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२५ मई २०१८
पहले चर्च बना, फिर मस्जिद और अब म्यूजियम
पहले चर्च बना, फिर मस्जिद और अब म्यूजियम
हाइया सोफिया यानी तुर्की के शहर इस्तांबुल में विशाल गुंबद और चार मीनारों वाली डेढ़ हजार साल पुरानी इमारत. कभी ये एक चर्च था, फिर इसे मस्जिद बना दिया गया और अब यह एक म्यूजियम है.
वास्तुकला का शाहकार
532 ईसवी में रोमन सम्राट जस्टिनियन ने एक शानदार चर्च के निर्माण का आदेश दिया था, "एक ऐसा चर्च, जो आज तक ना बना हो और ना कभी दोबारा बनाया जा सके." इस इमारत को बनाने में दस हजार कामगार लगाए गए.
150 टन सोना
बताया जाता है कि सम्राट जस्टिनियन ने इस इमारत को बनवाने में लगभग 150 टन सोने का निवेश किया था. हाइया सोफिया यानी "पवित्र ज्ञान" जल्द ही रोमन साम्राज्य का आधिकारिक चर्च बना गया. सातवीं सदी के बाद बिजांतिन वंश के लगभग सभी सम्राटों का राज्याभिषेक यहीं हुआ.
मस्जिद में तब्दील
वर्ष 1453 में कोंस्तानतिनोपोल में बिजांतिन शासन खत्म हुआ. ओटोमान साम्राज्य के सुल्तान मेहमत द्वितीय ने इस शहर को जीत लिया और हाइया सोफिया को एक मस्जिद में तब्दील कर दिया गया. क्रॉस की जगह चांद लगा दिया गया, घंटियों और पूजा की बेदियों को नष्ट कर दिया गया और दीवारों पर संगमरमर के जरिए उकेरे गए चित्रों पर रंग पोत दिया गया.
फिर म्यूजियम बना
आधुनिक तुर्की के संस्थापक मुस्तफा कमाल अतातुर्क ने हाइया सोफिया को 1934 में एक म्यूजियम में तब्दील कर दिया. दीवारों पर बने चित्रों को बहाल किया गया. इस दौरान इस बात का भी ख्याल रखा गया कि इस्लामी प्रतीक नष्ट न हों.
इस्लाम और ईसाइयत साथ-साथ
हाइया सोफिया में हर तरफ इतिहास के निशान दिखाई देते हैं. यहां एक तरफ मोहम्मद (बाएं) और दूसरी तरफ अल्लाह (दाएं) लिखा है तो वहीं बीच में यीशु को अपनी गोद में लिए हुए वर्जिन मेरी भी देखी जा सकती हैं. हाइया सोफिया 1985 से विश्व विरासत स्थल है.
बिजांतिन प्रतीक
हाइया सोफिया की दीवार पर उकेरे गए चित्रों में सबसे कमाल की कृति यह है जिसे 14वीं सदी में बनाया गया. हालांकि इसे पूरी तरह बहाल नहीं किया जा सका है, लेकिन चेहरे साफ तौर पर देखे जा सकते हैं. यहां यीशू को विश्व के शासक के तौर पर दिखाया गया. उनके एक तरफ मैरी हैं और दूसरी देवदूत जॉन.
ऑर्थोडॉक्स ईसाइयों की मांग
कोंस्तानतिनोपोल के पैट्रिआर्क और सभी ऑर्थोडॉक्स ईसाइयों के मानद प्रमुख बार्थोलोमैओस बहुत समय से मांग कर रहे हैं कि हाइया सोफिया में ईसाइयों को पूजा अर्चना करने की इजाजत दी जाए. उनके मुताबिक, "हाइया सोफिया को तो मूल रूप से ईसाइयों के पूजा स्थल के तौर पर ही बनाया गया था." (रिपोर्ट: क्लाउस डहमन/एके)