न्यूजीलैंड में गठित होने जा रही संसद आज तक की सबसे ज्यादा विविधता वाली संसद होगी. पहली बार किसी संसद में अश्वेत लोग, एलजीबीटीक्यू समूह के लोग, स्थानीय समुदायों के मूल निवासी और महिलाएं इतनी बड़ी संख्या में शामिल होंगे.
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आम चुनावों में जीत हासिल कर प्रधानमंत्री के रूप में देश की नई संसद का गठन करने जा रही जेसिंडा आर्डर्न यहां भी इतिहास रचने जा रही हैं. उनके नेतृत्व वाली सत्ताधारी लेबर पार्टी को इन चुनावों में भारी बहुमत मिला है. इस जीत का श्रेय कोरोना काल में प्रधानमंत्री आर्डर्न के बेहतरीन प्रदर्शन को दिया जा रहा है. गौर करने वाली बात यह है कि आर्डर्न के पास अपनी बहुमत वाली सरकार बनाने का विकल्प होने के बावजूद वह पूर्व सहयोगी दल ग्रीन पार्टी को अपने साथ लेकर चलना चाहती हैं.
उनकी लेबर पार्टी ने 120 में से 64 सीटें जीती हैं और विजयी सांसदों में भी आधी से ज्यादा महिलाएं हैं. उसके अलावा, मूल माओरी समुदाय के 16 सांसद चुन कर आए हैं. नई संसद के लिए पहली बार अफ्रीकी मूल के एक नेता इब्राहीम ओमार और श्रीलंकाई मूल की वानुषी वॉल्टर्स ने जीत हासिल की है.
देश की मासे यूनिवर्सिटी में ह्यूमैनिटीज एंड सोशल साइंसेज विभाग में प्रोफेसर पॉल स्पूनली का कहना है, "यह हमारी आज तक की सबसे विविधता वाली संसद होगी. लैंगिक विविधता के मामले में, सांस्कृतिक अल्पसंख्यकों के मामले में और मूल निवासियों के प्रतिनिधित्व के मामले में भी."
विश्व स्तर पर देखा जाए तो भी इस संसद में रेनबो समुदाय (एलजीबीटीक्यू समूह) से आने वाले सबसे ज्यादा सदस्य होंगे. न्यूजीलैंड की 120 सीटों वाली संसद के करीब 10 फीसदी सदस्य घोषित रूप से लेस्बियन, गे, बाइसेक्शुअल या ट्रांसजेंडर हैं. देश के वित्त मंत्री ग्रांट रॉबर्टसन भी घोषित तौर पर समलैंगिक हैं.
हाल ही में संपन्न हुए आम चुनावों में ग्रीन पार्टी के 10 सदस्य संसद में पहुंचे हैं. इनमें से भी अधिकतर महिलाएं, स्थानीय समुदाय के नेता या फिर एलजीबीटीक्यू समूह के लोग हैं. प्रोफेसर स्पूनली बताते हैं कि नई संसद में पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा युवा नेता हैं, जिनमें कई मिलेनियल भी हैं. मिलेनियल मोटे तौर पर उस पीढ़ी के लोगों को कहते हैं जो सन 1980 की शुरुआत से लेकर सन 2000 के बीच पैदा हुए हैं. प्रोफेसर स्पूनली बताते हैं कि इस बार देश ने संसद से ऐसे कई "बुजुर्ग और श्वेत सांसदों की विदाई देखी है जो 30 सालों से लंबे समय से संसद में बने हुए थे."
खुद प्रधानमंत्री आर्डर्न की विश्व पटल पर पहचान 2017 में ही बनी जब 37 साल की उम्र में न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री बनने वाली वह विश्व की सबसे युवा राष्ट्रप्रमुख बनीं. अब दूसरे कार्यकाल में उनसे उम्मीद लगाई जा रही है कि वह इतनी विविधता भरी संसद के साथ देश को और भी प्रगतिशील बनाएंगी. आर्डर्न को दुनिया भर में और खासकर उनके अपने देश में महिला अधिकारों की समर्थक, बराबरी और अलग अलग किस्म के लोगों को साथ लेकर चलने वाली आधुनिक नेता माना जाता है.
