भारत के पड़ोसी देश नेपाल में श्रीलंका जैसा आर्थिक संकट पनप रहा है. नेपाल सरकार ने अपना खर्च घटाने के लिए कार, सोना और कॉस्मेटिक्स जैसे उत्पादों का आयात आधा कर दिया है.
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नेपाल ने अपना खर्च घटाने के लिए कार, सोना और कॉस्मेटिक्स का आयात आधा कर दिया है. देश के केंद्रीय बैंक ने कहा है कि नेपाल का विदेशी मुद्रा भंडार आधा रह गया है. सरकार ने केंद्रीय बैंक के गवर्नर को निलंबित कर दिया है और उनके डिप्टी को अंतरिम अध्यक्ष बना दिया है.
भारत के उत्तर-पूर्वी पड़ोसी नेपाल पर भी वही मार पड़ी है, जो श्रीलंका ने झेली. पर्यटन पर आधारित उसकी अर्थव्यवस्था दो साल लंबी कोविड महामारी के कारण बुरी तरह प्रभावित हुई और उसका विदेशी मुद्रा भंडार आधा रह गया.
गैर जरूरी चीजों के आयात पर लगाम
नेपाल राष्ट्र बैंक (एनआरबी) के उप प्रवक्ता नारायण प्रसाद पोखरियाल कहते हैं कि विदेशी मुद्रा भंडार काफी दबाव में है. उन्होंने कहा, "एनआरबी को लगता है कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार बहुत दबाव में है और बिना जरूरी चीजों की आपूर्ति प्रभावित किए, गैर-जरूरी चीजों के आयात को कसने के लिए कदम उठाए जाने की जरूरत है.”
2022 में इन देशों पर आफत टूटी
यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद दुनिया भर में ऐसा लग रहा है कि राजनीतिक उथल-पुथल का सिलसिला शुरू हो गया है. कई देशों में अस्थिरता का माहौल बन गया है.
तस्वीर: Cristian Ștefănescu/DW
यूक्रेन पर हमला
रूस ने यूक्रेन पर 24 फरवरी को हमला कर दिया था और उसके बाद से ही वह यूक्रेनी शहरों को निशाना बना रहा है. पहले यह कहा जा रहा था कि कीव कुछ दिनों में रूस के कब्जे में आ जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. युद्ध में सैकड़ों बेगुनाह लोग मारे गए हैं.
तस्वीर: Vadim Ghirda/AP/picture alliance
पाकिस्तान में राजनीतिक संकट
पाकिस्तान में नेशनल असेंबली के भंग किए जाने को लेकर संग्राम छिड़ा हुआ है. संसद को भंग किए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है. इमरान खान का आरोप है कि विदेशी शक्ति देश को कमजोर करने में लगी हुई है.
तस्वीर: GHULAM RASOOL/AFP
श्रीलंका में हाहाकार
श्रीलंका की जनता पिछले कई हफ्तों से जरूरी चीजों के ऊंचे दाम को लेकर सड़कों पर प्रदर्शन कर रही है. देश में दवा, खाद्य और ईंधन की भारी कमी हो गई है. सरकार के मंत्रिमंडल ने 3 अप्रैल को इस्तीफा दे दिया था. श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने 5 अप्रैल को देशव्यापी आपातकाल को हटा लिया. यह आपातकाल एक अप्रैल से लागू किया गया था. श्रीलंका इस समय अपने सबसे बुरे आर्थिक संकट से जूझ रहा है.
तस्वीर: Dinuka Liyanawatte/REUTERS
कुवैत में सियासी संकट
कुवैत की सरकार ने अपने गठन के कुछ ही महीनों बाद 5 अप्रैल को इस्तीफा दे दिया, सरकार के इस्तीफे के बाद नई अनिश्चितता पैदा हो गई. सरकार को आने वाले दिनों में अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना था. सरकार के इस्तीफे के बाद देश में आर्थिक और सामाजिक सुधार अधर में लटक गए हैं.
तस्वीर: Xinhua/picture alliance
म्यांमार में लोकतंत्र अभी दूर
भारत के पड़ोसी देश में पिछले साल चुनी हुई सरकार को बेदखल कर सेना ने सत्ता अपने हाथों में ले लिया था. देश की नेता आंग सान सू ची को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया था. सैन्य जुंटा ने लोकतंत्र की स्थापना के लिए अबतक कोई कदम नहीं उठाए हैं.
तस्वीर: Thuya Zaw/ZUMA Wire/picture alliance
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पोखरियाल ने यह तो नहीं बताया कि किन चीजों के आयात पर पाबंदी लगाई जा रही है लेकिन उन्होंने कहा कि आयातकों को 50 ‘लग्जरियस गुड्स' के आयात के लिए पूरा भुगतान पहले करने पर ही इजाजत दी जाएगी. उन्होंने कहा, "हमने इन वस्तुओं के आयात के बारे में नए नियमों के सभी सीमा चौकियों को अवगत करा दिया है. यह आयात पर प्रतिबंध नहीं है बल्कि उन्हें बस हतोत्साहित किया जा रहा है.”
नेपाल के वित्त मंत्रालय ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि एनआरबी के गवर्नर महा प्रसाद अधिकारी को निलंबित क्यों किया गया. अधिकारी को बीते शुक्रवार को निलंबित किया गया था. मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि एक सरकारी पैनल मामले की जांच करेगा. हालांकि, एक सरकारी अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि निलंबित गवर्नर अधिकारी पर वित्तीय सूचनाएं मीडियो को लीक करने के आरोप लगे थे. इस बारे में अधिकारी ने स्वयं कोई टिप्पणी नहीं की है.
नेपाल में पर्यटन उद्योग लगातार संघर्ष कर रहा है. कोविड-19 महामारी के दो सालके दौरान पूरा उद्योग लगभग बंद रहा. इस दौरान देश का कुल विदेशी मुद्रा भंडार बीती मध्य जुलाई के स्तर से 17 प्रतिशत गिरकर फरवरी के मध्य में 9.75 अरब डॉलर यानी लगभग साढ़े सात खरब रह गया था. अधिकारियों का कहना है कि मौजूदा मुद्रा भंडार अगले छह महीने के आयात के लिए काफी होगा.
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विपक्ष ने की आलोचना
केंद्रीय बैंक आंकड़े बताते हैं कि जुलाई से फरवरी के बीच विदेश से आने वाले धन में 5.8 प्रतिशत की कमी आई और यह 4.53 अरब डॉलर ही रह गया. पिछले साल जुलाई में शुरू हुए मौजूदा वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में व्यापार घाटा 2.07 अरब डॉलर रहा. इसी अवधि में पिछले वित्त वर्ष के दौरान यह घाटा 81.76 करोड़ डॉलर था.
पुतिन के युद्ध का दुनिया पर असर
रूस के यूक्रेन पर हमले का असर पूरी दुनिया में महसूस किया जा रहा है. खाने पीने की चीजों और ईंधन की कीमतें आसमान पर हैं. कुछ देशों में तो महंगाई के कारण लोग सड़कों पर उतर आए हैं.
तस्वीर: PIUS UTOMI EKPEI/AFP via Getty Images
यूक्रेन के कारण महंगाई
जर्मनी में लोगों की जेब पर यूक्रेन युद्ध का असर महसूस हो रहा है. मार्च में जर्मनी की मुद्रास्फीति दर 1981 के बाद सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई है.
तस्वीर: Moritz Frankenberg/dpa/picture alliance
केन्या में लंबी लाइन
केन्या के नैरोबी में पेट्रोल पंपों के सामने लंबी-लंबी कतारें देखी जा सकती हैं. तेल महंगा हो गया है और सप्लाई बहुत कम है. इसका असर खाने-पीने और रोजमर्रा की जरूरत की बाकी चीजों पर भी नजर आ रहा है.
तस्वीर: SIMON MAINA/AFP via Getty Images
तुर्की में ब्रेड हुई महंगी
रूस दुनिया में गेहूं का सबसे बड़ा उत्पादक है और रूसी उत्पादों पर लगे प्रतिबंधों के कारण गेहूं की आपूर्ति प्रभावित हुई है. यूक्रेन भी गेहूं के पांच सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है. नतीजतन कई जगह ब्रेड महंगी हो गई है.
तस्वीर: Burak Kara/Getty Images
इराक में गेहूं बस के बाहर
यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से इराक में गेहूं के दाम आसमान पर हैं. इराक ने फिलहाल यूक्रेन के मुद्दे पर निष्पक्ष रुख अपनाया हुआ है. हालांकि देश में पुतिन समर्थक पोस्टर बैन कर दिए गए हैं.
तस्वीर: Ameer Al Mohammedaw/dpa/picture alliance
लीमा में प्रदर्शन
पेरू की राजधानी लीमा में महंगाई के खिलाफ प्रदर्शन करते लोगों की पुलिस से खासी झड़प हुई. सरकार ने कुछ समय के लिए कर्फ्यू भी लगाकर रखा था लेकिन जैसे ही कर्फ्यू हटाया गया, प्रदर्शन फिर शुरू हो गए.
तस्वीर: ERNESTO BENAVIDES/AFP via Getty Images
श्रीलंका में संकट
श्रीलंका इस वक्त ऐतिहासिक आर्थिक और राजनीतिक संकट से गुजर रहा है. पहले से ही खराब देश की आर्थिक हालत को यूक्रेन युद्ध ने और ज्यादा बिगाड़ दिया है और लोग अब सड़कों पर हैं.
स्कॉटलैंड में लोगों ने महंगाई के खिलाफ प्रदर्शन किया. पूरे युनाइटेड किंग्डम में ट्रेड यूनियनों ने बढ़ती महंगाई का विरोध किया है. पहले ब्रेक्जिट, फिर कोविड और अब यूक्रेन युद्ध ने लोगों की हालत खराब कर रखी है.
तस्वीर: Jeff J Mitchell/Getty Images
मछली पर मार
ब्रिटेन के राष्ट्रीय डिश फिश एंड चिप्स पर यूक्रेन युद्ध का असर नजर आ रहा है. सालभर में 38 करोड़ ‘फिश एंड चिप्स’ खाने वाले ब्रिटेन में अब रूस से आने वाली व्हाइट फिश और खाने का तेल इतना महंगा हो गया है कि लोगों को इससे मुंह मोड़ना पड़ा है. फरवरी में यूके की मुद्रास्फीति दर 6.2 प्रतिशत थी.
तस्वीर: ADRIAN DENNIS/AFP via Getty Images
नाइजीरिया के लिए मौका
यूक्रेन युद्ध को नाइजीरिया के उत्पादक एक मौके की तरह देख रहे हैं. वे रूस पर अपनी निर्भरता कम करना चाहते हैं. देश के सबसे धनी व्यक्ति अलीको दांगोट ने हाल ही में नाइजीरिया का सबसे बड़ा खाद कारखाना खोला है.
तस्वीर: PIUS UTOMI EKPEI/AFP via Getty Images
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विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री शेर बहादुर देओबा की नीतियों की आलोचना की है. उन्होंने ऐसे समय में एनआरबी गवर्नर को निलंबित करने की नीति को भी गलत बताया, जबकि देश की आर्थिक स्थिति कमजोर है. कम्युनिस्ट यूनिफाइड मार्क्सवादी-लेनिनवादी पार्टी के वरिष्ठ सांसद सुरेंद्र पांडेय ने कहा, "वह अच्छा काम कर रहे थे और जब देश के आर्थिक संकेत अच्छे नहीं हैं, तब यह (अधिकारी का निलंबन) एक गलत फैसला है.”
एशियाई डिवेलपमेंट बैंक ने इसी महीने की शुरुआत में कहा था कि 2021 में नेपाल का कर्ज बढ़कर जीडीपी का 41.4 प्रतिशत हो गया था. 2016 से 2019 के बीच यह कर्ज औसतन 25.1 प्रतिशत रहा था लेकिन महामारी के दौरान हुए खर्च ने इसमें वृद्धि की है. फिलीपींस स्थित अपने मुख्यालय से एडीबी ने पूर्वानुमान जाहिर किया इस वित्त वर्ष में देश के कर्ज में जीडीपी के 9.7 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है, जो पिछले साल 8 प्रतिशत थी.
श्रीलंका का संकट
कोविड महामारी के चलते पर्यटन पर निर्भर श्रीलंकाई अर्थव्यवथा की हालत भी खासी लचरहो गई. फरवरी के अंत तक इसका भंडार घटकर 2.31 अरब डॉलर रह गया, जो दो साल पहले की तुलना में करीब 70 फीसदी कम है.
भारत में तेजी से बढ़ रहा है व्यक्तिगत धन
दुनिया में सबसे ज्यादा व्यक्तिगत धन अमेरिका में है. लेकिन आने वाले दस सालों में भारत टॉप पर होगा, ऐसा अनुमान है. न्यू वर्ल्ड वेल्थ रिपोर्ट के अनुसार इस साल दुनिया में सबसे ज्यादा व्यक्तिगत धन रखने वाले दस देश...
तस्वीर: Michele Crameri/AA/picture alliance
सबसे ऊपर अमेरिका
अमेरिका में 55 लाख 47 हजार 200 करोड़पति, 243,520 अरबपति और 810 खरबपति भी हैं. इनके पास कुल 688 खरब डॉलर की दौलत है.
तस्वीर: Kamil Krzaczynski/AFP/Getty Images
चीन
चीन में 823,800 करोड़पति हैं. इनमें से 2,127 अरबपति और 234 खरबपति हैं. इनके पास कुल 233 खरब डॉलर की संपत्ति है.
तस्वीर: Hector Retamal/AFP/Getty Images
जापान
जापान में करोड़पतियों की संख्या 13 लाख 80 हजार 600 है. इनमें से 832 अरबपति और 36 खरबपति हैं. इनके पास 201 खरब डॉलर की संपत्ति है.
तस्वीर: picture alliance/dpa/Jiji Press Photo
भारत
भारत में तीन लाख 57 हजार करोड़पति हैं. इनमें से 1,149 अरबपति और 128 खरबपति हैं. इन सबके पास कुल संपत्ति 89 खरब डॉलर की है.
तस्वीर: Java
जर्मनी
जर्मनी सात लाख 46 हजार 600 करोड़पतियों के देश जर्मनी में 996 अरबपति और 76 खरबपति हैं. इनके पास 89 खरब डॉलर की संपत्ति है.
तस्वीर: Jan Huebner/IMAGO
युनाइटेड किंग्डम
यूके में सात लाख 37 हजार 600 करोड़पति, 1,041 अरबपति और 92 खरबपति हैं. इनके पास 88 खरब डॉलर की संपत्ति है.
तस्वीर: Stephen Loftus/Captital Pictures/picture alliance
ऑस्ट्रेलिया
तीन लाख 95 हजार 400 करोड़पतियों में से ऑस्ट्रेलिया में 477 अरबपति और 38 खरबपति हैं जिनकी कुल दौलत 64 खरब डॉलर है.
तस्वीर: Art Gallery of New South Wales, 2021
कनाडा
कनाडा में तीन लाख 64 हजार 100 करोड़पति हैं. इनमें से 524 अरबपति और 43 खरबपति हैं. इनके पास कुल मिलाकर 62 खरब डॉलर की संपत्ति है.
तस्वीर: Carlos Osorio/REUTERS
फ्रांस
फ्रांस में करोड़पतियों की संख्या है दो लाख 64 हजार. इनमें से 343 अरबपति और 36 खरबपति हैं. सबके पास कुल दौलत 58 खरब डॉलर है.
इटली में दो लाख 600 करोड़पति हैं. 273 अरबपति और 28 खरबपति भी हैं. इन लोगों के पास 38 खरब डॉलर की संपत्ति है.
तस्वीर: Michele Crameri/AA/picture alliance
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श्रीलंका की सरकार और वहां के लोगों के लिए यह संकट कितना बड़ा है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सरकार ने आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया है कि देश की कमाई के हर 100 अमेरिकी डॉलर पर उन्हें 119 डॉलर का कर्ज अदा करना है.
1948 में अंग्रेजी शासन से आजादी के बाद से अब तक श्रीलंका के ऐसे बुरे दिन कभी नहीं आए. श्रीलंका में राजनीतिक और आर्थिक संकट अंतरराष्ट्रीय संबंधों के जानकारों, अर्थशास्त्रियों और श्रीलंका पर्यवेक्षकों के लिए शायद ही कोई आश्चर्य की बात हो.