विशाल हाथियों का शिकार कर खा जाते थे निएंडरथाल मानव
३ फ़रवरी २०२३
एक नए अध्ययन ने दावा किया है कि निएंडरथाल मानव बड़े समूहों में आज के हाथियों से तीन गुना ज्यादा विशाल हाथियों का शिकार करते थे. साथ ही आज तक उनके समूहों को जितना बड़ा समझा जाता था, शायद वो उनसे भी बड़े समूहों में रहते थे.
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'साइंस एडवांसेज' पत्रिका में छपे इस नए अध्ययन में शोधकर्ता जिन नतीजों पर पहुंचे हैं वो केंद्रीय जर्मनी के शहर 'हाल' के पास में मिले कुछ अवशेषों के अध्ययन पर आधारित हैं. ये 1,25,000 साल पुराने अवशेष सीधे दांतों वाले हाथियों के हैं.
1980 के दशक में एक विशाल पत्थर की खदान में प्लीस्टोसीन काल के करीब 70 हाथियों की हड्डियां मिली थीं. इस खदान को अब एक कृत्रिम झील के रूप में बदल दिया गया है. उस समय के हाथी वूली मैमथ से भी ज्यादा विशाल होते थे और आज के एशियाई हाथी से तो तीन गुना ज्यादा बड़े होते थे. एक वयस्क नर का वजन 13 मेट्रिक टन तक जा सकता था.
सिर्फ प्रकृति के गुलाम नहीं
नए अध्ययन के सह-लेखकों में से एक विल रोब्रोक्स ने बताया, "इन विशाल जानवरों का शिकार करना और उन्हें मार कर उनकेमांस को खाना इस इलाके में निएंडरथाल मानवों की निर्वाह गतिविधियों का हिस्सा था."
रोब्रोक्स द नीदरलैंड्स के लाइडेन विश्वविद्यालय में पुरातत्व विज्ञान के प्रोफेसर हैं. उन्होंने यह भी कहा, "यह मानव विकास में हाथियों के शिकार का पहला स्पष्ट प्रमाण है." अध्ययन से संकेत मिला है कि इस इलाके में 2,000 से 4,000 सालों तक रहने वाले निएंडरथाल मानव कम गतिशील थे और उनके समूह "आम तौर पर जितना समझा गया है उससे कहीं ज्यादा बड़े थे."
रोब्रोक्स ने बताया, "निएंडरथाल सिर्फ प्रकृति के गुलाम या सिर्फ प्रकृति के सहारे रहने वाले उस समय के हिप्पी नहीं थे. असल में वो अपने परिवेश को आकार दे रहे थे, आग से...और उस समय की दुनिया के सबसे विशाल जानवरों पर एक बड़ा असर कायम कर के भी."
खदान में मिले अवशेषों की उम्र और लिंग के आधार पर शोधकर्ताओं का मानना है कि ऐसा नहीं है कि इन हाथियों को मरने के बाद खाया गया, बल्कि इनका शिकार किया गया था. इनमें से अधिकांश नर थे, कुछ जवान थे और कुछ बूढ़े थे.
एक हाथी से महीनों का भोजन
रोब्रोक्स समझाते हैं, "सबसे बड़े शिकार का पीछा करने वाले शिकारी लाक्षणिक रूप से इसी तरह के समूहों को चुनते थे." वयस्क नर हाथियों का शिकार करना ज्यादा आसान होता होगा क्योंकि मादा अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए झुंडों में चलती थीं.
हजारों साल पुराने पूर्वजों से मुलाकात
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रोब्रोक्स के मुताबिक, "वयस्क नर अधिकांश अकेले रहने वाले जानवर होते हैं. इस वजह से उन्हें आसानी से गड्ढों की तरफ दौड़ा कर, उनमें गिरा कर शिकार किया जा सकता है. और वो इन इलाकों में घूमने फिरने वाले सबसे बड़े कैलोरी के स्रोत थे."
शोधकर्ताओं का कहना है कि निएंडरथाल मानव एक हाथी से बड़ी मात्रा में मिले भोजन को संभाल कर भी सकते थे और उससे महीनों तक अपना काम चला सकते थे. रोब्रोक्स ने बताया, "करीब 10 टन के वजन वाले एक औसत नर हाथी से इतना मांस मिलता था कि उससे एक वयस्क निएंडरथाल कम से कम 2,500 दिनों तक अपना पेट भर सकता था."
