1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
विवादउत्तरी कोरिया

किम से मीटिंग नहीं: क्या ट्रंप का अपमान किया गया?

यूलियन रयाल
३१ अक्टूबर २०२५

राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कई हफ्तों तक उत्तर कोरिया को मनाने की कोशिश की. मगर, फिर भी उनकी किम जोंग से मुलाकात नहीं हो पाई. क्या इसकी वजह यह है कि ट्रंप के पहले कार्यकाल से अलग, अब किम को नए और ताकतवर दोस्त मिल गए हैं?

जून 2018 में सिंगापुर में बातचीत के बाद एक समझौते पर दस्तखत करने के बाद तस्वीर खिंचवाते डॉनल्ड ट्रंप और किम जोंग उन
ट्रंप ने साफ कहा कि वह किम जोंग उन से मिलना चाहते हैं. उत्तर कोरिया ने ट्रंप की खुली पेशकश का जवाब नहीं दियातस्वीर: Ministry of Communications/ZUMA/IMAGO

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप पूर्वी एशिया की अपनी यात्रा खत्म कर वापस जा चुके हैं. मगर, इस यात्रा में वह अपना एक प्रमुख उद्देश्य पूरा नहीं कर पाए. ट्रंप, उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन से आमने-सामने की मुलाकात नहीं कर सके.

ट्रंप ने दावा किया कि "समय की कमी" के चलते यह मुलाकात नहीं हो पाई.

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति, ली जेइ म्यूंग के साथ क्योंगजू नेशनल म्यूजियम में हुई बातचीत के दौरान ट्रंप ने चिंता जताई कि "उत्तर कोरिया का परमाणु कार्यक्रम, कोरियाई प्रायद्वीप और पूर्वोत्तर एशिया की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन रहा है."

एक डर यह है कि किम जोंग उन को मनाने के लिए कहीं ट्रंप, उत्तर कोरिया को एक परमाणु शक्ति संपन्न देश की मान्यता देने को ना तैयार हो जाएंतस्वीर: Evan Vucci/AP Photo/picture alliance

लेकिन, ट्रंप ने उत्तर कोरिया के साथ बातचीत का प्रस्ताव खुला रखा है. उन्होंने दावा किया कि किम के साथ उनका अब भी "अच्छा रिश्ता" है और वह "कभी भी" उत्तर कोरिया के नेता से मिलने आने के लिए तैयार हैं.

दक्षिण कोरिया: ट्रंप की भारी-भरकम मांगों पर लोगों की क्या है राय

विशेषज्ञों का कहना है कि सिंगापुर, हनोई और उत्तर व दक्षिण कोरिया की सीमा (विसैन्यीकृत क्षेत्र) पर हुई पिछली मुलाकातों के बाद से दुनिया की भू-राजनीतिक स्थिति काफी बदल चुकी है. किम ने अब रूस के साथ मजबूत सैन्य और व्यापारिक संबंध बना लिए हैं.

'किम के पास अब नए और ताकतवर दोस्त हैं'

ट्रंप ने दक्षिण कोरिया आने से पहले ही कई बार कहा था कि वह किम से मिलने की उम्मीद कर रहे हैं. हालांकि, सोल के क्यूंग ही यूनिवर्सिटी के विदेश नीति के प्रोफेसर, चू जे वू का मानना है कि दोनों नेताओं के आमने-सामने मिलने की संभावना कम ही थी.

उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "यह वैसे भी होने वाला नहीं था. अब खेल के नियम बदल चुके हैं. मैं यह तो नहीं कहूंगा कि जानबूझकर अमेरिकी राष्ट्रपति का अपमान किया गया है, लेकिन इतना साफ है कि अब किम के पास अब नए और ताकतवर दोस्त हैं, जिनपर वह भरोसा कर सकते हैं."

