चांद से लाए नमूने को खोलने में नासा ने क्यों लगाए 50 साल
११ मार्च २०२२
यह 'सैंपल 73001' दिसंबर 1972 में चांद की टॉरस-लिट्रो घाटी से लिया गया था. चांद पर केवल दो ही नमूने वैक्यूम सील किए गए थे. 73001 उन्हीं में से एक है. नासा ने एक खास मकसद से इसे खोलने के लिए 50 साल इंतजार किया.
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अमेरिका के 'अपोलो प्रोग्राम' का मकसद था, इंसान को चांद पर लैंड कराना और उन्हें सुरक्षित वापस धरती पर लाना. इस प्रोग्राम के तहत छह मिशन- अपोलो 11, 12, 14, 15, 16 और 17 ने अपना लक्ष्य पूरा किया. इन अभियानों का सबसे चमकीला अध्याय था 20 जुलाई, 1969. इसी रोज अपोलो 11 मिशन में गए अंतरिक्षयात्रियों नील आर्मस्ट्ऱॉन्ग और बज आल्ड्रिन चांद पर कदम रखने वाले पहले मानव बने. ये दोनों अपने साथ चांद के सैंपल भी धरती लाए. ये पहली बार था, जब किसी और ग्रह की चीजें पृथ्वी पर लाई गई हो.
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रिसर्च के लिए पांच दशकों तक क्यों किया इंतजार?
अपोलो के इन छह अभियानों में ढेर सारा वैज्ञानिक डाटा और लगभग 400 किलो चांद का सैंपल धरती आया. इनमें चांद से लाए गए कुल 2,196 पत्थरों के सैंपल भी शामिल हैं. मगर आधी सदी बाद भी सभी सैंपलों के शोध का काम पूरा नहीं हुआ है. नासा ने आखिरी बचे कुछ सैंपलों पर अब जाकर काम शुरू किया है. यह देरी जान-बूझकर की गई. नासा ने इन्हें सील करके रखा हुआ था, ताकि आगे चलकर इनपर शोध किया जाए.
लोरी ग्लेज, नासा मुख्यालय में प्लैनेटरी साइंस विभाग की निदेशक हैं. इस बारे में बयान जारी कर उन्होंने बताया, "नासा को पता था कि भविष्य में विज्ञान और तकनीक में तरक्की होगी. इससे वैज्ञानिकों को नए और बेहतर तरीके से उन सैंपलों पर शोध करने में मदद मिलेगी. वे भविष्य में आने वाली चुनौतियों और चिंताओं के मद्देनजर नए पहलुओं पर गौर कर पाएंगे."
इंसान ने धरती को कैसे बदला
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क्या है सैंपल 73001?
शोध के लिए अभी जिस सैंपल को खोला गया है, उसका नाम है- 73001. यह सैंपल 73001 एक 35 सेंटीमीटर लंबा और चार सेंटीमीटर चौड़ा ट्यूब है. इस ट्यूब को चांद की टॉरस-लिट्रो घाटी से पत्थर जमा करने के लिए जमीन में डाला गया था. चांद पर केवल दो ही सैंपल वैक्यूम सील किए गए थे. 73001 उन्हीं में से एक है. अपोलो 17 मिशन पर चांद गए अंतरिक्षयात्री यूजिन सरनेन और हैरिसन स्मित दिसंबर 1972 में इसे धरती पर लाए थे. यह चांद पर गया नासा का अब तक का आखिरी मानव अभियान था.
इस ट्यूब 73001 में गैस या फिर पानी, कार्बन डाई ऑक्साइड जैसी चीजें हो सकती हैं. अनुमान है कि ट्यूब के भीतर इनकी बहुत कम मात्रा ही मौजूद होगी. नासा इन्हें सुरक्षित हासिल करना चाहता है, ताकि हालिया सालों में बेहद उन्नत हो चुकी स्पेक्ट्ऱॉमट्री तकनीकों की मदद से इनका विश्लेषण किया जा सके. इससे पहले फरवरी 2022 में इस ट्यूब के बाहर सुरक्षा आवरण के रूप में लगी एक अतिरिक्त ट्यूब की परत को हटाया गया था. उसमें चंद्रमा की गैस नहीं थी.
