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पिछले 80 सालों की सात अहम मुलाकातें
पिछले 80 सालों की सात अहम मुलाकातें
पिछले 80 सालों में दुनिया ने अहम राजनीतिक बदलाव देखे हैं. कभी यह काल युद्ध की त्रासदी से गुजरा तो कभी इसने शीत युद्ध की तपन महसूस की. लेकिन इस दौरान कुछ अहम बैठकें भी हुईं. एक नजर पिछले 80 साल की सात अहम मुलाकातों पर.
आडोल्फ हिटलर और नेविलर चेम्बरलेन, 1938 (म्यूनिख समझौता)
साल 1938 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री नेविलर चेम्बरलेन जर्मनी के शहर म्यूनिख पहुंचे थे. मकसद था जर्मनी के तानाशाह आडोल्फ हिटलर से मुलाकात कर दुनिया को दूसरे विश्व युद्ध में जाने से रोकना. हिटलर से मिलने के बाद चेम्बरलेन को विश्वास हो चला था कि जर्मनी चेकोस्लोवाकिया पर कोई आक्रमण नहीं करेगा. लेकिन ये सारी बातें धरी की धरी रह गई और एक साल बाद द्वितीय विश्वयुद्ध शुरू हो गया.
2. फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट-विंस्टन चर्चिल-जोसेफ स्टालिन 1945 (याल्टा कॉन्फ्रेंस)
दूसरे विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद जर्मनी और धुरी देशों के खिलाफ लड़ रहे मित्र देश क्रीमिया के याल्टा में जुटे.1945 की इस कॉन्फ्रेंस में शिरकत करने पहुंचे अमेरिका के राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल और सोवियत यूनियन के नेता जोसेफ स्टालिन. मकसद था युद्ध के बाद पैदा हुई स्थिति का मुकाबला करना. मीडिया खबरों ने इस मुलाकात को लेकर काफी सकारात्मकता दिखाई थी.
3. निकिता ख्रुश्चेव-जॉन.एफ.कैनेडी 1961 (वियना शिखर भेंट)
स्टालिन के बाद सोवियत संघ की बागडोर संभालने वाले निकिता ख्रुश्चेव ने आठ साल तक शासन किया. इस कार्यकाल के उन्होंने अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी से मुलाकात की थी. यह वही वक्त था जब दोनो देशों के संबंधों में तनाव अपने चरम पर था. इस दौरान सोवियत संघ के साथी देश क्यूबा में अमेरिकी मिशन फेल हो गया था. साथ ही दोनों देश लाओस की जमीन पर एक छद्म युद्ध लड़ रहे थे.
4. माओ त्से तुंग-रिचर्ड निक्सन,1972 (बीजिंग यात्रा)
अमेरिका और चीन के बीच करीब दो दशकों तक तनाव बना रहा. लेकिन जब रूस और चीन के बीच कशमकश बढ़ी, तो अमेरिका ने चीन के साथ रिश्तों पर जमी बर्फ को पिघलाने की कोशिश की. नतीजतन अमेरिका के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन चीन के नेता माओ त्सेतुंग से मिलने 1972 में बीजिंग गए. मीडिया ने इस यात्रा के नतीजों को मिला-जुला बताया. इसके बारे में कहा जाता रहा कि इससे न तो किसी को कोई खास फायदा हुआ और न ही नुकसान.
5. रोनाल्ड रीगन-मिखाइल गोर्बाचेव 1986 (रेक्याविक सम्मिट)
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने अपने कार्यकाल के दौरान सोवियत संघ की ओर हमेशा ही कड़ा रुख रखा. लेकिन अपने शासन काल के दौरान साल 1986 में रीगन, सोवियत संघ के राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव से पहली बार रेक्याविक में मिले. मकसद था दुनिया में बढ़ रही हथियारों की होड़ को कम करना. इस दौरान रीगन ने मानवाधिकारों को लेकर दबाव बनाया तो गोर्बोचेव ने परमाणु निरस्त्रीकरण पर बल दिया.
6. किम जोंग इल-किम दे-युंग, 2000 (कोरियाई शिखर भेंट)
कोरियाई प्रायद्वीप के दो टुकड़े होने के बाद उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के नेता पहली बार साल 2000 में मिले. उत्तर कोरियाई तानाशाह किम जोंग उन के पिता किम जोंग इल और दक्षिण कोरिया के तत्कालीन राष्ट्रपति किम-दे-युंग प्योंगयांग के निकट एक एयरपोर्ट पर मिले. तीन दिन तक चली इस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत दोनों नेताओं की 50 मिनट की संयुक्त यात्रा के साथ हुई थी.
7. डॉनल्ड ट्रंप-किम जोंग उन, 2018 (सिंगापुर शिखर भेंट)
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और उत्तर कोरियाई तानाशाह किम जोंग उन, एक दूसरे के खिलाफ तल्ख बयानबाजी से बाज नहीं आते. अमेरिका, उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रमों और मिसाइल परीक्षणों पर कई बार सवाल उठा चुका है. लेकिन जून 2018 में पहली बार दोनों नेता एक दूसरे से सिंगापुर में मिले. दुनिया भर की मीडिया के सामने दोनों नेताओं ने अहम समझौतों पर दस्तखत किए.