जेम्स वेब और हबल ने भेजीं डार्ट की टक्कर की पहली तस्वीरें
३० सितम्बर २०२२![NASA | Raumsonde Dart stürzt auf den Asteroiden Dimorphos](https://static.dw.com/image/63291336_800.webp)
इसी हफ्ते नासा के अंतरिक्ष यान डार्ट की टक्करअनुमान से कहीं ज्यादा जोर की थी और उसका असर भी वैज्ञानिकोंकी उम्मीद से ज्यादा था. जेम्स वेब और हबल दूरबीनों ने उस टक्कर की पहली तस्वीरें भेजी हैं जिनमें दिखाई देता है कि टक्कर कितनी जोर की थी.
सोमवार को जब नासा का डार्ट अंतरिक्ष यान करीब एक करोड़ किलोमीटर दूर स्थित उल्कापिंड डायमॉरफस से टकराया तो टक्कर से निकली धूल हजारों किलोमीटर तक उड़ी. पृथ्वी को भविष्य में ऐसे किसी खतरे से बचाने के मकसद से किए गए इस प्रयोग की तस्वीरें जेम्स वेब और हबल जैसे सबसे शक्तिशाली टेलीस्कोप से ली गईं
गुरुवार को मिलीं इन तस्वीरों में देखा जा सकता है कि टक्कर के बाद धूल का डायमॉरफस और उसके बड़े भाई डिडायमस से महाकाय बादल निकले. इस अभियान से जुड़े क्वीन्स यूनिवर्सिटी बेलफस्ट के खगोलविद ऐलन फिजसिमंस कहते हैं कि जेम्स वेब और हबल ने जो तस्वीरें भेजी हैं वे उल्कापिंड से कुछ किलोमीटर ऊपर से टक्कर का नजारा दिखाती हैं.
फिजसिमंस ने कहा कि इन तस्वीरों में आप साफ तौर पर देख सकते हैं कि डार्ट की टक्कर के बाद कैसे चीजें बाहर की ओर उड़ रही थीं.
यूरोपीय स्पेस एजेंसी ईएसए ने एक बयान जारी कर कहा, "यह अद्भुत नजारा है.” वह बताते हैं कि जेम्स वेब से ‘नीयर इन्फ्रारेड कैमरे ने टक्कर के चार घंटे बाद की एक तस्वीर भेजी है जिसमें टक्कर के केंद्र से पदार्थों का एक बहाव देखा जा सकता है. हबल ने टक्कर के 22 मिनट, पांच घंटे और आठ घंटे बाद की तस्वीरें भेजी हैं जिनमें धूल का गुबार बड़ा होता दिखता है.
टक्कर कितनी बड़ी थी?
ईएसए के इयान कारनेली बताते हैं कि एक प्रभावशाली बात यह रही कि जेम्स वेब और हबल की तस्वीरें उस टोस्टर-आकार के उपग्रह लीसियाक्यूब (LICIACube) के समान हैं, जिसे इस टक्कर की रिकॉर्डिंग के लिए डार्ट के पीछे-पीछे भेजा गया था. लीसियाक्यूब और डार्ट साथ-साथ भेजे गए थे लेकिन टक्कर से कुछ हफ्ते पहले दोनों अलग हो गए थे और उसके बाद से यह डार्ट के लगभग 50 किलोमीटर पीछे चल रहा था.
कारनेली के मुताबिक तस्वीरें दिखाती हैं कि टक्कर वैज्ञानिकों से कहीं ज्यादा बड़ी थी. कारनेली ईएसए के उस हेरा मिशन के प्रमुख हैं जो आने वाले चार साल तक इस टक्कर के परिणामों का अध्ययन करेगा. उन्होंने कहा, "पहले तो मुझे फिक्र हो गई थी कि डायमॉरफस का कुछ बचा ही नहीं है.”
हेरा मिशन का रॉकेट अक्टूबर 2024 में भेजा जाना है जो डायमॉरफस पर 2026 में पहुंचने की संभावना है. यह दस मीटर व्यास वाले उस गड्ढे की जांच करेगा, जो डार्ट की टक्कर से बना है. कारनेली ने कहा कि हो सकता है डायमॉरफस का एक टुकड़ा टूटकर अलग ही हो गया हो लेकिन यदि वहां कोई गड्ढा बना है तो वो अनुमान से कहीं ज्यादा होगा.
कितना सफल रहा अभियान?
डार्ट अभियान कितना सफल रहा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसने डायमॉरफस को उसके रास्ते से कितना भटकाया. चूंकि हजारों की संख्या में छोटे-बड़े उल्कापिंड पृथ्वी के आसपास अंतरिक्ष में घूम रहे हैं तो यह खतरा हो सकता है कि उनमें से कोई पृथ्वी की ओर बढ़ने लगे. ऐसा होने पर क्या उसे डार्ट जैसी टक्कर से मोड़ा जा सकता है, यही जानने के लिए यह अभियान चलाया गया है.
डायमॉरफस अपने रास्ते से कितना भटका, इसका अनुमान लगाने में एक हफ्ते से ज्यादा का समय लग सकता है. कारनेली ने कहा सही जानकारी मिलने में तीन से चार हफ्ते लग जाएंगे. उन्होंने कहा, "मेरे ख्याल से भटकाव उससे ज्यादा होगा जितना हमने अनुमान लगाया था. यह ग्रह-सुरक्षा के लिए अहम बात होगी क्योंकि तब इस तकनीक का इस्तेमाल ज्यादा बड़े उल्कापिंडों के लिए भी किया जा सकेगा.”
वीके/सीके (एएफपी)