वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने पहली बार इस बात का सबूत जुटाया है कि आदिमानव शेर का शिकार करते थे और उसकी खाल इस्तेमाल किया करते थे.
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वैज्ञानिकों ने एक शोध के बाद कहा है कि नियान्डर्थल आदिमानव शेरों का शिकार किया करते थे और उसकी खाल का इस्तेमाल करते थे. जर्मनी, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों की एक टीम ने मिलकर यह शोध किया है, जिसके नतीजे ‘साइंटिफिक रिपोर्ट्स‘ पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं.
शोध के मुताबिक नियान्डर्थल आदिमानवों द्वारा शेरों के शिकार के सीधे संबंध के सबूत पहली बार मिले हैं. वैज्ञानिकों को दक्षिण-पूर्व जर्मनी के जिगडोर्फ में ये सबूत मिले हैं जो 48 हजार साल तक पुराने हैं.
बर्फ में 5,300 सालों से दबा पाषाण युग का मानव "ओट्जी"
हजारों सालों से एक ग्लेशियर में दबे "ओट्जी" की खोज सितंबर 1991 में हुई थी, लेकिन वह आज भी लोगों की जिज्ञासा का केंद्र बना हुआ है.
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सनसनीखेज खोज
जर्मन कपल एरिका और हेल्मुट साइमन को नौ सितंबर को ओट्ज्टाल ऐल्प्स पहाड़ों में बर्फ में जमा हुआ एक मानव मिला. यह जगह ऑस्ट्रिया और इटली की सीमा पर कहीं स्थित थी. शुरू में समझा गया कि यह शायद किसी हाइकर का शव है जिसकी किसी वजह से अचानक मौत हो गई होगी लेकिन बाद में पता चला कि यह पाषाण युग के एक आदमी का शरीर है, जो 5,300 सालों से बर्फ में पड़ा हुआ है. फिर इसे "ओट्जी" का उपनाम दिया गया.
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आकर्षण का केंद्र
कई सालों की सौदेबाजी के बाद एरिका को दक्षिणी टायरॉल राज्य की सरकार से 2,04,899 डॉलर का इनाम मिला. तब तक उनके पति का देहांत हो चुका था. वो पहाड़ों में हाइक करते हुए एक हादसे में मारे गए थे, जिसकी वजह से "ओट्जी के श्राप" जैसी बातें भी चल निकलीं. इसके बावजूद कोविड से पहले बोल्जानो स्थित पुरातत्व संग्रहालय में "ओट्जी" को हर साल देखने आने वालों की संख्या 3,00,000 के आस पास हो गई थी.
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कैसा दिखता होगा
"ओट्जी" के शरीर को संग्रहालय में 99 प्रतिशत आर्द्रता वाले एक बर्फीले कमरे में रखा जाता है. उस पर नियमित रूप से रोगाणु-हीन पानी का छिड़काव किया जाता है. अगर शरीर में कुछ बदलाव हुए तो उनका पता लगाने के लिए एक तोलन यंत्र भी लगा हुआ है. इसे निरीक्षण के लिए सामान्य तापमान के माहौल में कम ही लाया जाता है और वो भी बहुत ही कम समय के लिए. इस तस्वीर के जरिए कल्पना की गई है कि "ओट्जी" कैसा दिखता होगा.
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किसका "ओट्जी"?
"ओट्जी" की खोज की अहमियत जैसे ही स्पष्ट हुई ऑस्ट्रिया और इटली के बीच इस बात पर झगड़ा शुरू हो गया कि उसे कौन रखेगा. अंत में एक सर्वेक्षण में पाया गया कि उसे दोनों देशों के बीच की सीमा से 92.56 मीटर दूर, इटली की सीमा के अंदर पाया गया था.
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शरीर पर टैटू
"ओट्जी" के शरीर पर 61 टैटू पाए गए. क्रॉस और रेखाएं वाले इन टैटूओं को बनाने वाले ने "ओट्जी" की त्वचा को काट दिया था और बाद में घावों को सख्त कोयले से भर दिया था. यह काफी दर्द भरा तरीका रहा होगा. "ओट्जी" की मौत उसके कंधे में एक तीर के लग जाने से हुई थी. जब उसके शरीर की खोज हुई, वह तीर तब भी उसके शरीर में गड़ा हुआ था.
"ओट्जी" के पेट में जो भी था उसका भी गहन अध्ययन किया गया और पता चला कि उसे अपनी मौत से ठीक पहले काफी गरिष्ठ और चर्बीयुक्त खाना खाया था. इस भोजन में अनाज की एक काफी पुराना किस्म "आइनकॉर्न गेहूं" और बकरे का मांस मिला.
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आधुनिक तकलीफें
"ओट्जी" को ऐसी कई स्वास्थ्य समस्याएं थीं जो आज भी पाई जाती हैं. उसे दांतों का खराब होना, लाइम बीमारी और शरीर में पिस्सू होना जैसी समस्याएं थीं. उसे लैक्टोज असहनशीलता भी थी और आग के आस पास काफी ज्यादा वक्त बिताने से उसके फेंफड़े किसी सिगरेट पीने वाले के फेंफड़ों जैसे हो गए थे. उसे हेलिकोबैक्टर पाइलोरी नाम की पेट की समस्या भी थी और हृदय रोग भी थे.
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"ओट्जी" 2.0"
"ओट्जी" के बारे में और लोग जान सकें इस उद्देश्य से अप्रैल 2016 में उसकी एक प्रति बनाई गई. इटली के युरैक रिसर्च सेंटर के शोधकर्ताओं ने एक थ्रीडी प्रिंटर की मदद से राल का इस्तेमाल कर उसकी एक प्रति बनाई. उसके बाद अमेरिकी पैलियो आर्टिस्ट गैरी स्ताब ने उसकी बारीकियों को उभारा. वो अब न्यू यॉर्क के कोल्ड स्प्रिंग हार्बर लैबोरेटरी के डीएनए लर्निंग सेंटर में है. (टॉर्स्टन लैंड्सबर्ग)
शोधकर्ताओं ने गुरुवार को कहा कि उनकी खोज "मानव इतिहास में शिकार के पहले सीधे संबंध” का सबूत है. वैज्ञानिकों को शेर की पसलियों में छेद के घाव मिले जिनसे पता चलता है कि उसे लकड़ी से बने तीर से मारा गया होगा.
तीर से हुआ शिकार
मुख्य शोधकर्ता गाब्रिएले रूसो ट्यूबिनगेन यूनिवर्सिटी के इंस्टिट्यूट फॉर आर्कियोलॉजिकल साइंसेज में पढ़ाती हैं. वह कहती हैं, "पसलियों में छेद शरीर पर मौजूद दातों से काटे जाने के निशानों से बिल्कुल अलग हैं और दिखाते हैं कि किसी हथियार की वजह से यह घाव बना है.”
ब्रिटेन की रीडिंग यूनिवर्सिटी में पुरातत्वविद एनेमीके मिल्क्स कहती हैं कि शेर को संभवतया एक तीर से मारा गया होगा जो उसके पेट में घुस गया. तब शेर जमीन पर पड़ा होगा.
शुरुआत में वैज्ञानिकों को मध्य जर्मनी के आइनहोर्नहोले में कम से कम 1,90,000 साल पुराने शेर के पंजे मिले थे. शोधकर्ताओं के मुताबिक यह इस बात का सबूत है कि नियान्डर्थल मध्य यूरोप में शेर की खाल का इस्तेमाल करते थे.
पंजे की हड्डी
रूसो कहती हैं कि पंजे की हड्डी का होने का मतलब यही है कि पहले शेर की खाल को उतारा गया होगा और तब उसके पंजे खाल के साथ ही जुड़े होंगे. इस खोज के बाद वैज्ञानिकों ने जिगडोर्फ में मिले अवशेषों का अध्ययन किया. ये अवशेष 1985 में खोजे गये थे.
मिलिए नई तरह के आदिमानव से
इस्राएली पुरातत्वविदों ने कहा है कि उन्हें नई तरह का आदिमानव मिला है. उन्होंने कहा कि उन्हें जो अवशेष मिले हैं, वे किसी भी तरह की पहले से ज्ञात मानव जातियों से मिलते-जुलते नहीं हैं.
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नेशर रामला होमो
सांइस पत्रिका में छपे एक शोध में तेल अवीव यूनिवर्सिटी के मानवविज्ञानियों और पुरातत्वविदों ने इस नए प्रकार के आदिवासियों को ‘नेशर रामला होमो’ नाम दिया है. योसी जैंडर के नेतृत्व में छपे इस शोध में कहा गया है कि नेशर रामला होमो टाइप आदिमानवों की मुखाकृति नियान्डेरथल और होमो दोनों से मिलती है.
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ऐसा कोई नहीं
इस्राएली शोधकर्ताओं ने यह बात कही है जो रामाल्लाह शहर के नजदीक खुदाई कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें जो अवशेष मिले हैं, वे किसी भी तरह की पहले से ज्ञात मानव जातियों से मिलते-जुलते नहीं हैं.
तस्वीर: Ammar Awad/REUTERS
कब हुए नेशर रामला
खोजियों को कुछ हड्डियां मिली हैं, जिनके अध्ययन से यह अनुमान लगाया गया है. इससे पता चलता है कि ये आदिमानव 140,000 से 120,000 साल पूर्व रहे होंगे.
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बिना ठोड़ी की खोपडी
शोध कहता है कि समानताओं के बावजूद इन आदिमानव का रूप आधुनिक मानव से एकदम अलग है. शोधकर्ता कहते हैं, “उनकी खोपड़ी का आकार एकदम अलग है. कोई ठोड़ी नहीं है और दांत बहुत बड़े हैं.” मानव हड्डियों के अलावा खोजियों को जानवरों की हड्डियों और पत्थरों के औजार भी मिले हैं.
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अब तक की समझ पर सवाल
पुरातत्वविद योसी जैंडर ने बताया, “मानव जीवाश्मों से जुड़ी जो पुरातात्विक चीजें मिली हैं, वे दिखाती हैं कि नेशर रामला होमो आदिमानवों के पास पत्थरों से बने औजारों की तकनीक थी. और बहुत संभव है कि वे स्थानीय होमोसेपियन्स से संपर्क में थे. हमने कभी सोचा भी नहीं था कि मानव इतिहास के इतने बाद के दौर में होमोसेपियन्स के साथ पुरातन आदिमानव भी धरती पर गुजरे होंगे.”
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नया मानव इतिहास
नेशर रामला की खोज उस सिद्धांत पर भी सवाल उठाती है कि नियान्डरथल दक्षिण की ओर जाने से पहले यूरोप में उभरे थे. तेल अवीव यूनिवर्सिटी के मानवविज्ञानी इस्राएल हेर्षकोवित्स कहते हैं, “हमारी खोज यह कहती है कि पश्चिमी यूरोप के मशहूर नियानडरथल असल में लेवांत इलाके में रहने वाले लोगों की ही संतानें थीं, ना कि वहां से लोग यहां आए.”
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वैज्ञानिकों के दल को तीन अन्य गुफाओं से भी शेर के पंजों की हड्डियां मिलीं, जिन पर करीने से काटे होने के निशान थे. ऐसा तब होता है जब जानवर की खाल उतारी जाती है.
गुफाओं में रहने वाले ये शेर करीब 1.3 मीटर ऊंचे होते थे. दो लाख साल पहले ये यूरेशिया में सबसे बड़े शिकारी थे. हिम युग के अंतिम दौर में ये विलुप्त हो गये थे.