यूक्रेन में फंसे हुए 600 भारतीय छात्रों को लेकर चिंताएं
चारु कार्तिकेय
८ मार्च २०२२
भारत ने सूमी में फंसे छात्रों के न निकल पाने को लेकर संयुक्त राष्ट्र में चिंता व्यक्त की है. रूस ने एक बार फिर उन छात्रों को निकालने के लिए युद्ध विराम लागू करने और एक गलियारा बनाने का आश्वासन दिया है.
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सूमी यूक्रेन के पूर्वोत्तर का शहर है जहां कम से कम 600 भारतीय छात्र अभी भी फंसे हुए हैं. कुछ मीडिया रिपोर्टों में फंसे हुए छात्रों की संख्या को 800 बताया जा रहा है. रूस की सीमा से सिर्फ 50 किलोमीटर दूर स्थित इस शहर में भी रूस के हमले के बाद से लगातार गोलीबारी और बमबारी हो रही है.
वहां फंसे छात्रों को निकालने के सरकार के सभी प्रयास अभी तक असफल रहे हैं. शनिवार पांच मार्च को तो छात्र इतने हताश हो गए थे कि उन्होंने रूस की सीमा तक युद्ध क्षेत्र के बीच से पैदल जाने का फैसला ले लिया था.
लेकिन फिर भारत सरकार ने उनसे तुरंत संपर्क किया और उन्हें ऐसा न करने के लिए कहा. सरकार ने छात्रों को वहां से निकालने के लिए बसें भेजने का वादा किया. सोमवार सात मार्च को रूस के सूमी समेत चार शहरों में युद्ध विराम की घोषणा के बाद ही बसें वहां पहुंची भीं.
छात्र बसों में चढ़ चुके थे और बसें बस निकलने ही वाली थीं लेकिन तभी खबर मिली कि उनके प्रस्तावित रास्ते में ही कहीं पर युद्ध विराम का उल्लंघन हुआ है. एक घंटा इंतजार करने के बाद अभियान रद्द कर दिया गया और छात्रों को वापस हॉस्टल भेजने का आदेश दे दिया गया.
बमों के निशाने पर है यूक्रेन की ऐतिहासिक धरोहर
रूस के यूक्रेन पर बढ़ते हमले के बीच यूक्रेन आई ऐतिहासिक धरोहरों को ले कर भी चिंता व्यक्त की जा रही है. यूक्रेन में सात विश्व धरोहर स्थल हैं और यूनेस्को ने इनके संरक्षण की मांग की है.
तस्वीर: Brendan Hoffman/Getty Images
कीव के चर्च
इस पूर्वी ऑर्थोडॉक्स चर्च को 11वीं सदी में इस्तांबुल के हागिया सोफिया के मुकाबले में बनवाया गया था. इसका बाद के चर्चों पर भी बहुत असर पड़ा और फिर पास के कीव मोनैस्ट्री ऑफ द केव्स परिसर के साथ मिल कर यह इलाका ऑर्थोडॉक्स चर्च का एक केंद्र बन गया.
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शर्निवत्सी: बुकोविया और डैलमशन मेट्रोपॉलिटन पादरी का निवास
यह कभी पूर्वी ऑर्थोडॉक्स मेट्रोपोलिटन बिशप का निवास था. बाइजेंटाइन, गॉथिक और बरोक पद्धति के मिश्रण से बनी यह इमारत ऑस्ट्रो-हंगेरियन साम्राज्य की धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता को दर्शाती है. इस विशाल परिसर में एक चैपल, एक सेमिनरी और एक मोनैस्ट्री भी है.
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ऐतिहासिक शहर लीव
लीव की स्थापना मध्य युग के बाद के सालों में हुई थी और यह सदियों तक एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक, धार्मिक और वाणिज्यिक केंद्र रहा. आधुनिक लीव में अभी भी उस युग के कई निशान बाकी हैं.
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स्तारो-नेक्रासोव्का
'स्त्रूव आर्क' सर्वे त्रिकोणों की एक श्रंखला है जो 10 देशों में 2,820 किलोमीटर से भी ज्यादा दूर तक फैली है. इसके सबसे दक्षिणी छोर पर है काले सागर के तट पर बसा यूक्रेन का नगर स्तारो-नेक्रासोव्का, जबकि सबसे उत्तरी छोर पर है नॉर्वे का हैमरफेस्ट. 1816-55 में बनी इस श्रंखला को धरती के सटीक आकार और आकृति के बारे में जानने के लिए बनाया गया था.
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प्राचीन शहर सेवास्तोपोल
तौरिच-शरसोनीज ईसापूर्व पांचवीं शताब्दी का एक शहर था जिसके खंडहर दक्षिण पश्चिमी क्राईमिया में स्थित सेवास्तोपोल के नजदीक स्थित हैं. यहां पाषाण युग और कांस्य युग तक के ढांचों के खंडहर मौजूद हैं.
