न्यूजीलैंड में अब ऐसी कामकाजी महिलाओं और उनके पार्टनरों को सवेतन छुट्टियां देने का कानून पास हो गया है, जिनका या तो गर्भपात हो गया हो या बच्चा मृत पैदा हुआ हो. पूरे विश्व में अब तक केवल भारत में ही ऐसा कानून था.
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न्यूजीलैंड की संसद ने सर्वसम्मति से एक नया कानून पास कर दिया है. इसमें उन महिलाओं और उनके पार्टनरों के लिए शोक भत्ते का प्रावधान किया गया है जिन्होंने गर्भपात के कारण या मृत बच्चे के जन्म के चलते अपना बच्चा खोया हो. इसका मकसद उस जोड़े को इस दुख को सहने और उससे उबरने के लिए समय देना है. संसद ने इसके लिए शोक भत्ता बनाया है जिससे इस शोक से गुजरने वाले कामकाजी लोगों को वेतन समेत तीन दिन की छु्ट्टी मिलेगी. अब तक ऐसी हालत में तमाम लोग अपनी बीमारी के मद वाली छुट्टियां इस्तेमाल करने को मजबूर थे.
न्यूजीलैंड की लेबर पार्टी की सांसद जिनी एंडरसन ने कहा कि स्टिलबर्थ (मृत बच्चा पैदा होने) के साथ एक शर्मिंदगी का भाव भी जुड़ा रहा है जिसके कारण लोग इसके बारे में चर्चा नहीं कर पाते. इस बिल को संसद में लाने वाली एंडरसन ने कहा, "गर्भपात के साथ जो दुख आता है वह कोई बीमारी नहीं है, वह एक क्षति है, और क्षति से उबरने में समय लगता है, शारीरिक और मानसिक रूप से बेहतर होने में वक्त लगता है." एंडरसन ने बताया कि यह छुट्टी उस महिला के पार्टनर को भी मिलने की व्यवस्था है जिसका गर्भपात हुआ हो या जो गोद लेकर या सरोगेसी के माध्यम से बच्चा पाने की कोशिश कर रहे थे.
गर्भावस्था में पेट दर्द हो तो ध्यान दें
गर्भावस्था में थोड़ा बहुत पेट दर्द होना सामान्य बात है लेकिन अगर यह लगातार हो रहा है तो इस पर ध्यान देने की जरूरत है. किस तरह का पेट दर्द सामान्य माना जा सकता है और किस तरह का नहीं, इसे समझना जरूरी है.
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क्यों होता है दर्द?
उदयपुर स्थित नारायण सेवा संस्थान के वरिष्ठ सर्जन डॉ. अमरसिंह चूंडावत के अनुसार गर्भाशय का विस्तार होने के साथ चूंकि मां के अंग शिफ्ट हो हाते हैं और साथ ही अस्थि-बंधन एक साथ फैल रहे होते हैं, ऐसे में पेट दर्द स्वाभाविक है. लेकिन यह भी जानना जरूरी है कि पेट दर्द को कब गंभीरता से लिया जाए.
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कब जाएं डॉक्टर के पास?
डॉ. चूंडावत कहते हैं कि पेट दर्द को तब गंभीर माना जा सकता है, जब पेट दर्द के साथ उल्टी, बुखार, ठंड लगना और योनि से असामान्य रक्तस्राव होने लगे. साथ ही राउंड लिगामेंट दर्द अधिकतम कुछ मिनट के लिए ही होता है. ऐसे में यदि पेट में दर्द लगातार है तो मामला गंभीर है. इसके अलावा अगर पेटदर्द से चलने, बोलने या सांस लेने में भी मुश्किल हो जाए तो इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए.
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क्या हो सकता है परिणाम?
इस तरह के पेट दर्द के कई परिणाम हो सकते हैं, मसलन समय से पहले बच्चे का जन्म या, गर्भपात, अपेंडिसाइटिस या फिर पथरी. हर दर्द के साथ कुछ ना कुछ अलग लक्षण भी होते हैं, जिन पर ध्यान देना बेहद आवश्यक है. इसे विस्तार से समझने के लिए आगे पढ़ें.
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गर्भपात
स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली के अनुसार भारत में अप्रैल 2017 से मार्च 2018 तक 5.55 लाख गर्भपात दर्ज किए गए, जिनमें से 4.7 लाख सरकारी अस्पतालों में हुए. गर्भपात के मामलों में पेट दर्द की महत्वपूर्ण भूमिका है. हर 5-20 मिनट में संकुचन, पीठ दर्द, ऐंठन के साथ या बिना रक्तस्राव, योनि में हल्की या तेज ऐंठन, गर्भावस्था के अन्य लक्षणों में अप्रत्याशित रूप से कमी आदि गर्भपात के प्रमुख संकेत है.
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समय से पहले जन्म
गर्भावस्था कुल 40 हफ्ते चलती है. 24 से 37वें हफ्ते के बीच होने वाले जन्म को प्रीमैच्योर कहा जाता है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार भारत में 2018 में 35,19,100 जन्म समयपूर्व हुए. यह कुल जन्म का लगभग 24% है. भारत दुनिया की समयपूर्व डिलीवरी में 60 प्रतिशत योगदान देने वाले 10 देशों की सूची में सबसे ऊपर है. डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान नियमित चिकित्सा जांच के लिए जाने का सुझाव देते हैं.
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प्रीक्लेम्पसिया
20 सप्ताह की गर्भावस्था के बाद महिलाएं उच्च रक्तचाप की समस्या से भी ग्रस्त हो सकती हैं. कभी-कभी महिलाओं के मूत्र में प्रोटीन भी आने लगता है. यह बच्चे के विकास को धीमा कर देता है क्योंकि उच्च रक्तचाप गर्भाशय में रक्त वाहिकाओं के कसने का कारण बन सकता है. इसके सिरदर्द, मतली, सूजन, पेट दर्द और नजर के धुंधले होने जैसे कई लक्षण हैं.
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मूत्र पथ के संक्रमण
जीवाणु संक्रमण से यूटीआई यानी यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन या फिर मूत्र पथ का संक्रमण हो सकत है. यूटीआई मूत्रमार्ग, मूत्राशय और यहां तक कि गुर्दे में संक्रमण की ओर ले जाता है. इस स्थिति के साथ आने वाले लक्षणों में जननांग क्षेत्र में जलन, पेशाब करने की इच्छा, पेशाब के दौरान जलन और पीठ में दर्द शामिल हो सकते हैं. अध्ययनों के अनुसार क्रैनबेरी के नियमित सेवन से यूटीआई को रोका जा सकता है.
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अपेंडिसाइटिस
गर्भावस्था के दौरान अपेंडिक्स के संक्रमण से गर्भावस्था में सर्जरी की स्थिती बन सकती है. यह शरीर में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों के कारण होता है. डॉक्टरों के अनुसार पहली और दूसरी तिमाही में निदान करना आसान है. निचले हिस्से में दर्द, उल्टी और भूख की कमी जैसे लक्षण होते हैं.
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पित्ताशय की पथरी
अतिरिक्त एस्ट्रोजन के कारण गर्भावस्था के दौरान पित्ताशय की पथरी एक आम समस्या है. वजन ज्यादा होने पर, 35 वर्ष से अधिक आयु होने पर और परिवार में पथरी का चिकित्सा इतिहास होने पर पित्ताशय की पथरी की संभावना ज्यादा रहती है.
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एक्टोपिक गर्भावस्था
महिलाओं को पेट में गंभीर दर्द की शिकायत तब भी होती है जब अंडा, गर्भाशय के अलावा किसी अन्य स्थान पर प्रत्यारोपित हो जाता है. एक्टोपिक गर्भावस्था में गर्भावस्था के 6-10वें सप्ताह के बीच दर्द और रक्तस्राव होता है. गर्भाधान के समय अगर एंडोमेट्रियोसिस, ट्यूबल लाइगैशन और गर्भधारण के दौरान इन्ट्रायूटरिन डिवाइस का इस्तेमाल हो, तो महिलाएं अधिक जोखिम में होती हैं.
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क्या क्या सावधानियां बरतें?
दर्द होने पर तत्काल आराम करें. पेट के निचले हिस्से में दर्द होने पर गर्म पानी से स्नान करें. पीड़ा को कम करने के लिए पानी की गर्म बोतल से सिकाई करें. पेट के वायरस और भोजन की विषाक्तता के लिहाज से विशेष सावधानी बरतें. आसानी से पचने वाला खाना खाएं. पेट के दर्द से जुड़े चेतावनी संकेतों पर नजर रखें और अगर परेशानी बढ़े, तो बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क करें.
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एंडरसन ने संसद में अपने बयान में बताया कि न्यूजीलैंड की हर चार में से एक महिला को गर्भपात झेलना पड़ा है. न्यूजीलैंड ऐसा कानून बनाने वाला विश्व का दूसरा देश बन गया है. अब तक केवल भारत में ही इससे मिलता जुलता कानून था. मानवाधिकारों के मामले में न्यूजीलैंड ऐतिहासिक रूप से उल्लेखनीय है. दुनिया में सबसे पहले महिलाओं को वोटिंग का अधिकार सबसे पहले इसी देश ने दिया था. इसके अलावा हाल के सालों में भी प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न की अगुवाई वाली सरकार ने लगातार महिला अधिकारों की दिशा में कई बड़े कदम उठाए हैं. पिछले साल ही उनकी सरकार ने देश में ऐतिहासिक कानून पास किया जिससे गर्भपात को अपराध की श्रेणी से बाहर निकाला गया.
