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पाकिस्तान: सेना के काफिले पर आत्मघाती हमला,नौ सैनिकों की मौत

१ सितम्बर २०२३

उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान में एक सुरक्षा काफिले पर हुए आत्मघाती हमले में नौ सैनिकों की मौत हो गई. मोटरसाइकिल पर सवार एक आत्मघाती हमलावर ने काफिले को निशाना बनाया.

पाकिस्तान के काछी में मार्च 2023 में हुए एक आत्मघाती हमले की तस्वीर
पाकिस्तान के काछी में मार्च 2023 में एक आत्मघाती हमले में नौ पुलिस अधिकारी मारे गए थे और 16 अन्य घायल हुए. बीते कुछ समय से ऐसे हमलों में तेजी आई है. आत्मघाती धमाकों की संख्या भी बढ़ी है. तस्वीर: MOHAMMAD ASLAM/AFP

सेना ने एक बयान में कहा कि हमला बन्नू जिले में हुआ, जो अफगानिस्तान की सीमा से लगे खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में आता है. सेना की मीडिया विंग ने जानकारी दी, "अफगान सीमा से 61 किलोमीटर दूर बन्नू जिले में एक मोटरसाइकिल सवार आत्मघाती हमलावर ने खुद को विस्फोट से उड़ा लिया."

प्रांतीय मंत्री फिरोज जमाल शाह ने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया, "आत्मघाती हमलावर मोटरसाइकिल पर सवार था और उसने अपनी बाइक एक सैन्य काफिले में एक ट्रक से टकरा दी." यह पाकिस्तानी सैनिकों के खिलाफ इस साल हुए सबसे घातक हमलों में से है.

पाकिस्तानी सेना ने जहां पांच सैनिकों के घायल होने की बात कही है, वहीं समाचार एजेंसी एपी ने एक रिपोर्ट में सुरक्षा अधिकारियों के हवाले से 20 सैनिकों के जख्मी होने की बात कही है. मंत्री फिरोज जमाल शाह ने भी घायलों की संख्या 20 बताई है.

पाकिस्तानी तालिबान पर संदेह

फिलहाल किसी भी समूह ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन संदेह है कि हमले में पाकिस्तानी तालिबान (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, टीटीपी) की भूमिका हो सकती है. टीटीपी ने 2022 से ही पाकिस्तान के सुरक्षा बलों पर हमले तेज कर दिए हैं.

प्रशासन का कहना है कि 2021 में पड़ोसी देश अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद से ही चरमपंथियों को सुरक्षित पनाहगाह मिल गई है और उनके हौसले भी ज्यादा बढ़ गए हैं. ऐसे में पाकिस्तान में भी हमलों में नाटकीय वृद्धि देखी गई है. खासकर सीमावर्ती क्षेत्रों में हमले काफी बढ़ गए हैं.

फरवरी, 2023 में भी पाकिस्तान के कराची में पुलिस मुख्यालय पर बंदूकधारियों ने बड़ा हमला किया था.तस्वीर: Ikram Suri/AP/picture alliance

बन्नू, उत्तरी वजीरिस्तान के नजदीक है जो कि चरमपंथियों का गढ़ रहा है. यह चरमपंथियों का ठिकाना रहा था. एक साल पहले सेना ने बताया था कि उसने इस इलाके को स्थानीय और विदेशी चरमपंथियों से मुक्त करा लिया है. हालांकि फिर समय-समय पर हमले जारी रहे. अब आशंका बढ़ रही है कि टीटीपी फिर से खुद को यहां मजबूत कर रहा है. पाकिस्तानी तालिबान समूह, अफगान तालिबान से अलग है लेकिन दोनों सहयोगी माने जाते हैं. दोनों ही समूह सुन्नी इस्लाम के कट्टरपंथी रूप का पालन करते हैं.

टीटीपी बना हुआ है बड़ा खतरा

टीटीपी इस क्षेत्र में सबसे बड़ा खतरा है और इस्लामाबाद का दावा है कि इसके लड़ाके अफगानिस्तान में सुरक्षित ठिकाना तलाश रहे हैं. हाल के महीनों में यह समूह पुलिस अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों को निशाना बना रहा है. जनवरी में टीटीपी से जुड़े एक आत्मघाती हमलावर ने उत्तर-पश्चिमी पेशावर शहर में पुलिस परिसर के अंदर एक मस्जिद में खुद को उड़ा लिया. इसमें 80 से अधिक अधिकारी मारे गए.

इस्लामिक स्टेट भी पाकिस्तान में सक्रिय है. इस समूह ने पिछले महीने एक राजनीतिक दल की सभा में आत्मघाती बम विस्फोट की जिम्मेदारी ली थी. इसमें तकरीबन 54 लोगों की मौत हुई थी, जिसमें 23 बच्चों भी शामिल थे.

एक वक्त पाकिस्तान बड़े स्तर पर बमबारियों से त्रस्त था. लेकिन पूर्व जनजातीय क्षेत्रों  में 2014 में शुरू हुए एक बड़े सैन्य निकासी अभियान से काफी हद तक व्यवस्था बहाल करने में मदद मिली. अफगानिस्तान की सीमा से लगे सात दूरदराज के जिले हैं, जिनमें से एक बन्नू है. ये जिले 2018 में कानून पारित होने के बाद पाकिस्तानी अधिकारियों के नियंत्रण में आ गए थे.

एचवी/एसएम (एएफपी/डीपीए/एपी)

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