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राजनीतिउत्तरी कोरिया

उत्तर कोरिया ने एक महीने छठी बार किया मिसाइल परीक्षण

२७ जनवरी २०२२

4 फरवरी को बीजिंग में होने जा रहे विंटर ओलिंपिक के बाद उत्तर कोरिया हथियारों के अपने प्रदर्शनों और परीक्षणों को और बढ़ा सकता है. अनुमान है कि ऐसा करके वह बाइडेन प्रशासन पर बातचीत के लिए दबाव बनाना चाहता है.

Nordkorea | Kim Jong Un
11 जनवरी को उत्तर कोरिया द्वारा किए गए दूसरे हाइपरसॉनिक परीक्षण के बाद अमेरिका ने उसपर नए आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए. इसके जवाब में उत्तर कोरिया ने और सख्त प्रतिक्रिया की चेतावनी दी. तस्वीर: KCNA/KNS/AP/picture alliance

उत्तरी कोरिया ने 27 जनवरी को फिर से दो मिसाइल परीक्षण किए. आशंका है कि ये दोनों बैलिस्टिक मिसाइलें थीं. यह जानकारी दक्षिण कोरिया की सेना ने दी है. 2022 के इन शुरुआती 27 दिनों में उत्तर कोरिया में मिसाइल परीक्षणों का यह छठा दौर था.

दक्षिण कोरिया की प्रतिक्रिया

दक्षिण कोरिया के 'ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ' ने बताया कि ये मिसाइलें संभवत: कम दूरी की थीं. इन्हें पूर्वी तट पर बसे शहर 'हैमहंग' से दागा गया. दोनों मिसाइलें पांच मिनट के अंतराल पर छोड़ी गईं. दोनों ही मिसाइलें समुद्र में गिरीं. दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति कार्यालय ने बयान जारी कर उत्तर कोरिया की ओर से बार-बार किए जा रहे मिसाइल परीक्षणों पर खेद जताया.

इसके साथ ही, उत्तर कोरिया से बातचीत का रास्ता अपनाने की भी अपील की. दक्षिण कोरिया की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने भी इस परीक्षण के मद्देनजर अपनी आपातकालीन बैठक बुलाई. विमानन प्रशासन ने देश के हवाई क्षेत्र में विमान उड़ा रहे पायलटों को सचेत किया. उनसे कहा गया कि वे हवाई यातायात नियंत्रण के संपर्क में रहें.

20 जनवरी को भी उत्तर कोरिया ने किया था मिसाइल परीक्षणतस्वीर: Ahn Young-joon/AP Photo/picture alliance

यूएस इंडो पैसिफिक कमांड ने कहा है कि ताजा मिसाइल परीक्षण से अमेरिका और उसके सहयोगियों को कोई तात्कालिक खतरा नहीं था. हालांकि उत्तर कोरिया के हथियार कार्यक्रम से पूरे क्षेत्र की स्थिरता और सुरक्षा पर असर पड़ सकता है.

जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने भी कहा कि इस घटना के चलते जापानी समुद्र तट के आसपास किसी जहाज या विमान को नुकसान पहुंचने की खबर नहीं है. साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि उत्तर कोरिया की ओर से बार-बार किए जा रहे मिसाइल परीक्षण खेदजनक है. किशिदा ने इसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन भी बताया.

दबाव बनाने की कोशिश!

विशेषज्ञों के मुताबिक, मिसाइल परीक्षणों में इतनी तेजी लाना उत्तर कोरिया की बाइडेन प्रशासन पर दवाब बनाने की कोशिश हो सकती है. वह लंबे समय से बातचीत की प्रक्रिया दोबारा शुरू करवाना चाहता है, ताकि उसे आर्थिक प्रतिबंधों से राहत मिल सके.

उत्तर कोरिया के परमाणु हथियार कार्यक्रम के चलते पश्चिमी देशों ने उत्तर कोरिया पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हुए हैं. इन प्रतिबंधों और उत्तर कोरियाई शासन की दशकों से चली आ रही अव्यवस्था के चलते देश की अर्थव्यवस्था पहले ही खराब है. कोरोना महामारी ने हालात और बिगाड़ दिए हैं.

क्या बातचीत के लिए दबाव बना रहे हैं किम जोंग उन.तस्वीर: KCNA/KNS/AFP

पिछले हफ्ते उत्तर कोरिया ने परमाणु विस्फोटकों और लंबी दूरी की मिसाइलों का परीक्षण दोबारा शुरू करने की चेतावनी दी थी. उसने कहा था कि वह अमेरिका को निशाना बनाएगा. 2018 में अमेरिका के साथ कूटनीतिक स्तर पर संपर्क शुरू करने के बाद किम जोंग उन ने लंबी दूरी की मिसाइलों का परीक्षण स्थगित कर दिया था.

इसके बाद अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और किम जोंग उन की मुलाकात भी हुई. अमेरिका चाहता था कि उत्तर कोरिया अपना परमाणु कार्यक्रम बंद करे. हालांकि किम जोंग उन अपनी परमाणु क्षमता का छोटा सा हिस्सा छोड़ने के लिए प्रतिबंधों में बड़ी छूट चाहते थे. इन मांगों पर अमेरिका सहमत नहीं था. नतीजतन 2019 में बातचीत पटरी से उतर गई.