शोक भत्ते की शुरुआत पर एंडरसन ने कहा, "मैं तो यही उम्मीद जता सकती हूं कि भले ही हम ऐसा करने वाले पहले हों लेकिन आखिरी ना हों. और देशों को भी ऐसी अनुकंपा वाली और निष्पक्ष अवकाश वाली प्रणाली अपनानी चाहिए जो इस बात को समझती हो कि गर्भपात और स्टिलबर्थ के साथ कितना दर्द और शोक जुड़ा होता है."
आरपी/एमजे (रॉयटर्स, एएफपी)
गर्भपात को ले कर दुनिया में कहां क्या है कानून?
भारत में महिलाएं यह कल्पना भी नहीं कर सकतीं कि "अनचाही" प्रेग्नेंसी से पीछा छुड़ाना चाहें और डॉक्टर कहे कि आपको बच्चा पैदा करना ही होगा क्योंकि गर्भपात का आपको कोई अधिकार नहीं. लेकिन बहुत से देशों में ऐसा होता है.
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पूरी तरह वर्जित
दुनिया में 26 देश ऐसे हैं जहां किसी भी हाल में गर्भपात की अनुमति नहीं है, फिर चाहे मां या बच्चे की जान पर ही खतरा क्यों ना हो. यानी यहां गर्भवती होने के बाद महिला का अपने शरीर पर कोई हक ही नहीं रह जाता. दुनिया की कुल पांच फीसदी यानी नौ करोड़ महिलाएं ऐसे देशों में रहती हैं. इनमें इराक, मिस्र, सूरीनाम और फिलीपींस शामिल हैं.
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महिला को बचाने के लिए
ऐसे 39 देश हैं जहां गर्भपात केवल उसी हालत में किया जा सकता है जब गर्भवती महिला की जान को खतरा हो. ऐसे में गर्भपात का फैसला सिर्फ डॉक्टर ही ले सकते हैं, महिला खुद नहीं. दुनिया की 22 फीसदी यानी 35 करोड़ महिलाएं ऐसे देशों में रहती हैं. इनमें ब्राजील, मेक्सिको, ईरान, अफगानिस्तान और यूएई शामिल हैं.
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स्वास्थ्य से जुड़े कारणों से
56 देशों के कानून महिलाओं को गर्भपात की इजाजत देते हैं अगर वे साबित कर सकें कि गर्भावस्था उनकी सेहत के लिए बुरी है. इनमें 25 देश मानसिक स्वास्थ्य को भी अहमियत देते हैं. दुनिया की 14 फीसदी यानी 24 करोड़ महिलाएं ऐसे देशों में रहती हैं. इनमें पोलैंड, पाकिस्तान, सऊदी अरब और थाईलैंड शामिल हैं.
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आर्थिक या सामाजिक कारणों से
मात्र 14 देश ऐसे हैं जो महिला को अपनी स्थिति के अनुसार तय करने का अधिकार देते हैं कि वह बच्चे को जन्म देना चाहती है या नहीं. दुनिया की 23 फीसदी यानी 38 करोड़ महिलाएं ऐसे देशों में रहती हैं. इनमें भारत, ब्रिटेन, फिनलैंड और जापान शामिल हैं. अधिकतर मामलों में यहां वजह सिर्फ औपचारिकता पूरी करने के लिए ही पूछी जाती है.
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पहले 12 हफ्तों में
कुल 67 देशों में गर्भपात के लिए कोई वजह नहीं बतानी पड़ती. लेकिन बच्चे और मां के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए यहां गर्भपात के वक्त को सीमित किया गया है. अधिकतर मामलों में पहले तीन महीनों के अंदर ही गर्भपात की अनुमति दी जाती है. इसके बाद भ्रूण का विकास तेजी से होने लगता है. दुनिया की 36 फीसदी यानी 59 करोड़ महिलाएं ऐसे देशों में रहती हैं. इनमें अमेरिका, कनाडा, चीन और रूस शामिल हैं.
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अपने हक के लिए प्रदर्शन
पोलैंड में सरकार गर्भपात से जुड़े नियमों को और सख्त कर रही है. केवल बलात्कार, इनसेस्ट या फिर मां की जान को खतरे की हालत में ही इसकी इजाजत दी जाएगी. देश में महिलाएं इन नए नियमों के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन कर रही हैं. वहीं प्रधानमंत्री माटेउस मोरावीस्की का कहना है कि कोरोना काल में प्रदशन कर वे अपनी और दूसरों की जान जोखिम में डाल रही हैं.
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