नासा ने मांगा आइडिया- चांद पर कैसे लगाएं परमाणु संयंत्र
२३ नवम्बर २०२१
अगर किसी के पास चांद पर परमाणु बिजली संयंत्र लगाने का अच्छा आइडिया है, तो अमेरिकी सरकार इसके बारे में जानना चाहती है.
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नासा और अमेरिकी परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने चंद्रमा की सतह पर परमाणु ऊर्जा संयंत्र की स्थापना के लिए सुझाव मांगे हैं. अंतरिक्ष एजेंसी नासा इडाहो स्थित अमेरिकी ऊर्जा विभाग के संघीय प्रयोगशाला के साथ साझेदारी में चंद्रमा पर एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने की योजना बना रही है. इस दशक के अंत तक दोनों मिलकर चांद पर सूर्य-स्वतंत्र ऊर्जा स्रोत स्थापित करना चाहती है.
देश की शीर्ष संघीय परमाणु अनुसंधान प्रयोगशाला में फिशन सरफेस पावर प्रोजेक्ट के प्रमुख सेबास्टियन कॉर्बिसिएरो ने एक बयान में कहा, ''इस परियोजना का उद्देश्य चंद्रमा पर एक विश्वसनीय, उच्च-शक्ति प्रणाली प्रदान करना है जो इंसान के अंतरिक्ष खोज में एक महत्वपूर्ण अगला कदम है. और इसे हासिल करना हमारी मुट्ठी में है.''
अगर चंद्रमा की सतह पर परमाणु रिएक्टर लगाने की योजना सफल होती है तो मंगल के लिए भी इसी तरह की योजना तैयार की जाएगी. इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद इंसान को लंबे समय तक वहां रहने में सक्षम बनाना है. नासा का मानना है कि पर्यावरणीय परिस्थितियों की चिंता किए बिना चंद्रमा या मंगल पर बिजली संयंत्र होने चाहिए ताकि मनुष्य इन ग्रहों पर लंबे समय तक रह सकें.
नासा के अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी मिशन निदेशालय के एसोसिएट एडमिनिस्ट्रेटर जिम राउटेर ने कहा, ''मुझे उम्मीद है कि फिशन सतह बिजली प्रणालियों से चंद्रमा और मंगल के लिए बिजली वास्तुकला के लिए हमारी योजनाओं को बहुत लाभ होगा और यहां तक कि पृथ्वी पर उपयोग के लिए नवाचार को भी बढ़ावा मिलेगा.''
हबल दूरबीन की बेमिसाल तस्वीरों की एक झलक
तीस साल से अंतरिक्ष को निहारने वाली हबल दूरबीन के जरिए हमें ब्रह्मांड के सुदूर कोनों की अद्भुत तस्वीरें हासिल होती रही हैं. यहां एक निगाह डालते हैं उस दूरबीन की भेजी चुनिंदा सर्वश्रेष्ठ तस्वीरों पर.
तस्वीर: NASA/ESA/TScI
दुरुस्त हुई कम्प्यूटर की एक गड़बड़ी
नासा की हबल स्पेस दूरबीन 13 जून से 15 जुलाई 2021 तक तस्वीरें नहीं भेज पाई थी. कम्प्यूटर के मेमरी सिस्टम की एक खराबी से टेलिस्कोप का काम अटक गया था. नासा के रिटायर हो चुके जानकारों ने ये खराबी दूर की और दूरबीन को फिर से चालू किया. पिछले तीन दशक से भी ज्यादा समय से हबल, दूरस्थ तारों और आकाशगंगाओं की विहंगम तस्वीरें जुटाती रही है.
तस्वीर: ESA
जहां जन्म लेते हैं सितारे
अपने जीवनकाल में हबल दूरबीन जिन अशांत, अस्थिर नक्षत्रीय नर्सरियों को टटोल पाई थी, ये तस्वीर उसका एक सबसे खूबसूरत नजारा है. इसमें विशाल नेबुला एनजीसी 2014 और उसका पड़ोसी तारा, एनजीसी 2020 देखा जा सकता है. दोनों मिलकर, बड़ी मैजेलैनीय मंदाकिनी में एक विशाल नक्षत्र क्षेत्र का हिस्सा बनाते हैं. करीब 1,63,000 प्रकाश वर्ष दूर ये मंदाकिनी हमारी आकाशगंगा का चक्कर काटती है.
तस्वीर: NASA/ESA/TScI
अंतरिक्ष के पर्दे पर 'स्टार वॉर्स' की तलवार
2015 में ज्यों ही स्टार वॉर्स का नया एपिसोड सिनेमाघरों में आया, हबल ने वहां अंतरिक्ष से भी लाइटसेबर तलवार की तस्वीर उतार ली. यह खगोलीय आकार 1300 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है. यहां एक तारा प्रणाली जन्म लेती है- एक शिशु तारे और कुछ तारों के बीच की धूल से दो कॉस्मिक बौछारें फूटती हैं. दूरबीन ने सांस रोक देने वाली तस्वीरें उतारीं. और भी देखिए...
तस्वीर: NASA/ESA/Hubble
अंतरिक्ष पे निगाहें
1990 से अंतरिक्षी दूरबीनों की रानी, हबल 27 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार और 550 किलोमीटर की ऊंचाई से धरती का चक्कार काटती आ रही है. हबल 11 किलोमीटर लंबी है और इसका वजन है 11 टन. भार और आकार में एक स्कूल बस जितनी.
तस्वीर: NASA/Getty Images
अंतरिक्षीय बुलबुलों को टटोलती तस्वीरें
तारों और ग्रहों की पैदाइश को समझने में, ब्रह्मांड की उम्र का अंदाज़ा लगाने में और डार्क मैटर की प्रकृति को परखने में हबल दूरबीन ने हमारी मदद की है. इस तस्वीर में सुपरनोवा यानी एक बड़े तारे में विस्फोट से बनी गैस का एक विशाल गोला दिख रहा है.
तस्वीर: AP
पल दो-पल में फना होते रंग
अलग अलग तरह की गैसें अलग अलग रंग छोड़ती हैं. लाल रंग वाली होती है सल्फर गैस. हरा है तो हाइड्रोजन और नीला है तो ऑक्सीजन.
हबल की भेजी पहली तस्वीरें तो बरबाद थीं. हालांकि उसकी वजह ये थी कि उसका मुख्य कांच गलत आकार में गढ़ा गया था. 1993 में इंडेवर अंतरिक्षयान कुछ जानकारों को हबल के पास उसकी खराबी दूर करने ले गया. उसे नये चश्मे मुहैया कराए गए. कई वर्षों की सक्रियता में हबल दूरबीन की कुल पांच जांचों में से ये भी एक थी. आखिरी 2009 में हुई थी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Nasa
अंतरिक्ष का बालविहार
हबल ने ये अविस्मरणीय तस्वीर दिसंबर 2009 में खींची थी. नीले धब्बे बहुत युवा तारे हैं, कुछ लाख साल पुराने. तारों की ये बगिया विशाल मैजेलैनीय मंदाकिनी में मिली थी. ये मंदाकिनी हमारी आकाशगंगा का उपग्रह है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Nasa
और ये तितली है ना?
अंतरिक्ष में खींची इस तस्वीर के बारे में क्या ख्याल है? कोई ठीक ठीक नहीं जानता कि हबल ने अपने लेंस में आखिर ये क्या उतारा था लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि शॉट में दम नहीं था. ये उन 30,000 तस्वीरों में एक है जो सालों से हबल खींचती आ रही है.
तस्वीर: NASA/ESA/ Hubble Heritage Team
मैक्सिकन टोप- साम्ब्रेरो जैसी एक गैलेक्सी
निहायत ही आला दर्जे की ये तस्वीर- हबल की अन्य बहुत सी तस्वीरों की तरह- बहुत सारे एकल शॉट्स का कम्पोजिशन है- एक मिलीजुली प्रस्तुति. साम्ब्रेरो गैलेक्सी, वर्गो यानी कन्या तारामंडल में स्थित एक उन्मुक्त घुमावदार गैलेक्सी है और धरती से बस दो करोड़ 80 लाख प्रकाश-वर्ष दूर है.
