मध्य चीन के हुबेई प्रांत के जिंगझोऊ शहर के श्मशान में दस लावारिस अस्थि कलश पड़े हुए हैं. कोरोना वायरस का सबसे अधिक प्रभाव हुबेई प्रांत पर पड़ा है. चीन में अंतिम संस्कार पर प्रतिबंध लगा हुआ है.
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चीन के जिंझाऊ में जिन लोगों की मौत कोरोना वायरस के कारण हो गई है, उनके परिजन घरों में बंद हैं, ऐसे लोगों को अपने प्रियजनों के अवशेष लेने के लिए इंतजार करना पड़ा रहा है. जिंगझोऊ शवदागृह के निदेशक कहते हैं, "मृतकों की अस्थियां फिलहाल हमारी देखरेख में है क्योंकि उनके परिजन क्वारंटीन में हैं या फिर वह अभी यहां नहीं आ पाए हैं." शवदागृह के निदेशक को मीडिया से बात करने की इजाजत नहीं है, इसलिए उन्होंने सिर्फ अपना उपनाम शेंग बताया. शेंग ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "ना ही कोई अंतिम विदाई और ना ही श्रद्धांजलि समारोह की इजाजत है.”
चीन से शुरू हुआ वायरस ना ही सिर्फ चीन को भारी तौर पर प्रभावित कर चुका है बल्कि यह दो सौ से अधिक देशों में पैर पसार चुका है. कोरोना वायरस के कारण चीन में रोजमर्रा की जिंदगी पर असर तो पड़ा ही है साथ ही साथ इसने दुनिया से विदा लेने वालों को विदाई तक देने की परंपरा को प्रभावित किया है. यह वायरस इतनी तेजी से फैलता है कि लोगों को इससे बचने के लिए घरों में सख्ती से बंद रहने को कहा गया है.
चीन में मौत का चाहे कोई भी कारण हो, परिजन 1 फरवरी से ही अंतिम संस्कार नहीं कर पा रहे हैं. देश में कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले कम भी हुए इसके बावजूद अंतिम संस्कार में कोई ढील नहीं है, इसमें हुबेई प्रांत भी शामिल है जहां पिछले साल दिसंबर में कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आया था. जिंगझोऊ के एक शवदागृह में अजीब सी शांति है, वायरस के संक्रमण से बचाने वाला खास सूट एक कमरे के बाहर लटका हुआ है. अस्पताल से शव श्मशान लाने वाले कर्मचारी अंदर के कमरे में सुस्ता रहे हैं. दूसरी ओर जिन परिवारों के सदस्य अब इस दुनिया से चले गए हैं उनके लिए सिर्फ अकेलापन रह गया है, क्योंकि वे अब भी क्वारंटीन में हैं. इस वजह से वह राख तक को अंतिम विदाई नहीं दे सकते हैं.
कोरोना से जुड़े आपके सब सवालों के जवाब
कोरोना वायरस से जुड़े कुछ अहम सवाल हैं, जो आपके लिए भी जानना बेहद जरूरी है. ऐसे ही कुछ महत्वपूर्ण सवालों के जवाब हम देने की कोशिश करते हैं.
तस्वीर: AFP/O. Scarf
कितना गंभीर है कोरोना का खतरा?
कोरोना वायरस के संक्रमण और उससे होने वाली बीमारी कोविड-19 को वैश्विक महामारी घोषित किया गया है. इसके बावजूद बहुत से लोगों को अब भी ऐसा लगता है कि एक छोटे से वायरस को बहुत बढ़ा चढ़ा कर दिखाया जा रहा है. मौजूदा दर के अनुसार हर व्यक्ति दो से तीन लोगों को संक्रमित कर रहा है. इस वक्त दुनिया भर में कुल पांच लाख लोग इस वायरस के संक्रमित हैं.
लक्षण कब दिखते हैं?
संक्रमण का शक होने पर कम से कम दो हफ्ते सेल्फ क्वॉरंटीन में रहने के लिए कहा जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि लक्षण दिखने में 14 दिन तक लग सकते हैं. हो सकता है कि वायरस आपके शरीर में हो लेकिन अब तक आपको बीमार नहीं कर पाया हो.
कैसे होता है संक्रमण?
