न्यूजीलैंड में ज्वालामुखी के मालिकों पर चलेगा मुकदमा
११ जुलाई २०२३
न्यूजीलैंड में 22 लोगों की जान लेने वाले हादसे के लिए जिम्मेदार वाकारी ज्वालामुखी के मालिकों पर इस हफ्ते से मुकदमे की सुनवाई शुरू हो गयी है.
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2019 में न्यूजीलैंड के जिस ज्वालामुखी के फटने से 22 लोगों की मौत हो गयी थी, उसके मालिकों पर मुकदमा शुरू हो रहा है. यह ज्वालामुखी एक परिवार के दो भाइयों की संपत्ति है और इस हफ्ते उन पर मुकदमा शुरू हो रहा है.
दरअसल, यह ज्वालामुखी वाकारी व्हाइट द्वीप पर है. 1936 में ऑकलैंड के शेयर दलाल जॉर्ज बटल ने यह जमीन खरीदी थी. उनसे यह निजी द्वीप उनके बेटों और फिर पोतों को मिल गया.
बटल परिवार ने इस द्वीप की जमीन पर किसी तरह का निर्माण नहीं किया. यहां सल्फर और नमक मौजूद है, लेकिन खनिजों के दोहन की प्रक्रिया शुरू करने से पहले ही द्वीप पर मौजूद ज्वालामुखी में विस्फोट हो गया और मालिकों ने वहां खनन का विचार छोड़ दिया.
अब यह द्वीप जेम्स, पीटर और ऐंड्रयू बटल भाइयों की संपत्ति है, जिन पर 2019 की दुर्घटना के लिए मुकदमा चलाया जा रहा है.
22 लोगों की मौत की जिम्मेदारी
2019 में द्वीप के ज्वालामुखी में उस वक्त विस्फोट हुआ जब दो क्रूज जहाज वहां पर्यटकों को लेकर पहुंचे हुए थे. तब ज्वालामुखी में विस्फोट की चेतावनी का स्तर सिर्फ दो था, लेकिन विस्फोट उससे कहीं ज्यादा बड़ा साबित हुआ.
उस वक्त द्वीप पर 47 लोग मौजूद थे. उनमें से 17 ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों समेत 22 की मौत हो गयी थी. इन मौतों के लिए वर्कसेफ न्यूजीलैंड नामक संस्था ने बटल परिवार को जिम्मेदार माना और उन पर मुकदमा चलाने का फैसला किया. मुकदमे में बटल भाइयों के अलावा वाकारी मैनेजमेंट लिमिटेड नामक कंपनी, आईडी टूअर्स न्यूजीलैंड, टोरांगा टूरिज्म सर्विस, इनफ्लाइट चार्टर्स, वोल्कैनिक एयर सफारीज, एरियस लिमिटेड, काहू न्यूजीलैंड लिमिटेड, व्हाइट आईलैंड टूअर्स और जीएनएस साइंस नामक कंपनियों को भी पक्ष बनाया गया है.
न्यूजीलैंड ने ई-सिगरेट पर लगाया कई तरह का बैन
न्यूजीलैंड ने डिस्पोजेबल वेप पर बैन लगा दिया है. यह बैन अगस्त 2023 से लागू होगा. बड़ी संख्या में सिगरेट ना पीने वाले युवा और किशोर भी ई-सिगरेट की ओर मुड़ रहे हैं. इससे लत लगने के अलावा सेहत पर असर पड़ने का भी खतरा है.
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युवाओं के बीच बढ़ती वेपिंग
सिंगल-यूज वाले डिस्पोजेबल वेप की बैटरी खत्म होने के बाद ना हटाई जा सकती है, ना उसमें नई बैटरी लगाई जा सकती है. प्रतिबंध की घोषणा करते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि बड़ी संख्या में युवा वेपिंग कर रहे हैं. इसे रोकने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है. उन्होंने कहा कि 2025 तक धूम्रपान मुक्त पीढ़ी तैयार करने के लिए जरूरी है कि वेप्स को बच्चों के दिमाग और पहुंच से दूर रखा जाए.
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संतुलन बनाने की कोशिश
अब स्कूलों के पास वेप बेचने वाली दुकानें नहीं खोली जा सकेंगी. कंपनियों को इनकी ब्रैंडिंग में भी बदलाव करना होगा. वेप के कॉटन कैंडी या स्ट्रॉबरी जेली डोनट जैसे नाम भी नहीं रखे जा सकेंगे. सरकार ने कहा है कि वह युवाओं को वेपिंग शुरू करने से रोकने और लोगों को ध्रूमपान छोड़ने के लिए वेप इस्तेमाल करने देने के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रही है.
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ताकि आने वाली पीढ़ियों को ना लगे लत
न्यूजीलैंड ने सिगरेट पीने वालों की संख्या घटाने और मौजूदा बच्चों, किशोरों और आने वाली पीढ़ियों में सिगरेट की लत रोकने के लिए सख्त नियम लागू किए हैं. यहां सिगरेट पीने वालों की तादाद अपेक्षाकृत कम है. बस आठ फीसदी लोग ही सिगरेट पीते हैं. दिसंबर 2022 में न्यूजीलैंड ने जनवरी 2009 में या इसके बाद पैदा हुए किसी भी शख्स को तंबाकू उत्पाद बेचे जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था.
