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विज्ञानसंयुक्त राज्य अमेरिका

नासा के वॉयजर ने "धड़कन" भेजकर दी जिंदा होने की उम्मीद

२ अगस्त २०२३

नासा के वॉयजर 2 अंतरिक्ष यान ने संपर्क टूट जाने के बाद "धड़कन" भेजकर जिंदा होने का संकेत भेजा है. वॉयजर 2 अभी हमारे सौर मंडल से भी परे है. इस अंतरिक्ष यान में दूसरों ग्रहों के संभावित जीवों के लिए एक खास सौगात है.

यह वॉयजर 1  द्वारा जारी तस्वीर है
वॉयजर 2 अभी तारों के बीच की जगह में यात्रा कर रहा है.तस्वीर: Science Photo Library/IMAGO

नासा ने 1977 में बाहरी ग्रहों का पता लगाने के लिए वॉयजर 2 जांच मिशन लॉन्च किया था. अभी यह पृथ्वी से करीब 2,000 करोड़ किलोमीटर दूर है. बीते दिनों गड़बड़ी के कारण इससे संपर्क टूट गया था. नासा की जेट प्रोपल्शन लैबोरेट्री (जेपीएल) ने अपने बयान में कि 21 जुलाई को वॉयजर 2 को भेजे गए कमांड के कारण गलती से एंटेना पृथ्वी से दो डिग्री दूर पॉइंट हो गया था. इसके कारण यह अपने मिशन कंट्रोल को ना डेटा भेज पा रहा था और ना ही कमांड रिसीव कर पा रहा था.

हार्टबीट सिग्नल से उम्मीद बंधी

15 अक्टूबर को होने वाली ऑटोमेटेड री-ऑरियेंटेशन तक इस स्थिति में सुधार की उम्मीद नहीं थी. लेकिन 1 अगस्त को वॉयजर की प्रोजेक्ट मैनेजर सुजैन डॉड ने बताया कि टीम ने डीप स्पेस नेटवर्क की मदद ली. यह विशालरेडियो एंटेनाओं का एक नेटवर्क है.डॉड ने बताया कि यह कोशिश सफल रही और उन्हें अंतरिक्षयान से "हार्टबीट सिग्नल" मिला. उन्होंने कहा, "तो हम जानते हैं कि अंतरिक्षयान जिंदा है और काम कर रहा है. इसने हमारा जज्बा कायम रखा है."

डॉड ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "टीम अब अंतरिक्ष यान के एंटीना को पृथ्वी की ओर पॉइंट करने के लिए एक नया कमांड तैयार कर रही है. " हालांकि उन्होंने कहा कि इसके काम करने की "कम संभावना" है. लेकिन 15 अक्टूबर आने में समय है, इसलिए नासा इन कमांड्स को भेजने की कोशिश करता रहेगा.

वॉयजर अंतरिक्षयान को जेपीएल ने बनाया और वही इसे ऑपरेट करता है, लेकिन ये मिशन अब नासा के हेलियोफिजिक्स सिस्टम ऑब्जर्वेटरी का हिस्सा हैं.तस्वीर: NASA/EPA/dpa/picture alliance

यूरेनस और नैप्च्यून की यात्रा

हालांकि वॉयजर अंतरिक्षयान को जेपीएल ने बनाया और वही इसे ऑपरेट करता है, लेकिन ये मिशन अब नासा के हेलियोफिजिक्स सिस्टम ऑब्जर्वेटरी का हिस्सा हैं. वॉयजर 2 ने दिसंबर 2018 में हेलियोस्फेयर छोड़ा था. यह सूर्य के सुदूर वातावरण की परत है, जो अंतरिक्ष में एक तरह का सुरक्षात्मक चुंबकीय बुलबुला है.

वॉयजर 2 अभी तारों के बीच की जगह में यात्रा कर रहा है. हमारे सौर मंडल को छोड़ने से पहले इसने बृहस्पति और शनि ग्रह की खोज-बीन की. अरुण और वरुण ग्रह (यूरेनस और नैप्च्यून) की यात्रा करने वाला यह पहला और अब तक का इकलौता अंतरिक्षयान है. इंटरस्टेलर मीडियम में दाखिल होने वाला भी यह पहला अंतरिक्षयान है.

अरुण और वरुण ग्रह (यूरेनस और नैप्च्यून) की यात्रा करने वाला यह पहला और अब तक का इकलौता अंतरिक्षयान है.तस्वीर: NASA/JPL

अनंत काल तक जारी रहेगा सफर

इसमें 12 इंच के गोल्ड प्लेटेड कॉपर डिस्क हैं, जिन्हें "गोल्डन रेकॉर्ड" कहा जाता है. इस रेकॉर्ड की सामग्रियों को नासा की एक कमिटी ने चुना था, जिसके अध्यक्ष मशहूर अमेरिकी खगोलशास्त्री कार्ल सागन थे. अगर कभी संभावित दूसरे ग्रहों के निवासी मिले, तो ये रेकॉर्ड उन्हें हमारी दुनिया और हम इंसानों की कहानी बताएंगे.

इनमें हमारे सौर मंडल का एक मानचित्र है. यूरेनियम का एक टुकड़ा है, जो रेडियोएक्टिव घड़ी का काम करता है और अंतरिक्षयान के रवाना होने की तारीख बता सकता है. साथ ही, गोल्डन रेकॉर्ड कैसे बजाया जाए, इसके लिए सांकेतिक निर्देश भी हैं.

इसके अलावा पृथ्वी पर जीवन का स्वरूप कैसा है, ये बताने के लिए इनकोडेड तस्वीरें भी हैं. इसमें संगीत और कई ध्वनियां भी हैं. अभी तो वॉयजर अपने पावर बैंक की मदद से डेटा भेजते हैं, लेकिन 2025 के बाद इसके पावर बैंक धीरे-धीरे कमजोर होते जाएंगे. इसके बाद भी ये मिल्की वे में तैरना-टहलना जारी रखेगा. चुपचाप, शायद अनंत काल तक.

पीवाई/एसएम  (एएफपी)

अंतरिक्ष में बिल्कुल नए तरीके से एलियन खोजने जा रहा नासा

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