इससे वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया कि भीतरी ट्यूब में जो चीजें सीलबंद हैं, वे सुरक्षित हैं. लीक नहीं हुई हैं. फिर 23 फरवरी को वैज्ञानिकों ने ट्यूब के मुख्य हिस्से में छेद करके उसके भीतर बंद गैस को हासिल करने की प्रक्रिया शुरू की. इस लंबी प्रक्रिया को पूरा होने में हफ्तों लग सकते हैं. इसके बाद अंदर जमा पत्थर को बहुत सावधानी से निकाला जाएगा. उसे तोड़ा जाएगा. फिर अलग-अलग वैज्ञानिकों का दल उसका विश्लेषण करेगा.
हबल दूरबीन की बेमिसाल तस्वीरों की एक झलक
तीस साल से अंतरिक्ष को निहारने वाली हबल दूरबीन के जरिए हमें ब्रह्मांड के सुदूर कोनों की अद्भुत तस्वीरें हासिल होती रही हैं. यहां एक निगाह डालते हैं उस दूरबीन की भेजी चुनिंदा सर्वश्रेष्ठ तस्वीरों पर.
तस्वीर: NASA/ESA/TScI
दुरुस्त हुई कम्प्यूटर की एक गड़बड़ी
नासा की हबल स्पेस दूरबीन 13 जून से 15 जुलाई 2021 तक तस्वीरें नहीं भेज पाई थी. कम्प्यूटर के मेमरी सिस्टम की एक खराबी से टेलिस्कोप का काम अटक गया था. नासा के रिटायर हो चुके जानकारों ने ये खराबी दूर की और दूरबीन को फिर से चालू किया. पिछले तीन दशक से भी ज्यादा समय से हबल, दूरस्थ तारों और आकाशगंगाओं की विहंगम तस्वीरें जुटाती रही है.
तस्वीर: ESA
जहां जन्म लेते हैं सितारे
अपने जीवनकाल में हबल दूरबीन जिन अशांत, अस्थिर नक्षत्रीय नर्सरियों को टटोल पाई थी, ये तस्वीर उसका एक सबसे खूबसूरत नजारा है. इसमें विशाल नेबुला एनजीसी 2014 और उसका पड़ोसी तारा, एनजीसी 2020 देखा जा सकता है. दोनों मिलकर, बड़ी मैजेलैनीय मंदाकिनी में एक विशाल नक्षत्र क्षेत्र का हिस्सा बनाते हैं. करीब 1,63,000 प्रकाश वर्ष दूर ये मंदाकिनी हमारी आकाशगंगा का चक्कर काटती है.
तस्वीर: NASA/ESA/TScI
अंतरिक्ष के पर्दे पर 'स्टार वॉर्स' की तलवार
2015 में ज्यों ही स्टार वॉर्स का नया एपिसोड सिनेमाघरों में आया, हबल ने वहां अंतरिक्ष से भी लाइटसेबर तलवार की तस्वीर उतार ली. यह खगोलीय आकार 1300 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है. यहां एक तारा प्रणाली जन्म लेती है- एक शिशु तारे और कुछ तारों के बीच की धूल से दो कॉस्मिक बौछारें फूटती हैं. दूरबीन ने सांस रोक देने वाली तस्वीरें उतारीं. और भी देखिए...
तस्वीर: NASA/ESA/Hubble
अंतरिक्ष पे निगाहें
1990 से अंतरिक्षी दूरबीनों की रानी, हबल 27 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार और 550 किलोमीटर की ऊंचाई से धरती का चक्कार काटती आ रही है. हबल 11 किलोमीटर लंबी है और इसका वजन है 11 टन. भार और आकार में एक स्कूल बस जितनी.