अमेरिका का रुख

कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि 4 फरवरी को बीजिंग में होने जा रहे विंटर ओलिंपिक के बाद उत्तर कोरिया हथियार कार्यक्रम और तेज कर सकता है. चीन उसका मुख्य सहयोगी और अर्थव्यवस्था की जीवनरेखा है. विशेषज्ञों की राय है कि उत्तर कोरियाई नेतृत्व को शायद यह लग रहा है कि आक्रामकता और प्रदर्शन बढ़ाने से चीन और रूस जैसे प्रतिद्वंद्वियों में उलझे बाइडेन प्रशासन का ध्यान उसकी तरफ जाएगा.

बाइडेन प्रशासन उत्तर कोरिया को बातचीत का प्रस्ताव दे चुका है. दिक्कत ये है कि अमेरिका किसी अग्रिम शर्त के साथ बातचीत को तैयार नहीं है. जब तक उत्तर कोरिया अपने मिसाइल और परमाणु कार्यक्रम को छोड़ने की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाता, तब तक अमेरिका उस पर लगे प्रतिबंधों में छूट के लिए राजी नहीं है. उत्तर कोरिया को अपना हथियार कार्यक्रम अपने अस्तित्व की सबसे मजबूत गारंटी लगती है.

जो बाइडेन का ध्यान फिलहाल दूसरे मुद्दों पर ज्यादा है.तस्वीर: Leah Millis/REUTERS

27 जनवरी को किए गए परीक्षण से दो दिन पहले ही दक्षिण कोरियाई सेना ने आशंका जताई थी कि उत्तर कोरिया ने एक अज्ञात ठिकाने पर दो क्रूज मिसाइलों का परीक्षण किया है. 2022 में नॉर्थ कोरिया ने सबसे पहले दो कथित हाइपरसोनिक मिसाइलों का परीक्षण किया था.

इसके बाद उत्तर कोरिया ने दो अलग-अलग तरह की छोटी दूरी वाले बैलिस्टिक मिसाइलों के परीक्षण का दावा किया. उत्तर कोरिया का कहना है कि  2019 के बाद ये मिसाइलें बनाई गईं, जो कि कम ऊंचाई पर उड़ सकती हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि इन मिसाइलों के मिसाइल डिफेंस सिस्टम से बचकर निकलने का जोखिम है.

सोल के ईवा यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर लीफ एरिक ईजले बताते हैं, "आर्थिक प्रतिबंध और सख्त करने की कोशिशों के बावजूद इस महीने उत्तर कोरिया के परीक्षणों पर वॉशिंगटन की प्रतिक्रिया 2017 जैसी नहीं है." 2017 में उत्तर कोरिया ने परमाणु और आईसीबीएम परीक्षणों पर काफी आक्रामकता दिखाई थी. तब और अब के मुकाबले अमेरिका के बदले बर्ताव की ओर ध्यान दिलाते हुए ईजले कहते हैं, "अमेरिका की नीति ज्यादा नपी-तुली और सहयोग वाली हो गई है, लेकिन फिर भी उत्तर कोरिया के बदलते व्यवहार के लिहाज से यह पर्याप्त नहीं है." 

बाइडेन प्रशासन के पास उत्तर कोरिया से अलग कई प्राथमिकताएं हैं. घरेलू मोर्चे पर महामारी के असर से उबरने की कोशिशों के अलावा यूक्रेन मुद्दा, ईरान का परमाणु कार्यक्रम और चीन उनकी प्रमुख चिंताएं हैं.

रूस और चीन का रुख

11 जनवरी को किए गए मिसाइल परीक्षण के बाद अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने उत्तर कोरिया के पांच नागरिकों पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया था. इन्हें परमाणु कार्यक्रम के लिए तकनीक और उपकरण हासिल करने में भूमिका के चलते प्रतिबंधित किया गया था. इनके खिलाफ सुरक्षा परिषद की ओर से प्रतिबंध लगवाए जाने की अमेरिका की कोशिश को चीन और रूस ने रोक दिया. रूस और चीन, उत्तर कोरिया की आर्थिक स्थिति का हवाला देकर उसे प्रतिबंधों में छूट देने के पक्षधर हैं.

उत्तर कोरिया के परमाणु हथियार कार्यक्रमों से जुड़ी अंतरराष्ट्रीय चिंताओं के बावजूद उत्तर कोरिया को इस साल संयुक्त राष्ट्र के एक निरस्त्रीकरण फोरम की अध्यक्षता करने का मौका मिलेगा. संयुक्त राष्ट्र के निरस्त्रीकरण फोरम में 65 सदस्य देश हैं. यह फोरम परमाणु हथियारों के निरस्त्रीकरण पर फोकस करता है. इसकी अध्यक्षता बारी-बारी से सदस्य देशों को मिलती है.

इस साल 30 मई से 24 जून के बीच उत्तर कोरिया इस फोरम की अध्यक्षता करेगा. इसी दौरान यह बैठक होनी है. जिनेवा के समाजसेवी संगठन 'यूएन वॉच' ने अमेरिका और यूरोपीय देशों के राजदूतों से अपील की है कि वे उत्तर कोरिया की अध्यक्षता के दौरान सम्मेलन से बाहर निकल जाएं. संगठन का कहना है कि उत्तर कोरिया अपनी मिसाइलों से यूएन के सदस्य देशों पर हमला करने की धमकी देता है. अपने ही लोगों पर अत्याचार करता है. इसीलिए उसकी अध्यक्षता का बहिष्कार किया जाना चाहिए.

एसएम/एनआर (एपी)

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