बाल्टिक स्टार्टअप्स बनाम रूसी ड्रोन: नाटो की नई उम्मीद
३१ अक्टूबर २०२५
कभी सोचा है कि अगर रूस एक साथ सैकड़ों ड्रोन नाटो के एयरस्पेस में छोड़ दे तो क्या होगा?
लेकिन जब से रूस ने यूक्रेन पर युद्ध छेड़ा है, तब से यह वहां रोज का मंजर बन चुका है. पिछले महीने रूस द्वारा नाटो एयरस्पेस में घुसपैठ और यूरोप में कथित जासूसी की घटनाओं के बाद, यूरोपीय संघ और नाटो इससे निपटने की तैयारी में जुट गए हैं.
एस्टोनिया की राजधानी टालिन स्थित इंटरनेशनल सेंटर फॉर डिफेंस एंड सिक्योरिटी के शोधकर्ता, टोमस जरमालाविसियस का कहना है कि कई बार नाटो के रडार आने वाले ड्रोन को पकड़ नहीं पाते क्योंकि "वह बहुत नीचे उड़ते हैं.”
उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "हमारे पास उन्हें गिराने के लिए पर्याप्त किफायती साधन भी नहीं हैं.”
जरमालाविसियस ने बताया कि जैसे 9 सितंबर को पोलैंड के एयरस्पेस में रूसी ड्रोन को गिराने की घटना हुई थी. वहां ऐसे ड्रोन को गिराने के लिए लगभग आधा मिलियन डॉलर के मिसाइलों का इस्तेमाल किया गया था. जबकि उन ड्रोन की कीमत केवल लगभग 50,000 डॉलर ही थी.
सैन्य विशेषज्ञों को चिंता है कि महंगी मिसाइलों से सस्ते ड्रोन को गिराने का यह असंतुलित "लागत बनाम लक्ष्य अनुपात” लंबे समय तक टिकाऊ नहीं है. बड़े युद्ध की स्थिति में यह नाटो की हवाई रक्षा क्षमता को कमजोर कर सकता है.
इस समस्या से निपटने के लिए जरमालाविसियस का सुझाव है कि ड्रोन-रोधी रणनीतियों में स्टार्टअप्स को केंद्रीय भूमिका दी जानी चाहिए. ऐसा खासकर इसलिए क्योंकि अब आधुनिक युद्धों में लगभग 80 फीसदी हताहतों का कारण ड्रोन हमले ही बन गए हैं.
उन्होंने कहा, "स्टार्टअप्स उन पारंपरिक तरीकों को तोड़ते हैं, जिनमें हमारी रक्षा खरीद प्रणाली और उद्योग खिलाड़ी दशकों से फंसे हुए हैं.” उन्होंने यह भी जोड़ा कि स्टार्टअप्स इन "आरामदेह व्यवस्थाओं में कांटे” की तरह जरूरी है, ताकि रक्षा तकनीक में तेजी से सुधार और विकास हो सके.
भविष्य के युद्धों के लिए तेजी से तैयार हो रहा है जर्मनी
क्या फ्रांकनबेर्ग बन सकेगा मददगार?
एस्टोनिया की कंपनी फ्रांकनबेर्ग टेक्नोलॉजीस उन कुछ स्टार्टअप्स में से एक है, जो सस्ते और बड़े पैमाने पर इस्तेमाल की जा सकने वाली ड्रोन-रोधी प्रणाली विकसित करने का दावा कर रही है. यह कंपनी टालिन में स्थित है और यूके, यूक्रेन, लातविया सहित लिथुआनिया में भी इसके दफ्तर हैं.
एक साल से भी कम समय में फ्रांकनबेर्ग ने एक एयर-डिफेंस प्लेटफॉर्म का प्रोटोटाइप भी तैयार कर लिया है, जिसे कंपनी के सीईओ कुस्टी साल्म नाटो की "सबसे बड़ी कमजोरी” का समाधान मानते हैं.
साल्म ने डीडब्ल्यू से कहा, "रूस जो भी हथियार या ड्रोन यूक्रेन पर दागता है. भविष्य में यूरोपीय देशों पर भी दाग सकता है. इन हथियारों या ड्रोन की कीमत उन चीजों से कई गुना कम होती है, जिससे हम उन्हें गिराने की कोशिश करते हैं.”
साल्म के अनुसार, इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य फ्रांकनबेर्ग प्रणाली को मौजूदा छोटी दूरी की हवाई रक्षा मिसाइलों (जैसे अमेरिकी साइडविंडर) से दस गुना सस्ता बनाना है.
वर्तमान में फ्रांकनबेर्ग के पास नाटो का एक ग्राहक देश है और कंपनी को उम्मीद है कि अगले साल मार्च में मिले 4 मिलियन यूरो के निवेश की मदद से वह जल्द ही हर हफ्ते सैकड़ों इंटरसेप्टर मिसाइल बनाना शुरू कर सकेगा.
यूके के बिजनेस डेली, फाइनेंशियल टाइम्स के अनुसार, पिछले साल से यूरोप के रक्षा क्षेत्र में आने वाले कुल वेंचर कैपिटल (निजी निवेश) का आधे से ज्यादा हिस्सा उन स्टार्टअप्स को मिल रहा है, जो ड्रोन और रोबोटिक्स में विशेषज्ञता रखते हैं.
यही कारण है कि यूरोप में एक अरब यूरो से अधिक मार्केट वैल्यू रखने वाले हर चार रक्षा स्टार्टअप्स में से तीन ड्रोन बनाने वाली कंपनियां हैं. इनमें जर्मनी की हेल्जिंग और क्वांटम सिस्टम्स तथा पुर्तगाल की टेकएवर भी शामिल है.
‘हर कोई और उनकी मां भी, एक ड्रोन स्टार्टअप चला रहे'
पश्चिमी देशों की सेनाओं को फ्रांकनबेर्ग जैसी कम लागत वाली रक्षा तकनीकों में दिलचस्पी तो है. लेकिन वह जोखिम नहीं लेना चाहती हैं. जिस कारण वह आज भी उन तकनीकों में निवेश करने से झिझक रही हैं, जो अभी तक पूरी तरह सिद्ध साबित नहीं हो पाई है.
लिथुआनिया के हार्लेक्विन डिफेन्स स्टार्टअप के सीईओ राइटिस मिकालाउसकस कहते हैं, "निवेशक और रक्षा मंत्रालय ऐसे उत्पाद खरीदना चाहते हैं, जो लंबे समय से भरोसेमंद साबित हुए हो.”
जरमालाविसियस का मानना है कि सेनाओं की यह सतर्कता इस वजह से भी है कि क्योंकि स्टार्टअप्स के टिकाऊपन पर भरोसा कम होता है. उन्होंने कहा, "अगर मैं किसी स्टार्टअप से बहुत-सा सामान खरीद लूं और वो दो साल बाद बंद हो जाए, तो फिर उन उपकरणों की देखभाल, मरम्मत, पुर्जों की आपूर्ति और अपडेट कौन करेगा?”
मिकालाउसकस के अनुसार, ड्रोन स्टार्टअप्स के सामने एक और बड़ी चुनौती तेजी से बढ़ती प्रतिस्पर्धा भी है. उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "पिछले एक साल से रक्षा कार्यक्रमों में यह मजाक चला आ रहा है कि ‘अब तो हर कोई और उनकी मां भी, एक ड्रोन स्टार्टअप चला रहे हैं.'”
हर हफ्ते नए-नए ड्रोन स्टार्टअप्स के आने के कारण अब यह सवाल भी उठने लगा है कि क्या यूरोप में सच में ड्रोन की मांग इतनी ज्यादा है, जिससे आपूर्ति करने वालों की यह दौड़ कायम रह सके?
जैसे जर्मन सेना इस दशक के अंत तक केवल 8,300 ड्रोन सिस्टम ही हासिल करने की योजना बना रही है. अन्य नाटो देशों की तुलना में यह संख्या काफी कम है.
लेकिन डार्कस्टार के सह-संस्थापक, कास्पर गेरिंग का मानना है कि यह चिंता बिल्कुल बेबुनियाद है.
उनके मुताबिक, डार्कस्टार एक मिलिट्री-टेक वेंचर कैपिटल फंड है. जिसका उद्देश्य यूनिकॉर्न कंपनियों के संस्थापकों, सेना के पूर्व अधिकारियों, निवेशकों और तकनीकी विशेषज्ञों को एक साथ लाना है. जिससे रक्षा नवाचार को बढ़ावा दिया जा सके.
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गेरिंग ने डीडब्ल्यू को बताया, "एस्टोनिया के पास 400 मिलियन यूरो का एक बहुवर्षीय टेंडर है, जो लॉइटरिंग म्यूनिशन (यानी लक्ष्य के ऊपर घूमते रहने वाले आत्मघाती ड्रोन) से जुड़ा है. इसमें ड्रोन के विशेष प्रकार भी शामिल हैं. अब यूरोपीय संघ में भी ड्रोन-संबंधी टेंडरों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है.”
नाटो के पूर्वी हिस्से में स्थित एस्टोनिया जैसे देश अब फ्रांकनबेर्ग जैसी स्टार्टअप कंपनियों की मदद से एक तथाकथित "ड्रोन वॉल” (यानी ड्रोन से रक्षा और निगरानी करने वाली मजबूत प्रणाली) बनाने की योजना पर काम कर रहे हैं. इस यूरोपीय संघ की पहल में रडार, ध्वनि सेंसर, मोबाइल कैमरे, जामर (सिग्नल बाधित करने वाले उपकरण) और ड्रोन-रोधी इंटरसेप्टर सिस्टम भी शामिल होने की उम्मीद है.
यूक्रेन में परखी जा चुकी यह तकनीक?
फ्रांकनबेर्ग और कई अन्य पश्चिमी स्टार्टअप ने यूक्रेन के अग्रिम मोर्चे पर तैनात इकाइयों के साथ सीधा संपर्क स्थापित किया है. जिससे वह पारंपरिक रक्षा कंपनियों की तुलना में तेज और सटीक तरीके से युद्ध की बदलती परिस्थितियों का जवाब दे पाते हैं.
साल्म के अनुसार, "फ्रांकनबेर्ग की इंटरसेप्टर मिसाइलों को यूक्रेन युद्ध में मिली वास्तविक जानकारी और अनुभवों के आधार पर विकसित किया है.”
जरमालाविसियस कहते हैं कि इस तरह के वास्तविक अनुभव वाली तकनीक ही असली और नकली क्वालिटी में फर्क दिखाता है.
उन्होंने कहा कि यूक्रेन के पास ड्रोन से जुड़ा बहुत सारा वास्तविक, फ्रंटलाइन डेटा है. जो बताते हैं कि कौन-से ड्रोन कैसे काम करते हैं, वह कहां और किस स्थिति में सफल होते हैं आदि. लेकिन युद्ध के नियमों और सुरक्षा के कारण ही वह यह डेटा विदेशी कंपनियों को नहीं देते हैं. इसलिए यहां सवाल यह है कि जिन स्टार्टअप्स या कंपनियों का सीधे यूक्रेनी सैन्य इकाइयों के साथ जुड़ाव नहीं है, वह विदेशी उत्पाद किस हद तक युद्ध के असली हालात को प्रतिबिंबित कर पाएंगे.
क्या नाटो की विस्तार योजना ने रूस को युद्ध के लिए भड़काया?
"निर्णायक लाभ”
2022 में यूक्रेन में बना स्टार्टअप, जो इलेक्ट्रॉनिक युद्ध से सुरक्षा और एन्क्रिप्टेड टैक्टिकल कम्युनिकेशन सिस्टम प्रदान करता है. उस डिफेंस-टेक स्टार्टअप कंपनी, हिमेरा के सह-संस्थापक मिशा रुदोमेन्स्की का कहना है कि रूस के संभावित ड्रोन हमलों से प्रभावी ढंग से निपटने में यूरोपीय स्टार्टअप्स की सफलता इस बात पर भी निर्भर करती है कि क्या यूरोपीय संघ की सरकार अनावश्यक नौकरशाही कम करें और शांतिकाल में ही युद्ध से संबंधित कानूनी ढांचा तैयार कर लें.
उन्होंने कहा, "जब रूस ने यूक्रेन पर बड़े पैमाने पर हमला किया था, तब हमें ऐसे कई सख्त कानूनों को नजरअंदाज करना पड़ा था, जो उस समय रक्षा नवाचार को रोक रहे थे.” 25 वर्षीय रुदोमेन्स्की ने नाटो देशों से अपील की कि वह "पहले से ऐसे कानून तैयार रखें, ताकि जब युद्ध शुरू हो, तो कानून उनके हथियारों की क्षमता के बीच बाधा न बने.”
एस्टोनिया के नए फोर्स ट्रांसफॉर्मेशन कमांड के प्रमुख इवो पीट्स, जो कि अफगानिस्तान में तैनाती के दौरान प्लाटून कमांडर रह चुके हैं. उनका मानना है कि ड्रोन स्टार्टअप्स की असली ताकत उनकी किसी खास क्षमता को सामने लाने में है.
उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "उनकी विशेष क्षमता एक लाभ साबित हो सकती है, जो कि एक निर्णायक बढ़त भी दे सकती है.”
साथ ही, उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह लाभ कभी भी "खत्म हो सकता है, क्योंकि जंग का मैदान लगातार बदलता रहता है.” या फिर ऐसा भी हो सकता है कि यह तकनीक उतनी प्रभावी न रहे. चूंकि, "हर कोई इसे अपनाने लगे और इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन होने लगे.”