नेपाल चुनाव में भारत-विरोधी दिखने से बच रहे हैं ओली
४ नवम्बर २०२२
नेपाल के मुख्य विपक्षी दल के नेता केपी शर्मा ओली का कहना है कि अगर वह दोबारा सत्ता में आते हैं तो भारत और चीन के बीच संतुलन बनाकर चलने की कोशिश करेंगे. नेपाल में इस महीने आम चुनाव होने हैं.
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भारत और चीन के बीच खींचतान का शिकार रहने वाले वाले नेपाल में चुनाव हो रहे हैं और इन दोनों पड़ोसियों से संबंध अहम मुद्दा है. मुख्य विपक्षी दल कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के नेता और दो बार प्रधानमंत्री रह चुके केपी शर्मा ओली ने कहा है कि उनकी सरकार दोनों पड़ोसियों के बीच संतुलन कायम करने का प्रयास करेगी.
ओली ने कहा, "वे (भारत और चीन) बड़ी शक्तियां हैं. हमारी नीति निष्पक्षता और तटस्थता की है और हम उसे ही लागू करेंगे.”
देखभाल और प्यार, ऐसे मना कुकुर तिहार
नेपाल का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार, कुकुर तिहार कुछ ऐसे मनाया गया. यह अनोखा उत्सव कुत्तों की पूजा का दिन है. पर ललितपुर में यह और विशेष है.
तस्वीर: Navesh Chitrakar/REUTERS
ऐसे मना कुकुर तिहार
नेपाल का विशेष उत्सव ‘कुकुर तिहार’ ‘स्नेहाज केयर’ नाम की इस संस्था के लिए बहुत खास है.
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15,000 जानवरों का इलाज
ललितपुर की यह संस्था कुकुर तिहार को उन कुत्तों के साथ मनाती है, जिन्हें मरने से बचाया गया है. यह संस्था अब तक 15,000 से ज्यादा घायल जानवरों की जान बचा चुकी है और उनका इलाज कर चुकी है.
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हर जानवर प्यारा है
संस्था में कुत्तों के अलावा भी कई जानवरों का इलाज होता है, जैसे बकरी और गाय आदि.
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170 से ज्यादा कुत्ते
2016 में कुत्तों के लिए विशेष शेल्टर शुरू किया गया था, जिसमें फिलहाल 170 से ज्यादा कुत्ते हैं.
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कुत्तों की पूजा
कुकुर तिहार नेपाल के हिंदुओं का प्रमुख उत्सव है जब यमराज को प्रसन्न करने के लिए कुत्तों की पूजा की जाती है.
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अहम है कुकुर तिहार
दशहरे के बाद यह देश का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार है, जो पांच दिन चलता है.
कई विशेषज्ञ ओली को चीन का करीबी मानते हैं. पिछली बार जब वह सत्ता में आए थे तो उन्होंने भारत को लेकर कई कड़े फैसले किए थे, जिसके बाद देश में राष्ट्रवादियों का एक तबका नाराज हो गया था. उन्होंने विवादित इलाकों को लेकर देश के नक्शे में भी कई बदलाव किए थे, जिनमें ऐसे क्षेत्र भी शामिल थे जो भारत के नियंत्रण में हैं.
आने वाले चुनाव से पहले ओली इस बात को लेकर सचेत नजर आते हैं कि वह किसी के भी पक्षधर नजर ना आएं. रॉयटर्स को दिए इंटरव्यू में वह कहते हैं, "हम दोनों के लिए ही भरोसेमंद दोस्त और पड़ोसी बनेंगे. हमारी विदेश नीति परस्पर सम्मान और हितों की होगी.”
अपने बेटे के साथ स्कूल में पढ़ने वाली नेपाली मां
नेपाल में केवल 57 फीसदी महिलाएं ही लिख पढ़ सकती हैं. इनमें से एक हैं पार्वती सुनार जिनका स्कूल छूट गया था और 16 साल की उम्र में ही वह मां बन गई थीं. अब उन्होंने अपने बेटे के साथ फिर से स्कूल जाना शुरू कर दिया है.
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छोटा सा घर
27 साल की पार्वती सुनार दो कमरे के कच्चे मकान में अपने बेटों रेशम (11), अर्जुन (7) और सास के साथ रहती हैं. उनके पति दक्षिण भारत के चेन्नई शहर में मजदूरी करते हैं. पढ़ाई के लिहाज से इस घर में कोई सुविधा नहीं है लेकिन फिर भी उम्मीदों की एक दीया जल रहा है.
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ना नल ना शौचालय
सुनार के घर में ना शौचालय है ना ही पानी के लिए नल तो पूरा परिवार सुबह उठ कर घर के सामने लगे वाटर पंप पर नहाने धोने का काम करता है. बगल का खेत उनके शौचालय की जरूरत पूरी करता है.
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स्कूल चले हम
तैयार हो कर दाल-चावल खाकर सुनार अपने बड़े बेटे के साथ स्कूल के लिए निकल जाती हैं. स्कूल पहुंचने में 20 मिनट लगते हैं. रेशम को अपनी मां के साथ स्कूल जाने में कोई दिक्कत नहीं होती. 11 साल के रेशम ने कहा, "हम बात करते हुए स्कूल पहुंच जाते हैं और अपनी बातचीत से बहुत कुछ सीखते हैं."
