ड्रोन के सबसे बड़े निर्यातक चीन में ही लगीं पाबंदियां
६ सितम्बर २०१७
विश्व में ड्रोन के सबसे बड़े निर्यातक देश चीन के ही ड्रोन-प्रेमियों को इस बारे में नये नये नियमों का पालन करना पड़ेगा कि वे कहां और कैसे ड्रोन उड़ा सकते हैं. ड्रोन उड़ाने से पहले महंगी ट्रेनिंग लेना हो गया है अनिवार्य.
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New rules ground China's drones
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250 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से गोता लगाता गरुड़ अच्छे खासे ड्रोन को क्रैश कर देता है. फ्रांस की सेना अब इन परिदों को ट्रेनिंग दे रही है.
ड्रोनों को निपटाने के लिए ईगल ब्रिगेड
250 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से गोता लगाता गरुड़ अच्छे खासे ड्रोन को क्रैश कर देता है. फ्रांस की सेना अब इन परिदों को ट्रेनिंग दे रही है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/G. Gobet
दक्षिणी फ्रांस के एक सैन्य ठिकाने में चार गोल्डन ईगल्स के पहले बैच को ट्रेनिंग दी जा रही है. युवा परिदों को हर दिन कई घंटे अभ्यास कराया जाता है.
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ट्रेनिंग सेंटर में गरुड़ों को मुर्गी के चूजे खुराक के तौर पर दिये जाते हैं. ट्रेनर अलग अलग किस्म के ड्रोनों में मांस के टुकड़े भी बांधते हैं.
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सेना के मुताबिक गोल्डन ईगल्स को छह महीने तक ट्रेनिंग दी जाएगी. सेना के मुताबिक ड्रोनों की बढ़ती संख्या से सुरक्षा को खतरा पहुंच रहा है.
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ताकतवर गरुड़ उड़ान और शिकार में माहिर होते हैं. प्राकृतिक स्वभाव के चलते वो ड्रोन को घुसपैठिये की तरह देखते हैं और हवा में ही मशीन पर झपट पड़ते हैं.
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गरुड़ का हमला ड्रोन का संतुलन बिगाड़ देता है. और संतुलन बिगड़ते ही ड्रोन सीधा जमीन पर क्रैश होता है. इससे गरुड़ को भी चोट लगने का खतरा कम हो जाता है.
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गोल्डन ईगल अपने शिकार को दबोचने के लिए 250 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से गोता लगा सकते हैं. ये परिंदे दो किलोमीटर दूर से अपना शिकार आराम से चुन लेते हैं.
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हाल के समय में आतंकवादी भी ड्रोनों का इस्तेमाल करने लगे हैं. ड्रोनों की मदद से जासूसी और हमले भी किये जाने लगे हैं.
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ट्रेनिंग के नतीजों से फ्रांसीसी सेना काफी खुश है. अधिकारियों को उम्मीद है कि जल्द ही इन परिदों को स्टेडियमों, राजनीतिक सम्मेलनों और एयरपोर्टों में तैनात किया जा सकेगा. नीदरलैंड्स में भी ड्रोनों से निपटने के लिए इन परिदों की मदद ली जा रही है.