अगले हफ्ते होगी डार्ट की उल्कापिंड से ऐतिहासिक टक्कर
१९ सितम्बर २०२२
अगले सोमवार मनुष्य जाति एक अद्भुत घटना की गवाह बनेगी जब पहला ग्रह-सुरक्षा टेस्ट होगा. एक अंतरिक्ष यान को एक करोड़ किलोमीटर दूर एक उल्कापिंड से टकराया जाएगा.
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26 सितंबर को अमेरिकी अंतरिक्षएजेंसी नासा के 33 करोड़ डॉलर यानी लगभग 26 अरब रुपये के बने एक अंतरिक्ष यान को जानबूझकर एक उल्कापिंड से टकराया जाएगा. इस टक्कर का मकसद उल्कापिंड का रास्ता बदलना होगा.
अपनी तरह के पहले अंतरिक्षीय अभियान में नासा के एक विशेष यान को एक उल्कापिंड ये टकराया जाएगा. अगले हफ्ते होने वाली यह टक्कर विशाल पैमाने पर पहली बार किया जा रहा एक प्रयोग जिसके जरिए भविष्य में आने वाली ऐसी किसी आपदा से पृथ्वी को बचाने की संभावनाएं आंकी जा रही हैं.
डबल एस्ट्रॉयड रीडाइरेक्शन टेस्ट यानी डार्ट (DART) नाम के इस अभियान के जरिए अंतरिक्ष विज्ञानी यह सीखना चाहते हैं कि अगर कोई उल्कापिंड पृथ्वी से टकराने के लिए इस ओर बढ़ रहा है तो उसका रास्ता बदला जा सकता है या नहीं.
क्या आप जानते थे कि चांद सिकुड़ रहा है?
नासा के आर्टेमिस कार्यक्रम की वजह से एक बार फिर इंसानों के चांद पर पहुंचने की संभावनाओं ने जन्म ले लिया है. लेकिन क्या आप चांद के बारे में ये बातें जानते हैं?
नासा के शोध के मुताबिक चांद धीरे धीरे अपनी गर्मी खो रहा है जिसकी वजह से उसकी सतह इस तरह सिकुड़ने लगी है जैसे अंगूर सिकुड़ कर किशमिश बन जाता है. लेकिन सिर्फ इतना ही नहीं हो रहा है. चांद के अंदर का भाग भी सिकुड़ रहा है. पिछले करोड़ों सालों में चांद करीब 50 मीटर (150 फुट) पतला हो गया है.
तस्वीर: picture-alliance/Arco Images/B. Lamm
झंडा आखिर लहराया कैसे?
कुछ लोगों का मानना है कि 1969 में अंतरिक्ष यात्रियों का चांद पर उतरना एक झूठ था और असल में नील आर्मस्ट्रॉन्ग और बज एल्ड्रिन एक नकली सेट पर चले थे. ये मानने वाले लोग कहते हैं कि एल्ड्रिन द्वारा लगाया गया अमेरिकी झंडा ऐसे लहरा रहा था जैसे हवा चल रही हो और अंतरिक्ष के निर्वात में यह नामुमकिन है. नासा का कहना है कि एल्ड्रिन झंडे को जमीन में गाड़ते समय उसे हिला रहे थे.
तस्वीर: picture-alliance/Photoshot/Neil A. Armstrong
जलाने वाली गर्मी, जमाने वाली ठंड
चांद पर तापमान काफी चर्म पर रहता है. सूरज की किरणें सतह पर पड़ने पर तापमान 127 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है और किरणों की गर्मी के बिना तापमान धड़ाम से गिर कर माइनस 153 डिग्री सेल्सियस तक आ सकता है!
तस्वीर: picture alliance/dpa/S. Kahnert
वहां रहता है कोई
चांद पर कोई रहता है यह एक बहुत ही पुराना मिथक है. कुछ लोगों को तो पूर्णिमा के दिन चांद की सतह पर ही एक चेहरा दिखाई देता है. कई देशों में ऐसे एक व्यक्ति को लेकर किम्वदंतियां हैं जिसने कोई बड़ी गलती की थी और उसे सजा के रूप में चांद पर भेज दिया गया था. हालांकि अभी तक किसी अंतरिक्ष यात्री को तो वो व्यक्ति नहीं मिला.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/F. Rumpenhorst
पृथ्वी से दूर भी जा रहा है
चांद हर साल पृथ्वी से लगभग चार सेंटीमीटर दूर भी खिसकता जा रहा है. यह जितना दूर होता चला जाएगा हमें उतना छोटा नजर आएगा. करीब 55 करोड़ सालों में ये इतना छोटा नजर आने लगेगा कि पृथ्वी के सबसे करीब बिंदु पर भी यह सूर्य को ढंक नहीं पाएगा. यानी तब सूर्य ग्रहण नहीं हुआ करेंगे.
तस्वीर: Reuters/J. Ernst
जी नहीं, भेड़ियों को चांद से कोई विशेष लगाव नहीं है
हर पुरानी डरावनी फिल्म में एक भेड़िए का चांद को देख कर हुआ हुआ करने का दृश्य होता ही था. लेकिन असल में ऐसा नहीं होता. भेड़िए ना पूर्णिमा पर ज्यादा तेज हुआ हुआ करने लगते हैं और ना ही चांद को देख कर ऐसा करते हैं. वो बस रात को हुआना तेज कर देते हैं और उसी समय पूरा चांद सबसे ज्यादा दिख रहा होता है.
तस्वीर: Imago/Anka Agency International/G. Lacz
चांद पर चलने वालों में विविधता की कमी
अभी तक कुल 12 इंसानों ने चांद पर कदम रखा है. ये सब अलग अलग व्यवसायों से तो हैं, लेकिन ये सब अमेरिकी हैं, श्वेत हैं और पुरुष हैं. देखना होगा कि चांद पर कदम रखने वाला पहला गैर-अमेरिकी कौन होगा. शायद वो एक महिला हो और शायद वो अश्वेत हो!
तस्वीर: picture-alliance/dpa
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डार्ट यह जानने में वैज्ञानिकों की मदद करेगा कि किसी अंतरिक्ष यान की टक्कर क्या वाकई उल्कापिंड का रास्ता बदलने में कामयाब हो सकती है. ऐसे दृश्य और कल्पनाएं कई बार हॉलीवुड फिल्मों में देखी जा चुकी हैं. हाल ही में आई फिल्म डोंट लुक अप या फिर कई साल पहले आई फिल्म आर्मागैडन में फिल्मकारों ने ऐसी ही कल्पनाएं की थीं.
कौन सा उल्कापिंड टकराएगा?
इस अभियान के लिए वैज्ञानिकों ने डाईमॉरफोस नामक एक उल्कापिंड को चुना है. इसे मूनलेट यानी नन्हा चांद भी कहा जाता है. यह पृथ्वी के नजदीक ही एक अन्य विशाल उल्कापिंड डिडायमॉस नामक उल्कापिंड का चक्कर लगा रहा है.
नासा के वैज्ञानिकों ने कहा है कि पृथ्वी के नजदीक यानी लगभग 5 करोड़ किलोमीटर के दायरे में मौजूद उल्कापिंडों और धूमकेतुओं के खतरे आंकलन का उनका मुख्य लक्ष्य है. डायमॉरफस का व्यास लगभग 160 मीटर है. अंतरिक्ष में अब तक नासा ने जितनी चीजों से टकराने की कोशिश की है, यह उनमें सबसे छोटा है.
डिडायमॉस का व्यास 780 मीटर है. इसका नाम ग्रीक भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ होता है जुड़वां. ये नाम इस बात का प्रतीक है कि कैसे उल्कापिंड जोड़ी बनाकर रहते हैं.
कब होगी टक्कर?
नासा का कहना है कि अमेरिकी समयानुसार सोमवार 26 सितंबर को शाम 7.14 बजे यानी भारतीय समय के मुताबिक मंगलवार सुबह 4.44 बजे इस अद्भुत घटना के होने की संभावना है. इस टक्कर के लिए विशेष अंतरिक्ष यान दस महीने से यात्रा पर निकला हुआ है.उसके सोलर पैनलों को ना जोड़ें तो उसका आकार एक छोटी कार जितना है.
आसमान से यूं उतरे यात्री
छह महीने अंतरिक्ष में बिताने के बाद स्पेस एक्स कंपनी के अंतरिक्ष यात्री लौट आए हैं. देखिए, कैसे लौटे ये यात्री और कैसा रहा अभियान.
तस्वीर: Aubrey Gemignani/NASA/REUTERS
लौट आए यात्री
बीते सप्ताह स्पेस एक्स का अभियान दल पृथ्वी पर लौट आया. 6 अप्रैल को उनका वाहन फ्लोरिडा के पास मेक्सिको की खाड़ी में उतरा.
