निकोटीन से ज्यादा घातक हो सकते हैं उसके विकल्पः एफडीए
३० मई २०२४
विशेषज्ञों के मुताबिक निकोटीन के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किए जा रहे वेप या इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट में निकोटीन के विकल्प के रूप में प्रयोग होने वाले रसायन कहीं ज्यादा घातक हो सकते हैं.
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इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट और वेप को सिगरेट के विकल्प के तौर पर दुनिया के कई देशों में बेचा जा रहा है. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि सिगरेट के निकोटीन के विकल्प के रूप में इन वेप्स में जो केमिकल इस्तेमाल होते हैं वे स्वास्थ्य के लिए कहीं ज्यादा घातक हो सकते हैं और उनकी लत लगने का खतरा सिगरेट से भी ज्यादा है.
अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने कहा है कि हालांकि इस बारे में आंकड़े अभी अधूरे हैं लेकिन 6-मिथाइल जैसे रसायन निकोटीन से ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं.
वेप्स या इलेक्ट्रॉनिक सिगरेटों में वैसे केमिकल प्रयोग किए जाते हैं जिनका रासायनिक ढांचा निकोटीन से मिलता-जुलता है. अमेरिका और यूरोप के कई देशों में ये केमिकल उन नियम-कानूनों के दायरे में नहीं आते, जिनके जरिए तंबाकू या निकोटीन को नियंत्रित किया जा रहा है.
ई-सिगरेट पर किन देशों में है प्रतिबंध
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनियाभर की सरकारों से ई-सिगरेट या वेप को तंबाकू की ही तरह बैन करने की अपील की है. जानिए कहां-कहां है इन पर प्रतिबंध और किन देशों में सरकारों के लिए ये अभी भी चुनौती बने हुए हैं.
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तंबाकू कंपनियों की चिंता
ई-सिगरेट को बैन करने की विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूटीओ) की अपील से कुछ बड़ी तंबाकू कंपनियां चिंतित हैं. कई कंपनियों ने सिगरेट के विकल्पों पर बहुत पैसे लगाए हैं. 'ब्रिटिश अमेरिकन टोबैको' कंपनी ने कहा है कि वह चाहती है कि 2035 तक उसकी कमाई का 50 प्रतिशत हिस्सा 'नॉन-कम्बस्टिबल' उत्पादों से आए, यानी ऐसे उत्पाद जो जलते ना हों.
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34 देशों में बैन
डब्ल्यूटीओ ने 2023 में एक रिपोर्ट में बताया था कि ई-सिगरेट 34 देशों में बैन है. इनमें ब्राजील, भारत, ईरान, थाईलैंड आदि देश शामिल हैं. लेकिन कई देशों को इन प्रतिबंधों को लागू करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है, क्योंकि ये उत्पाद अक्सर काले बाजार में उपलब्ध रहते हैं. 74 देश ई-सिगरेट पर जरा भी नियंत्रण नहीं रखते हैं. इनमें कई अफ्रीकी देश, पाकिस्तान, कोलंबिया और मंगोलिया शामिल हैं.
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ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया में निकोटीन-युक्त ई-सिगरेटों के इस्तेमाल के लिए प्रिस्क्रिप्शन की जरूरत होती है, लेकिन देश में अवैध डिस्पोजेबल वेपों की बाढ़ आ गई है. यह सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है. 1 जनवरी, 2024 से देश में डिस्पोजेबल वेप आयात करने पर पाबंदी है. मार्च से ऐसे किसी भी वेप के आयात की इजाजत नहीं होगी, जिसे देश के मेडिकल नियामक ने "उपचारात्मक" का दर्जा नहीं दिया है.
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चीन
चीन दुनिया में ई-सिगरेट का सबसे बड़ा उत्पादक है, लेकिन उसने देश के अंदर इस्तेमाल पर कड़े नियम लगाए हुए हैं. कई चीनी उत्पादक जो फ्लेवर दूसरे देशों में भेजते हैं, वो चीन के अंदर बैन हैं. कंपनियों को ई-सिगरेट बेचने के लिए लाइसेंस लेना पड़ता है और 2022 में उत्पादन, आयात और थोक वितरण पर टैक्स लगा दिए गए थे.
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ईयू और सदस्य देश
यूरोपीय आयोग ने ई-सिगरेटों के लिए नियामक मानक तय किए हुए हैं. इनमें निकोटीन की मात्रा पर सीमा और ऐसे लेबल लगाना शामिल है, जिन पर लिखा हो कि ये उन लोगों के लिए नहीं हैं जो धूम्रपान नहीं करते. फ्रांस में 18 साल से कम उम्र के लोग वेप नहीं खरीद सकते हैं और विश्वविद्यालयों और सार्वजनिक यातायात में ये प्रतिबंधित हैं. इटली में स्कूलों में और उनके आस-पास इनका इस्तेमाल बैन है.
