भारत और अमेरिका के बीच अंतरिक्ष के क्षेत्र में गहरे होते संबंधों को अगले स्तर पर ले जाते हुए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने कहा है कि वह इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए भारत के एक अंतरिक्ष यात्री को प्रशिक्षण देगी.
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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के प्रबंधक बिल नेल्सन ने कहा है कि अगले साल आईएसएस में भेजने के लिए भारत के एक अंतरिक्ष यात्री को प्रशिक्षित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि यह भारत और अमेरिका के बीच गहरे होते संबंधों का नतीजा है.
बेंगलुरू में एक कार्यक्रम में नेल्सन ने कहा, "यह विज्ञान को साझा करने का मौका है.”
नेल्सन भारत में निसार सिस्टम को देखने पहुंचे थे. नासा-इसरो एसएआर (NISAR) पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया जाने वाला एक सिस्टम है जिसे नासा और इसरो ने मिलकर तैयार किया है. एक बड़ी कार के आकार का यह उपग्रह अगले साल की शुरुआत में भारत से प्रक्षेपित किया जाना है.
लौट आया अंतरिक्ष में फंसा यात्री
एक साल से ज्यादा वक्त बिताने वाले नासा एस्ट्रोनॉट फ्रैंक रूबियो पृथ्वी पर लौट आये हैं. तकनीकी खराबी के कारण वह आईएसएस पर फंस गये थे.
तस्वीर: Dmitri Lovetsky/POOL AP/dpa
लौट आये फ्रैंक रूबियो
नासा एस्ट्रोनॉट फ्रैंक रूबिया पृथ्वी पर लौट आये हैं. बीते बुधवार वह अपने दो और सहयोगियों के साथ कजाखस्तान में उतरे. सोयूज एमएस-3 कैप्सुल में उनके साथ रूसी अंतरिक्ष यात्री सर्गेई प्रोकोपयेव और दिमित्री पेटेलियन भी थे.
तस्वीर: Frank Rubio/NASA/ZUMAPRESS/picture alliance
371 दिन अंतरिक्ष में
रुबियो ने अंतरिक्ष में 371 दिन बिताये. हालांकि वह सिर्फ छह महीने के लिए गये थे लेकिन उन्हें जिस यान से लौटना था, उसमें खराबी आ गयी और वह इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर फंस गये.
तस्वीर: AFP
अमेरिकी रिकॉर्ड
रूबियो अंतरिक्ष में सबसे ज्यादा समय तक रहने वाले अमेरिकी बन गये हैं. पिछले हफ्ते आईएसएस से ही दिये एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि यह एक अविश्वसनीय चुनौती थी और बहुत कठिन थी.
तस्वीर: Dmitri Lovetsky/ASSOCIATED PRESS/picture alliance
अंतरिक्ष में रहने का रिकॉर्ड
अंतरिक्ष में सबसे ज्यादा वक्त बिताने का रिकॉर्ड रूसी यात्री वालेरी पोल्यकोव के नाम है, जिन्होंने 473 दिन बिताये थे. वह 1990 के दशक में अंतरिक्ष में रहे थे.
तस्वीर: Maxim Shemetov/REUTERS
धरती के 6,000 चक्कर
रूबियो ने पृथ्वी की कक्षा के लगभग 6,000 चक्कर लगाये और 15.70 करोड़ किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा की. नासा के मुताबिक यह धरती से चांद की 328 यात्राओं के बराबर है.
तस्वीर: Dmitri Lovetsky/POOL AP/dpa
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निसार हर 12 दिन में पूरे ग्रह का चक्कर लगाएगा और पारिस्थितिकी तंत्र में हो रहे बदलावों, बर्फ की स्थिति, समुद्री जल स्तर में बदलाव, भूजल में बदलाव और भूकंप, सूनामी व ज्वालामुखी विस्फोट जैसी गतिविधियों की निगरानी कर रिपोर्ट देगा.
चार अंतरिक्ष यात्री होंगे तैयार
एक दिन पहले ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा था कि भारत चार अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षित करेगा. उनमें से दो का प्रशिक्षण नासा में होगा और एक को भारत-अमेरिका संयुक्त मिशन के तहत आईएसएस पर भेजा जाएगा.
भारत उपग्रह प्रक्षेपण के बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. इसी साल जून में उसने नासा के साथ आर्टेमिस समझौता किया था, जिसका मकसद अगले एक दशक में भारत की हिस्सेदारी को पांच गुना बढ़ाना है.
पहली बार उल्कापिंड की धूल लेकर लौटा रेक्स
सात साल की यात्रा के बाद नासा का अंतरिक्ष यान उल्कापिंडों के नमूनों का सबसे बड़ा जखीरा लेकर धरती पर लौट आया.