खांसते या छींकते वक्त मुंह से निकलने वाले ड्रॉप्लेट्स से यह वायरस फैलता है. लक्षण दिखने के बाद व्यक्ति को सबसे अलग कर दिया जाता है क्योंकि अगले 14 दिन तक वह दूसरों के लिए खतरा है. इसी वजह से दुनिया भर की सरकारें सोशल डिस्टैन्सिंग का आग्रह कर रही हैं. घर से बाहर मत निकलिए और संक्रमण के खतरे से बचिए.
कितनी तेजी से फैलता है ये वायरस?
कोरोना संक्रमण अगर एक बार कहीं शुरू हो जाए तो औसतन हर दिन मामले दोगुने हो जाते हैं. यानी अगर कहीं 100 मामले दर्ज हुए हैं, तो अगले दिन 200, फिर 400, 800.. इस तरह से बढ़ते चले जाते हैं. यही वजह है कि अब आंकड़ा पांच लाख को पार कर गया है. अगर अभी इसे नहीं रोका गया तो इस पर काबू करना नामुमकिन हो जाएगा.
आंकड़ों पर भरोसा किया जा सकता है?
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि 80 फीसदी मामलों में लोगों को पता भी नहीं चलता कि वे वायरस के साथ जी रहे हैं. ऐसे में ये लोग दूसरों को संक्रमित कर देते हैं. कुछ देश बहुत तेजी से टेस्टिंग कर रहे हैं और ऐसे में आधिकारिक आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है. लेकिन भारत में टेस्टिंग दर अब भी बहुत ही कम है. इसलिए असली संख्या काफी ज्यादा हो सकती है.
मृत्यु दर क्या है?
इस महामारी के बारे में जब पता चला तो शुरू में मृत्यु दर के सिर्फ 0.2 होने की बात कही गई थी. इस बीच यह दो फीसदी हो गई है. लेकिन इटली में एक दिन में करीब हजार लोगों के मरने के बाद यह बदल सकती है अगर जल्द ही स्थिति पर नियंत्रण नहीं कर लिया गया. मरने वालों में अधिकतर 65 साल से ज्यादा उम्र के लोग हैं.
कोरोना से बचने के लिए क्या करें?
अगर आपके आस पड़ोस में कोई व्यक्ति संक्रमित है, तो उससे और उसके परिवार से दूर रहें. सब्जी अच्छी तरह पकाएं क्योंकि उच्च तापमान पर वायरस मर जाता है. साथ ही बाजार से लाए किसी भी पैकेट को खोलने से पहले अच्छी तरह धो लें.
कितनी बार हाथ धोएं?
जितना मुमकिन हो. खांसने या छींकने के बाद, बाहर से जब भी घर आएं, खाना पकाने से पहले और बाद में. साबुन से कम से कम बीस सेकंड तक हाथ धोएं. अगर बाहर हैं और हाथ धोना मुमकिन नहीं है, तो सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें.
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समाचार एजेंसी रॉयटर्स को वांग वेंजुन ने कहा, "हमने ऐसे क्या किया जो हमें ऐसी सजा मिल रही है?” हुबेई प्रांत की रहने वाली वेंजुन के परिवार को अपने रिश्तेदार की अस्थियां लेने के लिए 15 दिनों का इंतजार करना पड़ा था. वेंजुन के चाचा की मौत कोविड-19 से हुई थी. जिंगझोऊ शवदागृह के निदेशक शेंग बताते हैं, "जैसे ही किसी शख्स की मौत होती है, अस्पताल डिसइंफेक्शन प्रक्रिया करता है और उसके तुरंत बाद अंतिम संस्कार हो जाता है." शेंग इस शवदागृह में पिछले 29 साल से काम कर रहे हैं, यहां कर्मचारी चौबीसों घंटे काम करते हैं. शेंग बताते हैं कि कभी रात में अस्पताल से फोन आ जाता है कि कोरोना पीड़ित शख्स की मौत हो गई है. इससे पहले इस शवदागृह में अंतिम संस्कार सुबह के वक्त होता था. शेंग कहते हैं, "अस्पताल कर्मचारी जितनी मेहनत कर रहे हैं, उसी तरह से शवदागृह कर्मचारी भी कर रहे हैं.”
ना कोरोना, ना हंटा, ये हैं दुनिया के सबसे खतरनाक वायरस
इस वक्त पूरी दुनिया कोरोना के खौफ में है. लेकिन मृत्यु दर के हिसाब से देखा जाए तो और भी कई वायरस हैं जो कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक हैं. बच के रहिए इनसे.
मारबुर्ग वायरस
इसे दुनिया का सबसे खतरनाक वायरस कहा जाता है. वायरस का नाम जर्मनी के मारबुर्ग शहर पर पड़ा जहां 1967 में इसके सबसे ज्यादा मामले देखे गए थे. 90 फीसदी मामलों में मारबुर्ग के शिकार मरीजों की मौत हो जाती है.
तस्वीर: picture alliance/dpa/CDC
इबोला वायरस
2013 से 2016 के बीच पश्चिमी अफ्रीका में इबोला संक्रमण के फैलने से ग्यारह हजार से ज्यादा लोगों की जान गई. इबोला की कई किस्में होती हैं. सबसे घातक किस्म के संक्रमण से 90 फीसदी मामलों में मरीजों की मौत हो जाती है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
हंटा वायरस
कोरोना के बाद इन दिनों चीन में हंटा वायरस के कारण एक व्यक्ति की जान जाने की खबर ने खूब सुर्खियां बटोरी हैं. यह कोई नया वायरस नहीं है. इस वायरस के लक्षणों में फेफड़ों के रोग, बुखार और गुर्दा खराब होना शामिल हैं.
तस्वीर: REUTERS
रेबीज
कुत्तों, लोमड़ियों या चमगादड़ों के काटने से रेबीज का वायरस फैलता है. हालांकि पालतू कुत्तों को हमेशा रेबीज का टीका लगाया जाता है लेकिन भारत में यह आज भी समस्या बना हुआ है. एक बार वायरस शरीर में पहुंच जाए तो मौत पक्की है.
तस्वीर: picture-alliance/Zumapress/L. Thomas
एचआईवी
अस्सी के दशक में एचआईवी की पहचान के बाद से अब तक तीन करोड़ से ज्यादा लोग इस वायरस के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं. एचआईवी के कारण एड्स होता है जिसका आज भी पूरा इलाज संभव नहीं है.
तस्वीर: picture-alliance/Photoshot/B. Coleman
चेचक
इंसानों ने हजारों सालों तक इस वायरस से जंग लड़ी. मई 1980 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने घोषणा की कि अब दुनिया पूरी तरह से चेचक मुक्त हो चुकी है. उससे पहले तक चेचक के शिकार हर तीन में से एक व्यक्ति की जान जाती रही.
तस्वीर: cc-by/Otis Historical Archives of National Museum of Health & Medicine
इन्फ्लुएंजा
दुनिया भर में सालाना हजारों लोग इन्फ्लुएंजा का शिकार होते हैं. इसे फ्लू भी कहते हैं. 1918 में जब इसकी महामारी फैली तो दुनिया की 40% आबादी संक्रमित हुई और पांच करोड़ लोगों की जान गई. इसे स्पेनिश फ्लू का नाम दिया गया.
तस्वीर: picture-alliance/Everett Collection
डेंगू
मच्छर के काटने से डेंगू फैलता है. अन्य वायरस के मुकाबले इसका मृत्यु दर काफी कम है. लेकिन इसमें इबोला जैसे लक्षण हो सकते हैं. 2019 में अमेरिका ने डेंगू के टीके को अनुमति दी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/EPA/G. Amador
रोटा
यह वायरस नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक होता है. 2008 में रोटा वायरस के कारण दुनिया भर में पांच साल से कम उम्र के लगभग पांच लाख बच्चों की जान गई.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
कोरोना वायरस
इस वायरस की कई किस्में हैं. 2012 में सऊदी अरब में मर्स फैला जो कि कोरोना वायरस की ही किस्म है. यह पहले ऊंटों में फैला, फिर इंसानों में. इससे पहले 2002 में सार्स फैला था जिसका पूरा नाम सार्स-कोव यानी सार्स कोरोना वायरस था. यह वायरस 26 देशों तक पहुंचा. मौजूदा कोरोना वायरस का नाम है सार्स-कोव-2 है और यह दुनिया के हर देश तक पहुंच चुका है.