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जर्मनी के गृह मंत्री ने किया सख्त प्रवासन नीति का बचाव

३१ मई २०२५

जर्मनी के गृह मंत्री अलेक्जांडर दोबरिंट ने कहा है कि बगैर दस्तावेजों वाले शरणार्थियों को सीमा से ही वापस भेज दिया जाएगा.

सीमा की स्थिति पर बोलते जर्मन गृह मंत्री अलेक्जांडर दोबरिंट
वर्तमान में जर्मनी में लगभग 3.51 लाख लोग सहायक सुरक्षा की स्थिति के साथ रह रहे हैंतस्वीर: Bernd von Jutrczenka/dpa/picture alliance

जर्मनी की नई गठबंधन सरकार की सख्त प्रवासन नीति का बचाव करते हुए गृह मंत्री आलेक्जांडर दोबरिंट ने शनिवार को प्रकाशित एक टिप्पणी में जर्मन अखबार वेल्ट आम जोनटाग को बताया, "सीमा पर शरण के आवेदन कम हैं क्योंकि यह बात जल्दी फैल गई है कि शरण के आवेदन के बावजूद अब जर्मनी में प्रवेश की गारंटी नहीं है."

6 मई को कार्यभार संभालने के कुछ घंटों बाद ही दोबरिंट ने सख्त सीमा जांच व्यवस्था लागू की, जिसमें निर्देश दिया गया कि सभी शरणार्थियों को वापस कर दिया जाए. हालांकि इससे गर्भवती महिलाओं, बच्चों या अन्य कमजोर लोगों को छूट दी गई.

सख्त होंगे नियम

जर्मनी की नई गठबंधन सरकार, जिसमें क्रिश्चियन डेमोक्रेट्स (सीडीयू), क्रिश्चियन सोशल यूनियन (सीएसयू) और सोशल डेमोक्रेट्स (एसपीडी) शामिल हैं, ने यह तय किया है कि सहायक सुरक्षा (सब्सिडरी प्रोटेक्शन) का दर्जा पाने वालों के लिए परिवार के सदस्यों को फिर से साथ लाने (फैमिली रीयूनिफिकेशन) की प्रक्रिया को कम से कम अगले दो साल के लिए रोक दिया जाएगा.

वर्तमान में, जर्मनी में लगभग 3.51 लाख लोग सहायक सुरक्षा की स्थिति के साथ रह रहे हैं, जिनमें से अधिकांश सीरिया से हैं. उन्हें शुरू में एक साल के लिए निवास परमिट मिलता है. 2024 में, इस प्रारंभिक अवधि को बढ़ाकर तीन साल कर दिया गया था. उन्हें जर्मनी में रहने और काम करने और सामाजिक लाभ प्राप्त करने का अधिकार है.

हालांकि, जहां शरण चाहने वालों और मान्यता प्राप्त शरणार्थियों को जर्मन और यूरोपीय संघ के कानून के तहत जीवनसाथी और 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के साथ पुनर्मिलन का अधिकार है, वहीं आश्रित सुरक्षा की स्थिति वाले लोगों को यह अधिकार नहीं है.

28 मई को, जर्मन कैबिनेट ने परिवार के सदस्यों को साथ लाने पर इन पाबंदियों को मंजूरी दे दी. कानून बनने के लिए इस विधेयक को अभी भी जर्मन संसद के निचले सदन, बुंडेस्टाग में पारित किया जाना बाकी है.

कुछ देशों ने जताई नाराजगी

बर्लिन में पोलैंड के दूतावास ने सख्त सीमा नियंत्रणों पर चिंता जताते हुए चेतावनी दी थी कि ऐसे उपाय सीमा-पार यातायात और यूरोपीय संघ के आंतरिक बाजार के कामकाज को बाधित कर सकते हैं. स्विट्जरलैंड ने भी जोर दिया कि जर्मनी की आने वाली रूढ़िवादी-नेतृत्व वाली सरकार को प्रवासियों और शरणार्थियों के साथ अपने व्यवहार को यूरोपीय कानून के अनुरूप रखना चाहिए.

अन्य देशों द्वारा जताई जा रही चिंता पर जवाब देते हुए दोबरिंट ने कहा, "जर्मन सीमाओं पर कोई समस्या नहीं है." उन्होंने आगे कहा कि इसका उद्देश्य जर्मनी के पड़ोसियों पर बोझ डालना नहीं था. लेकिन हमारे पड़ोसियों को भी यह समझना चाहिए कि जर्मनी पिछले कुछ वर्षों की अपनी प्रवासन नीति को जारी रखने के लिए अब तैयार नहीं है.

'सहायक सुरक्षा' का दर्जा प्राप्त लोगों के लिए परिवार के सदस्यों को जर्मनी में फिर से साथ लाने का मुद्दा जर्मनी में राजनीतिक बहस का विषय रहा है. 2015 में, पूर्व चांसलर अंगेला मैर्केल के नेतृत्व वाली सरकार ने 'सहायक सुरक्षा' पाने वालों के जीवनसाथी, बच्चों या माता-पिता को जर्मनी में उनके साथ जुड़ने का अधिकार दिया था. लेकिन इसे 2016 में सिर्फ एक साल बाद निलंबित कर दिया गया था.

जर्मनी के जीडीपी पुलिस संघ ने चेतावनी दी है कि सख्त सीमा नियंत्रणों को केवल सीमित अवधि के लिए ही बनाए रखा जा सकता है. संघ के अध्यक्ष ने कहा है कि देश की सीमाओं के लिए जिम्मेदार संघीय पुलिस ने ड्यूटी के समय में बदलाव करके, ट्रेनिंग सत्रों को रोककर और ओवरटाइम छुट्टी को स्थगित करके अतिरिक्त कार्यभार का प्रबंधन किया है.

अक्टूबर 2023 के मध्य से, जर्मन सीमा शुल्क अधिकारी, जो वित्त मंत्रालय के अधीन हैं, पोलैंड, चेक गणराज्य, ऑस्ट्रिया और स्विट्जरलैंड के साथ सीमाओं पर पुलिस का साथ दे रहे हैं.

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