1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
विज्ञानसंयुक्त राज्य अमेरिका

नासा को मिले पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत से जुड़े सबूत

१२ अक्टूबर २०२३

धरती पर जीवन की शुरुआत कैसे हुई? एक मान्यता है कि धरती पर जीवन के बुनियादी तत्व अंतरिक्ष से आए थे. अब इसी सिद्धांत से जुड़े कुछ और साक्ष्य मिले हैं. 450 करोड़ साल पुराने एक एस्टेरॉयड के नमूनों में पानी और कार्बन मिला है.

नासा का ओसिरिस-रेक्स प्रोग्राम. तस्वीर में: एस्टेरॉइड का नमूना लेकर लौटा कैप्सूल
नासा के भेजे एक अंतरिक्षयान ने पृथ्वी के एक नजदीकी एस्टेरॉयड बेन्नु की यात्रा की और वहां की सतह से पत्थर और धूल के नमूने उठाए. इन नमूनों को सितंबर 2023 में पृथ्वी पर पहुंचाया गया.तस्वीर: Keegan Barber/AFP

पानी और कार्बन, ये दोनों ही तत्व हमारे ग्रह की बनावट में अहम हैं. नासा के प्रशासक बिल नेल्सन ने मीडिया को बताया कि एस्टेरॉयड के कणों की "शुरुआती छानबीन में ऐसे नमूने मिले हैं, जिनमें हाइड्रेटेड क्ले मिनरल्स की शक्ल में प्रचूर पानी है." बिल नेल्सन ने बताया कि ये धरती पर लाया गया अब तक का सबसे अधिक कार्बन से भरा एस्टेरॉयड का नमूना है. इसमें कार्बन, मिनरल्स और ऑर्गेनिक मॉलिक्यूल्स दोनों ही रूपों में मौजूद है.

एस्टेरॉयड का यह नमूना, नासा के ओसिरिस-रेक्स अभियान के अंतर्गत जमा किया गया था. ओसिरिक्स-रेक्स का पूरा नाम है: ओरिजिन्स, स्पेक्ट्रल इंटरप्रेटेशन, रिसोर्स आइडेंटिफिकेशन एंड सिक्यॉरिटी-रेगलिथ एक्सप्लोरर. यह पहला अमेरिकी अभियान है, जो एस्टेरॉयड का नमूना पृथ्वी पर लाया.

बेन्नु की कक्षा, पृथ्वी की कक्षा से मिलती है. ऐसे में अंतरिक्षयान का वहां जाना और वापस पृथ्वी पर लौटना कमोबेश आसान था. तस्वीर: NASA/Goddard/University of Arizona/Handout via REUTERS

अभियान का मकसद

इस अभियान की शुरुआत 8 सितंबर, 2016 को हुई थी. नासा के भेजे एक अंतरिक्षयान ने पृथ्वी के एक नजदीकी एस्टेरॉयड बेन्नु की यात्रा की और वहां की सतह से पत्थर और धूल के नमूने उठाए. इन नमूनों को सितंबर 2023 में पृथ्वी पर पहुंचाया गया.

इसका तरीका भी दिलचस्प था. अंतरिक्षयान खुद नमूने लेकर पृथ्वी पर लैंड नहीं हुआ, बल्कि उसने जमा किए गए नमूनों को एक कैप्सूल में रखकर धरती की कक्षा में छोड़ दिया. फिर यह कैप्सूल पैराशूट के जरिए उटा के रेगिस्तान में रक्षा विभाग के ठिकाने पर पहुंचा, जहां टीम उसका इंतजार कर रही थी. इसके बाद से ह्यूस्टन में नासा के जॉनसन अंतरिक्ष केंद्र में इन नमूनों की पड़ताल चल रही है.

इस अभियान का मकसद यह समझना था कि ग्रह कैसे बने और पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत कैसे हुई. इससे जुड़ी एक अवधारणा यह है कि अरबों साल पहले पृथ्वी से टकराने वाले एस्टेरॉयड, पानी और जीवन संबंधी आधारभूत तत्व इस ग्रह पर लाए.

इन नमूनों की मदद से वैज्ञानिक, एस्टेरॉयडों के पृथ्वी पर संभावित असर को बेहतर ढंग से समझने की भी कोशिश में हैं. यह भी कि अगर कभी बेन्नु के पृथ्वी से टकराने की नौबत आए, तो उससे कैसे निपटा जाए. हालांकि फिलहाल तो बेन्नु के पृथ्वी से टकराने की आशंका नहीं है, लेकिन 2300 तक इसकी संभावना बढ़ सकती है.

एस्टेरॉइड के जमा किए गए नमूनों को एक कैप्सूल में रखकर धरती की कक्षा में छोड़ दिया. फिर यह कैप्सूल पैराशूट के जरिए उटा के रेगिस्तान में रक्षा विभाग के ठिकाने पर पहुंचा. तस्वीर में: सैंपल से भरे कैप्सूस को क्लीनरूम ले जाता एक हेलिकॉप्टर तस्वीर: NASA/Keegan Barber/IMAGO

जापान भी ला चुका है ऐसा नमूना

एस्टेरॉयड से लिए गए नमूनों को धरती पर लाने की यह पहली कोशिश नहीं थी. इससे पहले जापान भी दो बार यह काम कर चुका है. उसका हायाबूसा2 अभियान, 2010 और 2020 में जापान अंतरिक्ष से कंकड़-पत्थर लाया था.

हालांकि जापान केवल 5.4 ग्राम वजन का ही नमूना ला पाया, जबकि नासा मिशन 250 ग्राम सैंपल लाया. शोधकर्ता अभी नमूने के मुख्य हिस्से को नहीं खंगाल रहे हैं, बल्कि वो "बोनस पार्टिकल्स" पर ध्यान दे रहे हैं. यह ब्लैक डस्ट और मलबे का वो हिस्सा है, जिसकी परत सैंपल कलेक्टर से लिपटी है.

नासा के विशेषज्ञ, एक क्लीनरूम के भीतर नमूने की पड़ताल कर रहे हैं. तस्वीर: Keegan Barber/UPI/IMAGO

नासा ने बेन्नु को क्यों चुना?  

इस अभियान के लिए नासा ने सोच-समझकर बेन्नु को चुना. बेन्नु की कक्षा, पृथ्वी की कक्षा से मिलती है. ऐसे में अंतरिक्षयान का वहां जाना और वापस पृथ्वी पर लौटना कमोबेश आसान था. जबकि एस्टेरॉयड बेल्ट कहलाने वाला अंतरिक्ष का हिस्सा, मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच पड़ता है और इस तरह हमसे काफी दूरी पर है.

अनुमान है कि बेन्नु, एस्टेरॉयड बेल्ट के ही किसी विशाल एस्टेरॉयड के टुकड़ों से बना है. बेन्नु पर भेजे गए अंतरिक्षयान ने जो डेटा जमा किया, उससे पता चला कि इसके बाहरी ढांचे को बनाने वाले कण इतने ढीलेपन से जुड़े हैं कि अगर कोई इंसान बेन्नु की सतह पर पांव रखे, तो शायद सतह में उतर जाएगा. जैसे कि प्लास्टिक की छोटी-छोटी गेंदों पर कूद-फांद करते बच्चे उसके भीतर घुस जाते हैं. 

धरती की ओर आने वाले एस्टेरॉयड को स्पेसक्राफ्ट से मारी टक्कर

02:46

This browser does not support the video element.

एसएम/एनआर (एएफपी, नासा)

 

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें