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सरकार के दबाव में ‘आईसी-814’ नेटफ्लिक्स सीरीज में डिस्क्लमेर

४ सितम्बर २०२४

नेटफ्लिक्स ने कहा है कि "आईसी-814: द कंधार हाइजैक" सीरीज में विशेष डिस्क्लेमर जोड़ा जाएगा. यह कदम सोशल मीडिया पर जताई जा रही नाराजगी और सरकार की आपत्तियों के बाद उठाया गया है.

कंधार में विमान आईसी-814
1999 में इंडियन एयरलाइंस के विमान का अपहरण कर लिया गया थातस्वीर: Saeed Khan/AFP/Getty Images

नेटफ्लिक्स ने मंगलवार को कहा कि वह भारतीय सीरीज "आईसी-814: द कंधार हाइजैक" में नए डिस्क्लेमर जोड़ने जा रहा है. यह सीरीज एक विमान अपहरण पर आधारित है.

"आईसी-814: द कंधार हाइजैक" 1999 में हुए इंडियन एयरलाइंस के फ्लाइट-814 के अपहरण की एक काल्पनिक प्रस्तुति है. यह सीरीज पिछले हफ्ते नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई थी. तभी से सोशल मीडिया पर इस सीरीज की आलोचना हो रही है. आलोचकों का कहना है कि इसमें अपहरणकर्ताओं को गलत तरीके से हिंदू नामों के साथ दिखाया गया है जबकि वे मुस्लिम थे.

स्थानीय मीडिया के मुताबिक मंगलवार को नेटफ्लिक्स के अधिकारियों को भारत के सूचना और प्रसारण मंत्रालय में बुलाया गया था. इसके तुरंत बाद, नेटफ्लिक्स ने कहा कि वह डिस्क्लेमर में बदलाव करेगा. हालांकि, सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई.

सरकार का दबाव

नेटफ्लिक्स इंडिया की कंटेंट वाइस प्रेसिडेंट, मोनिका शेरगिल ने एक बयान में कहा, "1999 के इंडियन एयरलाइंस फ्लाइट 814 के अपहरण से परिचित ना होने वाले दर्शकों के लाभ के लिए, शुरुआती डिस्क्लेमर को अपहरणकर्ताओं के वास्तविक और कोड नामों को शामिल करने के लिए अपडेट किया गया है."

सीरीज के प्रसारित होने के बाद से ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर #BoycottNetflix ट्रेंड कर रहा था. कई यूजरों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पार्टी बीजेपी के सदस्यों ने इस सीरीज की आलोचना की. उन्होंने कहा कि इसमें अपहरणकर्ताओं को सकारात्मक रूप में दिखाया गया है और दर्शकों को गुमराह किया गया है कि वे हिंदू थे.
बीजेपी की सोशल मीडिया इकाई के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि इस सीरीज में अपहरणकर्ताओं की आपराधिक मंशा को सही ठहराने की कोशिश की गई है और लोगों को यह सोचने पर मजबूर किया गया है कि विमान को हिंदुओं ने हाईजैक किया था.

आईसी-814 अपहरण कांड

यह सीरीज एक सत्य घटना पर आधारित है, जिसमें नसीरुद्दीन शाह, विजय वर्मा और पंकज कपूर जैसे कलाकारों ने भूमिकाएं निभाई हैं. और यह फ्लाइट के कप्तान देवी शरण और पत्रकार श्रीनॉय चौधरी द्वारा लिखी किताब "फ्लाइट इंटू फीयर" पर आधारित है.

 

भारतीय इतिहास में 24 दिसंबर 1999 का दिन एक काला अध्याय बनकर दर्ज हो गया, जब इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 को पांच हथियारबंद आतंकवादियों ने अगवा कर लिया था. यह विमान नेपाल के काठमांडू से दिल्ली के लिए उड़ान भर रहा था, जिसमें 176 यात्री और चालकदल के 15 सदस्य सवार थे. 

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इस विमान को भारतीय हवाई क्षेत्र में प्रवेश करते ही आतंकवादियों ने अपने कब्जे में ले लिया. विमान को सबसे पहले अमृतसर में उतारा गया, लेकिन वहां भारतीय सुरक्षाबल उसे रोक नहीं पाए और आतंकवादी विमान को पाकिस्तान के लाहौर ले गए. लाहौर में ईंधन भरने के बाद इसे दुबई ले जाया गया, जहां 27 यात्रियों को रिहा कर दिया गया, जिनमें महिलाएं और बच्चे शामिल थे. आखिरकार, विमान को अफगानिस्तान के कंधार ले जाया गया, जो उस समय तालिबान के नियंत्रण में था.

आतंकवादियों की मांगें

अपहरणकर्ताओं की मांग थी कि भारत तीन बड़े आतंकवादियों मसूद अजहर, अहमद उमर सईद शेख और मुश्ताक अहमद जरगर को रिहा करे. कंधार में विमान को कई दिनों तक जमीन पर रोके रखा गया. इस दौरान भारत सरकार और अपहरणकर्ताओं के बीच बातचीत चलती रही. यात्रियों और क्रू के जीवन को खतरे में देखकर सरकार ने आतंकवादियों की मांगों के आगे झुकते हुए तीनों आतंकियों को रिहा कर दिया.

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31 दिसंबर 1999 को तीनों आतंकवादियों को कंधार पहुंचाया गया, जिसके बदले में अपहरणकर्ताओं ने सभी यात्रियों और चालक दल के सदस्यों को रिहा कर दिया. अपहरणकर्ता विमान से फरार हो गए और कभी पकड़े नहीं गए. उनकी मांगों पर रिहा किए गए तीन आतंकवादियों में से एक, मसूद अजहर बाद में जैश-ए-मोहम्मद जैसे खतरनाक आतंकी संगठन का प्रमुख बना, जिसने भारत में कई बड़े आतंकी हमलों को अंजाम दिया.

नामों पर विवाद

नेटफ्लिक्स की सीरीज पर विवाद की जड़ में इस सीरीज में दिखाए गए अपहरणकर्ताओं के नाम हैं. अपहरणकर्ताओं की पहचान इब्राहिम अतहर, शाहिद अख्तर सैयद, सनी, अहमद काजी, जहूर मिस्त्री और शाकिर के रूप में की गई थी. लेकिन सीरीज में उनके कोड नाम ‘भोला’ और ‘शंकर’ का इस्तेमाल किया गया, जिससे सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया.

एक तथ्य यह भी है कि अपहरणकर्ता इन्हीं नामों से एक-दूसरे से बात कर रहे थे, जैसा कि सीरीज में दिखाया गया है. तत्कालीन भारत सरकार की जांच और उसके बाद भी कई बार यह बात सामने आई कि अपहरणकर्ताओं ने चीफ, डॉक्टर, बर्गर, भोला और शंकर नामों का इस्तेमाल किया था.

यह पहली बार नहीं है जब किसी ओटीटी प्लेटफार्म पर दिखाई गई किसी फिल्म या सीरीज का इस तरह विरोध किया गया है. 2021 में एमेजॉन प्राइम पर दिखाई गई वेब सीरीज "तांडव" के खिलाफ भी कथित 'हिंदू संगठनों' ने विरोध किया था.

इस सीरीज के जरिए धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में एमेजॉन प्राइम की भारत में प्रमुख अपर्णा पुरोहित के खिलाफ देश में 10 अलग अलग जगहों पर एफआईआर दर्ज कर दी गई थी.

इसी साल जनवरी में कुछ कथित 'हिंदू' संगठनों द्वारा 'अन्नपूर्णी' फिल्म के विरोध के बाद नेटफ्लिक्स ने फिल्म को अपने प्लेटफॉर्म से हटा दिया था.

विवेक कुमार (रॉयटर्स)

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