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राजनीतिनेपाल

विरोध के बीच नेपाल ने स्वीकारी अमेरिकी मदद

२८ फ़रवरी २०२२

नेपाल की संसद ने मुख्य विपक्षी दल सीपीएन-यूएमएल के विरोध के बीच अमेरिका द्वारा वित्तपोषित 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर के विवादास्पद अनुदान समझौते का अनुमोदन कर दिया. अनुदान को लेकर नेपाल में काफी विरोध हो रहा है.

प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई
प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाईतस्वीर: Niranjan Shrestha/AP Photo/picture alliance

रविवार को संसद ने दी मिलेनियम चैलेंज कॉर्पोरेशन (एमसीसी) के विवादास्पद 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर की मदद को मंजूरी दे दी. नेपाल के मुख्य विपक्षी दल सीपीएन-यूएमएल इसका भारी विरोध कर रहे थे, लेकिन इसका कोई असर नजर नहीं आया. स्पीकर अग्नि सपकोटा ने कहा कि सरकार एक संक्षिप्त बहस के बाद प्रस्ताव को मंजूरी देने के लिए पर्याप्त सांसदों को मनाने में सक्षम रही. जब संसद का सत्र चल रहा था तब उस वक्त संसद के बाहर इस अनुदान का विरोध हो रहा था. प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ झड़प भी हुईं.

2017 में एमसीसी ने नेपाल को 50 करोड़ डॉलर अनुदान देने का फैसला किया. यह अनुदान एक 300 किलोमीटर लंबी हाई-वोल्टेज बिजली की ट्रांसमिशन लाइन बनाने के लिए दिया जाएगा. इस निवेश के चलते नेपाल में मौजूद पनबिजली संभावनाओं का बड़े स्तर पर इस्तेमाल हो सकेगा. और, लगभग 40 हजार मेगावॉट तक की बिजली पैदा की जा सकेगी. इसके अलावा फंड का एक हिस्सा नेपाल में सड़कों की स्थिति सुधारने में खर्च करने की भी योजना है.

नेपाली सरकार जिसने मूल रूप से अनुदान की मांग की थी, ने कहा कि यह सहायता देश के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है और इससे नेपाल के तीन करोड़ लोगों में से दो करोड़ से अधिक आबादी को लाभ होगा. अमेरिकी सहायता पैकेज का मुख्य रूप से कम्युनिस्ट पार्टियों द्वारा विरोध किया गया था, जिनमें से दो गठबंधन सरकार का हिस्सा हैं. इन पार्टियों के बीजिंग से भी गहरे संबंध हैं. अमेरिका ने कहा है कि इस अभियान के पीछे बीजिंग का हाथ है. योजनाओं के विरोधियों का कहना है कि उनका मानना ​​है कि सहायता नेपाल के कानूनों और उसकी संप्रभुता को कमजोर कर सकती है, क्योंकि देश का परियोजनाओं पर पूर्ण नियंत्रण नहीं होगा.

उनका कहना है कि यह वॉशिंगटन की हिंद-प्रशांत रणनीति का हिस्सा है, जिसमें सैन्य घटक शामिल हैं जो अमेरिकी सैनिकों को नेपाल ला सकते हैं. नेपाल की विपक्षी कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य भीम रावल ने संसद को बताया कि यह समझौता "नेपाल को अमेरिका के संरक्षण में लाएगा और इसलिए इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए."

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प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस की सख्त कार्रवाई

वित्त मंत्री जनार्दन शर्मा ने संसद को आश्वासन दिया कि सहायता देश के संविधान और कानूनों का उल्लंघन नहीं करेगी. लोक तांत्रिक समाजवादी पार्टी के उप प्रमुख महंत ठाकुर ने कहा, "यह देश के हित और इसके कल्याण को बढ़ावा देगा और इसे मान्यता दी जानी चाहिए."

अमेरिकी सहायता के खिलाफ कई दिनों से देशव्यापी विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जिसमें पुलिस के साथ हिंसक झड़पें भी शामिल हैं. रविवार को भी प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी की और पुलिस पर पथराव किया. नेपाल सरकार ने कहा है कि इस धन को लौटाने की कोई शर्त नहीं है इसलिए यह समझौता बिना शर्त हुआ है. कई लोगों का कहना है कि अमेरिका मानता है कि विरोध प्रदर्शन के पीछे चीन है, जो दुष्प्रचार फैला रहा है.

एए/सीके (एपी, रॉयटर्स)

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