पत्रकारों के खिलाफ बात-बेबात दर्ज ना करें मामलेः एनएचआरसी
प्रभाकर मणि तिवारी
२१ दिसम्बर २०२१
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम की सरकारों को पत्रकारों के खिलाफ बात-बेबात मामले दर्ज ना करने का निर्देश दिया है. हाल के महीनों मे छोटी-छोटी बातों पर भी मामले दर्ज किए जाते रहे हैं.
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आयोग की ओर से मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों की जन-सुनवाई के लिए असम की राजधानी गुवाहाटी में दो-दिवसीय शिविर का आयोजन किया गया था. इसमें कुल 19 मामलों की सुनवाई के बाद उनका निपटारा किया गया.
आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने असम में मुठभेड़ के नाम पर होने वाली हत्याओं की भी कड़ी आलोचना की है. बीती मई में बीजेपी सरकार के सत्ता में लौटने के बाद अब तक मुठभेड़ या पुलिस हिरासत में कम से कम 32 लोगों की मौत हो चुकी है.
जन-सुनवाई
आयोग की ओर से गुवाहाटी में आयोजित दो-दिवसीय जन-सुनवाई शिविर के दौरान इलाके में मानवाधिकार उल्लंघन की कुल 19 घटनाओं की सुनवाई कर उनका निपटारा किया. इनमें से त्रिपुरा के दस, मेघालय के छह और मिजोरम के तीन मामले शामिल थे.
तस्वीरेंः बांग्लादेश की आजादी के 50 साल
बांग्लादेश की आजादी के 50 साल
पचास साल पहले बांग्लादेश के रूप में एक नए देश का जन्म एक अद्भुत घटना थी. देखिए इन तस्वीरों में बांग्लादेश के बनने की कहानी.
तस्वीर: AP/picture alliance
आजादी की हुंकार
ढाका के रेस कोर्स मैदान में सात मार्च 1971 को बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान द्वारा दिया गया यह भाषण ऐतिहासिक माना जाता है. करोड़ों लोगों की उपस्थिति में इसी भाषण में रहमान ने आजादी की मांग की थी.
तस्वीर: AP/picture alliance
सशस्त्र लड़ाके
दो अप्रैल 1971 की इस तस्वीर में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान के जेस्सोर में हथियारबंद लड़ाकों को रिक्शा पर जाते हुए देखा जा सकता है. भारत की सीमा के पास स्थित इस शहर में रहमान के समर्थकों और पाकिस्तानी सेना के सैनिकों के बीच घमासान लड़ाई हुई थी.
तस्वीर: AP/picture alliance
आजादी की सेना
यह भी दो अप्रैल, 1971 की ही तस्वीर है जिसमें पूर्वी पाकिस्तान को पाकिस्तान से आजाद करने के लिए बनाई गई सेना मुक्ति-बाहिनी के सैनिकों को भी जेस्सोर में पाकिस्तानी सेना के सैनिकों के खिलाफ लड़ाई करने के लिए जाते हुए देखा जा सकता है.
तस्वीर: AP/picture alliance
'जय बांग्ला'
आठ अप्रैल की इस तस्वीर में मुक्ति-बहिनी के सैनिक पूर्वी पाकिस्तान के कुश्तिया में 'जय बांग्ला' के नारे लगा रहे हैं.
तस्वीर: Michel Laurent/AP/picture alliance
लोगों का जज्बा
नौ अप्रैल की इस तस्वीर में पूर्वी पाकिस्तान के पंगसा गांव में रहमान और मुक्ति-बाहिनी के समर्थन में आम लोग भी 'जय बांग्ला' के नारे लगा रहा हैं.
तस्वीर: Michel Laurent/AP/picture alliance
ढाका से पलायन
11 अप्रैल की तस्वीर. ढाका छोड़ कर जा रहे बंगाली शरणार्थियों से भरी एक बस निकलने को तैयार है. कई और शरणार्थी दूसरी बस का इंतजार कर रहे हैं.
तस्वीर: Michel Laurent/AP/picture alliance
भारत से उम्मीद
पूर्वी पाकिस्तानी के महरपुर से देश छोड़ कर जाते शरणार्थियों का एक परिवार. पाकिस्तानी सेना द्वारा बांग्लादेशी लड़ाकों को खदेड़ दिए जाने के बाद, ये शरणार्थी अपनी सुरक्षा के लिए भारत की तरफ जा रहे थे.
