नाटो: अफगानिस्तान से सैन्य वापसी पर कोई फैसला नहीं
१९ फ़रवरी २०२१
नाटो के महासचिव येंस स्टोल्टेनबर्ग ने कहा है कि सदस्य देशों ने अब तक यह फैसला नहीं लिया है कि अफगानिस्तान से सैन्य वापसी होगी या नहीं या कब होगी. तालिबान और अफगानिस्तान की सरकार के बीच शांति वार्ता चल रही है.
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स्टोल्टेनबर्ग ने कहा है कि नाटो सदस्य देश ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी कब होगी और कैसे होगी. गुरुवार को स्टोल्टेनबर्ग ने कहा कि नाटो ने अभी तक अफगानिस्तान से गठबंधन बलों की वापसी के समय पर अंतिम निर्णय नहीं लिया है. उन्होंने कहा कि अमेरिका और तालिबान के बीच शांति वार्ता के तहत पिछले साल एक समझौता हुआ था और उसके तहत 1 मई की संभावित वापसी की तारीख तय है. 9/11 के हमलों के बाद अमेरिका और उसके सहयोगियों ने 2001 में अफगानिस्तान पर हमला किया और तब से युद्ध जारी है. इस पर अब तक अरबों डॉलर खर्च किए जा चुके हैं और अब नाटो चिंतित है कि इन सभी कोशिशों के बावजूद लोकतंत्र की दिशा में देश में कोई उल्लेखनीय तरक्की नहीं हुई.
ब्रसेल्स में रक्षा मंत्रियों की एक बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए नॉर्वे के पूर्व प्रधानमंत्री रहे स्टोल्टेनबर्ग ने कहा, "हम एक बहुत ही मुश्किल स्थिति का सामना कर रहे हैं और कोई आसान विकल्प नहीं हैं. अगर हम 1 मई के बाद रुकते हैं, तो हिंसा बढ़ने का खतरा है, हमारी अपनी सेनाओं पर और हमलों का जोखिम है लेकिन अगर हम वापसी करते हैं तो हमने वहां जो प्रगति हासिल की है वह चली जाएगी."
अफगानिस्तान में तैनात नाटो की सेना.तस्वीर: Hoshang Hashimi/AP Photo/picture alliance
डॉनल्ड ट्रंप और तालिबान के साथ समझौते पर अमेरिकी सैनिकों की वापसी की तारीख 1 मई निर्धारित की गई थी, लेकिन अफगानिस्तान में हाल ही में काबुल समेत कई इलाकों में घातक हमलों के मद्देनजर यह मांग बढ़ रही है कि जल्दबाजी में वापसी खतरनाक साबित हो सकता है.
स्टोल्टेनबर्ग का कहना है कि अमेरिका के साथ समझौते के तहत तालिबान द्वारा किए गए वादे को पूरा करने की जरूरत है. इनमें अफगानिस्तान सरकार के साथ शांति वार्ता में प्रगति, हिंसा में कमी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घोषित आतंकवादी संगठनों के साथ संबंधों को खत्म करना शामिल है. उन्होंने कहा, "नाटो का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि अफगानिस्तान फिर से आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह न बने, जो हमारे आंतरिक इलाकों को निशाना बनाते हैं."
जर्मन रक्षा मंत्री आनेग्रेट क्रांप कारेनबावर ने भी जोर देकर कहा है कि तालिबान को पिछले साल के शांति समझौते को पूरी तरह से लागू करने के लिए और अधिक करने की जरूरत है.
एए/सीके (एएफपी, डीपीए, रॉयटर्स)
विश्व आतंकवाद सूचकांक में अफगानिस्तान शीर्ष पर
इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस ने अपने वार्षिक वर्ल्ड टेररिज्म इंडेक्स में अफगानिस्तान को धरती पर सबसे अधिक आतंक से प्रभावित देश बताया है. इस सूची में एशिया और अफ्रीका के भी कई देश शामिल हैं.
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अफगानिस्तान
ऑस्ट्रेलिया स्थित इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस ने अपने वैश्विक आतंकवाद सूचकांक (2020) में अफगानिस्तान को पहले पायदान पर रखा है. धरती पर सबसे अधिक आतंक प्रभावित देश अफगानिस्तान को 9.59 अंक दिए गए हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AA/H. Sabawoon
इराक
इराक भी आतंक से प्रभावित देशों में दूसरे स्थान पर है. इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस ने इराक को 10 में से 8.68 अंक दिए हैं.
तस्वीर: Reuters/G. Tomasevic
नाइजीरिया
तीसरे स्थान पर पश्चिमी अफ्रीकी देश नाइजीरिया है. यहां पिछले कुछ महीनों में जिहादी गुटों और सुरक्षा बलों के बीच संघर्ष तेज हुआ है. आतंक से प्रभावित नाइजीरिया को 10 में से 8.31 अंक मिले हैं.
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सीरिया
7.77 अंक के साथ सीरिया चौथे स्थान पर हैं. सीरिया में बशर अल असद के खिलाफ कई ऐसे गुटे भी लड़ रहे हैं जिनके रिश्ते इस्लामिक संगठनों से हैं या वे जिहादी संगठन हैं.
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सोमालिया
पांचवें स्थान पर पूर्वी अफ्रीकी देश सोमालिया है. विश्व आतंकवाद सूचकांक में इसे 7.64 अंक मिले हैं. यहां पर अल शबाब आतंकी संगठन के आतंकियों का सुरक्षा बलों के साथ लंबे समय से संघर्ष जारी है. सोमालिया में 700 अमेरिकी सैनिक तैनात हैं और अमेरिका वहां से सैन्य कटौती की योजना बना रहा है.
मध्य-पूर्वी देश यमन में शांति दूर-दूर तक नजर नहीं आती है. हूथी विद्रोहियों के साथ ही देश अकाल से भी जूझ रहा है. सूचकांक में इसे 7.58 अंक मिले हैं.
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पाकिस्तान
एशियाई देश पाकिस्तान आतंकवाद से प्रभावित देशों की सूची में सातवें स्थान पर है. पाकिस्तान को संस्था ने 10 में से 7.54 अंक दिए हैं.
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भारत
आतंकवाद से प्रभावित देश के रूप में भारत आठवें स्थान पर है. भारत को 10 में से 7.35 अंक दिए गए हैं. भारत का जम्मू-कश्मीर क्षेत्र आतंकवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित है.
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डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो
नौवें स्थान पर डीआरसी कांगो है. संस्था ने इसे 7.17 अंक दिए हैं. डीआरसी कांगो की अस्थिरता का एक लंबा इतिहास है और यह भी आतंक से प्रभावित देशों में से एक है.
एशियाई देश फिलीपींस को इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस ने आतंक से प्रभावित देश की सूची में 10वें स्थान पर रखा है. फिलीपींस को 7 अंक मिले हैं. स्रोत:ऑस्ट्रेलिया स्थित इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस