80 प्रतिशत अफगानों के पास पीने का पानी नहीं : यूएनडीपी
२५ मार्च २०२४
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) अफगानिस्तान की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश की लगभग 80 प्रतिशत आबादी के पास पीने का पानी उपलब्ध नहीं है.
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रिपोर्ट में बताया गया है कि गंभीर सूखे की स्थिति, आर्थिक अस्थिरता और लंबे समय तक संघर्ष के विनाशकारी प्रभाव ने अफगानिस्तान के जल बुनियादी ढांचे को काफी कमजोर कर दिया है.
इसमें कहा गया है कि यह संकट महिलाओं को ज्यादा प्रभावित करता है, जिन्हें सार्वजनिक जल सुविधाओं तक पहुंचने में कई तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ता है. इससे उन पर जोखिम बढ़ जाता है.
अफगानिस्तान सूखे के भीषण संकट से जूझ रहा है. अफगान सरकार भूजल में सुधार और भंडारण के लिए देश भर में छोटे बांध, जल आपूर्ति नेटवर्क और नहरों का निर्माण कर रही है.
एशिया और प्रशांत क्षेत्र के लिए यूएनडीपी के क्षेत्रीय ब्यूरो की निदेशक कन्नी विग्नाराजा ने हाल ही में अफगानिस्तान का दौरा किया था. उन्होंने न्यूयॉर्क में पत्रकारों को बताया कि अफगानिस्तान की 69 प्रतिशत आबादी "जीवन-यापन से जुड़ी असुरक्षा" का सामना कर रही है - यानी उनके पास गुजर-बसर के बुनियादी संसाधन तक नहीं हैं.
विग्नाराजा ने कहा, "जिससे मुझे सर्वाधिक पीड़ा पहुंची...वो था, लगातार आती प्राकृतिक आपदाओं का कठोर प्रभाव."
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के कई हिस्से, "विशाल स्तर पर" पानी की कमी का सामना कर रहे हैं, जिससे विकास के प्रयास बाधित हो रहे हैं.
अर्थव्यवस्था का भी बुरा हाल
यूएनडीपी के मुताबिक 2021 में तालिबान के सत्ता पर लौटने के बाद से अफगान अर्थव्यवस्था में 27 प्रतिशत की गिरावट आई है, जिससे आर्थिक प्रगति रुक गई है. बेरोजगारी दोगुनी हो गई है और केवल 40 प्रतिशत आबादी तक ही बिजली पहुंच पाई है.
वित्त जैसे क्षेत्र "वस्तुत: ढह गए" हैं और निर्यात या सार्वजनिक व्यय जैसी आर्थिक गतिविधियों के कोई बड़े स्रोत नहीं हैं. इस कारण लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था, छोटे व मध्यम उद्यमों (एसएमई) व किसानों पर निर्भर हो गई है.
यूएनडीपी ने महिलाओं व लड़कियों की स्थिति पर चिंता जताई है. तालिबान द्वारा महिलाओं पर उनके परिधानों और विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार संबंधी गंभीर प्रतिबंध लगाए गए हैं.
विग्नाराजा ने कहा, "पिछले साल किसी भी लड़की ने बारहवीं कक्षा तक पास नहीं की, तो वे छठी कक्षा से सीधे मेडिकल क्षेत्र में प्रवेश के लिए तकनीकी कॉलेजों या विश्वविद्यालयों में जाने की योग्यता कैसे हासिल करेंगी?"
एए/वीके (एएफपी)
अफगानिस्तान के अभूतपूर्व भूकंप में कई गांव मिट्टी में मिल गए
अफगानिस्तान के भूकंप ने कई गांवों को जमींदोज कर दिया. बहुत से लोग मलबे के नीचे दब गए. पश्चिमी हेरात प्रांत के 13 गांवों के 1300 से ज्यादा घर मलबे में बदल गए. कम से कम 2000 लोगों की मौत हुई.
तस्वीर: Mashal/dpa/XinHua/picture alliance
मलबे में बदल गई बस्तियां
रिक्टर पैमाने पर 6.3 की तीव्रता वाले भूकंप और फिर 8 आफ्टरशॉक ने धूल भरे पठारी इलाके को झकझोर कर रख दिया. भूकंप के बाद अब तो जिधर नजर दौड़ाइए सिर्फ मलबा ही नजर आता है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 11 गांवों में तो एक भी घर सलामत नहीं बचा. सैकड़ों लोग अब भी मलबे के नीचे दबे हैं.
तस्वीर: Omid Haqjoo/AP/dpa/picture alliance
राहत और बचाव
भूकंप के बाद पीड़ितों को बचाने के लिए राहत अभियान शुरू किए गए हैं. युद्ध की मार से बेहाल देश का बुनियादी ढांचा पहले से ही गरीबी और बदहाली की चपेट में है. बड़ी संख्या में लोग घायल हैं उनके इलाज में खासी दिक्कतें पेश आ रही हैं. सत्ता में तालिबान की वापसी के बाद अंतरराष्ट्रीय मदद में भी काफी कमी आई है.
राहतकर्मियों की दर्जन भर टीमें मलबे से जिंदा लोगों की तलाश कर रही हैं. संयुक्त राष्ट्र ने डॉक्टर सहित चार एंबुलेंस भी मुहैया कराए हैं जो घायलों को मदद पहुंचा रही हैं. क्षेत्रीय अस्पतालों में संयुक्त राष्ट्र की तरफ से काउंसलर और दूसरे लोग भी मदद के लिए भेजे गए हैं.
तस्वीर: Muhammad Balabuluki/Middle East Images/AFP/Getty Images
अंतरराष्ट्रीय मदद
संकट की इस घड़ी में अंतरराष्ट्रीय मदद भी पहुंच रही है. खाना, पानी, टेंट और मृत लोगों के लिए ताबूत भेजे गए हैं. अंतरराष्ट्रीय अलगाव झेल रहे अफगानिस्तान तक मदद पहुंचने में देर लगी, शुरुआत में कई घंटों तक यहां मदद के लिए कोई नहीं था. फिर चीन और पाकिस्तान से मदद आई. मदद के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से गुहार लगाई गई है.
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बिखरी जिंदगी
जहां कभी घर थे वहां अब मलबा है. लोग मलबे से जो कुछ सामान सही सलामत बचा है उसे बाहर निकाल रहे हैं. कहीं बर्तन और बैकपैक दिख रहे हैं तो कहीं गैस चूल्हे टूथब्रश जैसी छोटी मोटी चीजें. इन सब के बीच बच्चे इधर उधर घूम रहे हैं.
तस्वीर: Muhammad Balabuluki/Middle East Images/AFP/Getty Images
अंतिम संस्कार की दिक्कत
एक झटके में 2000 लोगों की मौत की वजह से उनके अंतिम संस्कार में भी काफी दिक्कत आ रही है क्योंकि पूरा गांव ही ढह गया है. कई जगह तो लोग हाथों से गड्ढे खोद कर मृतकों को दफना रहे हैं.
तस्वीर: Omid Haqjoo/AP/picture alliance
घायलों के इलाज की मुश्किल
अफगानिस्तान में अस्पतालों की हालत भी अच्छी नहीं है, ऐसे में घायलों के इलाज में भी काफी दिक्कत आ रही है. इंटरनेशनल रेस्क्यू कमेटी ने चेतावनी दी है कि अगर जरूरी उपाय नहीं किए गए तो घायलों को संभालना मुश्किल हो जाएगा और मरने वालों की तादाद काफी ज्यादा बढ़ जाएगी.
तस्वीर: Omid Haqjoo/AP/dpa/picture alliance
बेघर लोगों की परेशानी
पूरे के पूरे गांव ढह गए हैं ऐसे में जिंदा बचे लोगों के सामने सबसे बड़ी समस्या आवास की है. इसके अलावा जिन लोगों के घर बचे हैं वो उनमें डर की वजह से सोना नहीं चाहते. ऐसे में पार्कों, मैदानों और यहां तक कि सड़कों पर लोग खुले में सोने को मजबूर हैं. यहां इन दिनों रात में तापमान गिर कर 10 डिग्री तक चला जाता है.
तस्वीर: Muhammad Balabuluki/Middle East Images/AFP/Getty Images
भूकंप का केंद्र
भूकंप का केंद्र पश्चिमी हेरात के उत्तर पश्चिम में करीब 40 किलोमीटर दूर था. भूकंप के बाद आफ्टरशॉक की तीव्रता भी रिक्टर पैमाने पर 6.3, 5.9 और 5.5 तक मापी गई है.
तस्वीर: Omid Haqjoo/AP/dpa/picture alliance
अफगानिस्तान में भूकंप
अफगानिस्तान में बीते साल जून में भी भूकंप आया था और तब इसकी चपेट में पहाड़ी इलाके थे. उस दौरान करीब 1000 लोगों की मौत हुई थी. इस बार का भूकंप बीते कई दशकों में सबसे भयानक है.