तस्वीर: AP/picture alliance
भारतीय सेना मैदान में
दिसंबर 1971 में भारत भी युद्ध में शामिल हो गया था. सात दिसंबर की इस तस्वीर में भारतीय सेना के फॉरवर्ड आर्टिलरी के कर्मियों को मोर्चे पर तैनात देखा जा सकता है.
तस्वीर: AP/picture alliance
भारत की भूमिका
जेस्सोर को अपने कब्जे में ले लेने के बाद भारतीय सैनिक इस तस्वीर में ढाका की तरफ जाने वाली एक सड़क पर तैनात खड़े दिख रहे हैं.
तस्वीर: AP/picture alliance
मुजीबुर रहमान की सरकार
11 दिसंबर की यह तस्वीर जेस्सोर में हुई एक जनसभा की है जिसमें लोग रहमान के नेतृत्व में बनी बांग्लादेश की कार्यकारी सरकार की जय के नारे लगा रहे हैं. बंदूक लिए मुक्ति-बाहिनी का एक सैनिक लोगों को शांत करने की कोशिश कर रहा है. पीछे सिटी हॉल दिख रहा है जिसकी छत पर भारतीय सैनिक पहरा दे रहे हैं.
तस्वीर: AP/picture alliance
विदेशी नागरिकों की सुरक्षा
12 दिसंबर को ब्रिटेन के एक जहाज में विदेशी नागरिकों को ढाका से निकाल लिया गया. यह मिशन इसके पहले गोलीबारी की वजह से तीन बार असफल हो चुका था. अंत में जब छह घंटों के युद्ध-विराम पर सहमति हुई, तब जा कर यह मिशन सफल हो पाया.
तस्वीर: AP/picture alliance
भारतीय सेना का स्वागत
14 दिसंबर की इस तस्वीर में पूर्वी पाकिस्तान के बोगरा की तरफ बढ़ते भारतीय सेना के एक टैंक को देख कर गांव-वाले सैनिकों का स्वागत कर रहे हैं. भारतीय सेना ने इन्हीं टैंकों की मदद से दुश्मन की घेराबंदी को तोड़ दिया था.
तस्वीर: AP/picture alliance
आत्मसमर्पण
16 दिसंबर को पाकिस्तान के जनरल नियाजी ने भारतीय सेना के आगे आत्मसमर्पण कर दिया. तस्वीर में बाएं से दूसरे शख्स हैं जनरल नियाजी जो भारतीय सेना की पूर्वी कमांड के प्रमुख जनरल अरोड़ा और दूसरे कमांडरों की उपस्थिति में हस्ताक्षर कर रहे हैं.
तस्वीर: AP/picture alliance
मौत की सजा
18 दिसंबर की इस तस्वीर में मौत की सजा मिलने से पहले 'राजाकार' हाथ उठा कर दुआ कर रहे हैं. मुक्ति-बाहिनी के सैनिक पीछे खड़े हैं. इन चारों को पांच हजार लोगों के सामने सरेआम मौत की सजा दे दी गई थी.
तस्वीर: Horst Faas/AP/picture alliance
बिहारी शरणार्थियों का शिविर
22 दिसंबर की यह तस्वीर ढाका के मोहम्मदपुर बिहारी शरणार्थी शिविर की है. उर्दू बोलने वाले कई बिहारी 1947 के बंटवारे के दौरान और उसके बाद भी बिहार से पूर्वी पाकिस्तान चले गए थे. इन्होंने इस युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना का साथ दिया. इनमें से कई परिवारों के सदस्य मुक्ति-बाहिनी के सैनिकों के हाथों मारे गए थे.
तस्वीर: Michel Laurent/AP/picture alliance
'बंगबंधु' की वापसी
प्यार से 'बंगबंधु' कहलाए जाने वाले मुजीबुर रहमान को जनवरी 1972 में पाकिस्तान ने रिहा कर दिया. इस तस्वीर में रहमान ढाका के रेस कोर्स मैदान में इकठ्ठा हुए करीब 10 लाख लोगों को संबोधित करने के लिए बढ़ रहे हैं.
तस्वीर: Michel Laurent/AP/picture alliance
इंदिरा गांधी से मुलाकात
छह फरवरी की इस तस्वीर में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी कलकत्ता हवाई अड्डे पर रहमान का स्वागत कर रही हैं. रहमान तब बांग्लादेश की आजादी के बाद पहली बार दो दिन की यात्रा पर भारत आए थे.
