प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज से तीन दिवसीय अमेरिकी यात्रा पर जा रहे हैं. मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच पहली व्यक्तिगत मुलाकात होगी. मोदी क्वाड देशों के नेताओं के साथ भी वार्ता करेंगे.
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अमेरिका दौरे पर नरेंद्र मोदी और जो बाइडेन के बीच पहली व्यक्तिगत बैठक होगी. व्हाइट हाउस में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री योशिहिडे सुगा 24 सितंबर को जो बाइडेन से मिलेंगे. ये चारों देश क्वाड का हिस्सा हैं जो 2007 में बनाया गया था.
इसके अलावा मोदी की मुलाकात जो बाइडेन के साथ भी होनी है. मोदी और बाइडेन के बीच द्विपक्षीय वार्ता होगी. मोदी की मुलाकात उप राष्ट्रपति कमला हैरिस से भी होगी. मोदी अमेरिकी कंपनियों के सीईओ के साथ भी मुलाकात करेंगे.
अफगानिस्तान भी मुद्दा
मोदी के साथ उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी होगा, जिसमें विदेश मंत्री एस जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे. प्रधानमंत्री और अमेरिकी राष्ट्रपति के बीच 24 सितंबर को वॉशिंगटन में होने जा रही द्विपक्षीय वार्ता में अफगानिस्तान के घटनाक्रम के अलावा कट्टरपंथ, चरमपंथ और सीमा पार से होने वाले आतंकवाद की रोकथाम के तरीकों के साथ-साथ भारत-अमेरिका वैश्विक साझेदारी का और अधिक विस्तार करने पर मुख्य रूप से चर्चा होगी.
विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला ने मंगलवार को कहा कि मोदी के दौरे के दौरान द्विपक्षीय, निवेश संबंधों को प्रगाढ़ करने और रक्षा और सुरक्षा सहयोग बढ़ाने समेत स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी को बढ़ावा देने पर दोनों नेताओं द्वारा जोर दिए जाने की उम्मीद है.
श्रृंगला के मुताबिक, "द्विपक्षीय बैठक में अफगानिस्तान के ताजा घटनाक्रम के बाद की मौजूदा क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति और अफगानिस्तान के दीर्घकालिक विकास साझेदार के तौर पर हमारे हितों पर भी चर्चा होगी."
मीडिया पर हमला करने वाले 37 नेताओं में मोदी शामिल
अंतरराष्ट्रीय संस्था 'रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स' ने मीडिया पर हमला करने वाले 37 नेताओं की सूची जारी की है. इनमें चीन के राष्ट्रपति और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जैसे नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी नाम है.
'रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स' (आरएसएफ) ने इन सभी नेताओं को 'प्रेडेटर्स ऑफ प्रेस फ्रीडम' यानी मीडिया की स्वतंत्रता को कुचलने वालों का नाम दिया है. आरएसएफ के मुताबिक ये सभी नेता एक सेंसर व्यवस्था बनाने के जिम्मेदार हैं, जिसके तहत या तो पत्रकारों को मनमाने ढंग से जेल में डाल दिया जाता है या उनके खिलाफ हिंसा के लिए भड़काया जाता है.
तस्वीर: rsf.org
पत्रकारिता के लिए 'बहुत खराब'
इनमें से 16 प्रेडेटर ऐसे देशों पर शासन करते हैं जहां पत्रकारिता के लिए हालात "बहुत खराब" हैं. 19 नेता ऐसे देशों के हैं जहां पत्रकारिता के लिए हालात "खराब" हैं. इन नेताओं की औसत उम्र है 66 साल. इनमें से एक-तिहाई से ज्यादा एशिया-प्रशांत इलाके से आते हैं.
तस्वीर: Li Xueren/XinHua/dpa/picture alliance
कई पुराने प्रेडेटर
इनमें से कुछ नेता दो दशक से भी ज्यादा से इस सूची में शामिल हैं. इनमें सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद, ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और बेलारूस के राष्ट्रपति एलेग्जेंडर लुकाशेंको शामिल हैं.
मोदी का नाम इस सूची में पहली बार आया है. संस्था ने कहा है कि मोदी मीडिया पर हमले के लिए मीडिया साम्राज्यों के मालिकों को दोस्त बना कर मुख्यधारा की मीडिया को अपने प्रचार से भर देते हैं. उसके बाद जो पत्रकार उनसे सवाल करते हैं उन्हें राजद्रोह जैसे कानूनों में फंसा दिया जाता है.
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पत्रकारों के खिलाफ हिंसा
आरएसएफ के मुताबिक सवाल उठाने वाले इन पत्रकारों के खिलाफ सोशल मीडिया पर ट्रोलों की एक सेना के जरिए नफरत भी फैलाई जाती है. यहां तक कि अक्सर ऐसे पत्रकारों को मार डालने की बात की जाती है. संस्था ने पत्रकार गौरी लंकेश का उदाहरण दिया है, जिन्हें 2017 में गोली मार दी गई थी.
तस्वीर: Imago/Hindustan Times
अफ्रीकी नेता
ऐतिहासिक प्रेडेटरों में तीन अफ्रीका से भी हैं. इनमें हैं 1979 से एक्विटोरिअल गिनी के राष्ट्रपति तेओडोरो ओबियंग गुएमा बासोगो, 1993 से इरीट्रिया के राष्ट्रपति इसाईअास अफवेरकी और 2000 से रवांडा के राष्ट्रपति पॉल कगामे.
तस्वीर: Ju Peng/Xinhua/imago images
नए प्रेडेटर
नए प्रेडेटरों में ब्राजील के राष्ट्रपति जैर बोल्सोनारो को शामिल किया गया है और बताया गया है कि मीडिया के खिलाफ उनकी आक्रामक और असभ्य भाषा ने महामारी के दौरान नई ऊंचाई हासिल की है. सूची में हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान का भी नाम आया है और कहा गया है कि उन्होंने 2010 से लगातार मीडिया की बहुलता और आजादी दोनों को खोखला कर दिया है.
तस्वीर: Ueslei Marcelino/REUTERS
नए प्रेडेटरों में सबसे खतरनाक
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस सलमान को नए प्रेडेटरों में सबसे खतरनाक बताया गया है. आरएसएफ के मुताबिक, सलमान मीडिया की आजादी को बिलकुल बर्दाश्त नहीं करते हैं और पत्रकारों के खिलाफ जासूसी और धमकी जैसे हथकंडों का इस्तेमाल भी करते हैं जिनके कभी कभी अपहरण, यातनाएं और दूसरे अकल्पनीय परिणाम होते हैं. पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या का उदाहरण दिया गया है.
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महिला प्रेडेटर भी हैं
इस सूची में पहली बार दो महिला प्रेडेटर शामिल हुई हैं और दोनों एशिया से हैं. हांग कांग की चीफ एग्जेक्टिवे कैरी लैम को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की कठपुतली बताया गया है. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को भी प्रेडेटर बताया गया है और कहा गया है कि वो 2018 में एक नया कानून लाई थीं जिसके तहत 70 से भी ज्यादा पत्रकारों और ब्लॉगरों को सजा हो चुकी है.
पिछले हफ्ते ही व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने एक बयान में कहा था, "क्वाड नेता अपने संबंधों को और गहरा करने व व्यहारिकता में सहयोग बढ़ाने के लिए नए क्षेत्र जैसे कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई, जलवायु परिवर्तन का संकट, आधुनिक तकनीकों और साइबर क्षेत्र में साझेदारी और स्वतंत्र व खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र जैसे मुद्दों पर केंद्रित होंगे."
मोदी अमेरिका में क्वाड समूह की पहली बैठक में पहली बार सभी सदस्य देशों के नेताओं के आमने-सामने मुलाकात करेंगे. वह क्वाड नेताओं से अलग-अलग बैठक भी करेंगे.
चीन के भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों के ही साथ संबंध खराब हुए हैं, जिसके बाद अमेरिका भी क्वॉड में इन दोनों देशों की भूमिका बढ़ाने को लेकर गंभीर दिख रहा है. हिंद-प्रशांत में चीन की सक्रियता को लेकर क्वाड देश सतर्क हैं और वे क्षेत्र में चीन के बढ़ते कदमों को रोकना चाहते हैं.
दूसरी ओर ऑकुस समझौते पर श्रृंगला का कहना है कि इस समझौते से क्वाड पर असर नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा कि दोनों संगठनों का उद्देश्य अलग-अलग है और यह एक दूसरे को प्रभावित नहीं करेंगे. पिछले हफ्ते ही अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और युनाइटेड किंग्डम ने मिलकर एक नया रक्षा समूह बनाया है जो विशेषकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर केंद्रित होगा. जिसे ऑकुस नाम से जाना जा रहा है.
इस समूह के समझौते के तहत अमेरिका और ब्रिटेन अपनी परमाणु शक्तिसंपन्न पनडुब्बियों की तकनीक ऑस्ट्रेलिया के साथ साझा करेंगे. ऑकुस की वजह से फ्रांस काफी गुस्से में है और फ्रांस की नेवल ग्रुप के साथ ऑस्ट्रेलिया का करीब 40 अरब डॉलर का करार खत्म हो गया है.
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भारत ने की कई पहल
मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों के बीच टेलीफोन पर बातचीत हुई. दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम समेत विभिन्न क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की. दोनों नेताओं ने आतंकवाद, नशीले पदार्थों के व्यापार, अवैध हथियारों और मानव तस्करी के साथ-साथ मानवाधिकारों, महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने की जरूरत के बारे में अपनी-अपनी चिंताओं को साझा किया.
