उत्तर कोरिया ने हफ्तेभर के भीतर दागी एक और मिसाइल
११ जनवरी २०२२उत्तर कोरिया ने मंगलवार को एक संदिग्ध बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया है. एक सप्ताह से भी कम समय में यह दूसरा मौका है, जब उत्तर कोरिया ने मिसाइल दागी है. दक्षिण कोरिया, जापान और अमेरिका के अधिकारियों ने इसकी निंदा करते हुए कहा है कि इससे क्षेत्र में अस्थिरता फैलने की खतरा है.
दक्षिण कोरिया के संयुक्त चीफ ऑफ स्टाफ ने एक बयान में कहा कि उनका अनुमान है कि संदिग्ध बैलिस्टिक मिसाइल सुबह 7.27 बजे उत्तर कोरिया के एक भीतरी इलाके से इसके पूर्वी तट की ओर समंदर की तरफ दागी गई है. दक्षिण कोरिया की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने एक आपातकालीन बैठक बुलाई, जिसमें सदस्यों ने चिंता जतायी कि यह मिसाइल ऐसे समय दागी गई, जब इलाके में स्थिरता बेहद जरूरी है.
राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी एक बयान में उत्तर कोरिया से बातचीत और आपसी सहयोग बहाल करने की अपील की गई है. अमेरिकी सेना की इंडो-पैसेफिक कमांड ने कहा है कि उसे परीक्षण की जानकारी है और वह अपने साथियों के साथ संवाद में है. जापान के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि मिसाइल ने 700 किमी का सफर तय किया और यह जापान के एक्सक्लूसिव इकनॉमिक जोन में गिरी है. जापान सरकार के बयान के मुताबिक उनके किसी विमान या जहाज को नुकसान नहीं पहुंचा है.
परीक्षण ने याद दिलाई किम जोंग की कसम
परमाणु हथियारों से लैस उत्तर कोरिया ने पिछले सप्ताह बुधवार को एक हाइपरसॉनिक मिसाइल के परीक्षण का दावा किया था. इससे पहले नए साल के मौके पर उत्तर कोरिया के शीर्ष नेता किम जोंग उन ने अमेरिका और उत्तर कोरिया से बातचीत थमने के बाद सैन्य क्षमता बढ़ाने की बात कही थी. हाइपरसॉनिक मिसाइल परीक्षण को उनके इसी बयान के मद्देनजर देखा गया था.
सियोल की यूहा यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय मामलों के प्रोफेसर लीफ एरिक इसली कहते हैं कि बार-बार मिसाइल परीक्षण करके उत्तर कोरिया यह संदेश देना चाहता है कि अब वह मिसाइल क्षमता में मजबूत हो गया है और इससे वह खुद को आत्मरक्षा में सक्षम दिखाना चाहता है. एसली के मुताबिक, "इसी के साथ उत्तर कोरिया अंतरराष्ट्रीय पाबंदियों को चुनौती भी दे रहा है."
संयुक्त राष्ट्र में की गई आलोचना
मंगलवार को हुआ यह परीक्षण इस मायने में भी अहम है कि सोमवार को ही अमेरिका ने न्यूयॉर्क में आयोजित संयुक्त राष्ट्र के कार्यक्रम में पिछले सप्ताह हुए परीक्षण की निंदा की है. इस प्रस्ताव में फ्रांस, आयरलैंड, जापान, ब्रिटेन और अल्बानिया भी शामिल थे. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने उत्तर कोरिया पर कोई भी बैलिस्टिक मिसाइल या परमाणु परीक्षण न करने की पाबंदी लगा रखी है और इस क्रम में देश पर कई पाबंदियां भी लगाई हैं.
हालांकि, चीन और रूस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के ऊपर उत्तर कोरिया पर लगे प्रतिबंध नरम करने और निर्यात पर लगे प्रतिबंध हटाने का दबाव बना रहे हैं. उत्तर कोरिया का कहना है कि वह सिर्फ तभी बातचीत के लिए तैयार है, जब अमेरिका पाबंदियों और सैन्य अभ्यास जैसी अपनी 'द्वेषपूर्ण नीतियों' पर लगाम लगाएगा. तमाम विशेषज्ञों का अनुमान है कि उत्तर कोरिया शायद ही कभी अपने परमाणु हथियार नष्ट करे. वहीं उत्तर कोरिया अपने सैन्य अभ्यास को आत्मरक्षा में उठाए गए कदम बताता है.
यूहा यूनिवर्सिटी के ही एक और प्रोफेसर पार्क वॉन गॉन कहते हैं, "इन परीक्षणों को बीजिंग में अगले महीने आयोजित होने जा रहे विंटर ओलंपिक के चश्मे से भी देखा जा सकता है. उत्तर कोरिया के इसमें हिस्सा लेने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. इसकी वजह बताई गई कि उसने टोक्यो ओलंपिक में हिस्सा नहीं लिया." उत्तर कोरिया ने द्वेषपूर्ण नीतियों का हवाला देकर टोक्यो ओलंपिक में हिस्सा नहीं लिया था.
वीएस/एमजे (रॉयटर्स, एएफपी)