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ई-सिगरेट का बढ़ता चलन
कई देशों में लोगों, खासतौर पर किशोरों और युवाओं के बीच वेपिंग का चलन बढ़ा है. जानकार इस बढ़ते रुझान के प्रति चिंता जताते हैं. 2021 में अस्थमा और रेसिपिरेट्री फाउंडेशन के एक अध्ययन में पाया गया कि न्यूजीलैंड में स्कूल जाने वाले किशोरों में पांच में से एक किशोर दिन में कम-से-कम एक बार वेप लेता है.
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ऑस्ट्रेलिया में भी सख्ती
बीते दिनों ऑस्ट्रेलिया ने भी डिस्पोजेबल वेप पर ऐसा ही फैसला लिया था. ऑस्ट्रेलिया ने तंबाकू कंपनियों पर आरोप लगाया कि वो जानबूझकर किशोरों को निशाना बनाकर निकोटिन लत वाली अगली पीढ़ी तैयार कर रही है.
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कैसे काम करती है ई-सिगरेट
ई-सिगरेट में यूजर भाप के माध्यम से निकोटिन का कश खींचता है. सिगरेट में धुएं से निकोटिन अंदर जाती है. ई-सिगरेट में तरल पदार्थ होता है, जिसमें निकोटिन, फ्लेवर और बाकी रसायन होते हैं. ई-सिगरेट इन्हें गर्म करता है, जिससे भाप बनती है. सिगरेट की तरह इसमें तंबाकू नहीं जलता. ई-सिगरेट को लंबे समय तक सिगरेट की तुलना में कम हानिकारक विकल्प के तौर पर प्रचारित किया गया.
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युवाओं और किशोरों को टारगेट करती हैं कंपनियां
आरोप है कि कंपनियां किशोरों और युवाओं को टारगेट करती हैं. इनमें ज्यादातर ऐसे होते हैं, जो सिगरेट नहीं पीते, ऐसे नहीं जो सिगरेट छोड़ने के लिए किसी विकल्प की तलाश में हों. कॉटन कैंडी, लेमन या फलों के फ्लेवरों वाले नाम भी युवाओं और किशोरों में उत्सुकता पैदा करते हैं. उन्हें इसकी लत लग सकती है. साथ ही, ई-सिगरेट से सांस संबंधी समस्याओं का भी जोखिम है. निकोटिन के भी नुकसान हो सकते हैं.
इनमें से इनफ्लाइट चार्टर्स, वोल्कैनिक एयर सफारीज, एरियस लिमिटेड, काहू न्यूजीलैंड लिमिटेड, व्हाइट आईलैंड टूअर्स और जीएनएस साइंस पहले ही अपना अपराध कबूल चुके हैं.
वर्कसेफ न्यूजीलैंड ने बटल भाइयों और दस अन्य पक्षों के खिलाफ अपराधिक मुकदमा दर्ज किया है और कार्यक्षेत्र सुरक्षा संबंधी कानूनों के उल्लंघन का आरोप लगाया है. वर्कसेफ न्यूजीलैंड के मुताबिक वाकारी मैनेजमेंट लिमिटेड और उसके निदेशक बटल बंधु "इस बात पर विशेषज्ञों की सलाह लेने में नाकाम रहे कि वाकारी में पर्यटन को किस तरह सुरक्षित बनाया जाए.”
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2020 से जारी कार्रवाई
ये आरोप 2020 की शुरुआत में लगाये गये थे. शुरुआत में सभी 13 पक्षों ने अपने आपको निर्दोष बताया था. लेकिन उसके बाद बहुत से पक्षों ने अपराध कबूल लिया जबकि एक के खिलाफ आरोप खारिज हो गये. बटल बंधुओं और उनकी कंपनी के अलावा आईडी टूअर्स न्यूजीलैंड और टोरांगा टूरिज्म सर्विसेज ने मुकदमे का सामना करने का फैसला किया है.
अब तक की कार्रवाई के बाद मामले की सुनवाई कर रहे जज इवेंजलस थॉमस ने कहा, "वर्कसेफ न्यूजीलैंड ने जो सबूत पेश किये हैं, वे दिखाते हैं कि पर्यटन उद्योग में यह बात आम हो चली है कि अलग-अलग कंपनियां एक श्रृंखला के तौर पर काम करती हैं. यह बात प्रबंधन के लिहाज से व्यवहारिक लगती है लेकिन यह कानून के मकसद का उल्लंघन करती है कि ज्यादा से ज्यादा सुरक्षा मौजूद हो.”
मंगलवार से मुकदमे की सुनवाई शुरू हो रही है और पीड़ितों, उनके परिजनों व आम जनता की इसमें दिलचस्पी को देखते हुए इसकी लाइव स्ट्रीमिंग उपलब्ध होगी.