तस्वीर: NASA/ESA/ Hubble Heritage Team
हाड़मांस के हबल
हबल दूरबीन को ये नाम, अमेरिकी खगोलविज्ञानी एडविन पॉवेल हबल (1889-1953) से मिला था. ब्रह्मांड फैल रहा है- ये देखने वाले पहले व्यक्ति वही थे. उनके पर्यवेक्षणों की बदौलत ही आज हम अपनी ये खगोलीय समझ कायम कर पाए हैं कि ब्रह्मांड की उत्पत्ति महाविस्फोट से हुई थी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
अंतरिक्ष में गड़े सृष्टि-स्तंभ
ये स्तंभ सरीखी संरचनाएं ईगल नेबुला में पाई गई हैं. धरती से करीब 7,000 प्रकाश-वर्ष दूर. हबल ने इनका बारीकी से मुआयना किया और दुनिया भर में इन्हें “पिलर्स ऑफ क्रिएशन” यानी सृष्टि-स्तंभ के रूप में मान्यता दिलाई.
तस्वीर: NASA, ESA/Hubble and the Hubble Heritage Team
शुरुआती अड़चनें
हबल की मजबूती लौट आई है, फिर से. अपनी लगातार धंसती कक्षा के चलते, दूरबीन 2024 में धरती के वायुमंडल में दाखिल होगी और भस्म हो जाएगी. लेकिन उसकी वारिस पहले से तैयार हैः नाम है जेम्स वेब. यहां एक थर्मल वैक्यूम चैंबर में उसकी टेस्टिंग चल रही है. उसे इसी साल लॉन्च किया जाएगा. धरती से करीब दस-साढ़े दस लाख किलोमीटर दूर अंतरिक्ष में उसका ठिकाना होगा.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Nasa/Chris Gunn
अंतरिक्ष में उकेरी एक मुस्कान
ये भी हबल की नायाब नजर का कमाल है- स्पेस स्माइली! किसने उकेरी अंतरिक्ष में ये मुस्कान? सीधी सी बात है- तिरछे होते प्रकाश यानी अपवर्तन ने ये छटा उभारी है.
तस्वीर: PD/NASA/J. Schmidt
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यह परमाणु ऊर्जा संयंत्र जमीन पर बनने के बाद तैयार अवस्था में चंद्रमा पर भेजा जाएगा. परमाणु रिएक्टर यूरेनियम ईंधन पर निर्भर करेगा, जबकि थर्मल प्रबंधन प्रणाली रिएक्टर को ठंडा रखने में मदद करेगी. न्यूक्लियर पावर प्लांट अगले दस साल तक चांद की सतह पर 40 किलोवाट बिजली पैदा कर पाएगा.
कुछ अन्य मांगों में यह शामिल है कि यह मानव सहायता के बिना खुद को बंद और चालू करने में सक्षम हो. इसके अलावा नासा ने चंद्रमा पर उतरने वाले अंतरिक्ष यान से बिजली संयंत्र को अलग करने और मोबाइल सिस्टम की तरह काम करने और चंद्रमा पर विभिन्न स्थानों पर आसानी से जाने की क्षमता जैसी सुविधाओं का प्रस्ताव रखा है.
नासा के प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि बिजली संयंत्र चार मीटर के सिलेंडर के अंदर फिट हो सकता है और इसकी लंबाई छह मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए. जबकि इसका वजन 6,000 किलोग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए. ये डिजाइन और प्रस्ताव अगले साल 19 फरवरी तक नासा को भेजे जा सकते हैं.
इडाहो नेशनल लेबोरेटरी पहले भी नासा की कई परियोजनाओं का हिस्सा रही है. प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों ने मंगल पर नासा के रोवर परसिवरेंस पर रेडियोआइसोटोप ऊर्जा प्रणाली स्थापित करने में मदद की थी.
एए/सीके (एपी, रॉयटर्स)
लेंस में उतरी ब्रह्मांड की खूबसूरत तस्वीरें
गैलेक्सी, ग्रह, उल्का पिंड, क्षुद्र ग्रह, धूल और गैसें, ये सब ब्रह्मांड का हिस्सा हैं. कभी कभार लोगों को इतनी सुंदर और दिलचस्प तस्वीरें मिल जाती हैं. एक नजर इन उम्दा तस्वीरों पर.
