न्यूयॉर्क ने छेड़ी चूहों के खिलाफ "जंग", पहली जनरल नियुक्त
१३ अप्रैल २०२३
न्यूयॉर्क शहर में चूहों के खिलाफ कभी न खत्म होने वाले युद्ध में एक नयी कमांडिंग जनरल आ गई है. शहर के मेयर ने बताया है कि शहर की इस समस्या को सुलझाने के लिए शिक्षा विभाग की एक कर्मचारी काम करेगी.
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अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में चूहों की समस्या बहुत बड़ी है. अब वहां चूहों का पहला 'जार' भी नियुक्त किया जा चुका है. कैथलीन कोराडी नाम की इस अधिकारी को न्यूयॉर्क शहर में चूहों को निशाना बनाने का काम सौंपा गया है.
इस अधिकारी को "रैट जार" का नाम दिया गया है. "जार" अतीत के रूसी सम्राटों की उपाधि थी, लेकिन अधिकारियों द्वारा इस नयी महिला अधिकारी को "जार" कहा जा रहा है क्योंकि उन्हें सौंपा गया काम वास्तव में बहुत कठिन है.
कोराडी एक पूर्व शिक्षक हैं और उनके लिए चूहों के खिलाफ काम कोई नयी बात नहीं है. उन्होंने इससे पहले शहर के पब्लिक स्कूलों में चूहों से छुटकारा पाने की कोशिशों पर काम किया है.
आमतौर पर 'बिग एपल' के नाम से मशहूर अमेरिका के इस सबसे बड़े महानगरीय शहर के बारे में कहा जाता है कि यहां कुल इंसानों की आबादी लगभग उतनी ही है, जितनी इस शहर में चूहों की है. हालांकि उस आंकड़े को स्थानीय सांख्यिकीविदों ने एक मिथक के रूप में खारिज कर दिया है.
न्यूयॉर्क में चूहे सालों से सार्वजनिक जीवन के लिए एक सामाजिक 'कलंक' बने हुए हैं और शहर प्रशासन के लिए एक प्रमुख सिरदर्द हैं, और इस 'संकट' से छुटकारा पाने के नगरपालिका के प्रयास आज तक सफल नहीं हो सके हैं.
शहर के मेयर एरिक एडम्स को चूहे जरा भी पसंद नहीं है और उन्होंने ही इस पद के लिए विज्ञापन निकाला था. इस जनरल की नियुक्ति से करीब चार महीने पहले पद के लिए विज्ञापन निकला था. शहर के मेयर एडम्स ने विज्ञापन में लिखा था कि उन्हें एक ऐसा व्यक्ति चाहिए जो "कड़क और खून का प्यासा" किस्म का हो.
शहर के लिए सिरदर्द बनते चूहे
शहर में चूहों की संख्या इतनी है कि यह अक्सर फुटपाथों पर और शहर के अंडरग्राउंड रेलवे स्टेशनों के प्लेटफार्मों और पटरियों को पार करते हुए कचरे के डिब्बों से खाना खोजते हुए देखे जाते हैं.
इस शहर में कई चूहों की मौजूदगी का इतिहास इतना पुराना है कि 1842 में जब अंग्रेजी उपन्यासकार चार्ल्स डिकंस न्यूयॉर्क आए थे तो उन्होंने भी इसके बारे में शिकायत की थी.
चूहे की समस्या से निपटने के लिए न्यूयॉर्क की पहली जनरल कोराडी ने एक बयान में कहा, "न्यूयॉर्क पिज्जा रैट के लिए मशहूर हो सकता है, लेकिन चूहों और उन्हें फलने-फूलने में मदद करने वाली स्थितियों को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा."
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक पूर्व शिक्षक और वेस्ट मैनेजमेंट विशेषज्ञ को हर साल 1,55,000 डॉलर का भुगतान किया जाएगा.
2014 में हुए एक शोध के मुताबिक शहर में चूहों की संख्या करीब 20 लाख हो सकती है, यानी हर चार नागरिक में एक चूहा.
एए/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)
असल में कैसे होते हैं चूहे
चीन में 25 जनवरी 2020 से चूहों का साल शुरू हुआ. चीन में चूहों को बुद्धिमत्ता, जीवन शक्ति और खुशी का प्रतीक माना जाता है जबकि पश्चिमी समाज में चूहों को बीमारी, धोखे और घिन्न से जो़डा जाता है. असल में चूहे होते कैसे हैं?
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चूहे का इंतजार
चीनी राशिफल में पहली राशि के चिन्ह चूहे नई शुरुआत के प्रतीक होते हैं. इन्हें प्राण शक्ति, बुद्धिमत्ता और दृढ़ता से जोड़ कर देखा जाता है. यह रहस्यमयी और ईर्ष्यालू भी होता है. धातु वाले चूहे के कारण 2020 उन लोगों के लिए फायदेमंद साल रहेगा जो रियल एस्टेट में निवेश करना चाहते हैं, कोई कारोबार शुरु करना चाहते हैं या किसी नई साझेदारी में प्रवेश करना चाहते हैं.
