अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा शुक्र ग्रह पर दशक के अंत तक दो मिशन भेजने वाला है. इनका मकसद यह पता लगाना होगा कि शुक्र "एक नरक जैसी दुनिया" क्यों बन गया. ये मिशन साल 2028 से 2030 के बीच लॉन्च होंगे.
तस्वीर: NASA/AP/dpa/picture alliance
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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने बुधवार को शुक्र ग्रह के रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए दो नए मिशनों की घोषणा की, जो पृथ्वी के "हॉटहाउस" पड़ोसी के वायुमंडल पता लगाने के लिए दशकों में पहला है. नासा के डिस्कवरी कार्यक्रम ने दो मिशनों के लिए पचास-पचास करोड़ डॉलर का बजट दिया है, जो 2028 और 2030 के बीच होगा. शुक्र के लिए अंतिम अमेरिकी नेतृत्व वाला मिशन 1978 में हुआ था. यह घोषणा अंतरिक्ष एजेंसी के मंगल ग्रह पर सफल मिशन के बाद हुई है, जिसमें नासा का रोवर मंगल के सतह पर सफलतापूर्वक उतरा और नासा के छोटे रोबोट हेलिकॉप्टर इंजेन्युइटी ने मंगल ग्रह की सतह पर उड़ान भी भरी थी.
शुक्र ग्रह पर क्यों जाना चाहता है नासा?
नासा के नए प्रशासक बिल नेल्सन के मुताबिक, "इन दो मिशनों का उद्देश्य यह समझना है कि शुक्र कैसे एक भट्टी जैसी दुनिया बन गया, जिसकी सतह सीसा को पिघलाने में सक्षम है." उन्होंने कहा, "मिशन पूरे विज्ञान समुदाय को एक ऐसे ग्रह की जांच करने का मौका देंगे जिसपर हम 30 से ज्यादा सालों से नहीं गए हैं." हालांकि मिशन का नेतृत्व नासा कर रहा है, जर्मन एयरोस्पेस सेंटर (डीएलआर) इन्फ्रारेड मैपर की आपूर्ति करेगा. इटली की स्पेस एजेंसी और फ्रेंच सेंटर नेशनल डी'ट्यूड्स स्पैटियल्स मिशन के लिए रडार और अन्य उपकरण मुहैया कराएंगे.
नासा के डिस्कवरी कार्यक्रम के मुख्य वैज्ञानिक टॉम वैगनर के मुताबिक, "यह आश्चर्यजनक है कि हम वास्तव में शुक्र के बारे में कितना कम जानते हैं. लेकिन इन मिशनों के संयुक्त परिणाम हमें ग्रह और उसके आकाश में बादलों से लेकर उसकी सतह पर ज्वालामुखियों के बारे में बता पाएंगे." वैगनर कहते हैं, "इन दो अंतरिक्ष मिशनों की मदद से इतनी जानकारी प्राप्त की जा सकती है कि यह लगभग शुक्र की दोबारा खोज जैसा होगा."
नए मिशन के बारे बताते नासा के प्रशासक बिल नेल्सनतस्वीर: Bill Ingalls/NASA/AP/dpa/picture alliance
दो मिशनों के लक्ष्य क्या हैं?
दविंची+ (डीप एटमॉस्फियर इंवेस्टिगेशन ऑफ नोबल गैसेस, केमिस्ट्री एंड इमेजिंग) शुक्र के कार्बन डाइऑक्साइड वातावरण की उत्पत्ति का पता लगाने की कोशिश करेगा. साथ ही यह भी पता लगाने की कोशिश होगी कि क्या शुक्र पर कोई समुद्र भी था. दविंची+ इसकी तीव्र ग्रीनहाउस गैसों के कारणों का पता लगाने की कोशिश करने के लिए ग्रह के तत्वों को मापेगा. नासा के प्रशासक ने कहा कि शुक्र पर भेजे जाने वाले दूसरे मिशन का नाम वेरिटास है, जो शुक्र की सतह पर कठोर चट्टान के नमूने प्राप्त करके इस पड़ोसी ग्रह के भूवैज्ञानिक विज्ञान को समझने में मदद करेगा. इसके जरिए यह समझने में मदद मिल सकती है कि यह ग्रह कैसे बना.
समान आकार और संरचना के कारण शुक्र को अक्सर पृथ्वी की बहन ग्रह कहा जाता है.
एए/सीके (एएफपी)
पर्यावरण पर नौ डॉक्यूमेंटरी फिल्में जो आपको जरूर देख लेनी चाहिएं
2020 में कोरोना वायरस और जलवायु परिवर्तन सबसे ज्यादा ज्वलंत मुद्दे रहे हैं. तो ऐसे में क्यों ना पर्यावरण पर आधारित इन नौ डॉक्यूमेंटरी फिल्मों को देखा जाए जो हमारे ग्रह के भविष्य के बारे में दमदार संदेश देती हैं.
तस्वीर: National Geographic/Everett Collection/imago images
माई ऑक्टोपस टीचर (2020)
कोई भी इंसान किसी जंगली ऑक्टोपस के इतना करीब नहीं गया होगा जितना दक्षिण अफ्रीकी फिल्म निर्माता क्रेग फॉस्टर गए. फॉस्टर एक साल तक अटलांटिक महासागर के एक इलाके में रोज पानी के नीचे गए और मंत्रमुग्ध कर देने वाले इस जीव के जीवन को कैमरे में कैद किया. संभव है कि ये फिल्म जानवरों और अपने पूरे ग्रह से आपके रिश्ते को देखने के आपके तरीके को ही बदल दे.
