जातिगत जनगणना: बिहार के 11 नेताओं की मोदी से मुलाकात
२३ अगस्त २०२१
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, हिंदुस्तान अवाम मोर्चा (हम) से पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, बीजेपी की ओर से बिहार में मंत्री जनक राम, विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) से मंत्री मुकेश कुमार साहनी, अजीत शर्मा (कांग्रेस विधायक दल के नेता), सूर्यकांत पासवान (विधायक सीपीआई), अजय कुमार (विधायक सीपीएम), एआईएमआईएम के विधायक अख्तरुल ईमान और सीपीआई माले से महबूब आलम ने सोमवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात कर जातिगत जनगणना पर अपना पक्ष रखा.
लंबे समय से बिहार के नेता जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं. हालांकि कुछ और राज्य के नेता तो इसे पूरे देशभर में कराने की भी मांग कर रहे हैं. नीतीश कुमार ने मोदी से मुलाकात के बाद पत्रकारों से कहा, "यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और हम लंबे समय से इसकी मांग कर रहे हैं. अगर यह हो जाता है, तो इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता. इसके अलावा, यह सिर्फ बिहार के लिए नहीं होगा, पूरे देश में लोगों को इससे फायदा होगा. इसे कम से कम एक बार किया जाना चाहिए."
बीजेपी की सहयोगी जेडीयू का मुद्दा
नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यू) बिहार में बीजेपी की सहयोगी है और जाति आधारित जनगणना के पक्ष में है. अगस्त की शुरुआत में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह के नेतृत्व में जनता दल (यू) के एक प्रतिनिधिमंडल ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर जाति आधारित जनगणना कराने की मांग की थी. इस मांग को आगे बढ़ाते हुए सोमवार को नीतीश कुमार ने बिहार के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ मोदी से मुलाकात की.
मुलाकात के बाद बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा, "प्रधानमंत्री ने जातीय जनगणना को नकारा नहीं है. अब प्रधानमंत्री मोदी को फैसला लेना है. वह जो भी उचित समझें. मोदी ने गंभीरता से सभी को सुना है. प्रतिनिधिमंडल के सभी सदस्यों ने जातीय जनगणना के पक्ष में अपनी बातें रखीं."
वहीं नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुलाकात के बाद कहा, जब देश में जानवरों और पेड़-पौधों की गिनती हो सकती है तो इंसानों को क्यों नहीं हो सकती है. उन्होंने कहा, "सरकार के पास जातिगत आधार पर आंकड़े नहीं हैं. एक बार आंकड़े सामने आ जाएंगे तो सरकार उसके हिसाब से कल्याणकारी योजनाओं को भी लागू कर पाएंगी." तेजस्वी ने मांग की है कि बिहार ही नहीं पूरे देश में जातीय जनगणना होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि वे इस मांग पर केंद्र के फैसले का इंतजार करेंगे.
जातीय जनगणना को विधानसभा का समर्थन
बिहार विधानसभा में दो बार जातीय जनगणना का प्रस्ताव भी पारित हो चुका है. पिछली जाति-आधारित जनगणना अंग्रेजों के शासनकाल में 1931 में हुई और जारी की गई थी. 1941 में डेटा इकट्ठा किया गया था लेकिन सार्वजनिक नहीं किया गया. 2011 में सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना की गई थी, लेकिन सरकार ने इसके आंकड़े जारी नहीं किए थे.
सिर्फ बिहार के ही नहीं अन्य राज्यों के दल भी जाति-आधारित जनगणना पर जोर दे रहे हैं. उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव, बहुजन समाज पार्टी, अपना दल भी ऐसी ही मांग उठा चुके हैं. उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव है और इस मुद्दे ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया है.
वहीं महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी जैसे दल भी इसके पक्ष में खड़े नजर आ रहे हैं. हालांकि केंद्र सरकार ने जाति-आधारित जनगणना पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है लेकिन वह आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए जल्द किसी नतीजे पर पहुंच सकती है.