तस्वीर: Yonhap/picture alliance
नामीबिया के ऊपर छाई नमी
अफ्रीकी देश नामीबिया में रात को आसमान का नजारा गजब का होता है. यह तस्वीर मारियो कोगो ने ली है. इसमें दिन भर की गर्मी के बाद उठी नमी और उसके पीछे तारे दिखते हैं. पहली नजर में लगता है कि जैसे ये किसी सुपरनोवा विस्फोट की तस्वीर हो.
तस्वीर: Royal Museum Greenwich/Mario Cogo
एक और गैलेक्सी
यह तस्वीर गैलेक्सी "एनजीसी 3521" की है. यह हमारे सौरमंडल से 2.6 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर है. इस तस्वीर को लेने के लिए कैमरे के शटर को 20 घंटे पर सेट किया गया.
तस्वीर: Royal Museum Greenwich/Steven Mohr
धुंधली रोशनी
कुहासे के बीच नीचे से आती शहरों की रोशनी और ऊपर से सांझ की लालिमा. ये तस्वीर हंगरी के फोटोग्राफर फेरेंक सिमार ने सर्दियों के दौरान ली.
तस्वीर: Royal Museum Greenwich/Ferenc Szémár
आकाश में लहरदार रोशनी
ये नजारा उत्तरी ध्रुव के पास बसे फिनलैंड का है. फ्रांसीसी फोटोग्राफर निकोला लेवेदो की तस्वीर में कई तरह की जादुई रोशनी दिखती है. हरे रंग का प्रकाश असल में नॉर्दर्न लाइट है. सर्दियों में ध्रुवीय इलाकों में यह रंग बिरंगा प्रकाश अक्सर दिखाई पड़ता है.
तस्वीर: Royal Museum Greenwich/Nicolas Lefaudeux
उल्का पात का नजारा
इस तस्वीर को फोटोग्राफर फाबियान डालबियास ने ली है. डोलोमाइट के पहाड़ों के पास यूं ही तस्वीरें खींच रहे फाबियान के कैमरे में उल्का पात कैद हो गया.
तस्वीर: Royal Museum Greenwich/Fabian Dalpiaz
अंजान सी लगती पृथ्वी
ये मंगल ग्रह नहीं बल्कि धरती का ही नजारा है. अमेरिका के उटा राज्य का मोहवे रेगिस्तान चांदनी रात में कुछ ऐसा ही दिखता है. यह तस्वीर अमेरिका के ब्रैड गोल्डबेंट ने ली है. तस्वीर में एंड्रोमेडा आकाशगंगा भी दिख रही है. एक प्रतियोगिता में इस तस्वीर को पहला स्थान और 10 हजार पाउंड का पुरस्कार भी मिला.
तस्वीर: Royal Museum Greenwich/Brad Goldpaint
चांद नहीं, शुक्र है
पृथ्वी पर तो सूर्योदय और संध्या आपने कई बार देखी होगी, लेकिन शुक्र ग्रह पर शाम कुछ ऐसी नजर आती है. खास वीडियो कैमरे और विशेष जूम तकनीक की मदद से यह फ्रेम हासिल किया गया.
तस्वीर: Royal Museum Greenwich/Martin Lewis
ये हैं ब्रह्मांड में छुपे रंग
अन्य ग्रहों की तस्वीरें आम तौर या तो काली या लाल दिखती हैं या फिर दूधिया सी. लेकिन एक खास तकनीक का इस्तेमाल कर जब चांद की तस्वीरों को प्रोसेस किया गया तो उसकी सतह के कुछ ऐसे रंग दिखाई पड़े.
तस्वीर: Royal Museum Greenwich/Jordi Delpeix Borrell
छल्ला बना सूर्य
यह तस्वीर सूर्य ग्रहण के दौरान निकोला लेवुडो ने ली. इस तस्वीर में सूर्य से दूर दाहिनी तरफ लाल रंग का बिंदु असल में मंगल ग्रह है.
तस्वीर: Royal Museum Greenwich/Nicolas Lefaudeux
हमारी आकाशगंगा मिल्की वे
पृथ्वी जिस आकाशगंगा का हिस्सा है, उसे मिल्की वे कहते हैं. मिल्की वे की यह तस्वीर तियांग हॉन्ग ली ने कैप्चर की. अनुमान के मुताबिक इसमें 100 से 300 अरब तारे हैं. (रिपोर्ट: सबरीना फाल्कर/ओएसजे)