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समाज

भारत: सरकार ने कहा, पर्याप्त है कोयला

११ अक्टूबर २०२१

भारत सरकार ने बिजली संकट की संभावनाओं को खारिज करते हुए कहा है कि उसके पास पर्याप्त कोयला है. पिछले कई दिनों से कोयला बिजली संयंत्रों के पास ईंधन खत्म हो जाने की खबरें आ रही हैं.

तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/K. Frayer

भारत सरकार ने कहा है कि पावर प्लांट्स की मांग पूरी करने के लिए उसके पास पर्याप्त कोयला है. रविवार को एक बयान जारी कर भारत सरकार ने कहा कि बिजली का संकट नहीं होने जा रहा है.

केंद्र सरकार ने कहा कि कोयला बिजली संयंत्रों के पास 72 लाख टन कोयला भंडार हैं जो चार दिन के लिए पर्याप्त हैं. इसके अलावा सरकारी कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड के पास भी चार करोड़ टन कोयला भंडार होने की बात कही गई है.

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कोयला मंत्रालय ने रविवार को जारी एक बयान में कहा, "बिजली कटौती की आशंकाएं बेवजह हैं.” दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि कोयला संकट के चलते दिल्ली को बिजली कटौती झेलनी पड़ सकती है, जिसके बाद केंद्र को यह सफाई देनी पड़ी.

क्यों है कोयले का संकट

भारत में हाल के महीनों में कई इलाकों में बिजली की भारी समस्या रही है. देश के कोयला संयंत्रों के पास सितंबर के आखिर में सिर्फ चार दिन का कोयला बचा था, जो कई दशकों में सबसे कम है.

दुनिया में दूसरे सबसे ज्यादा कोयला उपभोग करने वाले देश भारत में कोयले की इस कमी की बड़ी वजह चीन में हो रही बिजली कटौती है. चीन के बिजली संकट के कारण फैक्ट्रियां काम नहीं कर पा रही हैं और उत्पादन प्रभावित होने से वैश्विक सप्लाई पर असर पड़ा है.

भारत में जरूरत की 70 प्रतिशत बिजली कोयले से बनाई जाती है. इसके लिए तीन चौथाई ईंधन स्वदेशी ही होता है. लेकिन मॉनसून की भारी बारिश ने कोयला खदानों में पानी भर दिया है और परिवहन को भी प्रभावित किया है, जिसके चलते कोयले की कमी हो गई है और कीमतें आसमान छू रही हैं.

हालांकि केंद्रीय कोयला मंत्रालय ने भरोसा दिलाया है कि मांग में तेज बढ़त और भारी मॉनसून के बावजूद "घरेलू सप्लाई ने बिजली उत्पादन को बड़ा समर्थन बनाए रखा है.”

बायोमास का इस्तेमाल

कोयले की सप्लाई के अलावा भारत ने बिजली उत्पादन का स्तर बनाए रखने के लिए और भी कई कदम उठाए हैं. मसलन कुछ कोयला बिजली संयंत्रों में बायोमास का इस्तेमाल अनिवार्य बना दिया गया है. इसका मकसद कृषि के कचरे से बिजली बनाकर वायु प्रदूषण को कम करना है.

बिजली उत्पादन के तरीके

शुक्रवार को बिजली मंत्रालय ने यह फैसला किया था जिसके तहत तीन श्रेणियों के थर्मल पावर प्लांट में कोयले के साथ 5 प्रतिशत बायोमास मिलाने की बात कही गई है.

उत्तरी भारत के कुछ हिस्सों में किसान फसल की कटाई के बाद बचे हिस्से को जलाकर खेत साफ करते हैं. इससे इलाके में वायु प्रदूषण होता है, जिसे लेकर पिछले दो-तीन साल से काफी चिंता जताई जा रही है. सरकार इसे कोयला संयंत्रों में इस्तेमाल करना चाहती है.

बायोमास के इस्तेमाल पर एक केंद्रीय नीति भी बनाई गई है जो अगले साल अक्टूबर से लागू हो जाएगी. इस नीति के तहत दो श्रेणियों के कोयला बिजली संयंत्रों को अगले दो साल में बायोमास का इस्तेमाल 7 प्रतिशत तक बढ़ाना होगा.

बिजली मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, "(कोयले के साथ) बायोमास जलाने की नीति 25 साल तक या फिर प्लांट की आयु पूरी होने तक, जो भी पहले खत्म हो तब तक लागू रहेगी.”

वीके/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)

क्या चाहते हैं कोयला खदानों के पास रहने वाले

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