पुतिन ने क्यों की उत्तर कोरियाई सैनिकों के बहादुरी की तारीफ

ट्रंप एशिया में दाखिल होते, ऐन उसी समय उत्तर कोरिया की दोस्ती साफ जाहिर की जा रही थी. 27 अक्टूबर को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मॉस्को में उत्तर कोरिया की विदेश मंत्री, चोए सोन हुई का स्वागत किया. एक रिकॉर्डिंग में पुतिन, चोए से यह कहते हुए भी नजर आए कि वह "किम को उनकी तरफ से शुभकामना दें." पुतिन ने यह भी कहा, "हमारे संबंध सुचारू रूप से आगे बढ़ रहे हैं."

ट्रंप ने दावा किया कि "समय की कमी" के चलते किम जोंग उन से उनकी मुलाकात नहीं हो पाईतस्वीर: NEWSIS/Photoshot/picture alliance

इससे पहले चोए ने रूस के विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव से भी मुलाकात की थी. इस मीटिंग में उन्होंने कहा कि उत्तर कोरिया और रूस का रिश्ता "एक नए स्तर" पर पहुंच चुका है और उत्तर कोरिया, रूसी राष्ट्र की संप्रभुता और क्षेत्रीय सुरक्षा का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है.

दूसरी तरफ, 29 अक्टूबर को उत्तर कोरिया ने एलान किया कि उसने यैलो सी में समुद्र से सतह पर मार करने वाली रणनीतिक क्रूज मिसाइलों का परीक्षण किया है. उत्तर कोरियाई सेना का दावा है कि यह हथियार, परमाणु वॉरहेड ले जाने के लिए पूरी तरह से सक्षम है.

एशिया दौरे में अब जापान पहुंचे ट्रंप, चीन के साथ ट्रेड डील का इंतजार

पिछले हफ्ते भी ट्रंप की यात्रा से ठीक पहले उत्तर कोरिया ने एक बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण किया था. यह जून में ली जेइ म्यूंग के पद संभालने के बाद से पहला ऐसा परीक्षण था.

उत्तर कोरिया का भविष्य किस दिशा में जा रहा है, यह अब साफ दिख रहा है. देश की सरकारी मीडिया ने बताया कि 29 अक्टूबर को ही रूसी आर्थिक विशेषज्ञों का एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल उत्तर कोरिया पहुंचा है. इस दौरे का उद्देश्य व्यापार, अर्थव्यवस्था और विज्ञान के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना है.

ट्रंप ने उत्तर कोरिया के साथ बातचीत का प्रस्ताव खुला रखा है. उन्होंने दावा किया कि किम के साथ उनका अब भी "अच्छा रिश्ता" है तस्वीर: KCNA via KNS/dpa/picture alliance

ट्रंप की पहल को किया गया नजरअंदाज

डॉनल्ड ट्रंप ने कई बार किम से मिलने की पेशकश की. 27 अक्टूबर को, टोक्यो जाते समय उन्होंने एयर फोर्स वन पर पत्रकारों से कहा था कि वह अपने एशिया दौरे में उत्तर कोरिया के लीडर से "मिलना चाहेंगे." लेकिन, उत्तर कोरिया ने इस पेशकश का कोई जवाब नहीं दिया.

कोरिया: उत्तर और दक्षिण में बंटे परिवारों की मिलने की उम्मीदें हुई धुंधली

याकोव जिनबर्ग, सेंट पीटर्सबर्ग के निवासी और टोक्यो के कोकुशिकन यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर हैं. किम और ट्रंप की मुलाकात पर उन्होंने कहा, "मैं नहीं मानता कि उत्तर कोरिया कभी भी मिलने का इरादा रखता था."

जिनबर्ग ने डीडब्ल्यू को बताया कि ट्रंप के सलाहकार इस मुलाकात को आगे बढ़ाना चाहते थे, ताकि उत्तर कोरिया और रूस के बीच दरार डाली जा सके, "लेकिन यह मकसद पूरा करना हमेशा से मुश्किल ही था."

उन्होंने बताया, "मॉस्को को पहले से ही पूरी स्थिति का अंदाजा था और उसने अपनी रणनीति लगाकर इसे संभाल लिया. उसने इसी दौरान उत्तर कोरियाई विदेश मंत्री और रूसी राष्ट्रपति के बीच समानांतर बैठकें बुलाईं." उत्तर कोरिया भी इसमें रूस का साथ देने के लिए पूरी तरह से तैयार था.

जिनबर्ग ने कहा कि उत्तर कोरिया; अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान को यह दिखा रहा है कि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अब पहले के मुकाबले अधिक आत्मविश्वास से भरा है, क्योंकि "अब उसके पीछे एक महाशक्ति खड़ी है."

जिनबर्ग यह भी रेखांकित करते हैं कि अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण, पहले उत्तर कोरिया के पास उन्नत हथियार, तकनीक, ईंधन और खाद्य सामग्री जैसी चीजों की कमी थी. अब रूस के समर्थन की वजह से उत्तर कोरिया को ये चीजें मिल रही हैं. जिनबर्ग ने कहा, "संदेश साफ है कि उत्तर कोरिया अब अकेला नहीं है. वह एक ताकत बन चुका है और अब उसे ट्रंप के हर बयान का जवाब देने की जरूरत नहीं है."

प्रोफेसर चू जे वू के अनुसार, यह स्थिति अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए एक चुनौती बन चुकी है. किम को फिर से बातचीत के लिए मनाने की खातिर उन्हें क्या कीमत चुकानी पड़ेगी और वो कीमत अमेरिका के सहयोगियों के लिए कितनी बड़ी होगी?

यूक्रेन में सैनिकों की मौत को कैसे दिखाता है उत्तर कोरिया

चू बताते हैं, "मुझे लगता है कि ट्रंप पहले से ही अपना अगला कदम सोच रहे हैं, ताकि यूक्रेन युद्ध में और कोरियाई प्रायद्वीप में किसी तरह का समझौता करवा सकें और नोबेल शांति पुरस्कार हासिल कर सकें."

यूक्रेन के रंग में रंगा अलास्का

03:36

This browser does not support the video element.

क्या ट्रंप उत्तर कोरिया को परमाणु देश की मान्यता देंगे?

अब एक डर यह है कि किम जोंग उन को मनाने के लिए कहीं ट्रंप उत्तर कोरिया को एक परमाणु शक्ति संपन्न देश की मान्यता देने को ना तैयार हो जाएं. ट्रंप ने एशिया आने से पहले इस ओर इशारा भी किया था. उन्होंने पत्रकारों से कहा, "मुझे लगता है कि अब वह एक तरह की परमाणु शक्ति ही है. मुझे पता है कि उनके पास कितने हथियार हैं. मुझे उनके बारे में सब पता है."

अगर अमेरिका, उत्तर कोरिया को परमाणु देश की मान्यता देता है, तो यह उसकी पुरानी नीति के बिलकुल खिलाफ होगा. अब तक अमेरिका और उसके साथी देश कहते आए हैं कि उत्तर कोरिया को पहले अपने परमाणु हथियार खत्म करने होंगे, तभी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध हटाए जाएंगे और वह दुनिया के साथ सामान्य स्तर पर खड़ा हो सकेगा.

अगर उत्तर कोरिया को परमाणु शक्ति की मान्यता दे दी गई, तो इससे दक्षिण कोरिया और जापान जैसे गैर-परमाणु देशों की सुरक्षा को बड़ा खतरा हो सकता है. पूरे एशिया में हथियारों की होड़ शुरू हो सकती है. जैसा कि प्रोफेसर चू ने कहा, "उत्तर कोरिया के लिए यह एक बहुत बड़ी जीत होगी और शायद इसी के चलते किम फिर से बातचीत के लिए तैयार हो जाएं. लेकिन, दक्षिण कोरिया के नजरिये से देखें तो जब तक बाकी समझौते और सुरक्षा की गारंटी तय नहीं हो जाती है, तब तक इस तरह की मान्यता देना बहुत मुश्किल होगा."

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें