरावट नहीं
सिपरी का कहना है कि यह असल में संख्या में गिरावट नहीं है, क्योंकि इन हथियारों में पुराने वॉरहेड भी हैं जिन्हें नष्ट कर दिया जाना है. अगर इन्हें गिनती से बाहर कर दिया जाए, तो परमाणु हथियारों की कुल संख्या एक साल में 9,380 से बढ़ कर 9,620 हो गई है.
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तैनात हथियार भी बढ़े
सिपरी के मुताबिक अलग अलग सेनाओं के पास तैनात परमाणु हथियारों की संख्या भी एक साल में 3,720 से बढ़ कर 3,825 हो गई. इनमें से करीब 2,000 हथियार "इस्तेमाल किए जाने की उच्च अवस्था" में रखे गए हैं, यानी ऐसी अवस्था में कि जरूरत पड़ने पर उन्हें कुछ ही मिनटों में चलाया जा सके.
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आधुनिकीकरण
हांस क्रिस्टेनसेन का कहना है कि इस समय पूरी दुनिया में काफी महत्वपूर्ण पैमाने पर परमाणु कार्यक्रमों का आधुनिकीकरण हो रहा है और परमाणु हथियारों वाले देश अपनी सैन्य रणनीतियों में परमाणु हथियारों का महत्व बढ़ा रहे हैं.
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रूस और अमेरिका की भूमिका
रूस और अमेरिका के पास दुनिया के कुल परमाणु हथियारों का 90 प्रतिशत से भी ज्यादा भंडार है. क्रिस्टेनसेन का कहना है दोनों ही देश परमाणु हथियारों को ज्यादा महत्व दे रहे हैं. उनका मानना है कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप इसी रणनीति को आगे बढ़ा रहे थे और नए राष्ट्रपति जो बाइडेन भी काफी स्पष्ट रूप से संदेश दे रहे हैं कि वो भी इसे जारी रखेंगे.
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तैयार हथियार
अमेरिका और रूस दोनों पुराने वॉरहेड को लगातार हटा रहे हैं लेकिन दोनों के पास पिछले साल के मुकाबले करीब 50 और हथियार हैं जो 2021 की शुरुआत में "क्रियाशील तैनाती" की अवस्था में थे. - एएफपी
अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि इस समझौते की बारीकियों पर अन्य देशों के साथ चर्चा जारी है और कौन-कौन से देश इस समझौते में शामिल होंगे यह ऐलान भी सोमवार को ही किया जाएगा. चूंकि भारतीय प्रधानमंत्री उसी वक्त टोक्यो में मौजूद होंगे इसलिए संभावना जताई जा रही है कि भारत इस समझौते में शामिल हो सकता है, जिसे अमेरिका द्वारा क्षेत्र में चीन को मुकाबला देने के कदम के तौर पर देखा जा रहा है.
पिछले साल जनवरी में पद संभालने के बाद से अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चीन को टक्कर देने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें क्वाड को सक्रिय करना भी शामिल है. ब्लूमबर्ग की हाल ही में आई एक रिपोर्ट बताती है कि 2022 में अमेरिकी अर्थव्यवस्था चीन से ज्यादा तेज गति से विकास करेगी. अमेरिकी की जीडीपी विकास दर इस साल 2.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जाहिर किया गया है जबकि चीन का 2 प्रतिशत.
कितने परमाणु हथियार हैं दुनिया में और किसके पास
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर हमले के तीन दिन बाद ही परमाणु हथियारों को भी हाई अलर्ट पर रखने का हुक्म दिया. रूस के पास कुल कितने परमाणु हथियार हैं. रूस के अलावा दुनिया में और कितने परमाणु हथियार है?
तस्वीर: AP Photo/picture-alliance
कितने परमाणु हथियार
स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय शांति शोध संस्थान यानी सीपरी हर साल दुनिया भर में हथियारों के बारे में रिपोर्ट तैयार करती है. सीपरी के मुताबिक 2021 की शुरुआत में दुनिया भर में कुल 13,080 परमाणु हथियार मौजूद थे. इनमें से 3,825 परमाणु हथियार सेनाओं के पास हैं और 2,000 हथियार हाई अलर्ट की स्थिति में रखे गए हैं, यानी कभी भी इनका उपयोग किया जा सकता है. तस्वीर में दिख रहा बम वह है जो हिरोशिमा पर गिराया गया था.
तस्वीर: AFP
किन देशों के पास है परमाणु हथियार
सीपरी के मुताबिक दुनिया के कुल 9 देशों के पास परमाणु हथियार हैं. इन देशों में अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इस्राएल और उत्तर कोरिया के नाम शामिल हैं. दुनिया में परमाणु हथियारों की कुल संख्या में कमी आ रही है हालांकि ऐसा मुख्य रूप से अमेरिका और रूस के परमाणु हथियारों में कटौती की वजह से हुआ है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
उत्तर कोरिया
डेमोक्रैटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया यानी उत्तर कोरिया ने 2006 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था. वर्तमान में उसके पास 40-50 परमाणु हथियार होने का अनुमान है.