डेविड एटेनबोरो पर्यावरण संबंधी डॉक्यूमेंट्रियों के गॉडफादर हैं. ब्रिटेन के रहने वाले 94 साल के ये फिल्म निर्माता प्रकृति और उसके हर अचम्भे को कैमरे में कैद करने के लिए दुनिया के हर कोने में गए. अपनी नई फिल्म में वो उन बदलावों पर रोशनी डालते हैं जो उन्होंने अपने जीवनकाल में देखे हैं. साथ ही वो भविष्य के बारे में अपनी परिकल्पना भी सामने रखते हैं जिसमें इंसान प्रकृति के साथ काम करे, ना कि उसके खिलाफ.
इस फिल्म में हम फोटोग्राफर जेम्स बलोग के साथ मिलते हैं, उन अमेरिकियों से जो जलवायु परिवर्तन से सीधे प्रभावित हुए हैं, जिनके जीवन और आजीविका पर इंसानों और प्रकृति के आपस में टकराने का सीधा असर पड़ा है. बलोग दिखाते हैं कैसे इंसान की जरूरतें पृथ्वी, अग्नि, जल और आकाश चारों मूल-तत्वों को बदल रही हैं और हमारे भविष्य के लिए इसके क्या मायने हैं.
तस्वीर: Jeff Orlowski/Extreme Ice Survey
बिफोर द फ्लड (2016)
इस डॉक्यूमेंट्री में हॉलीवुड सुपरस्टार लिओनार्डो डिकैप्रियो नेशनल ज्योग्राफिक के साथ मिल कर समुद्र के बढ़ते हुए जल स्तर और वन कटाई जैसे पूरी दुनिया में हो रहे ग्लोबल वॉर्मिंग के असर को हमारे सामने लाते हैं. बराक ओबामा, बान कि-मून, पोप फ्रांसिस और इलॉन मस्क जैसी हस्तियों के साथ साक्षात्कार के जरिए यह फिल्म एक सस्टेनेबल भविष्य के लिए समाधानों को सामने रखती है.
तस्वीर: RatPac Documentary Films
टुमॉरो (2015)
क्या आप जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिए एक आशावादी नजरिए की तलाश कर रहे हैं? तो कृषि, ऊर्जा आपूर्ति और कचरा प्रबंधन के मौजूदा स्वरूप के विकल्पों पर रोशनी डालती यह फ्रांसीसी फिल्म आप ही के लिए है. शहरी बागबानों से लेकर नवीकरणीय ऊर्जा के समर्थकों तक अलग अलग लोगों की कहानियों के जरिए यह हमें रोजमर्रा के सस्टेनेबिलिटी इनोवेटरों से मिलाती है और स्थानीय बदलाव लाने की प्रेरणा देती है.
तस्वीर: Under The Milky Way/Everett Collection/picture alliance
रेसिंग एक्सटिंक्शन (2015)
ऑस्कर जीतने वाली निर्देशक लुई सिहोयोस की इस फिल्म में एक्टिविस्टों की एक टीम विलुप्तप्राय प्रजातियों के अवैध व्यापार की कलई खोलती है और वैश्विक विलोपन यानी एक्सटिंक्शन के संकट को हमारे सामने लाती है. गुप्त तरीकों और आधुनिकतम प्रौद्योगिकी के जरिए टीम आपको ऐसी जगहों पर ले जाती है जहां कोई नहीं जा सकता और कई रहस्य खोलती है.
तस्वीर: Oceanic Preservation Society
विरुंगा (2014)
डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो का विरुंगा राष्ट्रीय उद्यान दुनिया की उन एकलौती जगहों में से है जहां अभी भी जंगली पहाड़ी गोरिल्ला पाए जाते हैं. लेकिन उद्यान और उसमें रहने वालों पर शिकारियों, सशस्त्र लड़ाकों और प्राकृतिक संसाधनों को लूटने की मंशा रखने वाली कंपनियों की वजह से खतरा है. इस फिल्म में आप मिलते हैं ऐसे लोगों के एक समूह से जो इस उद्यान को और इन शानदार जंतुओं को बचा कर रखना चाहते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/WWF
काऊस्पिरसी: द सस्टेनेबिलिटी सीक्रेट (2014)
यह एक क्राउड-फंडेड डॉक्यूमेंट्री है जो पर्यावरण पर भोजन के लिए पशु-पालन के असर की तफ्तीश करती है और यह जानने की कोशिश करती है कि क्यों दुनिया के अग्रणी पर्यावरण संगठन इसके बारे में बात करने से घबराते हैं. यह फिल्म दावा करती है कि पर्यावरण के विनाश का प्राथमिक स्त्रोत और ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार फॉसिल जीवाश्म ईंधन नहीं बल्कि भोजन के लिए किया जाने वाला पशु-पालन ही है.
यह एम्मी पुरस्कारों से नवाजी डॉक्यूमेंट्री की सीरीज है जिसमें कई सेलिब्रिटी जलवायु संकट और उसके असर पर दुनिया के कोनों कोनों में जा कर विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों का साक्षात्कार लेते हैं. लेकिन इन लोगों की स्टार-पावर पर ध्यान केंद्रित करने की जगह यह सीरीज जलवायु संकट से प्रभावित आम लोगों के जीवन पर रोशनी डालती है और यह दिखाती है कि कैसे हम अपनी दुनिया को आगे की पीढ़ियों के लिए बचा कर रख सकते हैं.
तस्वीर: National Geographic/Everett Collection/imago images