अमेरिका के संघीय वन्यजीव अधिकारियों ने एक छिपकली को लुप्तप्राय घोषित किया है जिसका घर तेल और प्राकृतिक गैस के खजाने से भरे एक बेसिन में है.
विज्ञापन
शुक्रवार को अधिकारियों ने दक्षिण-पूर्वी न्यू मेक्सिको और पश्चिमी टेक्सस के रेतीले इलाकों में पाई जाने वाली2.5 इंच लंबी ड्यून्स सेजब्रश छिपकली को संकटग्रस्त जीवमान लिया. अमेरिका की फिश एंड वाइल्डलाइफ सेवा यानी मछली और वन्यजीव सेवा के अधिकारियों ने कहा कि प्राकृतिक गैस और तेल से भरपूर इस बेसिन में ऊर्जा संसाधनों के विकास, रेत खनन और जलवायु परिवर्तन इस जीव के लिए खतरा है. इस प्रजाति परिवार के 47 फीसदी जीव पहले ही लुप्त हो चुके हैं.
वैज्ञानिकों के मुताबिक यह छिपकली केवल परमियन बेसिन में पाई जाती है और रेत के टीलों में शिनरी ओक पौधों के बीच रहती है. यहां के कीट-पतंगे और मकड़ियां उसका भोजन हैं. चरम तापमान वाली परिस्थितियों से बचने के लिए यह छिपकली रेत में ही गड्ढे खोदकर खुद को छिपाती है.
लंबा संघर्ष
यह फैसला अमेरिकी सरकार, पर्यावरण संरक्षकों और तेल व गैस इंडस्ट्री के बीच दो दशक तक चले कानूनी और नीतिगत संघर्ष के बाद आया है. पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने इसका स्वागत किया जबकि तेल और गैस इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने इसे जीवाश्म ईंधन के भावी उत्पादन के लिए खतरा कहा है.
विज्ञापन
डिफेंडर्स ऑफ वाइल्डलाइफ संगठन के ब्रायन बर्ड ने कहा कि यह फैसला एक अनोखी प्रजाति के "अस्तित्व के लिए जीवनरेखा" जैसा है जिसकी "एकमात्र गलती यह है कि वह उस इलाके में रहती है जिस पर जीवाश्म ईंधनों उद्योग पंजे गड़ाने को तैयार बैठा है." बर्ड ने अपने बयान में कहा, "ड्यून्स सेजब्रश छिपकली बहुत लंबे वक्त से राजनीतिक और प्रशासनिक ऊहापोह झेल रही है जबकि उसकी संख्या लगातार गिरती जा रही है."
परमियन बेसिन पेट्रोलियम असोसिएशन और न्यू मेक्सिको ऑयल एंड गैस असोसिएशन ने निराशा जाहिर करते हुए कहा कि छिपकली को संकटग्रस्त मान लिया जाना विज्ञान और राज्य प्रायोजित संरक्षण के काम की अनदेखी है जिसमें दोनों ही राज्यों ने लाखों डॉलर खर्च कर दिए हैं. इसमें वन्यजीव मैनजरों के साथ एक स्वैच्छिक समझौता भी शामिल है.
100 साल गायब रहने के बाद लौटी सेई व्हेल
अर्जेंटीना के पैटेगोनियाई तटों से करीब 100 साल तक लापता रहने के बाद पहली बार विशालकाय नीली भूरी सेई व्हेलें दिखाई पड़ी हैं. लुप्तप्राय व्हेलों को बचाने की कोशिशें रंग लाई हैं.
तस्वीर: Cristian Dimitrius/Jumara Films/REUTERS
व्हेलों की वापसी
धरती से लुप्त हो रही प्रजातियों को बचाने की कोशिशें कैसे कामयाब हो सकती हैं यह सेई व्हेलों की वापसी ने दिखा दिया है. करीब 100 साल के बाद इन व्हेलों की वापसी हुई है. व्हेलों के शिकार पर वैश्विक रोक लगने के कई दशकों बाद यह संभव हुआ है.
तस्वीर: Cristian Dimitrius/Jumara Films/REUTERS
सेई व्हेल
सेई व्हेल पंखों वाली नीली बलीन व्हेलों की प्रजाति की तीसरी सबसे बड़ी व्हेल हैं. इनकी लंबाई 19.5 मीटर और वजन 28 टन तक हो सकता है. ये गहरे भूरे रंग की होती हैं और इनके शरीर के मध्य हिस्से में सफेद पट्टी होती है. सेई व्हेल की तैराकी सबसे तेज रफ्तार होती है. कम दूरी की यात्राओं में यह 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तैर सकती हैं.