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क्लास में सबसे बुजुर्ग
दक्षिण पश्चिमी नेपाल के पुनरबस गांव की स्कूल की सातवीं कक्षा में सुनार पढ़ रही हैं. 14 साल के बिजय ने कहा उनके साथ क्लास में बहुत मजा आता है. बिजय कहता है, "दीदी बहुत अच्छी हैं. मैं उनकी पढ़ाई में मदद करता हूं और वो भी मेरी मदद करती हैं."
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लड़कियों का स्कूल छूट जाता है
10वीं क्लास की छात्रा श्रुति कहती हैं, "वह बहुत अच्छा कर रही हैं, मुझे लगता है कि दूसरों को भी उनके रास्ते पर चल कर स्कूल जाना चाहिए." आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक नेपाल की 94.4 फीसदी लड़कियां प्राथमिक स्कूल में जाती हैं लेकिन आधी उसे छोड़ देती हैं. इसके पीछे किताब कॉपी की कमी और गरीबी कारण है. पार्वती स्कूल जारी रखना चाहती हैं.
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स्कूल के बाद कंप्यूटर
स्कूल के बाद सुनार और उनका बेटा ड्रेस बदल कर साइकिल पर एक साथ न्यू वर्ल्ड विजन कंप्यूटर इंस्टीट्यूट जाते हैं और कंप्यूटर सीखते हैं. भविष्य में यह पढ़ाई उन्हें दफ्तर की नौकरी दिलाने में मदद करेगी.
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एक नई शुरुआत
सुनार को किशोरावस्था में स्कूल छूट जाने का अफसोस है. उन्होंने भारत में घरेलू नौकरानी का काम छोड़ कर अपना पूरा समय पढ़ाई में लगाने का फैसला किया ताकि कंप्यूटर और बाकी चीजें अच्छे से सीख सकें. वो कहती हैं, "मुझे सीखने में मजा आता है और अपने बच्चे की उम्र के छात्रों के साथ स्कूल जाने पर गर्व है."
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पति की दूरी
सुनार के पति उनसे करीब 2000 किलोमीटर दूर चेन्नई में रह कर मजदूरी करते हैं. वह परिवार का खर्च उठाते हैं लेकिन परिवार के साथ रहने का समय नहीं मिलता. वीडियो कॉल ही उन्हें आपस में जोड़े रखता है. यह परिवार दलित समुदाय से है जिन्हें हिंदू जाति व्यवस्था में अछूत माना जाता है.
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पढ़ाई के बाद क्या
स्कूल की पढ़ाई पूरी हो जाने के बाद पार्वती सुनार क्या करेंगी? सुनार को यह नहीं पता. फिलहाल तो वो बस अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी करना चाहती हैं. हालांकि उन्हें यह उम्मीद जरूर है कि वह अकेली नहीं हैं और ग्रामीण नेपाल की दूसरी औरतें भी उनके उदाहरण से सीखेंगी.
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70 वर्षीय ओली इस बार चुनाव में अपने प्रतिद्वन्द्वियों से आगे नजर आ रहे हैं. 275 सदस्यों वाली संसद में जीत सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने दक्षिणी मैदानी इलाकों के कुछ छोटे दलों के अलावा राजशाही के समर्थक दल के साथ भी गठबंधन कर रखा है. उनका मुकाबला मौजूदा प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा से है, जिनका गठबंधन प्रचंड की माओवादी सेंटर पार्टी से है. हालांकि 76 वर्षीय देउबा और 67 वर्षीय प्रचंड दोनों ही प्रधानमंत्री पद के दावेदार हैं.
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महंगाई बड़ा मुद्दा
नेपाल में चुनाव ऐसे समय में हो रहे हैं जबकि देश में महंगाई दर छह वर्ष में सर्वोच्च स्तर परपहुंच चुकी है. रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद से महंगाई चरम पर है और जरूरी चीजों की किल्लत से लोग परेशान हैं. ओली कहते हैं कि मौजूदा सरकार के पास स्थिति को काबू करने के लिए कोई दृष्टिकोण नहीं है. खुदरा मुद्रास्फीति इस वक्त 8 प्रतिशत के करीब है जबकि बैंकों की ब्याज दर 18 फीसदी को पार कर चुकी है.
ब्याज दरों में कटौती का वादा करते हुए ओली ने कहा, "ऊंची ब्याज दरों से उद्योगों और व्यापारियों को नुकसान हो रहा है.”
मंगलवार को उन्होंने अपनी पार्टी का घोषणा पत्र जारी किया जिसमें सालाना पांच लाख नौकरियां पैदा करने का वादा किया गया है. ओली 2015 और 2021 में प्रधानमंत्री बने थे. वह कहते हैं कि 2015 के भूकंप में ध्वस्त हुए साढ़े सात लाख घरों, स्मारकों, अस्पतालों और स्कूलों का पुनर्निर्माण और हवाई अड्डों व सड़कों का निर्माण उनकी बड़ी उपलब्धियां रही हैं.
उन्होंने बताया, "लोग यूएमएल को एक भरोसेमंद और शक्तिशाली पार्टी के रूप में जानते हैं जो देश में एक मजबूत सरकार के रूप में नेतृत्व कर सकती है.”