कुछ इस तरह से युवाओं को सिगरेट से दूर करेगा न्यूजीलैंड
१० दिसम्बर २०२१
न्यूजीलैंड की सरकार एक कानून लाने की योजना बना रही है, जिसके तहत 2027 के बाद आने वाली पीढ़ी सिगरेट नहीं पीती होगी.
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न्यूजीलैंड ने तंबाकू उद्योग पर दुनिया की सबसे कठिन कार्रवाई में से एक में युवाओं को अपने जीवनकाल में सिगरेट खरीदने पर प्रतिबंध लगाने की योजना बनाई है. देश का तर्क है कि धूम्रपान का सेवन खत्म करने के अन्य प्रयासों में बहुत अधिक समय लग रहा है.
प्रस्तावित कानून के मुताबिक 14 वर्ष और उससे कम्र उम्र के लोग 2027 में कभी भी सिगरेट नहीं खरीद पाएंगे. 50 लाख की आबादी वाले देश में 9 दिसंबर को नया कानून का खाका पेश किया गया. कानून तंबाकू के खुदरा विक्रेताओं की संख्या पर भी अंकुश लगाएगा और सभी उत्पादों में निकोटीन के स्तर में कटौती करेगा.
स्वास्थ्य मंत्री आयशा वेर्रल ने एक बयान में कहा, "हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि युवा कभी धूम्रपान न करें, युवाओं के नए समूहों को धूम्रपान करने वाले तंबाकू उत्पादों को बेचने या आपूर्ति करने के लिए इसे अपराध बना देंगे."
उन्होंने कहा, "अगर कुछ नहीं बदलता है, तो माओरी धूम्रपान की दर 5 प्रतिशत से कम होने तक दशकों लगेंगे और यह सरकार लोगों को पीछे छोड़ने के लिए तैयार नहीं है."
सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में 15 वर्ष से अधिक आयु के सभी न्यूजीलैंड के 11.6 प्रतिशत लोग धूम्रपान करते हैं, यह अनुपात मूल निवासी माओरी वयस्कों में 29 प्रतिशत तक पहुंच जाता है.
ई सिगरेट- हीरो से विलेन बनने का सफर
बाजार में ई सिगरेट को ऐसे विकल्प के रूप में पेश किया गया था जो तंबाकू के नुकसानदेह असर से तो बचाता ही है सिगरेट पीने की आदत को भी छुड़ा सकता है. अब क्या हुआ जो इस पर रोक लगानी पड़ रही है.
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भारत में क्यों लगी रोक
इलेक्ट्रॉनिक सिगरेटों पर भारत में प्रतिबंध लग गया है. कारण स्वास्थ्य चिंताओं को बताया गया. कहा गया कि इसे तंबाकू फूंकने से कम हानिकारक बताना सही नहीं. भारत में ई सिगरेट के निर्माण, आयात और वितरण पर रोक लगाई गई.
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युवाओं पर खास ध्यान
भारत की वित्त मंत्री निर्मला सितारमन ने इस प्रतिबंध का मकसद खास तौर पर देश के युवाओं को बचाना बताया गया. बबल गम से लेकर वनीला तक तमाम तरह के स्वाद में आने वाले निकोटीन वाले लिक्विड युवाओं और किशोरों को भी पसंद आते हैं.
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बच्चों को पसंद
इसके आलोचक मानते हैं कि तरह तरह के टॉफी-चॉकलेट जैसे स्वाद में मिलने के कारण ये बच्चों को भी आकर्षित करता है. हालांकि उसमें मिली निकोटीन बच्चों के लायक बिल्कुल नहीं होती. भारत में रोक के एक दिन पहले ही अमेरिका के न्यूयॉर्क में फ्लेवर वाले ई सिगरेटों पर रोक लगी थी जिसे वेपिंग से जुड़ी मौतों के लिए जिम्मेदार माना गया.
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कैसे काम करता है
यह जलता नहीं है बल्कि इसके भीतर डाले गए लिक्विड को गर्म करता है. जब लिक्विड किसी फ्लेवर वाली वाष्प में बदल जाता है तब उसे सांस के माध्यम से अंदर ले लिया जाता है.
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अमेरिकी टीन्स खासे प्रभावित
अमेरिका के करीब 36 लाख मिडिल और हाई स्कूल के स्टूडेंट्स ने 2018 में कोई ना कोई वेपिंग का उत्पाद इस्तेमाल किया. एक साल पहले की तुलना में यह तादाद 15 लाख बढ़ गई. न्यूयॉर्क में फेफड़ों से जुड़ी तकलीफों से कम से कम सात लोगों के मरने और सैकड़ों के बीमार होने के बाद इसे बैन किया गया.
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क्या वाकई कम हानिकारक
इसकी वाष्प में सिगरेट के धुएं के मुकाबले कम से कम 7,000 तरह के रसायन नहीं होते लेकिन ऐसी कई अन्य चीजें होती हैं जिनसे सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है. ब्रिटेन में तो सरकार ने भी इसे सिगरेट से बेहतर बता कर बढ़ावा दिया.
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भारत में कितने लोग प्रभावित
फिलहाल तो भारत में इनका इस्तेमाल करने वाले लोग कम ही थे लेकिन ई सिगरेट के लिए 1.4 अरब लोगों का संभावित बाजार बंद हो गया. सिगरेट कंपनियां भी ऊंची टैक्स दरों और सार्वजनिक जगहों पर बैन के कारण अपना मुनाफा बचाने की कोशिशों में लगी हैं.
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ई सिगरेट में हुए भारी निवेश का क्या
केवल 2018 में ही मार्लबोरो और चेस्टरफील्ड ब्रांड वाली सिगरेट बनाने वाली अमेरिकी कंपनी एल्ट्रिया ने करीब 13 अरब डॉलर का निवेश ई सिगरेट की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक जूल में किया था.
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तंबाकू की चिंता नहीं
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तंबाकू उपभोक्ता है. तंबाकू के कारण सालाना यहां 900,000 लोगों की जान जाती है. 15 साल के ऊपर वाले देश के 35 फीसदी लोग तंबाकू चबाते हैं, जो कि सिगरेट से भी ज्यादा कैंसर का कारण बनता है.
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तंबाकू उगाने में भी आगे
भारत दुनिया में तंबाकू उगाने वाला तीसरे नंबर पर है. तंबाकू की खेती करने वाले किसानों को राजनीतिक दलों के लिए जरूरी वोट बैंक के रूप में देखा जाता है. भारत इसका बड़ा निर्यातक भी है और आईटीसी जैसी तंबाकू कंपनियों में सरकारी निवेश भी है.
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2022 के अंत तक इसे कानून बनाने के उद्देश्य से सरकार अगले साल जून में संसद में बिल पेश करने से पहले आने वाले महीनों में माओरी स्वास्थ्य कार्य बल के साथ परामर्श करेगी.
इसके बाद प्रतिबंधों को 2024 से चरणों में शुरू किया जाएगा, जिसकी शुरुआत अधिकृत विक्रेताओं की संख्या में तेज कमी के साथ होगी. 2025 में निकोटीन की आवश्यकता कम हो जाएगी और 2027 से "धूम्रपान-मुक्त" पीढ़ी आने लगेगी. 2027 में न्यूजीलैंड एक ऐसी पीढ़ी चाहता है जो सिगरेट नहीं पीती हो.
न्यूजीलैंड की तरह यूनाइटेड किंगडम 2030 तक धूम्रपान मुक्त होने का लक्ष्य निर्धारित किया है जबकि कनाडा और स्वीडन ने आबादी के 5 प्रतिशत से भी कम को धूम्रपान के प्रसार को करने का लक्ष्य रखता है.
एए/सीके (रॉयटर्स, एपी)
सिर्फ एक सिगरेट भी पहुंचाती है शरीर को नुकसान
"मैंने सिगरेट छोड़ दी है, बस कभी-कभी एक...इतना तो चलता है." लेकिन अगर आप जानते कि सिगरेट के पहले कश के साथ ही शरीर में कैसी-कैसी रासायनिक हलचलें होने लगती हैं, तो ये ना कहते. जानिए, क्या कर सकती है सिर्फ एक सिगरेट.
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दिमाग में बदलाव
सिगरेट के धुएं के साथ निकोटिन खून में घुलता है और इसका असर मस्तिष्क पर भी होता है. दिमाग में आनंद का अहसास कराने वाला रसायन डोपोमीन रिलीज होता है. सिगरेट की लत के लिए इसका रिसाव काफी हद तक जिम्मेदार है.
धुआं, टार और कार्बन मोनोऑक्साइड का मिश्रण गले में खराश पैदा करता है. लंबी नींद के दौरान शरीर इन हानिकारक तत्वों को बाहर निकालता है, यही वजह है कि सिगरेट पीने वालों को अक्सर सुबह सुबह कफ की शिकायत रहती है.
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फेफड़ों पर असर
करोड़ों छिद्रों की मदद से इंसान के फेफड़े हर दिन करीब 20 लाख लीटर हवा फिल्टर करते हैं. लेकिन सिगरेट के धुएं में मौजूद टार कई छेदों को बंद कर देता है.
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धड़कन तेज
पहली सिगरेट पीने के साथ ही इंसान का दिल हर मिनट तीन बार ज्यादा धड़कता है. आम तौर पर दिल प्रति मिनट 72 बार धड़कता है, लेकिन सिगरेट पीने वालों की धड़कन 75 प्रति मिनट हो जाती है. इससे इंसान जल्दी थकने लगता है.
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पेट पर असर
सिगरेट आंतों में मौजूद अच्छे और जरूरी बैक्टीरिया पर भी बुरा असर डालती है. इसकी वजह से पोषक तत्वों की प्रोसेसिंग कुछ देर के लिए थम जाती है. धूम्रपान से पेट में एसिड बढ़ जाता है.
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साइनस में रुकावट
एक सिगरेट पीने के फौरन बाद नाक, आंख और माथे में मौजूद खोखले साइनस में बाधा आने लगती है. नाक हल्की बंद सी हो जाती है.
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कान में फ्लूइड
पहली सिगरेट पीने के साथ साथ कान की ग्रंथियों में लसलसा द्रवीय तरल जमा होने लगता है.