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राजनीतिसंयुक्त राज्य अमेरिका

पीएम मोदी पहुंचे अमेरिका, इस बार क्वॉड में क्या खास है?

२१ सितम्बर २०२४

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्वॉड देशों के सम्मेलन में हिस्सा लेने अमेरिका पहुंचे हैं. बाइडेन इस बैठक के जरिये भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ अपने "आत्मीय रिश्तों" को जाहिर करने की कोशिश कर रहे हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका पहुंचने पर उनका स्वागत करते भारतीय समुदाय के लोग.
नरेंद्र मोदी अपनी तीन-दिवसीय यात्रा में भारतीय समुदाय को भी संबोधित करेंगे. इसमें डायस्पोरा के करीब 25,000 लोगों के शामिल होने की उम्मीद हैतस्वीर: Jason DeCrow/AP/picture alliance

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्वॉड देशों के सम्मेलन में हिस्सा लेने अमेरिका पहुंचे हैं. यहां विलमिंगटन में उन्होंने भारतीय समुदाय के लोगों से मुलाकात की. अमेरिका स्थित भारतीय दूतावास ने उनका स्वागत करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, "द्विपक्षीय वार्ताओं और भारत-यूएस के व्यापक वैश्विक सामरिक सहयोग को बढ़ाने के लिए अमेरिका की इस विशेष यात्रा पर पीएम नरेंद्र मोदी का स्वागत है."

यहां 21 सितंबर को क्वॉड सम्मेलन में उनकी अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, जापान के प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीजी से वार्ता होगी. क्वॉड बैठक के दौरान अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल में विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन, राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों में बाइडेन के सलाहकार जेक सलिवन भी शामिल होंगे.

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामकता और सीमाई दावों पर क्षेत्रीय शक्तियों के साथ बढ़ रहा टकराव, भारत और अमेरिका दोनों के लिए चिंता का विषय हैतस्वीर: AFP

भारतीय प्रतिनिधिमंडल में विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अमेरिका में भारतीय राजदूत विजय मोहन क्वात्रा शामिल हैं. बाइडेन प्रशासन ने बताया है कि वार्ता के बाद क्वॉड की ओर से हिंद महासागर में सुरक्षा संबंधी नई योजनाओं का एलान किया जाएगा. 

हिरोशिमा में हुई क्वॉड बैठक में नाम लिये बिना चीन पर हमला

क्वॉड की बैठक के बाद नरेंद्र मोदी न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करेंगे. न्यूयॉर्क के ही लॉन्ग आइलैंड में वह भारतीय समुदाय को भी संबोधित करेंगे. इस कार्यक्रम में डायस्पोरा के करीब 25,000 लोगों के शामिल होने की उम्मीद है. विशेषज्ञों के मुताबिक, मोदी अमेरिका में भारतीय समुदाय की बड़ी उपस्थिति और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय मूल के लोगों की बढ़ती ताकत को रेखांकित करना चाहते हैं.

2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में कमला हैरिस की उम्मीदवारी ने भारतीय मूल के बढ़ते प्रभाव को और प्रमुखता से सामने रखा है. राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, प्रत्यक्ष तौर पर दोनों देशों के बीच आर्थिक अवसरों और सांस्कृति लेनदेन जैसे पक्षों पर ज्यादा फोकस दिख सकता है. हालांकि, अमेरिका और भारत दोनों के लिए ही फिलहाल चीन बड़ी चुनौती है. बाइडेन और मोदी के बीच द्विपक्षीय वार्ता में चीन और रूस पर विस्तृत चर्चा होने की उम्मीद है. 

क्या है क्वॉड?

क्वॉड्रिलैट्रल सिक्यॉरिटी डायलॉग, संक्षेप में क्वॉड चार देशों का समूह है. इसके सदस्य हैं- भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान. इस समूह की अवधारणा का श्रेय जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को जाता है, जिन्होंने 2007 में इसके गठन का विचार पेश किया था. इससे पहले 2004 में आई भीषण सुनामी के समय भी राहत और बचाव कार्य में इन चारों देशों के बीच विस्तृत सहयोग कायम हुआ था.

क्वॉड के रूप में उसी सहयोग को आर्थिक, कूटनीतिक और सामरिक साझेदारी का आकार देने का प्रस्ताव रखा गया. हालांकि, शुरुआती सालों में यह मंच कमोबेश निष्क्रिय रहा. भूराजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, इसकी मुख्य वजह ऑस्ट्रेलिया की हिचक थी. उसे आशंका थी कि इस समूह में उसकी मौजूदगी चीन को असंतुष्ट कर सकती है.

चीन से जुड़ी चिंताओं वाले क्वॉड के बयान को भारत का समर्थन

वाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सलिवन ने उम्मीद जताई कि मोदी के साथ मुलाकात में बाइडेन उनकी हालिया रूस और यूक्रेन यात्रा और चीन से जुड़ी चिंताओं पर भी बात करेंगेतस्वीर: Naveen Jora/Press Information/Planet Pix via ZUMA Press/picture alliance

अगले क्वॉड सम्मेलन की मेजबानी करेगा भारत

बदली भूराजनीतिक स्थितियों के बीच ठीक एक दशक बाद 2017 में क्वॉड में जान फूंकी गई. हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन का बढ़ते दबदबे और आक्रामकता को इसकी मुख्य वजह माना जाता है. चीन ने "एशियाई नाटो" की कोशिश बताते हुए क्वॉड का विरोध भी किया. बहरहाल, मार्च 2021 में क्वॉड देशों के राष्ट्राध्यक्षों की पहली आधिकारिक बैठक हुई. कोरोना के कारण यह बैठक वर्चुअल रूप में हुई.

