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समाज

ब्रिटेन ने भारत की कोविशील्ड को मान्यता दी

८ अक्टूबर २०२१

भारत की सख्त जवाबी कार्रवाई के बाद ब्रिटेन ने कोविशील्ड वैक्सीन को मान्यता दे दी है. अब भारत से गए टीकाकृत लोगों को ब्रिटेन में क्वॉरन्टीन में नहीं रहना होगा.

तस्वीर: HOSHANG HASHIMI/AFP/Getty Images

भारत और ब्रिटेन के बीच आखिरकार कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर जारी विवाद पर विराम लग गया है. ब्रिटेन ने इस वैक्सीन को मंजूरी दे दी है और अब कोविशील्ड की दोनों खुराक पाए भारतीयों को ब्रिटेन में क्वारंटीन में नहीं रहना होगा.

भारत में ब्रिटेन के उच्चायुक्त ने गुरुवार को बताया कि 11 अक्टूबर से ब्रिटेन आने वाले उन भारतीयों को क्वारंटीन में नहीं रहना होगा जो कोविशील्ड की दोनों खुराक ले चुके हैं.

तस्वीरेंः भारत के वैक्सीन-वीर

ब्रिटिश उच्चायुक्त एलेक्स एलिस ने एक ट्वीट कर कहा, "कोविशील्ड या यूके द्वारा मंजूर अन्य किसी वैक्सीन की दोनों खुराक पाए भारतीय यात्रियों को 11 अक्टूबर से क्वारंटीन नहीं करना होगा.”

कई दिन चला विवाद

दोनों देशों के बीच कोविशील्ड को लेकर कई दिनों से विवाद चल रहा था. जब पिछले महीने जब ब्रिटेन ने अपनी सीमाएं खोलीं तो पूरी तरह टीकाकृत लोगों को क्वॉरन्टीन से छूट दे दी गई. लेकिन कोविशील्ड को मान्यता नहीं दी, जो भारत में इस्तेमाल की जा रही है.

ब्रिटेन के इस फैसले की तीखी आलोचना हुई और भारत में उसे साम्राज्यवादी तक कहा गया. भारत ने ब्रिटेन की इस नीति पर आपत्ति जताई. भारत के विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने ब्रिटिश नीति को भेदभावपूर्ण बताते हुए जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी थी.

1 अक्टूबर को जवाबी कार्रवाई करते हुए ब्रिटेन से आने वाले हर यात्री पर पर 10 दिन का अनिवार्य क्वारंटीन लागू कर दिया, फिर चाहे उसने वैक्सीन ली हो ना नहीं.

इसी हफ्ते भारत ने अपनी हॉकी टीमों को कोविड का खतरा बताते हुए अगले साल बर्मिंगम में होने वाले कॉमनवेल्थ खेलों में भेजने से इनकार कर दिया था.

दबाव काम आया

बढ़ते दबाव के बीच गुरुवार को ब्रिटेन ने आखिरकार नीति में बदलाव की घोषणा की. ब्रिटेन परिवहन मंत्री ग्रांट शैप्स ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी. उन्होंने कहा, "मैं ऐसे बदलाव कर रहा हूं कि ब्रिटेन आने वाले यात्रियों के लिए शर्तें कम हों. भारत, तुर्की और घाना समेत 37 नए देशों और क्षेत्रों में टीका लगवाए लोगों को मान्यता मिलेगी और उन यात्रियों को ब्रिटेन में पूरी तरह टीकाकृत माना जाएगा.”

जानें, वैक्सीन काम करती है

ब्रिटिश उच्चायोग के एक प्रवक्ता ने गुरुवार को एक बयान जारी कर इसकी पुष्टि की कि भारत के लोगों पर ब्रिटेन में पाबंदियां नहीं होंगी. उन्होंने कहा, "हमारे मंत्रालयों के बीच करीबी तकनीकी सहयोग के बाद लोगों की सेहत को ध्यान में रखते हुए यह फैसला किया गया.”

प्रवक्ता ने कहा कि ब्रिटेन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैक्सीन के प्रभाव से जुड़ी सूचनाएं और आंकड़ों की समीक्षा करता रहता है और अपने वीजा नियमों की हमने महामारी के दौरान लगातार समीक्षा की है ताकि धीरे-धीरे सुरक्षित तरीके से यात्राओं को शुरू करते हुए सीमाएं खुली रखी जाएं.

ब्रिटिश अधिकारियों ने मीडिया से कहा था कि मुद्दा वैक्सीन नहीं थी बल्कि भारत में वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट जारी करने की प्रक्रिया थी और उच्च स्तर पर बातचीत होने के बाद दोनों देशों ने एक दूसरे के प्रमाण पत्रों को मान्यता दी है.

कोविशील्ड पर विवाद

ब्रिटेन से पहले यूरोपीय संघ के साथ भी कोविशील्ड को लेकर भारत का विवाद हो चुका है. जुलाई में जब यूरोपीय संघ ने मान्य टीकों की सूची जारी की थी तो उसमें कोविशील्ड नहीं थी.

तस्वीरेंः बच्चों के लिए महामारी का मतलब

भारत में ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड वैक्सीन को उसके स्थानीय निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने नाम दिया है. इसे यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी (ईएमए) द्वारा मान्यता नहीं दी गई क्योंकि एजेंसी के मुताबिक उसे पुणे स्थित एसआईआई द्वारा अनुरोध नहीं मिला था.

इसलिए कोविशील्ड वैक्सीन लेने वाले यात्रियों को ईएमए से मंजूरी प्राप्त करने की शर्त लगा दी गई. चिंता जताए जाने और विरोध के बाद ईयू ने कहा है कि सदस्य देशों को अन्य वैक्सीन को भी मंजूर करने का विकल्प है, खासतौर पर वे टीके जिन्हें डब्ल्यूएचओ द्वारा मान्यता प्राप्त है. बाद में यूरोपीय देशों ने अपने-अपने स्तर पर कोविशील्ड को मान्यता दी.

रिपोर्टः विवेक कुमार (रॉयटर्स)

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