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जापान
जापान में निकोटीन युक्त ई-सिगरेटों को दवा की श्रेणी में रखा जाता है, लेकिन अभी तक किसी भी तरह की ई-सिगरेट के इस्तेमाल की इजाजत नहीं दी गई है.
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रूस
रूस में नाबालिग ई-सिगरेट खरीद नहीं सकते हैं. विशेष फ्लेवरों या डिस्पोजेबल वेपों पर कोई प्रतिबंध नहीं है.
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ब्रिटेन
ब्रिटेन की सरकार वेप को लेकर काफी चिंतित है और इसका सेवन करने वालों को इसे छोड़ने में मदद करने के लिए स्टार्टर किट भी देती है. जनवरी 2024 में सरकार ने कहा था कि वो डिस्पोजेबल वेप को बैन करेगी और ई-सिगरेट के फ्लेवरों और पैकेजिंग का नियमन करेगी. मार्च में सरकार ने कहा कि वह अक्टूबर 2026 से वेपिंग उत्पादों पर अतिरिक्त टैक्स लगाएगी.
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अमेरिका
अमेरिका निकोटीन के विकल्पों के लिए सबसे बड़ा बाजार है. इसे बेचने के लिए कंपनियों को स्वास्थ्य नियामक एफडीए से इजाजत लेनी होती है. एफडीए ने अभी तक तंबाकू के अलावा किसी और फ्लेवर की इजाजत नहीं दी है. हालांकि, कमजोर निगरानी की वजह से फ्लेवर वाले और डिस्पोजेबल उत्पाद काफी आसानी से मिल जाते हैं. - सीके/एसएम (रॉयटर्स)
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इसका मतलब है कि उत्पादक सिंथेटिक निकोटीन जैसे कि 6-मिथाइल को अमेरिका व अन्य देशों में बेच सकते हैं और इसके लिए उन्हें एफडीए आदि से इजाजत भी नहीं लेनी पड़ती. इजाजत लेने की प्रक्रिया बेहद सख्त और लंबी होती है और अक्सर इजाजत नहीं मिल पाती.
सिगरेट कंपनियां परेशान
वेपिंग दुनियाभर में तेजी से बढ़ रही है. बड़ी तंबाकू कंपनियां जैसे आल्ट्रिया ग्रुप और ब्रिटिश अमेरिकन टबैको आदि को वेपिंग के कारण भारी नुकसान हुआ है. बहुत से देशों में तो निकोटीन वाले वेप्स अवैध रूप से बिक रहे हैं, जिसके कारण पारंपरिक तंबाकू और सिगरेट की बिक्री घट रही है.
मार्लबरो सिगरेट बनाने वाली कंपनी आल्ट्रिया ने एफडीए को एक पत्र लिखा है जिसमें 6-मिथाइल निकोटीन और धूम्रपान के अन्य वैकल्पिक उत्पादों की वृद्धि के बारे चेताया गया है. इस पत्र को कंपनी ने अपनी वेबसाइट पर भी प्रकाशित किया है.
बिना सिगरेट पिए हो रही सांस की बीमारी
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पत्र में कंपनी ने कहा है कि ये रसायन नियम आधारित व्यवस्था के लिए "नया खतरा” हैं. कंपनी ने कहा, "निकोटीन जैसा असर करने वाले रसायनों के इस्तेमाल और वृद्धि पर अगर कोई नियंत्रण नहीं होगा तो इससे अमेरिकी उपभोक्ताओं को खतरा होगा और एफडीए के अधिकारों की भी अवमानना होगी.”
एफडीए ने इस पत्र पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है क्योंकि वह कंपनियों के साथ उसके संवाद पर टिप्पणी नहीं करती. लेकिन 6-मिथाइल और निकोटीन के अन्य विकल्पों पर एक सवाल के जवाब में उसने कहा, "वैसे तो इस बारे में ज्यादा शोध की जरूरत है लेकिन आ रहे आंकड़े दिखाते हैं कि निकोटीन के विकल्प उससे ज्यादा मजबूत हो सकते हैं. इनकी लत विकसित हो रहे मस्तिष्क में बदलाव कर सकती है और युवाओं के ध्यान, सीखने की क्षमता और यादाश्त पर स्थायी प्रभाव डाल सकती है.” बहुत से देशों में वेपिंग को सिगरेट छोड़ने के लिए उपयोगी उत्पाद के रूप में बेचा जा रहा है.
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क्या है 6-मिथाइल?
