जर्मनी में शरणार्थी विरोधी दक्षिणपंथियों ने एक बार फिर हमला किया है. एक शहर के मेयर पर सरेआम हमला हुआ है. शहर के मेयर प्रवासियों के लिए घर बनाने की योजना पर काम कर रहे हैं.
विज्ञापन
उत्तरी जर्मनी के शहर ओएर्सडॉर्फ में एक मेयर पर इसलिए हमला किया गया कि वह प्रवासियों के लिए घर बनाने की योजना पर काम कर रहे हैं. अनजान शख्स द्वारा किए गए इस हमले में 61 साल के योआखिम केबशूल बेहोश हो गए.
शुक्रवार को पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि केबशूल पर हमला किसी छड़ी से किया गया लगता है. उस वक्त वह ओएर्सडॉर्फ में भवन निर्माण योजना को लेकर हो रही एक मीटिंग में शामिल होने जा रहे थे. छड़ी से सिर पर वार ने उन्हें बेहोश कर दिया. हमलावर मौके से फरार हो गया. केबशूल को अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
जर्मनी में दक्षिणपंथी कट्टरपंथ में बढ़ोतरी देखी गई है. 2015 में 10 लाख से ज्यादा प्रवासियों के आने के बाद शरणार्थियों और उनके समर्थकों के खिलाफ हमलों में काफी वृद्धि हुई है. केबशूल पर हुए हमले को भी इसी हिंसा से जोड़कर देखा जा रहा है. पिछले कई महीनों से उन्हें धमकियां मिल रही थीं. गुरुवार रात भी उन्हें धमकी भरा खत मिला था. पुलिस के मुताबिक इस खत में लिखा था, "जो लोग सुनना नहीं चाहते, उन्हें महसूस करना होगा."
क्या है जर्मन समाज की उथल-पुथल, इन तस्वीरों में देखिए
पेगीडा: जर्मन समाज की उथल पुथल
जर्मनी में अक्टूबर 2014 से चले आ रहे पेगीडा के नियमित विरोध प्रदर्शन अब एक बड़े इस्लामीकरण विरोधी अभियान की पहचान बन गए हैं. लाखों शरणार्थी भी निशाने पर हैं. 'पेगीडा' के उभार से जुड़े हैं जर्मनी के कई सामाजिक मुद्दे.
तस्वीर: Reuters/Maurizio Gambarini/Pool
5 जनवरी 2015 यानि नए साल के पहले ही सोमवार की शुरुआत जर्मनी के कई शहरों में विरोध प्रदर्शनों के साथ हुई. जर्मनी के कई राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे इस्लाम विरोधी प्रदर्शन दिखाते है कि बड़ी संख्या में आप्रवासियों के मुद्दे पर देश बंटा हुआ है. आप्रवासन का समर्थन करने वाले लोग अनेकता में एकता की भावना को बढ़ाने के लिए एक राष्ट्रीय आयोग के गठन की मांग कर रहे हैं.
तस्वीर: Reuters/Wolfgang Rattay
जर्मनी के पूर्व में स्थित ड्रेसडेन शहर में हर हफ्ते रैलियां निकाली जा रही हैं. 22 दिसंबर 2014 की रैली में तो 17 हजार से भी ज्यादा लोग शामिल हुए. पेगीडा रैलियों का विरोध करने वाले कई गुट हैं. दिसंबर में पेगीडा ने अपना घोषणापत्र जारी कर "आपराधिक किस्म के शरणार्थियों और आप्रवासियों को बिल्कुल बर्दाश्त ना किए जाने" की मांग की.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/P. Endig
जर्मनी के पूर्व में स्थित ड्रेसडेन शहर में हर हफ्ते रैलियां निकाली जा रही हैं. 22 दिसंबर 2014 की रैली में तो 17 हजार से भी ज्यादा लोग शामिल हुए. पेगीडा रैलियों का विरोध करने वाले कई गुट हैं. दिसंबर में पेगीडा ने अपना घोषणापत्र जारी कर "आपराधिक किस्म के शरणार्थियों और आप्रवासियों को बिल्कुल बर्दाश्त ना किए जाने" की मांग की.
तस्वीर: O. Andersen/AFP/Getty Images
'पश्चिम के इस्लामीकरण के खिलाफ यूरोप के राष्ट्रवादी' यानि पेगीडा के समर्थकों का मानना है कि इस्लामीकरण से ईसाई धर्म की संस्कृति और परंपराओं को खतरा है. वहीं हाल ही में उभरा यूरोप विरोधी दल 'अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी' (एएफडी) खुद को जर्मन समाज के सच्चे प्रतिनिधियों के तौर पर पेश कर रहा है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/O. Berg
जर्मनी में आम लोगों के बीच इस मत को बढ़ावा देने की कोशिश हो रही है कि रिफ्यूजी आबादी की मदद करने में खर्च होने वाले धन के कारण जर्मन नागरिकों की पेंशन कम हो जाएगी और गरीबी फैलेगी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
हुम्बोल्ट यूनिवर्सिटी की सोशल साइंटिस्ट नाइका फोरुटान ने हाल ही के एक सर्वे का हवाला देते हुए बताया कि आधे से ज्यादा जर्मन अपने पड़ोस में मस्जिद बनाए जाने के खिलाफ हैं. वहीं 40 फीसदी का मानना है कि केवल जर्मन माता-पिता के बच्चों को ही जर्मन माना जाना चाहिए. वे बताती हैं कि जो लोग विदेशियों और प्रवासियों के बिल्कुल संपर्क में नहीं हैं वे उनका ज्यादा विरोध करते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Bernd von Jutrczenka
जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने नए साल के अपने संदेश में देश के नागरिकों से शरणार्थियों की मदद का आह्वान किया. उन्होंने जनता से शरणार्थियों और इस्लामीकरण का विरोध करने वाली पेगीडा रैलियों का विरोध करने की अपील की. केवल 2014 में ही जर्मनी में दो लाख से ज्यादा शरणार्थी अर्जियां आईं.
तस्वीर: Reuters/Maurizio Gambarini/Pool
7 तस्वीरें1 | 7
स्थानीय समाजसेवियों के एक संगठन ओएर्सडॉर्फर वाएलरफेराइनीगुंग ने बताया है कि स्थानीय अधिकारियों को लगातार धमकियां मिल रही थीं. संगठन के मुताबिक इन धमकियों का संबंध शहर में प्रवासियों के लिए बनाए जा रहे एक घर की योजना से है. जर्मनी में 2015 में 11 लाख शरणार्थी जर्मनी में आए हैं. तब से उन पर, उनके रहने या बसने के ठिकाने पर और प्रवासियों का समर्थन करने वालों पर हमले हो रहे हैं. दो हफ्ते पहले ही जर्मन राज्य सेक्सनी के बाउत्सेन शहर में स्थानीय लोगों और प्रवासियों के बीच तीखी झड़पें हुई थीं जब लगभग 80 स्थानीय दक्षिणपंथियों ने 20 प्रवासियों के साथ गाली-गलौज और मारपीट की. दोनों तरफ से एक दूसरे पर बोतलें भी फेंकी गईं और 100 से ज्यादा पुलिसवालों की मदद से हालात पर काबू पाया जा सका. उसके बाद ड्रेसडेन शहर में एक मस्जिद पर बम से हमला हुआ. रात को देसी बमों से मस्जिद और इंटरनेशनल कांग्रेस सेंटर पर हमला किया गया.