फिर सितंबर 2021 में राष्ट्रपति जो बाइडेन ने वाइट हाउस में क्वॉड देशों के नेताओं की पहली सशरीर बैठक का आयोजन किया. इसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा और ऑस्ट्रेलिया के पीएम स्कॉट मॉरिसन शामिल हुए. इसमें तय हुए प्रस्ताव में चारों देशों ने कई विषयों पर साथ आगे बढ़ने की बात कही.

इनमें प्रमुख मुद्दे थे: कोरोना महामारी खत्म करना, कोविड-19 के वैश्विक टीकाकरण के लिए अन्य देशों को वैक्सीन देना, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता वाले बुनियादी ढांचे का निर्माण, जलवायु संकट से निपटने के लिए उत्सर्जन घटाने और अक्षय ऊर्जा के उत्पादन बढ़ाने से जुड़े लक्ष्य हासिल करना.

इसके अलावा उभरती तकनीकों में सहयोग, सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन इनिशिएटिव जारी करना, साइबर सुरक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग जैसे विषय भी पारस्परिक सहयोग के दायरे में शामिल किए गए. 2024 में जो बाइडेन अपने आखिरी क्वॉड सम्मेलन की मेजबानी कर रहे हैं. अगले साल भारत इसका मेजबान होगा.

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इस साल की क्वॉड बैठक में क्या खास है?

क्वॉड की यह बैठक अमेरिका के डेलवेअर राज्य के विलमिंगटन शहर में हो रही है. बाइडेन प्रशासन बैठक के लिए इस शहर के चुनाव को प्रमुखता से रेखांकित कर रहा है. वाइट हाउस द्वारा जारी बयान में कहा गया, "यह पहली बार है, जब राष्ट्रपति बाइडेन बतौर प्रेसिडेंट विलमिंगटन में विदेशी राष्ट्राध्यक्षों की मेजबानी करेंगे. यह इन नेताओं के साथ उनके मजबूत रिश्ते और उनकी सामरिक अहमियत को दिखाता है."

विलमिंगटन में बाइडेन का एक आलीशान घर है. एक तालाब के किनारे बने इस घर को "लेक हाउस" कहा जाता है. विश्लेषकों के मुताबिक, इस जगह को चुनकर बाइडेन क्वॉड की अपनी आखिरी बैठक को यादगार बनाना चाहते हैं और इसके साथ निजी लगाव का संकेत दे रहे हैं. बाइडेन अपने घर में भी मेहमान राष्ट्राध्यक्षों से बातचीत करेंगे. साथ ही, करीब छह दशक पहले उन्होंने जिस हाई स्कूल में पढ़ाई की थी, वहां भी एक आधिकारिक भोज हो रहा है.

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वाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन ज्यॉं पिएर ने भी मीडिया से कहा, "वह (बाइडेन) उनके (मोदी, किशिदा और अल्बानीजी) साथ निजी समय बिताना चाहते थे, ताकि उनके साथ संबंधों को गहरा कर सकें." पिएर ने कहा, "यह इसी मंशा से किया गया है."

वाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सलिवन ने भी पत्रकारों से कहा, "आप लोगों ने कई बार राष्ट्रपति को यह कहते सुना होगा कि हर तरह की राजनीति निजी होती है, सभी डिप्लोमसी निजी होती है. और, निजी रिश्ते बनाना बतौर राष्ट्रपति उनकी विदेश नीति के केंद्र में रहा है. तो भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के लीडरों के लिए अपने घर के दरवाजे खोलना, उनका यह दिखाने का एक तरीका है कि ये नेता उनके लिए मायने रखते हैं."

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चीन पर बढ़ती चिंता

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, इन योजनाओं में साझा तट रक्षा भी शामिल है. साथ ही, अहम सुरक्षा तकनीकों में सहयोग के मोर्चे पर नया ओपन रेडियो एक्सेस नेटवर्क शुरू करने की भी योजना है. यह नेटवर्क प्रशांत महासागर के द्वीपों और दक्षिणपूर्व एशिया में केंद्रित होगा. इन इलाकों में चीन के साथ प्रतिद्वंद्विता गहराती जा रही है.

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क्षेत्रीय विशेषज्ञों की राय में, चारों देशों के बीच समुद्री सुरक्षा की नई पहल ऐसे समय में हो रही है जब पूर्वी और दक्षिणी चीन सागर के इलाकों पर अपना दावा और मजबूत करने के लिए बीजिंग अन्य क्षेत्रीय देशों पर दबाव बढ़ा रहा है. ऐसे में इलाकाई सुरक्षा पर क्वॉड का बढ़ता फोकस यह दर्शाता है कि चारों सदस्य देश चीन के रवैये को लेकर कितने चिंतित हैं. 

एसएम/आरआर (एपी, एएफपी, रॉयटर्स)

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