तस्वीर: NASA/Getty Images
अंतरिक्षीय बुलबुलों को टटोलती तस्वीरें
तारों और ग्रहों की पैदाइश को समझने में, ब्रह्मांड की उम्र का अंदाज़ा लगाने में और डार्क मैटर की प्रकृति को परखने में हबल दूरबीन ने हमारी मदद की है. इस तस्वीर में सुपरनोवा यानी एक बड़े तारे में विस्फोट से बनी गैस का एक विशाल गोला दिख रहा है.
तस्वीर: AP
पल दो-पल में फना होते रंग
अलग अलग तरह की गैसें अलग अलग रंग छोड़ती हैं. लाल रंग वाली होती है सल्फर गैस. हरा है तो हाइड्रोजन और नीला है तो ऑक्सीजन.
हबल की भेजी पहली तस्वीरें तो बरबाद थीं. हालांकि उसकी वजह ये थी कि उसका मुख्य कांच गलत आकार में गढ़ा गया था. 1993 में इंडेवर अंतरिक्षयान कुछ जानकारों को हबल के पास उसकी खराबी दूर करने ले गया. उसे नये चश्मे मुहैया कराए गए. कई वर्षों की सक्रियता में हबल दूरबीन की कुल पांच जांचों में से ये भी एक थी. आखिरी 2009 में हुई थी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Nasa
अंतरिक्ष का बालविहार
हबल ने ये अविस्मरणीय तस्वीर दिसंबर 2009 में खींची थी. नीले धब्बे बहुत युवा तारे हैं, कुछ लाख साल पुराने. तारों की ये बगिया विशाल मैजेलैनीय मंदाकिनी में मिली थी. ये मंदाकिनी हमारी आकाशगंगा का उपग्रह है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Nasa
और ये तितली है ना?
अंतरिक्ष में खींची इस तस्वीर के बारे में क्या ख्याल है? कोई ठीक ठीक नहीं जानता कि हबल ने अपने लेंस में आखिर ये क्या उतारा था लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि शॉट में दम नहीं था. ये उन 30,000 तस्वीरों में एक है जो सालों से हबल खींचती आ रही है.
तस्वीर: NASA/ESA/ Hubble Heritage Team
मैक्सिकन टोप- साम्ब्रेरो जैसी एक गैलेक्सी
निहायत ही आला दर्जे की ये तस्वीर- हबल की अन्य बहुत सी तस्वीरों की तरह- बहुत सारे एकल शॉट्स का कम्पोजिशन है- एक मिलीजुली प्रस्तुति. साम्ब्रेरो गैलेक्सी, वर्गो यानी कन्या तारामंडल में स्थित एक उन्मुक्त घुमावदार गैलेक्सी है और धरती से बस दो करोड़ 80 लाख प्रकाश-वर्ष दूर है.
तस्वीर: NASA/ESA/ Hubble Heritage Team
हाड़मांस के हबल
हबल दूरबीन को ये नाम, अमेरिकी खगोलविज्ञानी एडविन पॉवेल हबल (1889-1953) से मिला था. ब्रह्मांड फैल रहा है- ये देखने वाले पहले व्यक्ति वही थे. उनके पर्यवेक्षणों की बदौलत ही आज हम अपनी ये खगोलीय समझ कायम कर पाए हैं कि ब्रह्मांड की उत्पत्ति महाविस्फोट से हुई थी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
अंतरिक्ष में गड़े सृष्टि-स्तंभ
ये स्तंभ सरीखी संरचनाएं ईगल नेबुला में पाई गई हैं. धरती से करीब 7,000 प्रकाश-वर्ष दूर. हबल ने इनका बारीकी से मुआयना किया और दुनिया भर में इन्हें “पिलर्स ऑफ क्रिएशन” यानी सृष्टि-स्तंभ के रूप में मान्यता दिलाई.