उन्होंने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ते द्विपक्षीय सहयोग और क्षेत्र में स्थिरता-सुरक्षा को बढ़ावा देने में भारत-फ्रांस साझेदारी की महत्वपूर्ण भूमिका की समीक्षा की.
अमेरिका दौरे पर मोदी 25 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र के दौरान उच्च स्तरीय आम बहस को संबोधित करेंगे.
इस बीच 25 सितंबर को न्यू यॉर्क में सार्क देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक रद्द करने की रिपोर्ट है. मीडिया में कहा जा रहा है कि पाकिस्तान सार्क की इस बैठक में तालिबान को शामिल करना चाहता था. खबरों के मुताबिक पाकिस्तान चाहता था कि इस बैठक में अफगानिस्तान के प्रतिनिधि के रूप में तालिबान का नेता शामिल हो. लेकिन भारत समेत दूसरे देशों ने इसका विरोध किया.
2021 के 100 सबसे प्रभावशाली लोग
टाइम मैग्जीन की ओर से जारी 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का भी नाम शामिल है. जानिए और कौन-कौन हैं सूची में.
तस्वीर: Money Sharma/AFP/Getty Images
नरेंद्र मोदी
टाइम के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हैं. टाइम ने लिखा एक स्वतंत्र देश के रूप में अपने 74 वर्षों में भारत के तीन प्रमुख नेता रहे हैं. प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने देश के लिए धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक रूप में खाका तैयार किया. इंदिरा गांधी ने युद्ध, नागरिक संघर्ष और इमरजेंसी में सरकार चलाई और नरेंद्र मोदी तीसरे हैं, जो देश की सत्ता पर काबिज हैं.
तस्वीर: Reuters/A. Abidi
ममता बनर्जी
टाइम के प्रभावशाली लोगों की सूची में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी शामिल हैं. टाइम ने उन्हें "भारतीय राजनीति में उग्रता का चेहरा" बताया. इसी साल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी ने भारी जीत दर्ज की थी.
तस्वीर: Subrata Goswami/DW
अदार पूनावाला
टाइम मैग्जीन की सूची में सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला को भी जगह दी गई है. सीरम इंस्टीट्यूट भारत में बड़े पैमाने पर कोविड की वैक्सीन कोविशील्ड बना रही है.
तस्वीर: Serum Institute of India
मुल्ला अब्दुल गनी बरादर
तालिबान के सह-संस्थापक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को भी टाइम की लिस्ट में जगह मिली है. दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख मुल्ला बरादर को तालिबान और अमेरिका के बीच दोहा शांति समझौते पर बातचीत करने का श्रेय दिया जाता है.
तस्वीर: SOCIAL MEDIA/REUTERS
6 श्रेणियों में बांटा
टाइम मैग्जीन ने इस बार सूची को छह श्रेणियों में बांटा है. इन श्रेणियों में नेता, कलाकार, पायनियर, आइकन, टाइटन और इनोवेटर्स शामिल हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/P. Buck
कवर पर प्रिंस हैरी और मार्कल
टाइम मैग्जीन के कवर पर प्रिंस हैरी और उनकी पत्नी मेगन मार्कल की तस्वीर है. ब्रिटिश महारानी एलिजाबेथ के पोते प्रिंस हैरी और उनकी पत्नी मेगन मार्कल ने इसी साल एक इंटरव्यू में ऐसी बातें कही जिनकी वजह से शाही परिवार सुर्खियों में आ गया था.
तस्वीर: John Stillwell/PA Wire/empics/picture alliance
कमला हैरिस
प्रभावशाली लोगों की सूची में भारतीय मूल की अमेरिकी उप राष्ट्रपति कमला हैरिस का भी नाम है.
तस्वीर: Evelyn Hockstein/AP/picture alliance
बाइडेन, ट्रंप भी
विशेष रूप से डॉनल्ड ट्रंप और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन दोनों प्रभावशाली नेताओं की सूची में शामिल हैं. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी इस सूची में हैं.
अलेक्सी नवाल्नी
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सबसे बड़े आलोचक अलेक्सी नवाल्नी को भी टाइम ने सूची में शामिल किया है. 44 साल के नवाल्नी लंबे समय से पुतिन के आलोचक रहे हैं. नवाल्नी बीते एक दशक से अपने यूट्यूब चैनल के जरिए रूसी सरकार के भ्रष्टाचार की पोल खोलने का दावा करते हैं.
तस्वीर: Maxim Shemetov/File Photo/REUTERS
टिम कुक और इलॉन मस्क
प्रभावशाली लोगों की सूची में एप्पल के सीईओ टिम कुक और इलेक्ट्रिक गाड़ियां बनाने वाली और पर्यावरण-अनुकूल ऊर्जा पर काम करने वाली कंपनी टेस्ला के सीईओ ईलॉन मस्क का भी नाम है.