स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले जारी एनसीईआरटी के नए मॉड्यूल में मोहम्मद अली जिन्ना, माउंटबेटन के साथ-साथ कांग्रेस को भी जिम्मेदार ठहराया गया है. कांग्रेस और विपक्ष के कई नेताओं ने इस पर आपत्ति जताई है.
एनसीईआरटी मॉड्यूल में कांग्रेस नेतृत्व पर भी सवाल उठाए गए हैं और लिखा गया है कि उन्होंने उतना संघर्ष नहीं किया और बंटवारे के फैसले को मान लिया.तस्वीर: Indian Rail Bengal
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एनसीईआरटी की किताबों के नए संस्करण में भारत के बंटवारे के लिए कांग्रेस पार्टी को भी जिम्मेदार ठहराया गया है. 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' के मौके पर कक्षा छह से 12वीं तक के लिए, बंटवारे पर आधारित नए मॉड्यूल में इसका जिक्र किया गया है.
इसमें लिखा गया है कि भारत के बंटवारे के लिए तीन तत्व जिम्मेदार थे- "जिन्ना, जिन्होंने इसकी मांग की. कांग्रेस, जिसने इसे स्वीकार किया. और, तीसरे लॉर्ड माउंटबेटन, जिन्होंने इसे औपचारिक रूप दिया और लागू किया."
कक्षा छह से लेकर बारहवीं तक के लिए भारत के बंटवारे पर आधारित यह मॉड्यूल जारी किया गया है. तस्वीर: Indian Rail Bengal
मॉड्यूल के चैप्टर "विभाजन के दोषी" में यह भी लिखा गया है कि किसी भी भारतीय नेता के पास देश या प्रांत, सेना, पुलिस आदि को संभालने का अनुभव नहीं था. इसलिए उन्हें इस बात का अंदाजा ही नहीं था कि आने वाले समय में कौन सी समस्याएं झेलनी पड़ेंगी, वरना इतनी जल्दबाजी नहीं दिखाई जाती.
इसमें यह भी बताया गया है कि कांग्रेस ने बंटवारे की योजना को स्वीकार लिया और जिन्ना की क्षमता को कम आंका. पार्टी बंटवारे के दूरगामी परिणामों को देखने में असफल रही थी. हालांकि, ये मॉड्यूल रोजमर्रा की किताबों से अलग होते हैं. इन मॉड्यूल्स का इस्तेमाल स्कूलों में वाद- विवाद, पोस्टर, चर्चा जैसी गतिविधियों में किया जाता है.
भारत पाकिस्तान की दुश्मनी
भारत के बंटवारे के साथ 1947 में जब से पाकिस्तान बना है और तब से ही दोनों के बीच बैर का सिलसिला जारी है. इन तस्वीरों में देखिए दोनों देशों की रंजिश की कहानी.
तस्वीर: AP Photo/picture alliance
1947 में आजादी के साथ विभाजन
1947 में भारत आजाद हुआ लेकिन विभाजन की कीमत पर. भारत और पाकिस्तान दो देश बन गए. पाकिस्तान मुसलमानों का देश बना जबकि भारत ने धर्मनिरपेक्षता को चुना. विभाजन के समय करीब डेढ़ करोड़ लोग विस्थापित हुए. इस दौरान हुए दंगों में दोनों ओर के हजारों लोगों की जान गई.
तस्वीर: AP Photo/picture alliance
1947 की लड़ाई
विभाजन के कुछ ही महीनों बाद दोनों देशों के बीच कश्मीर में लड़ाई छिड़ गई. हिंदू राजा और मुसलमान बहुसंख्यक आबादी वाले कश्मीर पर नियंत्रण के लिए दोनों देश भिड़ गए. कश्मीर पर पहले पाकिस्तान की ओर से हमला हुआ और तब राजा हरि सिंह ने भारत में कश्मीर के विलय के कागजात पर दस्तखत कर दिए. 1948 में युद्ध खत्म होने के पहले दोनों तरफ के हजारों लोगों की मौत हुई.
तस्वीर: Max Desfor/AP Photo/picture alliance
कश्मीर का बंटवारा
संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता में हुए युद्धविराम ने कश्मीर को भारत और पाकिस्तान के बीच बांट दिया. उस वक्त वादा किया गया था कि कश्मीर में जनमत संग्रह के जरिए यह तय होगा कि कश्मीर किधर जाएगा. यह जनमतसंग्रह कभी नहीं हुआ. भारत का कहना है कि कश्मीर के लोगों ने चुनाव में हिस्सा लेकर अपनी मंशा जता दी है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Channi Anand
1965 की लड़ाई
साल 1965 में दोनों देश एक बार फिर भिड़ गए. हजारों लोगों की मौत के बाद सोवियत संघ और अमेरिका की मध्यस्थता में संघर्षविराम हुआ. उसके बाद कई महीनों की बातचीत से ताशकंद समझौता हुआ. दोनों देशों ने युद्ध के दौरान कब्जाई गई एक दूसरे की जमीन वापस कर दी और सेना को पीछे खींच लिया.
तस्वीर: AP Photo/picture alliance
1971 की लड़ाई
पूर्वी पाकिस्तान में विद्रोह के दौरान भारत ने बंगालियों का साथ दिया. इस जंग में पाकिस्तान की सेना को हार का मुंह देखना पड़ा. सिर्फ इतना ही नहीं उसका पूर्वी हिस्सा आजाद हो कर बांग्लादेश के नाम से एक नया देश बन गया.
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1972 का शांति समझौता
भारत और पाकिस्तान के बीच 1972 में एक शांति समझौता हुआ. इसके तहत कश्मीर में संघर्षविराम की रेखा को नियंत्रण रेखा घोषित किया गया. दोनों देशों ने इस मोर्चे पर बड़ी संख्या में अपनी सेनाएं तैनात कर दी.
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1989 का संघर्ष
पाकिस्तान की मदद से कश्मीर में भारत के खिलाफ उग्रवादी आंदोलन की शुरुआत हुई. इसी दौरान कश्मीरी पंडितों को वहां से भागने पर मजबूर किया गया. भारत ने इसका सख्ती से जवाब दिया. इसका नतीजा दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और सैन्य संघर्ष के रूप में सामने आया.
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1999 का कारगिल युद्ध
पाकिस्तानी सैनिकों और कश्मीरी लड़ाकों ने भारत की सीमा में हिमालय की कई चोटियों पर कब्जा कर लिया. भारत ने टैंक और हवाई बमबारी से जवाब दिया. 10 हफ्ते की लड़ाई में हजारों सैनिकों की मौत हुई. इसके साथ ही दोनों देशों के बीच परमाणु युद्ध का खतरा उभर आया. अमेरिका के दखल से यह लड़ाई बंद हुई.
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2008 में मुंबई पर आतंकवादी हमला
पाकिस्तान से आए 10 आतंकवादियों ने मुंबई शहर में खूब तांडव मचाया. वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों समेत 250 से ज्यादा लोगों की मौत हुई. भारतीय सुरक्षाबलों की कार्रवाई में 9 आतंकवादी मारे गए जबकि एक आतंकवादी को जिंदा पकड़ कर उस पर मुकदमा चला. बाद में अदालत ने उसे मौत की सजा दी. पाकिस्तान इस हमले के सबूत मांगता रहा लेकिन दोषियों पर कभी कार्रवाई नहीं हुई.
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पहलगाम में सैलानियों पर हमला
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में सैलानियों पर हमला करके आतंकवादियों ने 26 लोगों की हत्या कर दी. उसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव फिर चरम पर है. भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि रोकने की घोषणा की और फिर पाकिस्तानी इलाकों पर मिसाइलों से हमला किया है.
तस्वीर: ANI
2016 की सर्जिकल स्ट्राइक
भारतीय कश्मीर में सेना के अड्डे में घुसे आतंकवादियों के हमले में कम से कम 18 सैनिकों की मौत हुई. भारत ने इसका जवाब सर्जिकल स्ट्राइक से दिया और कई संदिग्धों को मार गिराया. पाकिस्तान सर्जिकल स्ट्राइक होने से इनकार करता रहा. हालांकि इस दौरान दोनों देशों के बीच सीमा पर काफी तनाव फैला रहा.
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पाकिस्तानी कश्मीर पर हमला
2019 में भी दोनों देश युद्ध के करीब आ गए थे जब कश्मीरी चरमपंथियों ने विस्फोटकों से भरी कार भारतीय सुरक्षा बलों को ले जा रही बस से टकरा दी. इस हमले में 40 सैनिक मारे गए. भारत ने इसके बाद पाकिस्तान के इलाके में आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाया. इस दौरान पाकिस्तान ने भारत के एक लड़ाकू विमान को मार गिराया और पायलट को गिरफ्तार कर लिया. बाद में पायलट को छोड़ दिया गया.
तस्वीर: IANS
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मॉड्यूल में विभाजन को कश्मीर विवाद की वजह बताते हुए लिखा गया है कि कश्मीर को हथियाने के लिए पाकिस्तान ने अब तक तीन युद्धों की शुरुआत की और हारने के बाद जिहादी आंतकवाद का सहारा लिया. युवा पीढ़ी के लिए बंटवारे को एक चेतावनी की तरह दर्शाते हुए मॉड्यूल में लिखा गया है कि शासकों में दूरदर्शिता की कमी एक बड़ी त्रासदी की वजह बन सकती है.
किताब को आग लगा देनी चाहिए: कांग्रेस
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने इस मॉड्यूल का विरोध करते हुए कहा कि ऐसी किताबों को जला देना चाहिए. साथ ही, उन्होंने कहा कि इतिहास को तोड़-मरोड़ देने से हकीकत नहीं बदलेगी.
उन्होंने हिंदू महासभा पर टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत के बंटवारे की हिमायती हमेशा से हिंदू महासभा रही. वहीं, संदीप दीक्षित ने एनसीईआरटी को बहस की चुनौती देते हुए आरोप लगाया कि उसपर बीजेपी का नियंत्रण है, जिन्हें बंटवारे के बारे में कुछ नहीं पता.
बीजेपी नेता शहनवाज हुसैन ने मॉड्यूल का बचाव करते हुए कहा कि बंटवारे में कई लाख लोग मारे गए और कांग्रेस ने इसे कबूल कर लिया. उन्होंने दावा किया कि अगर कांग्रेस नेतृत्व संघर्ष करता, तो आज भारत का बंटवारा नहीं हुआ होता.
यह पहला मौका नहीं है जब किताब और सिलेबस में बदलावों के लिए एनसीईआरटी विवादों में घिरी है. इससे पहले मुगल शासकों से जुड़े चैप्टर हटाने, उनमें बदलाव करने पर भी विवाद हुआ था.