तस्वीर: KCNA/KNS/AP/picture alliance
इस्राएल
इस्राएल ने पहली बार नाभिकीय परीक्षण कब किया इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. फिलहाल इस्राएल के पार 90 परमाणु हथियार होने की बात कही जाती है. इस्राएल ने भी परमाणु हथियारों की कहीं तैनाती नहीं की है. तस्वीर में शिमोन पेरेज नेगेव न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर नजर आ रहा है. इस्राएल ने बहुत समय तक इसे छिपाए रखा था.
तस्वीर: Planet Labs Inc./AP/picture alliance
भारत
भारत के परमाणु हथियारों के जखीरे में कुल 156 हथियार हैं जिन्हें रिजर्व रखा गया है. अब तक जो जानकारी है उसके मुताबिक भारत ने परमाणु हथियारों की तैनाती नहीं की है. भारत ने पहली बार नाभिकीय परीक्षण 1974 में किया था.
तस्वीर: Indian Defence Research and Development Organisation/epa/dpa/picture alliance
पाकिस्तान
भारत के पड़ोसी पाकिस्तान के पास कुल 165 परमाणु हथियार मौजूद हैं. पाकिस्तान ने भी अपने परमाणु हथियारों की तैनाती नहीं की है और उन्हें रिजर्व रखा है. पाकिस्तान ने 1998 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था.
तस्वीर: AP
ब्रिटेन
ब्रिटेन के पास मौजूद परमाणु हथियारों के जखीरे में कुल 225 हथियार है. इनमें से 120 परमाणु हथियारों को ब्रिटेन ने तैनात कर रखा है जबकि 105 हथियार उसने रिजर्व में रखे हैं. ब्रिटेन ने पहला बार नाभिकीय परीक्षण 1952 में किया था. तस्वीर में नजर आ रही ब्रिटेन की पनडुब्बी परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम है.
तस्वीर: James Glossop/AFP/Getty Images
फ्रांस
फ्रांस ने 1960 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था और फिलहाल उसके पास 290 परमाणु हथियार मौजूद हैं. फ्रांस ने 280 परमाणु हथियारों की तैनाती कर रखी है और 10 हथियार रिजर्व में रखे हैं. यह तस्वीर 1971 की है तब फ्रांस ने मुरुरोआ एटॉल में परमाणउ परीक्षण किया था.
तस्वीर: AP
चीन
चीन ने 1964 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था. उसके पास कुल 350 परमाणु हथियार मौजूद हैं. उसने कितने परमाणु हथियार तैनात किए हैं और कितने रिजर्व में रखे हैं इसके बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है.
तस्वीर: Zhang Haofu/Xinhua/picture alliance
अमेरिका
परमाणु हथियारों की संख्या के लिहाज से अमेरिका फिलहाल दूसरे नंबर पर है. अमेरिका ने 1,800 हथियार तैनात कर रखे हैं जबकि 2,000 हथियार रिजर्व में रखे गए हैं. इनके अलावा अमेरिका के पास 1,760 और परमाणु हथियार भी हैं. अमेरिका ने 1945 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था.
तस्वीर: Jim Lo Scalzo/EPA/dpa/picture alliance
रूस
वर्तमान में रूस के पास सबसे ज्यादा 6,255 परमाणु हथियार हैं. इनमें से 1,625 हथियारों को रूस ने तैनात कर रखा है. 2,870 परमाणु हथियार रूस ने रिजर्व में रखे हैं जबकि दूसरे परमाणु हथियारों की संख्या 1,760 है. रूस के हथियारों की संख्या 2020 के मुकाबले थोड़ी बढ़ी है. रूस ने 1949 में परमाणु हथियार बनाने की क्षमता हासिल की थी.
तस्वीर: AP Photo/picture-alliance
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अमेरिकी सुरक्षा सलाहकार जेक सलिवन ने कहा, "1976 के बाद पहली बार अमेरिकी अर्थव्यवस्था की रफ्तार चीन से तेज होगी, यह इस बात की बड़ी मिसाल है कि क्षेत्र के लोगों को किस तरह संभावनाओं और चलन के बारे में सोचना चाहिए.”
भारत-जापान संबंध
अपनी दो दिवसीय यात्रा में भारतीय प्रधानमंत्री ने खासा समय जापान के साथ संबंधों की बेहतरी पर खर्च करने की योजना बनाई है. उन्होंने अपने बयान में कहा कि वह जापान के प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा के न्योते पर जापान जा रहे हैं, जिन्होंने मार्च में ही भारत का दौरा किया था.
मोदी ने कहा, "भारत और जापान के बीच आर्थिक सहोयग हमारी विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझीदारी का महत्वपूर्ण पहलू है. मार्च में हुए भारत-जापान सम्मेलन में प्रधानमंत्री किशिदा और मैंने अगले पांच साल में जापान द्वारा निजी व सार्वजनिक भागीदारियों के जरिए भारत में पांच खरब जापानी येन (करीब 30 खरब रुपये) के निवेश का ऐलान किया था. इस यात्रा में मैं हमारे देशों के बीच आर्थिक सहयोग को और बढ़ाने के मकसद से जापान के व्यापार जगत के नेताओं से मिलूंगा.”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों से भी संवाद करेंगे. जापान में भारतीय मूल के लगभग 40 हजार लोग रहते हैं.