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प्यारे चूहे
राजस्थान के कर्णी माता मंदिर में करीब 20,000 चूहे रहते हैं. मान्यता है कि चूहों के रूप में असल में उन आत्माओं का पुनर्जन्म हुआ है जो देवी दुर्गा के लिए श्रद्धा रखते हैं. गणेश की सवारी भी एक चूहा ही है जिसे मूषक कहते हैं. मंदिर में अगर कोई चूहा आपके पैर के ऊपर से निकल जाए तो इसे आपका सौभाग्य माना जाता है.
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खोजी चूहे
चूहों की कोई 65 किस्मों का पता है. इनमें से ज्यादातर दूरदराज के जंगलों में रहते हैं. इनकी शुरुआत दक्षिण पूर्वी एशिया में हुई मानी जाती है. यहां से इंडोनेशिया के रास्ते चूहे भारत और चीन में फैले और फिर न्यू गिनी और ऑस्ट्रेलिया तक. मध्यकाल में जाकर चूहे यूरोप पहुंचे. उसके पहले तक नॉर्वे रैट और ब्राउन रैट नामक चूहों की किस्में ही दुनिया भर में फैली थीं.
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बदमाश चूहे
यहूदियों के तोरा से लेकर ईसाईयों के बाइबिल और इस्लाम के कुरान तक में चूहों का कोई विशेष जिक्र नहीं है. लेकिन यूरोप में अपेक्षाकृत देर से आए चूहे ना केवल लोगों की रसद खाने लगे बल्कि बीमारियां फैलाने के लिए भी जाने जाने लगे. सब कुछ खाने वाले चूहे कूड़े कचरे में खाना खोजते और गंदी अंधेरी जगहों पर रहते. इस कारण कई लोगों को इनसे घिन्न आती है.
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परंपराओं का हिस्सा
पाइड पाइपर की मान्यता के चलते हर साल हजारों पर्यटक विश्व भर से हामेल्न में जुटते हैं. सन 1284 में पाइड पाइपर ने उत्तर जर्मनी के इस शहर को चूहों के कारण फैलने वाले प्लेग से छुटकारा दिलाया था. कहानी में बताया जाता है कि वह सभी चूहों को अपनी बंसरी की धुन से मोह कर शहर से निकाल ले गया था. आजकल चूहों को पकड़ने के लिए ट्रैप, जहर और तमाम दूसरे तरीकों का इस्तेमाल होता है.
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कैसे बदली इमेज
19वीं सदी के मध्य में अल्फ्रेड ब्रेहम ने इन रोडेंट कुल के जीवों को "एबडॉमिनेबल" यानि घिनौना कहा था. उन्होंने कहा कि जैसे ही इन्हें पता चलता है कि इंसान उनके खिलाफ कुछ कर नहीं सकता, उनकी ढिठाई बढ़ जाती है. कार्टूनों में भी चूहे शातिर विलेन की भूमिका निभाते हैं. चालाक चूहे रातातुई को अपने साथियों की छवि बेहतर बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.
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पालतू बने साफ चूहे
छोटे चूहों को अक्सर पालतू जानवरों की तरह पाला जाता है. वे बहुत शर्मीले नहीं होते और इंसान के साथ रहने की उन्हें आदत पड़ गई है. खराब छवि के बावजूद चूहे बहुत सफाई पसंद जानवर होते हैं. अक्सर वे अलग अलग रंग के होते हैं और इसलिए रंगीन चूहे कहलाते हैं. उन्हें पालने की एक और दलील यह है कि वे बहुत रोंयेदार भी होते हैं.
कपटी और धूर्त छवि वाले चूहे परिवारों में रहते हैं. गिरोह के सदस्य एक दूसरे को गंध की मदद से पहचानते हैं. समुदाय को जारी रखने के लिए ताकतवर चूहे कमजोर चूहों को छोड़कर चले जाते हैं और छोटे चूहों को पहले खाने को मिलता है. चूहे बहुत ही चतुर होते हैं. वे खोने पर भी अपना रास्ता याद रखते हैं और जरूरत पड़ने पर दूसरा रास्ता लेकर भी वापस घर पहुंच सकते हैं.
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शोध में सहायक
घिनौनी छवि होने के कारण जब चूहों का इस्तेमाल रिसर्च के लिए होता है तो शायद ही कोई हंगामा होता है. चूंकि वे बहुत तेजी से प्रजनन करते हैं और रखरखाव में सस्ते होते हैं, इसलिए उन्हें परीक्षण के सबसे आदर्श माना जाता है. जर्मनी में ही हर साल करीब 500,000 चूहों का इस्तेमाल रिसर्च के लिए होता है.
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विस्फोटकों की तलाश
विस्फोटकों का पता लगाने में अब कुत्तों को प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है. चूहों की कुछ प्रजातियां विस्फोटकों का पता करने में उतनी ही कुशल हैं जितने कि सूंघने वाले कुत्ते. थाईलैंड, अंगोला, कंबोडिया और मोजांबिक में बारूदी सुरंगों का पता लगाने के लिए चूहों का इस्तेमाल किया जा रहा है.