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आग और औजारों का इस्तेमाल
उनका कहना है, "वो या तो इस मांस को लंबे समय तक संभाल कर रख सकते थे - पहले हमें यह नहीं मालूम था - और इतने खाने की खपत इसलिए भी हो जाती थी क्योंकि वो अभी तक हमारी जानकारी के मुकाबले कहीं ज्यादा बड़े समूहों में रहते थे."
मीट खाने की वजह से इंसान का दिमाग तेज हुआ?
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शोधकर्ताओं ने कहा कि निएंडरथाल जानवरों को काटने के लिए चकमक पत्थर के औजारों का इस्तेमाल करते थे जिनकी वजह से अच्छी तरह से संरक्षित हड्डियों पर स्पष्ट निशान हैं. रोब्रोक्स ने बताया, "ये काटने के क्लासिकल निशान हैं जो हड्डियों से मांस को काटने और खुरचने से आते हैं."
लकड़ी के कोयले से लगाई गई आग के सबूत भी मिले हैं जिनसे यह संकेत मिला थाई कि उन लोगों को मांस को आग के ऊपर लटका कर उसे सुखाया भी होगा. रोब्रोक्स कहते हैं कि यह अभी भी कहना मुश्किल है कि ये लोग कितने बड़े समूहों में रहते थे.
उन्होंने यह जरूर कहा, "लेकिन अगर आपके पास एक 10 टन के हाथी का मांस है और आप उसके सड़ने से पहले उसका इस्तेमाल कर लेना चाहते हैं तो उसे एक हफ्ते में खत्म करने के लिए आपको यहीं कोई 20 लोगों की जरूरत होगी.
सीके/एए (एएफपी)
कैसे पता चला हमारे पूर्वजों के बारे में
इस्राएल में हाल ही में पाए गए मानव अवशेषों से मानव विकास की कहानी में नई परतें जुड़ गई हैं. एक नजर इस तरह की और भी अहम खोजों पर जो हमारे पूर्वजों और उनकी जीवन शैली पर रोशनी डालती हैं.
तस्वीर: Avi Levin/AP/picture alliance
वंश वृक्ष की एक नई शाखा
इस्राएल में खुदाई के दौरान कुछ ऐसे अवशेष मिले हैं जो एक ऐसी मानव प्रजाति के हैं जिसके बारे में आज तक कोई जानकारी नहीं थी. अभी तक यह पता चल पाया है कि यह आदिमानव 1,00,000 सालों से भी ज्यादा पहले हमारी प्रजाति यानी होमो सेपिएंस के साथ साथ ही रहता होगा.
तस्वीर: Ammar Awad/REUTERS
'नेशर रामला होमो'
ये अवशेष इस्राएल के नेशर रामाल्लाह नाम की जगह पर मिले. माना जा रहा है कि ये प्राचीन मानवों के "आखिरी उत्तरजीवियों" में से एक मानव के हैं, जिसका यूरोपीय नियान्डेरथल से करीबी संबंध हो सकता है. यह भी माना जा रहा है कि इनमें से कुछ मानव पूर्व में भारत और चीन की तरफ भी गए होंगे. पूर्वी एशिया में मिले कुछ अवशेषों में इन नए अवशेषों से मिलती जुलती विशेषताएं पाई गई हैं.
नियान्डेरथलों को लोकप्रिय रूप से अक्सर गलत छवि दिखाई गई है. उन्हें अक्सर पीठ पर कूबड़ वाले और हाथों में मुगदर लिए आदिमानवों के रूप में दिखाया जाता है. यह छवि 1908 में मिले एक कंकाल के पुराने और छिछले अध्ययनों पर आधारित है. इस कंकाल की रीढ़ विकृत थी और घुटने मुड़े हुए थे.
तस्वीर: Federico Gambarini/dpa/picture alliance
जितना हम सोचते हैं उससे ज्यादा करीबी
लेकिन 21वीं सदी में पता चला कि नियान्डेरथल आधुनिक मानव के काफी करीब थे. वो उपकरण बनाने के लिए काफी विकसित तरीके इस्तेमाल करते थे, अपने आस पास की चीजों का इस्तेमाल कर आग और ज्यादा तेजी से लगा लिए करते थे, बड़े जानवरों का शिकार करते थे और आधुनिक मानवों के साथ प्रजनन भी करते थे.
तस्वीर: Imago/F. Jason
जिस पूर्वज का नाम बीटल्स की वजह से पड़ा
'लूसी' एक महिला का कंकाल है जिसे पूरी दुनिया में पाए गए सबसे पुरानी मानव पूर्वज प्रजातियों में से माना जाता है. इसकी खोज अफ्रीका के इथियोपिया के हदर में 1974 में जीवाश्मिकी वैज्ञानिक डॉनल्ड सी जोहानसन ने की थी. जिस दिन इसकी खोज हुई उस दिन खोज के जश्न में आयोजित की गई एक पार्टी में बार बार बीटल्स का एक गाना बज रहा था - "लूसी इन द स्काई विद डायमंड्स" और उसी के नाम पर कंकाल का नाम लूसी रख दिया गया.
तस्वीर: Jenny Vaughan/AFP/Getty Images
फ्लो, उर्फ 'द हॉब्बिट'
'फ्लो' की खोज इंडोनेशिया के द्वीप फ्लोरेस में 2004 में हुई थी. होमो फ्लोरेसिएन्सिस प्रजाति की एक आदिम मानव के इन अवशेषों को 12,000 साल पुराना माना जाता है. फ्लो सिर्फ 3.7 फिट लंबी थी, जिसकी वजह से उसका नाम 'लॉर्ड ऑफ द रिंग्स' फिल्मों के एक किरदार के नाम पर 'द हॉब्बिट' रख दिया गया.
तस्वीर: AP/STR/picture alliance
दो पैरों पर चलने का सबूत
1924 में दक्षिण अफ्रीका के ताउन्ग में शरीर रचना विशेषज्ञ रेमंड डार्ट ने एक खदान में पाई गई एक विचित्र सी खोपड़ी का निरीक्षण करने पर पाया कि वो एक तीन साल के आदिमानव की थी, जिसका उन्होंने नाम रखा ऑस्ट्रेलोपिथेकस अफ्रिकानस. ये करीब 28 लाख साल पहले जीवित रहा होगा और इसे मानवों के दो पैरों पर चलने का प्रारंभिक सबूत भी माना जाता है. इससे मानवों के अफ्रीका में विकास होने की अवधारणा को भी बल मिला.
तस्वीर: imago stock&people
डीएनए से मदद
2008 में पुरातत्वविद माइकल शून्कोव को रूस और कजाकिस्तान की सीमा पर अल्ताई पर्वत श्रृंखला के काफी अंदर एक गुफा में एक अज्ञात आदिमानव के अवशेष मिले. आनुवांशिकी विज्ञानियों ने पाया कि इन अवशेषों के माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए का संबंध एक अज्ञात पूर्वज से था. इन्हें उस गुफा के नाम पर डेनिसोवियन्स कहा गया. ये भी अफ्रीका से ही निकले थे, लेकिन शुरुआती नियान्डेरथल और होमो सेपिएंस से अलग.
तस्वीर: Maayan Harel/AP/picture alliance
होमो सेपिएंस के नए रिश्तेदार
2015 में दक्षिण अफ्रीका की राइजिंग स्टार गुफाओं में कम से कम 15 लोगों के 1,500 से भी ज्यादा अवशेष मिले थे, जिनमें होमो नलेडी समूह के शिशुओं से लेकर बुजुर्ग तक शामिल थे. हालांकि विशेषज्ञों के बीच इनकी पहचान को लेकर सहमति नहीं थी: क्या ये प्राचीन मानव थे या प्रारम्भिक होमो इरेक्टस?
प्राचीन मानवों द्वारा बनाई गई कलाकृतियों में भी हमारे अतीत के सुराग होते हैं. कोलंबिया के चिरिबिकेट राष्ट्रीय उद्यान में पाए गए ये गुफा चित्र 22,000 साल से भी ज्यादा पुराने हैं. कुछ दूसरे पुरातत्व-संबंधी सबूतों के साथ ये चित्र इस अवधारणा के ओर इशारा करते हैं कि आज उत्तर और दक्षिणी अमेरिका कहे जाने वाले इलाके में मानवों का 20,000 से 30,000 साल पहले कब्जा था.
तस्वीर: Jorge Mario Álvarez Arango
अभी तक के सबसे प्राचीन गुफा चित्र
2021 में ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया के पुरातत्वविदों को इंडोनेशिया के सुलावेसी में और भी पुराने गुफा चित्र मिले. ये लिखित इतिहास के पहले के इंडोनेशियाई सूअरों की तस्वीरें थीं जो ओकर नाम के एक अकार्बनिक पदार्थ से बनाई गई थीं जिसकी कार्बन-डेटिंग नहीं हो पाती है. तो शोधकर्ताओं ने चित्रों के इर्द-गिर्द चूने के स्तंभों की डेटिंग की और पाया कि सबसे पुराने चित्र को कम से कम 45,500 साल पहले बनाया गया होगा.