तस्वीर: Rick Bowmer/AP/dpa/picture alliance
सात साल बाद लौटा रेक्स
सात साल तक चले एक अभियान का 24 सितंबर 2023 को सफल पटाक्षेप हुआ जब नासा का अंतरिक्ष यान उल्कापिंडों के नमूनों का सबसे बड़ा जखीरा लेकर धरती पर लौट आया. 24 सितंबर को अमेरिका के यूटा राज्य के रेगिस्तान में यह यान सुरक्षित उतर गया.
तस्वीर: Keegan Barber/AFP
बेनू की धूल
रेक्स ने बेनू की सतह से 250 ग्राम धूल जमा की. नासा का कहना है कि यह थोड़ी सी धूल भी जानकारियों से भरपूर होगी. वे यह भी पता लगा सकेंगे कि किस तरह के उल्कापिंड भविष्य में पृथ्वी के लिए खतरनाक हो सकते हैं.
तस्वीर: Keegan Barber/AFP
बड़ी उम्मीदें
वैज्ञानिकों को बड़ी उम्मीदें हैं कि ये नमूने हमारे सौर मंडल की रचना-संरचना के बारे में समझ में नये अध्याय जोड़ेंगे. साथ ही इस सवाल के जवाब मिलने की भी उम्मीद है कि पृथ्वी का वातावरण कब और कैसे इंसान के रहने लायक बना.
तस्वीर: George Frey/AFP
भावुक पल
ऑसिरिस-रेक्स मिशन की मुख्य वैज्ञानिक दांते लॉरेटा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि जब वैज्ञानिकों को पता चला कि कैपसुल का मुख्य पैराशूट खुल चुका है तो बहुत से लोग भावुक हो गये. लॉरेटो ने कहा, “मेरी आंखों से सच में आंसू बहने लगे थे. यह वो पल था जब हमें यकीन हो गया था कि हम घर लौट आए हैं. मेरे लिए असली साइंस तो अभी शुरू हो रही है.”
तस्वीर: George Frey/AFP
6.21 अरब किलोमीटर की यात्रा
नासा ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा कि 6.21 अरब किलोमीटर की यह यात्रा अपनी तरह का पहला अभियान है. नासा प्रमुख बिल नेल्सन ने अभियान की जमकर तारीफ की और कहा कि उल्कापिंडों की धूल के नमूने “वैज्ञानिकों को हमारे सौर मंडल के शुरुआती दिनों के बारे में अभूतपूर्व जानकारी देंगे.”
तस्वीर: George Frey/AFP
बेनू की यात्रा
ऑसिरिस-रेक्स अभियान का अंतिम चरण बेहद जटिल था लेकिन अमेरिका के स्थानीय समय के मुताबिक सुबह 8.52 बजे यूटा के रेगिस्तान में सेना के ट्रेनिंग रेंज पर उसकी आरामदायक लैंडिंग हुई. इसे 2016 में भेजा गया था और वह बेनू उल्कापिंड पर उतरा था.
तस्वीर: NASA/Goddard/University of Arizona/Handout via REUTERS
भविष्य के लिए
अब इन नमूनों को ह्यूस्टन के जॉनसन स्पेस सेंटर को भेजा जाएगा. करीब एक चौथाई नमूनों का तो फौरन परीक्षण के लिए इस्तेमाल कर लिया जाएगा जबकि कुछ हिस्से को जापान और कनाडा भी भेजा जाएगा. एक हिस्से को भविष्य की पीढ़ियों के लिए संभाल कर रख दिया जाएगा.
तस्वीर: Rick Bowmer/AP/dpa/picture alliance
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आर्टेमिस समझौता एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है जिसके तहत 1967 में हुई बाह्य अंतरिक्ष संधि के नियमों को आधुनिक व स्पष्ट बनाना है, ताकि इस क्षेत्र में और ज्यादा वैज्ञानिक पारदर्शिता आ सके और अंतरिक्ष व चंद्रमा के प्रयोग को किसी तरह के खतरे में बदलने से रोका जा सके.
भारत और अमेरिका के बीच अंतरिक्ष के क्षेत्र में बढ़ती सक्रियता चीन के साथ जारी प्रतिद्वन्द्विता के संदर्भ में भी देखी जा सकती है. हाल के सालों में चीन ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में कई बड़े कदम उठाए हैं. 2019 में उसने पहली बार चंद्रमा के ना दिखने वाली तरफ सॉफ्ट लैंडिंग की थी, जो कि पहली बार हुआ था.
अगले कुछ सालों के लिए चीन ने कई अंतरिक्ष प्रोजेक्ट तैयार कर रखे हैं, जिन पर लगभग 12 अरब डॉलर खर्चे जाने का अनुमान है. इसके बरअक्स अमेरिका ने चंद्रमा पर यात्री भेजने के अपने आर्टेमिस प्रोग्राम का बजट लगभग 93 अरब डॉलर रखा है.