तस्वीर: AP/picture alliance
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आयोग ने सुनवाई के बाद त्रिपुरा में सुरक्षा बल के जवानों द्वारा एक नाबालिग युवती से बलात्कार के मामले में सात लाख रुपए का मुआवजा देने का निर्देश दिया. इसी तरह मिजोरम में पुलिस हिरासत में मौत के एक मामले में भी इतना ही मुआवजा दिया गया. आयोग ने मेघालय में अवैध कोयला खदानों में काम करने वाले मजदूरों की मौत के दो मामलों में भी परिजनों को पांच-पांच लाख रुपए मुआवजा देने का निर्देश दिया.
शिविर का उद्घाटन आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अरुण मिश्र ने किया. इसमें आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति एम. एम. कुमार और राजीव जैन व महासचिव बिंबाधर प्रधान के अलावा आयोग और संबंधित राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे.
आयोग वर्ष 2007 से देश के विभिन्न राज्यों में शिविर बैठक और सार्वजनिक जन-सुनवाई का आयोजन कर रहा है और अब तक 40 से अधिक ऐसी बैठकें और सुनवाइयां कर चुका है, जिनका उद्देश्य जमीनी स्तर पर मामलों का त्वरित निपटान करना और मानवाधिकारों के बारे में जागरूकता पैदा करना है.
बढ़ रही है वर्दी की हिंसा
शिविर के समापन के मौके पर पत्रकारों से बातचीत में आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अरुण मिश्र ने कहा, "यह आम राय नहीं बनाई जा सकती कि सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (अफस्पा) लागू होने की वजह से मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है. अधिनियम लागू करने या वापस लेने की जरूरत की समीक्षा सरकार करेगी. हालांकि आयोग हिरासत में होने वाली मौतों को बेहद गंभीरता से लेता है और वह इनका स्वत: संज्ञान ले सकता है.”
इस महीने की शुरुआत में नागालैंड के मोन जिले में सुरक्षा बल के जवानों की फायरिंग में 14 बेकसूर लोग मारे गए थे. न्यायमूर्ति मिश्र ने बताया कि मानवाधिकार आयोग ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया है और संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किया है क्योंकि राज्य में आयोग की कोई इकाई नहीं है.
भारत-पाक: कौन कितना ताकतवर
भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं. दोनों एक दूसरे के प्रतिद्वन्द्वी हैं और दोनों के बीच बहुत तनाव रहता है. देखिए, किसके पास कितनी ताकत है. ये आंकड़े ग्लोबलफायरपावर नामक संस्था के हैं.
तस्वीर: AP
सैनिक
भारत के पास 13 लाख 25 हजार सैनिक हैं. पाकिस्तान के पास हैं 6 लाख 20 हजार.
तस्वीर: S. Rahman/Getty Images
सुरक्षित बल
भारत ने 21 लाख 43 हजार सैनिक रिजर्व बलों में भर्ती कर रखे हैं जबकि पाकिस्तान के पास रिजर्व बलों की संख्या 5 लाख 15 हजार है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Singh
विमान
भारत के पास हैं 2086 विमान. पाकिस्तान के पास, 923.
तस्वीर: picture-alliance/Yu Ming Bj
हेलीकॉप्टर
भारत के बेड़े में 646 हेलीकॉप्टर हैं, पाकिस्तान के 306 से दोगुने से भी ज्यादा.
विमान उड़ाने और उतारने के लिए भारत के पास 346 हवाई अड्डे तैयार हैं. पाकिस्तान में ऐसे हवाई अड्डों की संख्या 151 है.
तस्वीर: Pakistan Air Force
टैंक
भारत के पास 6464 टैंक हैं जबकि पाकिस्तान के तोपखाने में 2924 टैंक हैं.
तस्वीर: AFP/Getty Images/S. Loeb
बख्तरबंद गाड़ियां
भारतीय सेना के पास 6704 बख्तरबंद गाड़िया हैं. पाकिस्तान के पास 2828.
तस्वीर: Reuters
तोप
भारत के पास 290 तोपें हैं जो पाकिस्तान की 465 तोपों से काफी कम हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
रॉकेट लॉन्च सिस्टम
एक बार में एक से ज्यादा रॉकेट लॉन्च करने वाले सिस्टम भारत के पास 292 हैं जबकि पाकिस्तान के पास 197.