बहुत से वेप्स में डाला गया निकोटीन तंबाकू के पत्तों से ही निकाला जाता है लेकिन 6-मिथाइल को प्रयोगशाला में केमिकल्स से बनाया जाता है. एफडीए का कहना है कि ऐसे सिंथेटिक यौगिकों और युवाओं को इन उत्पादों से बचाने के बारे में विचार किया जा रहा है.
अमेरिका में तंबाकू ही नहीं, दवाओं, खाने, कॉस्मेटिक्स और अन्य उत्पादों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी एफडीए की ही है लेकिन उसके फैसलों का असर दुनियाभर में होता है.
ई-सिगरेटः कहां क्या है कानून
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सरकारों से आग्रह किया है कि ई-सिगरेट या वेप को भी अन्य तंबाकू उत्पादों जैसा समझा जाए और उनके सभी फ्लेवर्स पर प्रतिबंध लगाया जाए. जानिए, फिलहाल कहां-कहां हैं वेपिंग पर कानून.
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34 देशों में वेपिंग पर बैन
पिछले साल जुलाई तक 34 देश ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगा चुके थे. इनमें ब्राजील, भारत, ईरान और थाईलैंड जैसे बड़े देश शामिल हैं.
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74 देशों में कोई नियम नहीं
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि कम से कम 74 देश ऐसे हैं जिनमें ई-सिगरेट या वेपिंग को लेकर कोई नियम नहीं है. इनमें अधिकतर अफ्रीकी देश हैं लेकिन पाकिस्तान, कोलंबिया और मंगोलिया आदि भी शामिल हैं.
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ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया में निकोटीन वाली ई-सिगरेट खरीदने के लिए डॉक्टर से प्रेसक्रिप्शन की जरूरत होती है. हालांकि देशभर में निकोटीन वेप अवैध रूप से बिक रही हैं. 1 जनवरी से ऑस्ट्रेलिया ने वेप के आयात पर प्रतिबंध लगाया है.
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अमेरिका
ई-सिगरेट के सबसे बड़े बाजार अमेरिका में बिक्री के लिए फूड एंड ड्रग अथॉरिटी से इजाजत लेनी होती है. सिगरेट छोड़ने में इनकी मदद मिलने जैसे तर्क के आधार पर इन्हें इजाजत दी जाती है. लेकिन देश में तंबाकू फ्लेवर के अलावा अन्य फ्लेवर अभी प्रतिबंधित हैं.
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यूरोपीय संघ
यूरोपीय संघ में ई-सिगरेट या वेप बेचना वैध है लेकिन उनके लिए नियम बनाए गए हैं. मसलन, निकोटीन की मात्रा तय है और पैकेट पर लिखा होना चाहिए कि धूम्रपान ना करने वालों को वेप इस्तेमाल नहीं करने चाहिए. अब जर्मनी समेत कई देश इन पर प्रतिबंध पर विचार कर रहे हैं.
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जापान
जापानी कानून में ई-सिगरेट को दवा-उत्पाद माना जाता है लेकिन इनके इस्तेमाल की इजाजत अभी नहीं दी गई है.
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रूस
रूस में वेप बेचने या इस्तेमाल पर कोई प्रतिबंध नहीं है. लेकिन सिगरेट की तरह इन्हें भी 18 साल से कम आयु के लोगों को नहीं बेचा जा सकता. पिछले साल प्रतिबंध के लिए एक प्रस्ताव आया था, जिसे सरकार ने खारिज कर दिया.
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चीन
चीन ई-सिगरेट का सबसे बड़ा उत्पादक है. 2021 में वहां एक कानून बनाकर वेप के इस्तेमाल पर कई पाबंदियां लगाई गईं लेकिन वहां से उत्पादक विदेशों को जमकर वेप्स भेज रहे हैं. 2022 में उत्पादन और बिक्री पर अतिरिक्त कर लगाए गए हैं, बेचने के लिए लाइसेंस लेना जरूरी किया गया है.
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रॉयटर्स के एक सवाल के जवाब में एफडीए ने कहा, "एफडीए आंकड़ों के आधार पर फैसला करती है. हम उपलब्ध डेटा की समीक्षा कर रहे हैं ताकि इस बारे में जरूरी कदम उठाए जा सकें.”
फिलहाल 6-मिथाइल निकोटीन पर बहुत ज्यादा शोध नहीं हुआ है इसलिए विशेषज्ञ कहते हैं कि किसी निष्कर्ष पर पहुंचने लायक जानकारी उपलब्ध नहीं है.
वर्जीनिया कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटी में फार्माकोलॉजी और टोक्सिकोलॉजी विभाग में प्रोफेसर इमाद दमाज कहते हैं कि 6-मिथाइल पर उनका शोध दिखाता है कि यह निकोटीन से ज्यादा ताकतवर है लेकिन इसका इंसान पर क्या असर होगा, यह जानने के लिए और ज्यादा विस्तृत परीक्षणओं की जरूरत है.