आरपी/एनआर (रॉयटर्स)
जब प्रधानमंत्री बनीं मां
दुनिया की चुनिंदा नेताओं ने ही देश और परिवार की सबसे बड़ी जिम्मेदारी को एक साथ निभा कर दिखाया है. आज तक के इतिहास में ऐसे गिने चुने राष्ट्रप्रमुख ही हुए हैं.
तस्वीर: Reuters/F. Lenoir
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री
दो बार देश की प्रधानमंत्री रहीं बेनजीर भुट्टो ने 1990 में अपनी बेटी को जन्म दिया था. उस समय बेनजीर को पीएम की कुर्सी संभाले एक साल से कम ही वक्त हुआ था और देश में सेना के समर्थन वाला धड़ा उनकी सरकार को गिराने में लगा था. जन्म देने से कुछ ही दिन पहले उन्होंने अपने खिलाफ लाए गए अविश्वास मत का सामना कर उसे जीता था. उन्हें बाद में पता चला कि पीएम रहते हुए मां बनने वाली वह दुनिया की पहली नेता हैं.
तस्वीर: dapd
न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री
भुट्टो की तरह 37 की ही उम्र में देश की प्रधानमंत्री रहते हुए मां बनने वाली जेसिंडा आर्डर्न आज तक के इतिहास में दूसरी महिला बनीं. जेसिंडा आर्डर्न ने बच्चे के जन्म से छह महीने पहले गर्भवती होने की जानकारी दी थी और छह हफ्ते का अनिवार्य मातृअवकाश भी लिया. इस दौरान उनके पार्टनर ने भी पूरी तरह काम से छुट्टी लेकर बच्चे की देखभाल की, जिसे आधुनिक परिवारों में लैंगिक बराबरी की एक अच्छी मिसाल माना गया.
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स्कॉटलैंड की पार्टी प्रमुख
स्कॉटलैंड की प्रमुख कंजर्वेटिव पार्टी की प्रमुख रहते हुए रूथ डेविडसन 2018 में मां बनीं. अपनी महिला पार्टनर के साथ उन्होंने अपने पहले बच्चे का दुनिया में स्वागत किया. वे ब्रिटेन की पहली पार्टी प्रमुख हैं जो पद पर रहते हुए मां बनी. संभावना जताई जाती है कि भविष्य में वह स्कॉटलैंड के फर्स्ट मिनिस्टर से लेकर ब्रिटेन की प्रधानमंत्री तक बन सकती हैं. हालांकि कई लोग ऐसी किसी संभावना से इनकार करते हैं.
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सर्बिया की प्रधानमंत्री
बाल्कन देश सर्बिया की 43 साल की प्रधानमंत्री ऐना बर्नाबिच की पार्टनर महिला ने बच्चे को जन्म दिया है. वे ना केवल सर्बिया की पहली महिला प्रधानमंत्री हैं बल्कि पहली खुले तौर पर समलैंगिक नेता भी हैं. साल 2017 में बर्नाबिच का सर्बिया जैसे देश की प्रधानमंत्री बनना हैरानी की बात थी क्योंकि यहां ना तो गे मैरिज वैध है और ना ही समाज में ऐसे संबंधों को मान्यता है.
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करिश्माई ब्रिटिश पीएम ने दिखाया रास्ता
1960 के दशक में अपना पहला टीवी इंटरव्यू देते हुए मार्गरेट थैचर ने अपने छह साल के जुड़वा बच्चों को कुर्सी के दोनों ओर बैठा रखा था. परिवार का संतुलन बिठा कर चलना और राजनीति की टाइमिंग को नजर में रखना उन्हें खूब आता था. आगे चलकर ब्रिटेन की पहली महिला प्रधानमंत्री बन थैचर ने इतिहास रच दिया.
तस्वीर: Getty Images
संतानहीन नेताओं का दौर
कई यूरोपीय देशों में संतानहीन नेताओं का ही बोलबाला है. संयोग हो, व्यक्तिगत वरीयता हो या राजनीतिक जीवन की विवशता, लेकिन किसी ना किसी कारण जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल, फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों और खुद थैचर के देश ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री टेरीजा मे की संतान नहीं है. इन्हीं यूरोपीय देशों में जन्म दर कम होने के कारण आबादी में नकारात्मक बढ़ोत्तरी दर्ज हो रही है.