तस्वीर: picture-alliance/AP
जहाज
भारत के जल सैनिक बेड़े में 295 जहाज हैं. पाकिस्तान के पास ऐसे 197 जहाज हैं.
तस्वीर: Imago/Zuma Press
पनडुब्बियां
भारत के पास 14 पनडुब्बियां हैं, पाकिस्तान की 5 पनडुब्बियों से करीब तीन गुना.
तस्वीर: Vietnam News Agency/AFP/Getty Images
एयरक्राफ्ट कैरियर
पाकिस्तान के पास ऐसा एक भी समुद्री जहाज नहीं है जिस पर लड़ाकु विमान उतर सकें. भारत के पास दो हैं.
तस्वीर: picture-alliance / dpa
परमाणु बम
पाकिस्तान के पास 100 से 120 परमाणु बम होने का अनुमान है जबकि भारत के पास 90-110 के बीच.
तस्वीर: AP
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इस घटना के बाद विभिन्न छात्र संगठन और राजनीतिक दल सेना को असीमित अधिकार देने वाला कानून अफस्पा हटाने की मांग कर रहे हैं. पूर्वोत्तर में असम, नागालैंड, मणिपुर (इंफाल नगर परिषद क्षेत्र छोड़कर) और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में अफस्पा लागू है. कानून सुरक्षा बलों को कहीं भी कार्रवाई करने और बिना वॉरंट के किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार देता है.
इस साल मई से असम में हुई पुलिस मुठभेड़ों के बारे में पूछे जाने पर एनएचआरसी अध्यक्ष का कहना था, "सभ्य समाज में फर्जी मुठभेड़ों के लिए कोई जगह नहीं है. यह बर्बर है और इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती. कानून को अपना काम करना चाहिए.”
उन्होंने कहा कि आयोग यह यह नहीं कह सकता कि सभी मुठभेड़ फर्जी हैं. कुछ फर्जी हो सकती हैं लेकिन ऐसे तमाम मामलों के गुण-दोष की जांच की जाती है. न्यायमूर्ति मिश्र ने बताया, "ऐसे मामलों में एनएचआरसी तीन पहलुओं पर गौर करता है- पीड़ित या उसके परिवार के लिए मुआवजा, आपराधिक मामले दर्ज होना और आरोपी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू करना.”
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पत्रकारों के खिलाफ मामले
आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति एम. एम. कुमार ने इसी दौरान त्रिपुरा, मिजोरम और मेघालय के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों के साथ एक बैठक में उनको निर्देश दिया कि पत्रकारों के खिलाफ छोटी-छोटी बातों पर भी मामले दर्ज नहीं किए जाएं.
त्रिपुरा के पत्रकार संगठन ‘असेंबली ऑफ जर्नलिस्ट' की ओर से सनित देबरॉय ने आयोग से शिकायत की थी कि पत्रकारों के खिलाफ बात-बेबात मामले दर्ज किए जा रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया था कि त्रिपुरा में बिप्लब देव की नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के सत्ता में आने के बाद से दर्जनों पत्रकारों पर हमले हुए हैं और अखबारों के कार्यालयों में तोड़-फोड़ की कई घटनाएं हुई हैं.
एक बाइक पर 58 सवार
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न्यायमूर्ति कुमार ने बताया, "आयोग ऐसे मामलों को गंभीरता से लेता है. इसलिए संबंधित अधिकारियों को इससे बचने का निर्देश दिया गया है. हमने उनसे ऐसे मामलों में और ज्यादा धैर्य और सहनशीलता का परिचय देने को कहा है. पत्रकारों को अपने विचार व्यक्त करने की आजादी होनी चाहिए.”
असम, त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम और मणिपुर जैसे राज्यों में बीते दो वर्षों में पत्रकारों पर राजद्रोह लगाने के कई मामले सामने आ चुके हैं. सबसे ताजा मामले में त्रिपुरा हिंसा की कवरेज के लिए पहुंची दो महिला पत्रकारों समृद्धि सकुनिया और स्वर्णा झा को पुलिस ने आपराधिक साजिश रचने और दो समुदायों में दुश्मनी बढ़ाने समेत कई आरोपों में गिरफ्तार कर लिया था.