तस्वीर: Aubrey Gemignani/NASA/REUTERS
चार वैज्ञानिक
यह दल पिछले साल 11 नवंबर को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर पहुंचा था. इस दल में भारतीय मूल के राजा चारी समेत चार वैज्ञानिक थे.
तस्वीर: Aubrey Gemignani/NASA/REUTERS
तीन नए यात्री
दल के तीन यात्री पहली बार अंतरिक्ष में गए थे जबकि 61 वर्षीय वरिष्ठ अंतरिक्ष यात्री टॉम मार्शबर्न अनुभवी थे. उनके साथ भारतीय मूल के अमेरिकी नासा वैज्ञानिक राजा चारी और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के कायला बैरन और मथियास माउरर थे.
तस्वीर: Aubrey Gemignani/NASA/REUTERS
लंबी यात्रा
इस दल की वापसी की यात्रा 23 घंटे लंबी रही. यात्रियों को लेकर आया कैपसूल रात को पौने एक बजे समुद्र में गिरा और करीब एक घंटे के भीतर उसे जहाज पर चढ़ा लिया गया.
तस्वीर: Aubrey Gemignani/NASA/REUTERS
परीक्षण बाकी हैं
परीक्षण बाकी हैं 175 दिन भारहीनता में बिताने वाले इन यात्रियों को अब लंबी और गहन मेडिकल और अन्य शारीरिक जांच से गुजरना होगा.
तस्वीर: Aubrey Gemignani/NASA/IMAGO
कमर्शल क्रू-3
इस दल को नासा ने आधिकारिक तौर पर ‘कमर्शल क्रू - 3’ नाम दिया है. स्पेस एक्स ने नासा का यह तीसरा ऐसा अभियान पूरा किया है जो लंबी अवधि तक अंतरिक्ष में रहा. ये लोग अपने साथ करीब 250 किलोग्राम सामान लाए हैं जिनमें कई नमूने आदि शामिल हैं.
तस्वीर: Aubrey Gemignani/NASA/REUTERS
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जॉन हॉपकिंस अप्लाइड फिजिक्स लैब में अंतरिक्ष अभियानों के प्रमुख बॉबी ब्राउन ने पत्रकारों को बताया, "यह मानवता का पहला ग्रह-सुरक्षा परीक्षण है. इसमें जो कुछ भी हो रहा है वह सब एक परीक्षण है. इसे बहुत सुरक्षित तरीके से अंजाम दिया जा रहा है. इस उल्कापिंड के धरती की ओर आने की संभावना शून्य प्रतिशत है. इसलिए हमारे वैज्ञानिक दल के लिए, इंजीनियरों के लिए और उनके लिए भी परीक्षण की ये आदर्श परिस्थितियां हैं, जो इस अभियान के जरिए अपनी समझ को बढ़ाना चाहते हैं.”
जिस दिन यह टक्कर होगी, उस दिन इटली स्पेस एजेंसी का एक छोटा उपग्रह घटना की तस्वीरें खींचेगा और वैज्ञानिकों को भेजेगा. यह उपग्रह एक अटैची जितने आकार है और डार्ट अंतरिक्ष यान के पीछे-पीछे चल रहा है. जब यह टक्कर होगी तब उल्कांपिड पृथ्वी से 1.1 करोड़ किलोमीटर दूर होंगे.
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टक्कर के बाद क्या होगा?
वैज्ञानिकों की योजना है कि डार्ट को जितनी शक्ति से संभव हो, डायमॉरफस से टकराया जाए ताकि उसका रास्ता बदल जाए. उसके बाद वे पृथ्वी पर मौजूद शक्तिशाली टेलीस्कोप की मदद से उसके बदले हुए रास्ते का अध्यन करेंगे.
वैज्ञानिक देखेंगे कि डायमॉरफस का रास्ता बदला या नहीं और बदला तो कितना बदला. नासा पहले कई बार ऐसी आशंकाएं जता चुकी है कि कोई आकाशीय पिंड जैसे उल्कापिंड या धूमकेतू पृथ्वी से टकरा सकता है. हालांकि यह भी स्पष्ट किया गया है कि कम से कम अगले सौ साल तक ऐसा होने का कोई खतरा नहीं है.
रिपोर्टः विवेक कुमार (रॉयटर्स)
हबल दूरबीन की नजर से ब्रह्मांड की बेहतरीन तस्वीरें
तीस साल से नासा की हबल दूरबीन ब्रह्मांड के कोने कोने की अद्भुत तस्वीरें ले रही है. अब दूरबीन में कुछ खराबी आ गई है, लेकिन जरा देख कर बताइये कि उसके द्वारा ली गई इन बेहतरीन तस्वीरों में से आपने कितनी देखी हैं.
हबल अंतरिक्ष दूरबीन 13 जून 2021 से तस्वीरें वापस भेज नहीं पाई है. कंप्यूटर की मेमरी में आई एक खराबी की वजह से वो लगभग एक हफ्ते से ठप्प पड़ी है. बैकअप मेमरी का इस्तेमाल करने की कोशिशें अभी तक नाकामयाब रही हैं और दूरबीन को "सेफ मोड" में डाल दिया गया है. तीन दशकों से भी ज्यादा से हबल दूर स्थित सितारों और तारों के समूहों की दिलचस्प तस्वीरें भेज रही है.
तस्वीर: ESA
जहां बनते हैं सितारे
ये हबल की बेहतरीन तस्वीरों में से एक है. इसमें विशालकाय नेब्युला एनजीसी 2014 और उसकी पड़ोसी नेब्युला एनजीसी 2020 को देखा जा सकता है, जो पृथ्वी की आकाशगंगा से दूर एक ऐसे बड़े इलाके का हिस्सा हैं जहां सितारे बनते हैं. ये इलाका आकाशगंगा से लगभग 1,63,000 प्रकाश वर्ष दूर है.
तस्वीर: NASA/ESA/TScI
'स्टार वॉर्स' से भी बेहतर
2015 में जैसे ही सिनेमाघरों में 'स्टार वॉर्स' की नई फिल्म लगी, हबल ने एक अंतरिक्षीय लाइटसेबर की यह तस्वीर ली. ये पृथ्वी से करीब 1,300 प्रकाश वर्ष दूर है. यह एक स्टार सिस्टम के जन्म की तस्वीर है, जिसमें एक नवजात सितारे से निकली दो अंतरिक्षीय किरणें और तारों के बीच की थोड़ी धूल है.
तस्वीर: NASA/ESA/Hubble
आकाश पर नजर
1990 से हबल दूरबीन 550 किलोमीटर की ऊंचाई पर 27,000 किलोमीटर प्रति घंटे से भी ज्यादा तेज रफ्तार से पृथ्वी की परिक्रमा कर रही है. हबल 11 मीटर लंबी है और 11 टन वजनी है, मतलब ये लगभग एक स्कूल बस के आकार की है.
तस्वीर: NASA, ESA, STScI, Zili Shen (Yale), Pieter van Dokkum (Yale), Shany Danieli (IAS)
दूरबीन को लगा चश्मा
हबल की सबसे पहली तस्वीरें बेहद बेकार थीं, क्योंकि उसके मुख्य शीशे को लगाने में कुछ गड़बड़ी हो गई थी. 1993 में स्पेस शटल एंडेवर विशेषज्ञों को हबल पर ले गई और उन्होंने दूरबीन को एक तरह के खास चश्मे लगाए. बीते सालों में हबल को पांच अपडेट दिए गए हैं, जिनमें से आखिरी 2009 में दिया गया था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Nasa
अंतरिक्ष में किंडरगार्टन
हबल ने ये असाधारण तस्वीर दिसंबर 2009 में ली थी. नीले बिंदु युवा सितारे हैं, यानी जिनकी उम्र बस कुछ लाख साल है. सितारों का यह किंडरगार्टन आकाशगंगा के पास ही स्थित लार्ज मैगेलैनिक क्लाउड नाम की दूसरी आकाशगंगा में है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Nasa
क्या वो एक तितली है?
हबल की इस तस्वीर में जो दिख रहा है वो क्या है ये कोई नहीं जानता. ये इस दूरबीन द्वारा ली गई 30,000 तस्वीरों में से एक है.
तस्वीर: NASA/ESA/ Hubble Heritage Team
हबल के जनक
हबल दूरबीन का नाम अमेरिकी खगोलशास्त्री एडविन पोवेल हबल के नाम पर रखा गया था. ब्रह्मांड का लगातार विस्तार हो रहा है, हबल ये पता लगाने वाले पहले व्यक्ति थे.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
हबल की उत्तराधिकारी
हबल की कक्षा या ऑर्बिट लगातार छोटी हो रही है और ऐसी संभावना है कि दूरबीन 2024 में पृथ्वी की वायुमंडल में वापस आ कर जल जाए. लेकिन इसकी उत्तराधिकारी पहले से ही तैयार है. इसका नाम है जेम्स वेब्ब और इसे 2021 में ही लॉन्च किया जाना है. इसे पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर तैनात किया जाएगा. - जूडिथ हार्टल