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मंगल ग्रह पर उड़ेगा नासा का हेलीकॉप्टर

१६ फ़रवरी २०२१

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का मार्स रोवर परसिवरेंस 18 फरवरी को लाल ग्रह पर उतरने वाला है. पहली बार नासा का हेलीकॉप्टर इस ग्रह की कई चुनौतियों का सामना भी करेगा.

Illustration | NASA Marsmission | Perseverance-Rover
तस्वीर: NASA/JPL-Caltech/picture alliance

पिछले साल नासा ने अपने रोवर के साथ छोटा इंजीन्यूटी हेलीकॉप्टर मंगल ग्रह के लिए भेजा था. इस हेलीकॉप्टर के सामने कई चुनौतियां होंगी जिससे उसे पार पाना होगा. सबसे बड़ी चुनौती वहां का दुर्लभ वातावरण जो कि जो पृथ्वी के घनत्व का सिर्फ एक प्रतिशत है. हालांकि इसे हेलीकॉप्टर कहा जा सकता है लेकिन दिखने में यह मिनी ड्रोन की तरह है. जिसका वजन सिर्फ 1.8 किलोग्राम है, इसके ब्लेड पांच गुणा अधिक तेज रफ्तार से घूमते हैं. इंजीन्यूटी के चार पैर हैं, बक्सानुमा बॉडी है और चार कार्बन फाइबर ब्लेड्स दो विपरीत दिशाओं में घूमते रोटरों में लगे हैं.

इंजीन्यूटी हेलीकॉप्टर.तस्वीर: NASA/JPL-Caltech

इंजीन्यूटी में दो कैमरे, कंप्यूटर और नेविगेशन सेंसर्स लगे हैं. इसमें अपनी बैटरी को रिचार्ज करने के लिए सौर सेल लगे हैं, ताकि मंगल की ठंडी रातों में यह अपने आपको गर्म रख सके, अधिकतर ऊर्जा का इस्तेमाल रात को इसे गर्म रखने के लिए होगा जहां तापमान माइनस 90 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है.

परसिवरेंस रोवर के साथ यह हेलीकॉप्टर जा रहा है. रोवर हेलीकॉप्टर को मंगल की सतह पर गिराएगा और फिर आगे बढ़ जाएगा. मिशन के पहले कुछ महीनों में क्रमिक कठिनाइ की पांच उड़ानों की योजना बनाई गई है. इंजीन्यूटी 10-15 फीट की ऊंचाई पर उड़ेगा और शुरूआती बिंदु से लेकर वापसी तक 160 फीट की दूरी तय करेगा. हर उड़ान डेढ़ मिनट की अवधि की होगी. इंजीन्यूटी को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि वह खुद से ही उड़ान भर सके क्योंकि उसे धरती से कंट्रोल कर पाना नामुमिकन है.

रोवर और हेलीकॉप्टर मंगल ग्रह के मौसम का अध्ययन करेंगे. इससे पहले संयुक्त अरब अमीरात की स्पेस एजेंसी ने 12 को अपने मिशन होप को मंगल की कक्षा में सफलता के साथ पहुंचा दिया था.

एए/सीके (एएफपी)

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