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जकरपत्तिया ओब्लास्ट के काठ के चर्च
कार्पेथियन इलाके का यह विश्व धरोहर स्थल असल में 16 चर्चों की एक श्रंखला है जो पोलैंड से लेकर यूक्रेन तक फैली हुई है. लकड़ी के ये चर्च ऑर्थोडॉक्स और यूनानी कैथोलिक समुदायों द्वारा 16वीं और 19वीं शताब्दी में बनवाए गए थे.
तस्वीर: Serhii Hudak/Ukrinform/imago images
जकरपत्तिया ओब्लास्ट के जंगल
यह पश्चिमी यूक्रेन में प्राचीन और अति प्राचीन बीच नाम के जंगलों का प्राकृतिक विश्व धरोहर स्थल है. कुल मिला कर तो यह स्थल 18 देशों के 94 इलाकों में फैला है. यह तस्वीर ऊहोल्का-शाइरोकि लूह जंगल की है.
तस्वीर: Serhiy Hudak/Ukrinform/imago images
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भारत ने सोमवार को ही इस मामले को संयुक्त राष्ट्र में उठाया और चिंता जाहिर की. संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने कहा, "हम बेहद चिंतित हैं कि दोनों पक्षों से बार बार अपील करने के बावजूद सूमी में फंसे हमारे छात्रों के लिए सुरक्षित गलियारा बन नहीं पाया."
युद्ध विराम की असफलता के लिए रूस और यूक्रेन दोनों एक दूसरे पर आरोप लगाते रहे हैं और सोमवार को भी संयुक्त राष्ट्र में दोनों देशों ने इन्हीं आरोपों को दोहराया. रूस ने एक बार फिर घोषणा की है कि आठ मार्च को सूमी और कुछ और शहरों में रूस की तरफ से युद्ध विराम होगा और लोगों के निकलने के लिए सुरक्षित गलियारे बनाए जाएंगे.
देखना होगा कि इस बार भारतीय छात्र निकल पाते हैं या नहीं.
मीठे तरीके से शांति का संदेश: "पीस डोनट"
रूस और यूक्रेन में जारी युद्ध के बीच एक जर्मन बेकरी खास डोनट बेच रही है. बेकरी ने इस डोनट का नाम "शांति डोनट" रखा है. इसका मकसद यूक्रेन का समर्थन थोड़े मीठे तरीके से करना है.
तस्वीर: Timm Reichert/REUTERS
'शांति डोनट'
यह खास 'शांति डोनट' यूक्रेन के राष्ट्रीय ध्वज के रंग में बनाया गया है. फ्रैंकफर्ट में स्थित हुक बेकरी पेस्ट्री और डोनट बेच कर ऐसे बच्चों के लिए धन जमा कर रही है, जिन्हें रूस के हमले के कारण यूक्रेन छोड़ना पड़ा है.
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बच्चों के लिए पहल
इस डोनट के ऊपर नीले और पीले रंग की फ्रॉस्टिंग है. इस खास डोनट की कीमत एक यूरो है (करीब 82 रुपये). डोनट की बिक्री से हुई आय यूक्रेन के उन बच्चों को दान कर दी जाएगी जिन्होंने फ्रैंकफर्ट में शरण ली है.
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मदद का जरिया
बेकरी की सह-मालकिन तान्या हुक कहती हैं, "हमने सोचा कि हमें बहुत जल्दी कुछ करना होगा. हमने ऐसा कुछ बनाने का फैसला किया जो महंगा ना हो और सभी के लिए किफायती हो. लोग दफ्तर जाते वक्त इसे अपने साथ ले जा सकते हैं."
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खूब मांग है शांति डोनट की
पिछले हफ्ते शुरू हुआ यह अभियान सफल नजर आ रहा है. पिछले गुरूवार को दस बेकरी शॉप में इस तरह के 600 डोनट बिके. लोग एडवांस में भी इसे खरीदने के लिए ऑर्डर दे रहे हैं.
तस्वीर: Timm Reichert/REUTERS
सोशल मीडिया पर भी चर्चा
सोशल मीडिया के जरिए इस 'पीस डोनट' की खूब की चर्चा हो रही है. लोगों को जब इसके बारे में पता चल रहा है तो वे बेकरी पहुंचकर इसे चख रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/K.C. Alfred
समर्थन के लिए आगे आए लोग
इस अभियान को खासा समर्थन मिल रहा है. फ्रैंकफर्ट में रहने वाली पोलैंड की महिला ने इस बेकरी से एक पेस्टरी खरीदी और वो इस अभियान से भावुक नजर आई.
तस्वीर: Hannibal Hanschke/Getty Images
यूक्रेन से भाग रहे लोग
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक यूक्रेन से करीब 15 लाख लोग भागकर पड़ोसी देशों में जा पहुंचे हैं. जर्मनी, हंगरी और पोलैंड जैसे देशों में ऐसे लोगों को शिविरों में रखा गया है. इनमें महिलाएं और बड़ी संख्या में बच्चे हैं. एए/सीके (रॉयटर्स)