तस्वीर: Cristian Dimitrius/Jumara Films/REUTERS
व्हेलों के प्रवास पर नजर
जीवविज्ञानियों की टीम ने पिछले महीने कुछ सेई व्हेलों पर सेटेलाइट ट्रैकर लगाए ताकि उनके प्रवास के मार्ग और इलाकों पर नजर रखी जा सके. नेशनल ज्यॉग्राफिक के लोगों ने नावों, ड्रोन से और पानी अंदर जा कर उनके वीडियो फुटेज जमा किए. इसके लिए फंड नेशनल ज्यॉग्राफिक के प्रिस्टीन सीज प्रोजेक्ट से मिला.
तस्वीर: Cristian Dimitrius/Jumara Films/REUTERS
आबादी में गिरावट
1920 से 1930 के दशक में अर्जेंटीना के तटों और उससे आगे जाने वाली व्हेल का शिकार करने वाले जहाजों ने व्हेलों की आबादी में गिरावट की ओर ध्यान खींचा. अधिकारियों और प्रशासन की तरफ इसका ध्यान दिलाने की कोशिश हुई. बीते 50 साल से वैश्विक स्तर पर इन व्हेलों के कारोबारी शिकार पर रोक लगी हुई है. इसका नतीजा अर्जेंटीना के पैटेगोनियाई तटों पर सेई व्हेलों और दूसरे जीवों की वापसी के रूप में नजर आया है.
तस्वीर: Cristian Dimitrius/Jumara Films/REUTERS
व्हेलों की वापसी में लगे कई दशक
व्हेलों की संख्या पर्याप्त रूप से बढ़ने में कई दशकों का समय लगा. बीते कुछ सालों से वे फिर लोगों को दिखाई देने लगी हैं. सेई व्हेल 2-3 साल पर बच्चे पैदा करती हैं. व्हेलों की संख्या बढ़ने में 80 साल से ज्यादा लगे और 100 साल के बाद इन व्हेलों की संख्या इतनी हुई है कि वे फिर से दिखाई देने लगी हैं. कई और प्रजाति के व्हेलों की संख्या भी काफी बढ़ी है. तस्वीर में नजर आ रही व्हेल सदर्न राइट प्रजाति की है.
तस्वीर: LUIS ROBAYO/AFP
व्हेलों का इलाका
अर्जेंटीना का यह इलाका व्हेलों की कम से कम चार प्रजातियों का बसेरा है. इनमें ओरका, हंपबैक, सदर्न राइट और ब्लू व्हेल शामिल हैं. विशालकाय व्हेलें यहां अकसर समुद्री किनारों के आस पास दिखाई देती हैं. सैलानी यहां व्हेलदर्शन यात्राएं भी कर सकते हैं.
तस्वीर: MAXI JONAS/AFP
व्हेलों पर खतरा
व्हेलों का जीवन हालांकि यहां भी कई तरह के खतरे झेल रहा है. अकसर मरी हुई व्हेलें किनारों पर दिखाई देती हैं. जहाजों की आवाजाही, प्रदूषण, बढ़ता तापमान जैसे कई खतरे उनके लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं. पहले एक खतरा शिकार का भी था जो अब बंद हो गया है.
तस्वीर: LUIS ROBAYO/AFP/Getty Images
7 तस्वीरें1 | 7
फैसले की वजह
जीव विज्ञानी कहते हैं कि हल्के भूरे रंग की इस छिपकली का निवास स्थल बंट चुका है जिसके चलते इन्हें अपने आस-पास रहने वाली छिपकलियों के अलावा साथी ढूंढने का विकल्प नहीं मिलता. फिश एंड वाइल्डलाइफ सेवा ने कहा," भले ही तेल और गैस व रेत खनन उद्योग का आगे विस्तान ना हो लेकिन इस बिजनेस का वर्तमान फैलाव ही इतना है कि वह सेजब्रश छिपकली के रेतीले टीलों पर बुरा असरडालेगा."
फिश एंड वाइल्लाइफ सर्विस ने छिपकली के लुप्तप्राय होने पर मुहर लगाते हुए कहा कि स्वैच्छिक समझौतों ने संरक्षण से जुड़े मामलों में फायदे पहुंचाए हैं और पहुंचाते रहेंगे, लेकिन "प्राप्त सूचनाओं के आधार पर किए गए मूल्यांकन से हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि इस तरह के कदमों के बावजूद ड्यून्स सेजब्रश छिपकली के लुप्त होने का जोखिम बहुत ज्यादा है."
कई दूसरे कारकों के साथ ही, इस इलाके में सड़कों का नेटवर्क छिपकली की गतिविधियों को रोकता है और ट्रैफिक के कारण उनकी मौत की वजह बनता है. यही नहीं, औद्योगिक विकास के चलते इस जीव के प्राकृतिक निवास स्थल बुरा असर झेलता रहेगा और रेतीले टीलों के निर्माण की प्रक्रिया में बाधा डालता रहेगा.