तस्वीर: NASA, ESA/Hubble and the Hubble Heritage Team
शुरुआती अड़चनें
हबल की मजबूती लौट आई है, फिर से. अपनी लगातार धंसती कक्षा के चलते, दूरबीन 2024 में धरती के वायुमंडल में दाखिल होगी और भस्म हो जाएगी. लेकिन उसकी वारिस पहले से तैयार हैः नाम है जेम्स वेब. यहां एक थर्मल वैक्यूम चैंबर में उसकी टेस्टिंग चल रही है. उसे इसी साल लॉन्च किया जाएगा. धरती से करीब दस-साढ़े दस लाख किलोमीटर दूर अंतरिक्ष में उसका ठिकाना होगा.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Nasa/Chris Gunn
अंतरिक्ष में उकेरी एक मुस्कान
ये भी हबल की नायाब नजर का कमाल है- स्पेस स्माइली! किसने उकेरी अंतरिक्ष में ये मुस्कान? सीधी सी बात है- तिरछे होते प्रकाश यानी अपवर्तन ने ये छटा उभारी है.
तस्वीर: PD/NASA/J. Schmidt
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सुलझेगी चांद पर लैंडस्लाइड की पहेली!
चांद की जिस जगह से इस सैंपल 73001 को उठाया गया है, वह भी दिलचस्प है. वहां कभी भूस्खलन हुआ था. इसकी अहमियत बताते हुए अपोलो की डेप्युटी क्यूरेटर जूलियन ग्रॉस कहती हैं, "चांद पर बारिश नहीं होती. इसलिए हमें यह समझ में नहीं आ रहा है कि वहां भूस्खलन क्यों होते हैं."
ग्रॉस ने बताया कि शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि सैंपल का विश्लेषण करके शायद उन्हें इसका जवाब मिल जाए. 73001 के बाद चांद से लाए गए केवल तीन सैंपल बचेंगे, जो अभी भी सील हैं. उन्हें कब खोला जाएगा, यह पूछे जाने पर सीनियर क्यूरेटर रेयान सिगलर ने कहा, "मुझे नहीं लगता कि हम और 50 साल इंतजार करेंगे. जब हमें आर्टमिस के सैंपल मिल जाएंगे, तो बेहतर होगा कि हम आर्टमिस में लाए गए सैंपलों की इन बचे हुए सील सैंपलों के साथ तुलना करके देखें."
हबल दूरबीन की नजर से ब्रह्मांड की बेहतरीन तस्वीरें
तीस साल से नासा की हबल दूरबीन ब्रह्मांड के कोने कोने की अद्भुत तस्वीरें ले रही है. अब दूरबीन में कुछ खराबी आ गई है, लेकिन जरा देख कर बताइये कि उसके द्वारा ली गई इन बेहतरीन तस्वीरों में से आपने कितनी देखी हैं.
हबल अंतरिक्ष दूरबीन 13 जून 2021 से तस्वीरें वापस भेज नहीं पाई है. कंप्यूटर की मेमरी में आई एक खराबी की वजह से वो लगभग एक हफ्ते से ठप्प पड़ी है. बैकअप मेमरी का इस्तेमाल करने की कोशिशें अभी तक नाकामयाब रही हैं और दूरबीन को "सेफ मोड" में डाल दिया गया है. तीन दशकों से भी ज्यादा से हबल दूर स्थित सितारों और तारों के समूहों की दिलचस्प तस्वीरें भेज रही है.
तस्वीर: ESA
जहां बनते हैं सितारे
ये हबल की बेहतरीन तस्वीरों में से एक है. इसमें विशालकाय नेब्युला एनजीसी 2014 और उसकी पड़ोसी नेब्युला एनजीसी 2020 को देखा जा सकता है, जो पृथ्वी की आकाशगंगा से दूर एक ऐसे बड़े इलाके का हिस्सा हैं जहां सितारे बनते हैं. ये इलाका आकाशगंगा से लगभग 1,63,000 प्रकाश वर्ष दूर है.
तस्वीर: NASA/ESA/TScI
'स्टार वॉर्स' से भी बेहतर
2015 में जैसे ही सिनेमाघरों में 'स्टार वॉर्स' की नई फिल्म लगी, हबल ने एक अंतरिक्षीय लाइटसेबर की यह तस्वीर ली. ये पृथ्वी से करीब 1,300 प्रकाश वर्ष दूर है. यह एक स्टार सिस्टम के जन्म की तस्वीर है, जिसमें एक नवजात सितारे से निकली दो अंतरिक्षीय किरणें और तारों के बीच की थोड़ी धूल है.
तस्वीर: NASA/ESA/Hubble
आकाश पर नजर
1990 से हबल दूरबीन 550 किलोमीटर की ऊंचाई पर 27,000 किलोमीटर प्रति घंटे से भी ज्यादा तेज रफ्तार से पृथ्वी की परिक्रमा कर रही है. हबल 11 मीटर लंबी है और 11 टन वजनी है, मतलब ये लगभग एक स्कूल बस के आकार की है.
तस्वीर: NASA, ESA, STScI, Zili Shen (Yale), Pieter van Dokkum (Yale), Shany Danieli (IAS)
दूरबीन को लगा चश्मा
हबल की सबसे पहली तस्वीरें बेहद बेकार थीं, क्योंकि उसके मुख्य शीशे को लगाने में कुछ गड़बड़ी हो गई थी. 1993 में स्पेस शटल एंडेवर विशेषज्ञों को हबल पर ले गई और उन्होंने दूरबीन को एक तरह के खास चश्मे लगाए. बीते सालों में हबल को पांच अपडेट दिए गए हैं, जिनमें से आखिरी 2009 में दिया गया था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Nasa
अंतरिक्ष में किंडरगार्टन
हबल ने ये असाधारण तस्वीर दिसंबर 2009 में ली थी. नीले बिंदु युवा सितारे हैं, यानी जिनकी उम्र बस कुछ लाख साल है. सितारों का यह किंडरगार्टन आकाशगंगा के पास ही स्थित लार्ज मैगेलैनिक क्लाउड नाम की दूसरी आकाशगंगा में है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Nasa
क्या वो एक तितली है?
हबल की इस तस्वीर में जो दिख रहा है वो क्या है ये कोई नहीं जानता. ये इस दूरबीन द्वारा ली गई 30,000 तस्वीरों में से एक है.
तस्वीर: NASA/ESA/ Hubble Heritage Team
हबल के जनक
हबल दूरबीन का नाम अमेरिकी खगोलशास्त्री एडविन पोवेल हबल के नाम पर रखा गया था. ब्रह्मांड का लगातार विस्तार हो रहा है, हबल ये पता लगाने वाले पहले व्यक्ति थे.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
हबल की उत्तराधिकारी
हबल की कक्षा या ऑर्बिट लगातार छोटी हो रही है और ऐसी संभावना है कि दूरबीन 2024 में पृथ्वी की वायुमंडल में वापस आ कर जल जाए. लेकिन इसकी उत्तराधिकारी पहले से ही तैयार है. इसका नाम है जेम्स वेब्ब और इसे 2021 में ही लॉन्च किया जाना है. इसे पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर तैनात किया जाएगा. - जूडिथ हार्टल
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Nasa/Chris Gunn
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मंगल पर इंसान भेजने में मिल सकती है मदद
आर्टमिस चांद पर जाने वाला नासा का अगला मिशन है. एजेंसी 2025 में इंसानों को फिर से चांद पर भेजने की तैयारी कर रही है. आर्टमिस मिशन में नासा पहली बार महिला और अश्वेत अंतरिक्षयात्रियों को चांद पर भेजेगा. इस बार चांद पर अपेक्षाकृत लंबे समय तक रुकने की भी कोशिश की जाएगी. इस अभियान के दौरान चांद से बड़ी मात्रा में गैस के नमूने जमा किए जाएंगे. इन अभियानों में चांद और उसके आसपास के वातावरण से जुड़ी जो जानकारियां मिलेंगी, उन्हें मंगल पर इंसान भेजने की महत्वाकांक्षी योजना को पूरा करने में इस्तेमाल किया जाएगा.