1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

अविश्वास प्रस्ताव की बैठक से नदारद रहे इमरान

९ अप्रैल २०२२

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पाकिस्तान की संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग की बहस तो शुरू हुई, लेकिन प्रधानमंत्री इमरान खान एक बार फिर वोटिंग न होने देने के लिए तमाम जतन करते नजर आए.

इमरान खान
तस्वीर: Anjum Naveed/AP/picture alliance

पाकिस्तान के राजनीतिक समीक्षकों का साफ कहना है कि अगर अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होती तो इमरान खान की सरकार गिरनी तय है. संख्या की बात करें तो संयुक्त विपक्ष का दावा है कि उसके पास 179 वोट हैं. बहुमत का आंकड़ा 172 है, और इमरान खान की पार्टी इससे कहीं पीछे है, कितनी पीछे, इसका पता वोटिंग से चलता. और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद वोटिंग न हो सके, ये तय करने के लिए इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ ने शनिवार को हर मुमकिन कोशिश की.

सुप्रीम कोर्ट में इमरान खान को पटकनी, शनिवार को अविश्वास प्रस्ताव

प्रधानमंत्री इमरान खान खुद सदन में मौजूद नहीं थे. ब्रेक के दो घंटे बाद कार्रवाई शुरू करने का वादा कई घंटे की देरी में बदल गया. उसके बाद जब अपना पक्ष रखने की बारी आई तो पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और विपक्ष के नेता आरोपों के साथ अपना पक्ष रखते रहे. आरोप-प्रत्यारोपों के इस दौर के बीच खबर आई कि इमरान ने शनिवार रात नौ बजे कैबिनेट की बैठक बुलाई है.

बिलावल भुट्टो ने सदन में इमरान खान की खूब आलोचना कीतस्वीर: Anjum Naveed/AP Photo/picture alliance

69 साल के इमरान खान अविश्वास प्रस्ताव का वाकई सामना करना चाहते हैं या नहीं, उनके रुख से ये साफ नहीं हो रहा है. विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि इमरान सुप्रीम कोर्ट और संविधान का मजाक उड़ा रहे हैं.

पाकिस्तान में ट्रेंड करते अटल बिहारी वाजपेयी

कैसे पीएम बने इमरान

पाकिस्तान में 2018 में हुए चुनावों में तहरीक-ए-इंसाफ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. हालांकि चुनाव से पहले ही सेना ने प्रमुख विपक्षी दलों और उनके अहम नेताओं पर जिस तरह के कार्रवाई की, उससे कई तरह के शक पैदा हो चुके थे. बहरहाल, चुनावों में नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) और बिलावल भुट्टो की पार्टी, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की हार हुई. इन दोनों पार्टियों ने चुनावों में धांधली का आरोप लगाया. आलोचक भी कह रहे थे कि पाकिस्तान की सेना ने इमरान खान को प्रधानमंत्री बनाने के लिए हर मुमकिन मदद दी.

अंत में अकेले पड़े इमरानतस्वीर: Anjum Naveed/AP/dpa/picture alliance

सेना और इमरान के बीच तकरार

अक्टूबर 2021 में पाकिस्तान की ताकतवर खुफिया एजेंसी आईएसआई के नए प्रमुख को चुनते वक्त सेना और इमरान खान के बीच मतभेद हुए. पाकिस्तानी सेना के प्रमुख कमर जावेद बाजवा ने शीर्ष सैन्य नेतृत्व में बदलाव करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम को आईएसआई का नया प्रमुख बना दिया. वहीं, आईएसआई के चीफ रहे लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामीद को पेशावर कॉर्प्स का कमांडर बना दिया.

इमरान खान ने नए आईएसआई चीफ के तौर पर अंजुम की नियुक्ति को टालने की कोशिश की. इस दौरान सेना के साथ करीब तीन हफ्ते तक गतिरोध की स्थिति बनी रही. आखिर में वही हुआ, जो सेना चाहती थी, अंजुम आईएसआई के चीफ बने. पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकारों के मुताबिक, इस गतिरोध के बाद सेना को लगने लगा कि इमरान, नियंत्रण से बाहर जा रहे हैं.

कर्ज पाने की उम्मीद में इमरान खान की चीन यात्रा

सेना को उम्मीद थी कि इमरान खान, पाकिस्तान में खूब विदेशी निवेश लेकर आएंगे. उनकी हैंडसम क्रिकेटर की इमेज पाकिस्तान की छवि सुधारेगी. लेकिन ऐसा नहीं हो सका. बढ़ती महंगाई, विपक्ष में कुछ कट्टर इस्लामी पार्टियों के बढ़ते प्रभाव के बीच पाकिस्तान की विदेश नीति लगातार चीन और तुर्की के आस पास ही घूमती रही. लंबे समय तक पाकिस्तानी सेना को हर साल अरबों डॉलर देने वाला अमेरिका इमरान खान के निशाने पर आने लगा. रूस से संबंध बेहतर करने और चीन को और ज्यादा रिझाने के चक्कर में इमरान सीधे-सीधे अमेरिका की कड़ी आलोचना करने लगे.

अमेरिका की कड़ी आलोचना सेना को रास नहीं आईतस्वीर: Daniel Berehulak/Getty Images

अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय और विदेश मंत्रालय ने इमरान खान के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में सहयोगी रहे पाकिस्तान की राजनीति में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं है.

पाकिस्तान के राजनीतिक समीक्षक कहते हैं कि अपनी सरकार बचाने के लिए इमरान खान ने जिस तरह अमेरिका पर निशाना साधा, वो आखिरी लकीर थी और इमरान उसे पार कर चुके हैं.

ओएसजे/आरएस (एएफपी, रॉयटर्स)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें
डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें