तालिबान ने महिलाओं के अकेले यात्रा करने पर रोक लगाई
२७ दिसम्बर २०२१
तालिबान ने महिलाओं पर नई पाबंदियां लगा दी हैं. अब वे अकेले लंबी दूरी की यात्रा नहीं कर सकतीं. टैक्सी वालों से कहा गया है कि अकेली महिलाओं को गाड़ी में ना बिठाएं.
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अफगानिस्तान में तालिबान सरकार ने महिलाओं को बिना पुरुषों के लंबी यात्रा करने पर प्रतिबंध लगा दिया है. रविवार को जारी एक आदेश में कहा गया है कि जो महिलाएं लंबी दूरी की यात्रा करना चाहती हैं उनके साथ कोई नजदीकी पुरुष रिश्तेदार होना जरूरी है.
अफगानिस्तान के नैतिकता प्रसार व व्यसन रोकथाम मंत्रालय ने नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं. इनके मुताबिक महिलाओं को अकेले लंबी यात्राएं नहीं करनी चाहिए. मंत्रालय ने वाहनों के मालिकों से भी कहा है कि जिन महिलाओं ने सिर ना ढक रखा हो, उन्हें सवारी ना करने करने दें.
72 किलोमीटर से दूर नहीं जाना
मंत्रालय के प्रवक्ता सादिक अकीफ मुहाजिर ने कहा, "72 किलोमीटर से ज्यादा लंबी यात्रा करने वाली महिलाओं को सवारी नहीं मिलनी चाहिए, अगर उनके साथ कोई करीबी रिश्तेदार नहीं है.” मुहाजिर ने स्पष्ट किया कि यह करीबी रिश्तेदार पुरुष होना चाहिए.
नए दिशा-निर्देश सोशल मीडिया पर साझा किए जा रहे हैं. इनमें लोगों से गाड़ी में संगीत ना बजाने को भी कहा गया है. कुछ ही हफ्ते पहले मंत्रालय ने देश के टीवी चैनलों से कहा था कि वे ऐसे कार्यक्रम ना दिखाएं जिनमें महिला कलाकारों को दिखाया जाता है. साथ ही, महिला पत्रकारों से टीवी पर कार्यक्रम पेश करते हुए सिर ढकने को कहा गया था.
रविवार को मुहाजिर ने कहा कि यात्रा करने के लिए महिलाओं को हिजाब पहनना अनिवार्य होगा. हालांकि हिजाब अलग-अलग तरह के हो सकते हैं और अधिकतर अफगान महिलाएं हिजाब पहनती हैं. लेकिन तालिबान ने हिजाब के लिए कोई स्पष्ट निर्देश जारी नहीं किए हैं.
तमाम मुसीबत एक तरफ, अफगान कुश्ती एक तरफ
अफगानिस्तान सूखा, भुखमरी और आर्थिक संकट से घिरा हुआ है. देश में अनिश्चितता के माहौल के बीच अफगान पुरुष कुछ पल दंगल के लिए निकाल रहे हैं.
तस्वीर: Hector Retamal/AFP/Getty Images
अफगान दंगल
हर सप्ताह के अंत में अफगानिस्तान के लड़ाके राजधानी काबुल में एक सार्वजनिक मैदान पर इकट्ठा होते हैं और वहां जूडो और कुश्ती के मिश्रण वाले खेल में एक-दूसरे के खिलाफ अपने कौशल का प्रदर्शन करते हैं.
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जो जीता वही सिकंदर
कुश्ती को देखने के लिए राजधानी काबुल के चमन-ए-हजूरी मैदान में बड़ी भीड़ जुटती है. प्रशंसक अपने पसंदीदा या फिर अपने गृह जिले के किसी पहलवान के लिए ताली बजाते हैं और उन्हें उत्साहित करते हैं.
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लोकप्रिय है कुश्ती
उत्तरी अफगानिस्तान के समांगन प्रांत के गठीले 31 वर्षीय मोहम्मद आतिफ कहते हैं, "मैं 17 साल से लड़ रहा हूं." उन्होंने एक मैच में अपने प्रतिद्वंद्वी को एक विशेष दांव से पटखनी दी है. वे कहते हैं, "कुश्ती समांगन, कुंदुज, बगलान में बहुत लोकप्रिय है और शेबरघन में भी कई प्रसिद्ध पहलवान हैं."
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गांव के गौरव
जूडो और कुश्ती उत्तर में विशेष रूप से लोकप्रिय हैं. गांवों और जिलों में स्थानीय चैंपियन बनने के बाद खिलाड़ी क्षेत्रीय प्रतियोगिताओं और यहां तक कि राष्ट्रीय खेलों के लिए आगे बढ़ते हैं.
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अनुशासन के साथ दंगल
अफगान पहलवान मैदान पर अनुशासन का पालन करते हैं. मुकाबले के दौरान रेफरी यह सुनिश्चित करने के लिए होता कि नियमों का सख्ती से पालन हो और विजेता घोषित किया जाए. एक मुकाबला शायद ही कभी एक या दो मिनट से अधिक समय तक चलता है. मैच के बाद पहलवान एक दूसरे को गले लगा लेते हैं.
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सट्टा मत लगाना
विजेता के लिए एक छोटा सा इनाम होता है. हालांकि तालिबान द्वारा सट्टे पर आधिकारिक रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया है लेकिन कुछ पुराने सट्टेबाज हैं जो चोरी से सट्टा लगाते हैं.
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मनोरंजन का सहारा
इस तरह के आयोजन स्थानीय लोग और कुछ स्पॉन्सर मिलकर करते हैं. लोगों का कहना है कि तालिबान इस तरह के आयोजन में आने से बचता है. रिपोर्ट: (एए/सीके)
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मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इन निर्देशों की आलोचना की है. इससे पहले भी तालिबान सरकार ऐसे कई आदेश जारी कर चुकी है जिनमें महिला अधिकारों की कटौती की गई है. बड़ी संख्या में महिलाओं को सरकारी नौकरी करने से रोका जा चुका है.
15 अगस्त को लोकतांत्रिक सरकार को अपदस्थ कर सत्ता पर कब्जा करने वाले तालिबान ने कहा था कि अब वे बदल चुके हैं और महिलाओं व देश के अन्य कमजोर तबकों का शोषण नहीं होने दिया जाएगा. तालिबान के सत्ता में आने पर दुनियाभर के मानवाधिकार संगठनों ने महिलाओं की स्थिति बदतर होने का डर जताया था.
नए निर्देशों की आलोचना करते हुए मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच की सह-निदेशक (महिला अधिकार) ने कहा, "यह नया आदेश महिलाओं को कैद करने की दिशा में एक और कदम है. यह उनके लिए स्वतंत्र रूप से आने-जाने, दूसरे शहर जाने, व्यापार करने और अगर वे हिंसा की शिकार हैं तो बच निकलने पर पाबंदी लगाता है.”
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दो मंत्रालय खत्म
इसी महीने की शुरुआत में तालिबान ने अपने सर्वोच्च नेता के नाम पर एक आदेश जारी किया था जिसमें सरकार से महिला अधिकार लागू करने को कहा गया था. लेकिन इसमें लड़कियों की शिक्षा का जिक्र नहीं था. उच्च शिक्षा मंत्री अब्दुल बाकी हक्कानी ने रविवार का कहा कि इस विषय पर विचार किया जा रहा है.
हक्कानी ने कहा, "इस्लामिक अमीरात महिलाओं की शिक्षा के विरुद्ध नहीं हैं लेकिन सह-शिक्षा के खिलाफ हैं. हम एक इस्लामिक माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं जिसमें महिलाएं पढ़ाई कर सकें. इसके लिए कुछ समय लग सकता है.”
इस बीच सरकार ने दो चुनाव आयोगों और दो मंत्रालयों को यह कहते हुए भंग कर दिया है कि इनकी जरूरत नहीं है. सरकार के उप प्रवक्ता बिलाल करीमी ने बताया कि स्वतंत्र चुनाव आयोग और चुनाव शिकायत आयोग को भंग कर दिया गया है.
करीमी ने साथ ही शांति और संसदीय मामलों के मंत्रालयों को खत्म किए जाने की भी सूचना दी. उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात में देश को इन संस्थानों की जरूरत नहीं है.
वीके/एए (एएफपी, एपी)
अफगानिस्तान में महिलाओं के लिए नए नियम
तालिबान ने अफगानिस्तान में महिलाओं के लिए नए नियमों का ऐलान कर दिया है. तो कैसी होगी अब महिलाओं की जिंदगी.
तस्वीर: AAMIR QURESHI/AFP
महिलाओं के लिए नए नियम
अफगानिस्तान के नए उच्च शिक्षा मंत्री अब्दुल बाकी हक्कानी ने कहा है कि महिलाएं पढ़ाई कर पाएंगी लेकिन उन्हें कुछ विशेष नियमों का पालन करना होगा.
तस्वीर: Bilal Guler/AA/picture alliance
पढ़ाई की इजाजत
महिलाओं को यूनिवर्सिटी में पढ़ने की इजाजत होगी. हक्कानी ने कहा है कि जैसा देश आज है, उसी के आधार पर नए अफगानिस्तान का निर्माण किया जाएगा ना कि 20 साल पहले के तालिबानी शासन के आधार पर.
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लड़कों से अलग
महिला छात्रों को लड़कों से अलग पढ़ाया जाएगा. उन्हें इस्लामिक कानून के आधार पर कपड़े पहनने होंगे यानी सिर से पांव तक खुद को ढककर रखना होगा.
तस्वीर: Social media handout via REUTERS
पुरुष शिक्षक नहीं
हक्कानी ने कहा कि छात्राओं को पढ़ाने की जिम्मेदारी जहां तक संभव होगा शिक्षिकाओं को ही दी जाएगी. उन्होंने कहा कि शुक्र है देश में काफी महिला शिक्षक हैं.
तस्वीर: WAKIL KOHSAR/AFP/Getty Images
अलग-अलग बैठना होगा
जहां महिलाएं उपलब्ध नहीं होंगी, वहां पुरुष शिक्षक भी पढ़ा सकेंगे लेकिन विश्वविद्यालयों में छात्र-छात्राओं को अलग-अलग बैठना होगा और पर्दे में रहना होगा.
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कक्षाओं में पर्दे
पुरुष और महिला छात्राओं के बीच में पर्दे लगाए जाएंगे या फिर स्ट्रीमिंग के जरिए भी पढ़ाई कराई जा सकती है.