धन की कमी के कारण मंगल से नमूने नहीं ला पा रही नासा
१७ अप्रैल २०२४
नासा का मंगल अभियान मुश्किल में फंस गया है. रोवर ने नमूने जमा कर लिए हैं लेकिन उन्हें लाने के लिए नासा के पास धन नहीं है.
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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा अब मंगल ग्रह से मिट्टी के नमूने लाने के सस्ते तरीके खोज रही है. एजेंसी ने कहा है कि तंग बजट के कारण अब ये सस्ते तरीके खोजना उसकी वैज्ञानिक प्राथमिकताओं में शामिल हो गया है.
नासा अधिकारियों के मुताबिक एजेंसी के सारे केंद्रों और निजी कंपनियों को भी इस परियोजना में मदद के लिए एक औपचारिक अनुरोध भेजा जा रहा है. यह काम तकनीकी रूप से बेहद जटिल है इसलिए नासा हरसंभव कोशिश कर रही है. उसे उम्मीद है कि विभिन्न वैज्ञानिक अपने प्लान भेजेंगे जिनकी इस साल समीक्षा की जाएगी.
नासा प्रशासक निकी फॉक्स ने कहा कि यह आमूल-चूल बदलाव नई तकनीकी खोजों के बजाय ‘सिद्ध तकनीकी‘ पर आधारित होगा ताकि समय और धन की बचत हो सके और जोखिम भी कम हो. हालांकि यह स्पष्ट नहीं किया गया कि मौजूदा तकनीक से जो काम अब तक नहीं हो पा रहा है, उसे उसी तकनीक के इस्तेमाल से कम खर्च में कैसे किया जाएगा. इसमें एक अन्य ग्रह से रॉकेट लॉन्च कर उसे धरती पर लाने जैसा जटिल काम शामिल है.
समीक्षकों की राय
नासा ने मंगल ग्रह से नमूने वापस लाने के काम की समीक्षा का जिम्मा सितंबर में स्वतंत्र समीक्षकों को दिया था. वे इस नतीजे पर पहुंचे कि काम की शुरुआत से ही समयावधि और खर्च को लेकर नासा की अपेक्षाएं गैरवाजिब थीं. समीक्षा में यह भी पाया गया कि मिशन को ‘बेढंगे तरीके से अंजाम‘ दिया गया और ‘इसके प्रभावशाली रूप से अंजाम तक पहुंचने के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए.‘
चीन ने ली पूरे मंगल की तस्वीरें
चीन के एक अंतरिक्ष यान ने पूरे मंगल ग्रह की तस्वीरें ली है. इसके लिए उसने ग्रह के 1,300 चक्कर लगाए. देखिए, मंगल के हर ओर की तस्वीरें...
तस्वीर: picture alliance / ZUMAPRESS.com
तियानवेन-1
तियानवेन-1 नाम का मानवरहित यान फरवरी 2021 में मंगल की कक्षा में पहुंचा था और तब से वहां की तस्वीरें भेज रहा है.
तस्वीर: CNSA/REUTERS
1,300 चक्कर
पिछले साल इस यान ने मंगल के 1,300 चक्कर लगाए और तब जाकर ये तस्वीरें जमा कीं.
तस्वीर: CNSA/REUTERS
दक्षिणी ध्रुव भी दिखा
इस यान ने दक्षिणी ध्रुव की तस्वीरें भी ली हैं जो पृथ्वी से नजर नहीं आता. इसी ओर मंगल के पानी के भंडार मौजूद हैं.
तस्वीर: CNSA/REUTERS
मंगल का हर कोण
चीन के एक अंतरिक्ष यान ने मंगल के हर ओर की तस्वीरें ली हैं.
तस्वीर: CNSA/XinHua/picture alliance
पानी की संभावना
चीन का यह यान मानवरहित था. वह पानी के भंडारों की तरफ की तस्वीरें लेने में कामयाब रहा. मंगल पर जीवन की संभावना के लिए पानी की मौजूदगी सबसे बड़ा प्रश्न है.
तस्वीर: CNSA/REUTERS
उत्तरी ध्रुव
ऐसा दिखता है मंगल ग्रह का उत्तरी ध्रुव. चीनी एजेंसी की ली गई इस फोटो में बर्फ की परतें नजर आती हैं.
तस्वीर: CNSA/XinHua/picture alliance
मंगल पर पैराशूट
चीनी एजेंसी ने जुलाई 2021 में यह तस्वीर साझा की. इसे कैद किया चीनी मार्स रोवर 'शूरॉन्ग' ने और इसमें मंगल की सतह पर नजर आ रही है चीनी पैराशूट और बैकशेल की छाया.
तस्वीर: CSNA/AFP
रोवर ही रोवर
शूगॉन्ग रोवर से 30 मीटर की दूरी पर मौजूद रोवर ने उसी पैराशूट और बैकशेल की ऐसी तस्वीर खींची.
तस्वीर: CSNA/AFP
मंगल की धरती पर चीन का झंडा
सीएनएसए यानि चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन ने जून 2021 में यह फोटो शेयर की, जिसमें चीनी झंडे के साथ मंगल पर मौजूद प्लेटफॉर्म नजर आता है. इसे भी शूगॉन्ग रोवर ने लिया था.
तस्वीर: CNSA/AP/picture alliance
बारीकियां दिखाती फोटो
यह मंगल के धरातल की बहुत ऊंचे रिजॉल्यूशन वाली तस्वीर है, जिसे तियानवेन-1 ने लिया. ऐसी फोटो को पैनक्रोमेटिक इमेज कहा जाता है.
तस्वीर: CNSA/Xinhua/picture alliance
यह रहा कैमरा
तियानवेन-1 मिशन का हिस्सा बने शूगॉन्ग रोवर ने अपने इसी कैमरे से मंगल की तस्वीरें ली हैं. चीन का यह मिशन अभी भी जारी है.
तस्वीर: CNSA/Handout via REUTERS
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इस नीम पर करेला तब चढ़ा जब इस साल अमेरिकी संसद ने अंतरिक्ष कार्यक्रमों के बजट में भारी कटौती कर दी. इस कारण लॉस एंजेल्स स्थित नासा की जेट प्रोपल्शन लैबोरेट्री (जेपीएल) से सैकड़ों लोगों की नौकरी गई. मंगल अभियान का दल भी इसी लैब से काम करता है.
जेपीएल का बनाया रोबोटिक रोवर पर्सीविरेंस 2021 से मंगल पर नमूने जमा कर रहा है. पर्सीविरेंस ने मंगल ग्रह की प्राचीन झील जेजेरो के तल में जमी तलछट के नमूने जमा किए हैं. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस तलछट में सूक्ष्म जीवों के होने के सबूत मिल सकते हैं.
नमूने जमा करना मंगल अभियान का पहला चरण था. दूसरे चरण के तहत एक दूसरा रोबोटिक लैंडिंग क्राफ्ट भेजा जाना है. यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ईएसए) की मदद से जाने वाले इस अभियान का मकसद मंगल पर उतरकर पर्सीविरेंस से वे नमूने लेना होगा. इन नमूनों को यह लैंडर एक रॉकेट में रखकर मंगल की सतह से लॉन्च करेगा. उसके बाद एक तीसरा यान भेजा जाएगा जो मंगल की कक्षा में पहुंचकर उस रॉकेट से नमूने लेगा और उसे धरती पर वापस लाएगा.
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बजट से बाहर
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि तीसरा यान 2027-28 तक लॉन्च किया जाएगा और 2030 के दशक की शुरुआत में यह नमूने लेकर धरती पर लौटेगा. इस पूरे अभियान पर 5 से 7 अरब डॉलर का खर्च होने का अनुमान है.
लेकिन स्वतंत्र समीक्षकों ने पाया कि आधुनिक तकनीक के तहत मंगल से नमूने वापस लाने का कुल खर्च 11 अरब डॉलर तक जा सकता है और इसके 2040 से पहले धरती पर लौटने की संभावना ,बहुत कम है.
तैयार है नासा का मंगल पर रहने लायक घर
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा 2030 के बाद कभी इंसानों को मंगल ग्रह पर भेजने की तैयारी कर रही है. उसके लिए मंगल जैसी परिस्थितियों में एक घर बनाया गया है. देखिए, कैसा है ये घर.
तस्वीर: Go Nakamura/REUTERS
मंगल पर घर
ह्यूस्टन के जॉनसन स्पेस सेंटर में एक घर बनाया गया है, जिसकी पूरी परिस्थिति मंगल ग्रह पर बने घर जैसी हैं. इस घर को थ्रीडी प्रिंटर से प्रिंट किया गया है, जिसमें चार लोगों का एक दल एक साल तक रहेगा.
तस्वीर: Go Nakamura/REUTERS
हर तरह की सुविधा
इस घर में चार बेडरूम, दो बाथरूम, एक लैब, एक रोबोट स्टेशन, एक मेडिकल रूम, एक एक्सराइज रूम और आंगन भी है. आसपास रेत ही रेत है. अलग-अलग मशीनों को मंगल ग्रह पर काम करने के लिए बनाया गया है.
तस्वीर: Go Nakamura/REUTERS
पानी की कमी
इस घर को नाम दिया गया है क्रू हेल्थ एंड परफॉरमेंस एक्सप्लोरेशन एनालॉग (CHAPEA). जो सबसे बड़ी चुनौतियां इस घर में रहने वालों के सामने होंगी, उनमें से एक है पानी की कमी. वैसे घर में फसलें उगाने की जगह भी है.
तस्वीर: Go Nakamura/REUTERS
कौन रहेगा इस घर में
अभी उन लोगों के नाम तय नहीं किए गए हैं जो इस प्रयोग का हिस्सा होंगे. नासा उन लोगों का अध्ययन कर रही है और जल्दी ही उनके नामों का ऐलान किया जा सकता है. इन्हीं गर्मियों से यह प्रयोग शुरू होना है.
तस्वीर: Go Nakamura/REUTERS
सबकी परीक्षा
नासा की प्रमुख वैज्ञानिक ग्रेस डगलस कहती हैं कि इस घर को मंगल ग्रह जैसा बनाया गया है ताकि हमारे दल के लोग उन सारी परिस्थितियों को उसी तरह अनुभव करें, जैसा मंगल पर रहने के दौरान होगा. इससे हम भी समझ पाएंगे कि इंसानों पर उन हालात का क्या असर होता है.
तस्वीर: Go Nakamura/REUTERS
कितना टिकाऊ है घर
इस घर के जरिए उन तकनीकों की परीक्षण होगा, जिनका इंसान को मंगल ग्रह पर भेजने के लिए इस्तेमाल किया जाना है. साथ ही वैज्ञानिक यह भी जानेंगे कि जो चीजें उन्होंने बनाई हैं, वे मंगल पर कितना टिक पाएंगी.
तस्वीर: Go Nakamura/REUTERS
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नासा प्रमुख बिल नेल्सन ने कहा, "कुल मिलाकर 11 अरब डॉलर का बजट बहुत ज्यादा है और 2040 की समय-सीमा बहुत दूर.”
अगर नासा इसी डिजाइन पर काम करती है तो उसकी अन्य वैज्ञानिक परियोजनाएं प्रभावित होंगी. मसलन, शनि ग्रह के बर्फीले उपग्रह टाइटन पर यान भेजने और शुक्र ग्रह पर दो यान भेजने की परियोजनाओं पर असर पड़ेगा.
बिल नेल्सन को उम्मीद है कि नासा, जेपीएल और स्पेस इंडस्ट्री में सक्रिय अन्य प्रतिभाशाली लोग इस समस्या का समाधान खोज लेंगे. उन्होंने कहा, "ये ऐसे लोग हैं जो मुश्किल से मुश्किल समस्या का समाधान खोज सकते हैं.”