नेपाल में भ्रष्टाचार से लड़ेगी अंतरिम सरकार
१५ सितम्बर २०२५
नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने पदभार संभालने की औपचारिकताओं के बाद कामकाज शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा है कि अंतरिम सरकार छह महीने में देश में नई सरकार के लिए चुनाव कराएगी. कार्की ने युवाओं के प्रदर्शनों के दौरान हुई तोड़फोड़ की जांच कराने की भी बात कही है. सुशीला कार्की ने सोमवार को कैबिनेट की भूमिकाओं के लिए तीन लोगों के नामों की घोषणा की है. इन घोषणाओं के मुताबिक रामेश्वर प्रसाद खनाल वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालेंगे. पूर्व वित्त सचिव खनाल ने उस पैनल का नेतृत्व किया था जिसने प्रमुख आर्थिक सुधारों का खाका कैयार किया था.
ऊर्जा मंत्री के रूप में सरकारी बिजली कंपनी के प्रमुख कुलमाम घीसिंग को चुना गया है. बिजली कंपनी का प्रमुख रहते हुए उन्होंने देश भर में बिजली कटौतियों पर लगाम लगाई थी.
गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी ओमप्रकाश अरयाल को सौंपी गई है. मानवाधिकार वकील और काठमांडू के मेयर के सलाहकार अरयाल कई मुद्दों पर जनहित याचिकाओं के जरिए कानूनी लड़ाइयां लड़ने के लिए जाने जाते हैं. ये तीनों चेहरे देश में भ्रष्टाचार के विरोधियों के रूप में जाने जाते हैं.
सुशीला कार्की पर युवाओं का भरोसा
भ्रष्टाचार विरोधी घातक विरोध प्रर्शनों के बाद जो कामचलाऊ सरकार बनी है उसका नेतृत्व सुशीला कार्की कर रही हैं. सुशीला कार्की देश की पहली महिला प्रधानमंत्री हैं. जेनजी युवाओं के विरोध प्रदर्शनों के बाद जो ढुलमुल संगठन सामने आए, उनमें नेतृत्व के लिए काफी खींचतान के बाद आखिर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म डिस्कॉर्ड के जरिए कार्की को इस जिम्मेदारी के लिए चुना गया.
कार्की ने नेपाली मीडिया को बताया कि जेन जी प्रदर्शनकारियों ने उनसे कहा है, "उनका भरोसा मुझमें है" और "मुझे चुनाव कराने के लिए थोड़े समय तक नेतृत्व करना है."
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस और कार्की के साथ काम कर चुके अनिल कुमार सिन्हा ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "वह अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए एक भरोसेमंद चेहरा हैं. उनकी ईमानदारी पर कभी कोई संदेह नहीं रहा, और वह उन लोगों में हैं जिन्हें कभी भी दबाव से झुकाया या प्रभावित नहीं किया जा सकता. वह हिम्मती हैं और दबावों के आगे नहीं झुकतीं."
युवाओं के हक में
नेपाली मीडिया में इस साल की शुरुआत में आए एक भाषण में कार्की ने भ्रष्टाचार की बात की थी. उन्होंने कहा था, "हम इसे हर जगह देखते हैं लेकिन इसके बारे में बात नहीं करते. अब युवाओं को मुंह खोलना चाहिए. उन्हें चुनाव में खड़े हो कर नेतृत्व के लिए बढ़ना चाहिए." उन्होंने यह भी कहा था, "पिछले 35 सालों में जो मैंने देखा है वह काम नहीं कर रहा है. मैं पूरी तरह इस बात के हक में हूं कि युवाओं को आगे आना चाहिए."
2016 से 2017 तक चीफ जस्टिस के रूप में उनका कार्यकाल संक्षिप्त लेकिन अहम था. उन्होंने लैंगिक धारणाओं को तोड़ने के साथ ही भ्रष्टाचार को लेकर राजनेताओं को भी शर्मिंदा किया. सुशीला कार्की उस दौर के समाज से आती हैं जब महिलाओं का कानून के पेशे में आना दुर्लभ था. पूर्वी नेपाल के औद्योगिक शहर बिराटनगर में 1952 में पैदा हुईं कार्की ने भारत में राजनीतिक शास्त्र और काठमांडू से कानून की पढ़ाई की है.
वकील के रूप में उन्होंने 1979 में काम शुरू किया और बहुत जल्द एक निडर वकील की छवि अर्जित कर ली. उन्हें ऐसे केसों को अपने हाथ में लेने के लिए जाना जाता है जिनसे वकील बचते हैं.
सुशीला कार्की के लिए फैसले
2012 में कार्की सुप्रीम कोर्ट में दो जजों के उस बेंच में थीं जिसने सरकार के एक मंत्री को भ्रष्टाचार के आरोप में जेल भेजा. नेपाल की राजनीति में तब यह पहली बार हुआ था. 2017 में सरकार ने उन्हें महाभियोग के जरिए हटाना चाहा क्योंकि उन्होंने सरकार की पसंद के पुलिस प्रमुख की नियुक्ति रद्द कर दी थी. कार्की पर महाभियोग चलाने की कोशिश नाकाम हुई और वह रिटायरमेंट के बाद ही पद से हटीं.
कार्की के दौर में ही सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में तीन सैनिकों को एक किशोरी की हत्या के लिए 20 साल की सजा सुनाई थी. यह माओवादी अभियान के दौरान हुए युद्ध अपराधों में सिर्फ दूसरा ऐसा मामला था जिसमें सजा सुनाई गई.